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पर्यावरण

2 Solved Questions with Answers
  • 2024

    प्रश्न 7. नदी जल का औद्योगिक प्रदूषण भारत में एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दा है। इस समस्या से निपटने के लिये विभिन्न शमन उपायों और इस संबंध में सरकार की पहल पर चर्चा कीजिये।

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • नदी जल के औद्योगिक प्रदूषण के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • शमन उपायों और सरकारी पहलों का उल्लेख कीजिये। 
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय: 

    भारत में नदी जल का औद्योगिक प्रदूषण, अनुपचारित अपशिष्टों के निर्वहन के माध्यम से जल की गुणवत्ता को नष्ट करके पारिस्थितिकी तंत्र, मानव स्वास्थ्य और आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

    मुख्य भाग: 

    शमन के उपाय: 

    • अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (ETP): उद्योगों में अपशिष्ट जल को प्रवाहित करने से पहले उपचारित करने के लिये ईटीपी की स्थापना को अनिवार्य बनाना, ताकि हानिकारक प्रदूषकों को हटाया जा सके और नदियों पर विषाक्त पदार्थों को कम किया जा सके।
    • सख्त निगरानी और विनियमन: प्रदूषण मानकों के अनुपालन के लिये उद्योगों का नियमित निरीक्षण हेतु सख्त निगरानी प्रणाली स्थापित करना।
    • शून्य तरल निर्वहन (ZLD): उद्योगों को ZLD प्रणाली अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना, जो अपशिष्ट जल को पुनः चक्रित करती है, ताकि जल निकायों में निर्वहन को रोका जा सके।
    • जन जागरूकता और सहभागिता: औद्योगिक प्रदूषण के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जल निकायों की निगरानी एवं सुरक्षा में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
    • सतत् औद्योगिक प्रथाएँ: उद्योगों को स्वच्छ उत्पादन पद्धतियाँ अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना, जिससे अपशिष्ट उत्पादन और संसाधनों की खपत न्यूनतम हो सके।

    सरकारी पहल:

    • नियामक ढाँचा: औद्योगिक प्रदूषण का विनियमन जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के माध्यम से लागू किया जाता है।
    • CPCB के निर्देश: CPCB ने जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 18 (1) (b) के तहत CPCB/PCC को सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (CETP) के गैर-अनुपालन के संबंध में निर्देश जारी किये हैं।
    • ऑनलाइन निगरानी प्रणाली: औद्योगिक इकाइयों के लिये वास्तविक समय पर अपशिष्ट गुणवत्ता डेटा उपलब्ध कराने हेतु ऑनलाइन सतत् अपशिष्ट निगरानी प्रणाली (OCEMS) अनिवार्य है।
    • उत्सर्जन मानक: पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 के अंतर्गत सामान्य और उद्योग-विशिष्ट उत्सर्जन संबंधी मानक निर्धारित किये गए हैं।
    • संरक्षण कार्यक्रम:
      • नमामि गंगे कार्यक्रम
      • अटल मिशन फॉर रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत)
      • स्मार्ट सिटी मिशन

    निष्कर्ष: 

    भारत में नदी जल के औद्योगिक प्रदूषण से निपटने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सख्त विनियमन, तकनीकी प्रगति और सामुदायिक भागीदारी शामिल हो।

  • 2024

    प्रश्न 8. भारत में प्रमुख परियोजनाओं के लिये पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ई.आई.ए.) परिणामों को प्रभावित करने में पर्यावरणीय गैर-सरकारी संगठन और कार्यकर्ता क्या भूमिका निभाते हैं? सभी महत्त्वपूर्ण विवरणों सहित चार उदाहरण दीजिये। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये)

    परिचय:

    पर्यावरणीय गैर-सरकारी संगठन (ENGO) और कार्यकर्त्ता पर्यावरणीय स्थायित्व को बढ़ावा देने एवं नीति परिवर्तन को प्रोत्साहित करने में, विशेष रूप से प्रमुख परियोजनाओं के लिये पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    मुख्य भाग:

    भारत में EIA परिणामों को प्रभावित करने में ENGO और कार्यकर्त्ताओं की भूमिका:

    • पर्यावरणीय मुद्दों के संबंध में सार्वजनिक जागरूकता प्रसार और स्थानीय जन-आबादी को EIA अभियानों में शामिल करना।
    • पर्यावरणीय प्रभावों पर डेटा एकत्र करने के लिये अनुसंधान और सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग एवं जवाबदेही सुनिश्चित करना।
    • नैतिक मानकों को बढ़ावा देना तथा पर्यावरण प्रभाव आकलन में प्रभावी रूप से भाग लेने के लिये समुदायों को प्रशिक्षित करना।
    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की पारदर्शिता के लिये सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करना तथा पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करने के लिये मीडिया को शामिल करना एवं निर्णयकर्त्ताओं पर दबाव डालना।

    उदाहरण: 

    • साइलेंट वैली बचाओ आंदोलन: केरल शास्त्र साहित्य परिषद ने वर्षावन की रक्षा के लिये साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान में एक जलविद्युत परियोजना के विरुद्ध आवाज़ उठाई, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र को जैवमंडल निचय बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ।
    • पॉस्को स्टील परियोजना, ओडिशा: ग्रीनपीस इंडिया और स्थानीय समूहों ने पर्यावरणीय चिंताओं के कारण इस परियोजना का विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप EIA में खामियों के कारण वर्ष 2017 में इसे रद्द कर दिया गया।
    • नर्मदा बचाओ आंदोलन: इस आंदोलन के माध्यम से सरदार सरोवर बाँध के निर्माण का विरोध किया गया तथा इसके पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप परियोजना के संबंध में समुचित सुधार किया गया।
    • स्टरलाइट कॉपर मामला: गैर-सरकारी संगठनों के विरोध और 'स्टरलाइट विरोधी आंदोलन' ने सर्वोच्च न्यायालय की समीक्षा को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण संबंधी मुद्दों के कारण संयंत्र को बंद कर दिया गया और प्रभावी पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता पर बल दिया गया।

    निष्कर्ष:

    ENGO और कार्यकर्त्ता, अधिकारियों को जवाबदेह बनाते हैं साथ ही ये यह भी सुनिश्चित करते हैं कि विकास परियोजनाओं में पर्यावरण तथा सामाजिक प्रभावों को प्राथमिकता दी जाए। ENGO को सुदृढ़ करने से समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्रों को लाभ पहुँचाने वाली स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है।

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