2 Solved Questions with Answers
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2024
मध्य एशियाई गणराज्यों (C.A.R.s) के साथ भारत के विकसित होते राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये तथा क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति में उनके बढ़ते महत्त्व पर प्रकाश डालिये। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये)
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत और मध्य एशियाई गणराज्यों (CARs) के बीच राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों के विकास के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों के संदर्भ में विभिन्न पहलों पर चर्चा कीजिये।
- निष्कर्ष में बताइये कि विभिन्न पहलों के बावजूद भारत को सीमित लाभ ही प्राप्त हुआ है।
परिचय:
मध्य एशिया में भारत, वैश्विक शक्तियों से प्रतिस्पर्द्धा के बीच अपनी स्थिति को मज़बूत करने की ओर अग्रसर है।
मुख्य भाग:
मध्य एशियाई गणराज्यों का महत्त्व:
- मध्य एशियाई देश (विशेषकर कज़ाकिस्तान) कोयला, तेल, गैस, यूरेनियम और सोने जैसे खनिजों से समृद्ध हैं।
- मध्य एशिया यूरोप, अमेरिका, चीन और ईरान के लिये महत्त्वपूर्ण है तथा यहाँ चीन BRI के भाग के रूप में अत्यधिक निवेश कर रहा है।
भारत-CAR संबंधों का विकास:
- "कनेक्ट सेंट्रल एशिया" पहल (2012), भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (2021 से) और SCO में भागीदारी मध्य एशिया के साथ राजनयिक संबंधों को मज़बूत करने के भारत के प्रयासों को दर्शाती है।
- TAPI पाइपलाइन का विकास; भारत का अश्गाबात समझौते (2018) में शामिल होना और होर्मुज जलडमरूमध्य को बाईपास करने के लिये चाबहार बंदरगाह का विकास- ये सभी मध्य एशिया एवं यूरेशिया के साथ बेहतर व्यापार के प्रयासों को दर्शाते हैं।
- वर्ष 2022 में भारत ने अफगानिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता के साथ आतंकवाद के संभावित खतरे के बीच CAR के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक आयोजित की। ताजिकिस्तान में भारत के सैन्य अड्डों के साथ यह उज़्बेकिस्तान के साथ संयुक्त अभ्यास करता है, जो इस क्षेत्र में रक्षा साझेदारी के क्रम में इसके प्रयासों को दर्शाता है।
समालोचनात्मक विश्लेषण:
- अस्थिर अफगानिस्तान के कारण कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएँ जारी रहने तथा भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण मध्य एशिया के साथ भारत का व्यापार बाधित हो रहा है। भारत का मध्य एशियाई व्यापार 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो चीन के 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से काफी कम है। इस क्षेत्र में भारत की प्रगति सीमित बनी हुई है।
निष्कर्ष:
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और भारत की कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति के वास्तविक होने के साथ, 21वीं सदी संभवतः इस क्षेत्र के लिये सबसे निर्णायक अवधि हो सकती है। जैसा कि भारत अपनी सीमाओं से परे देखता है, मध्य एशियाई गणराज्य भारत को मध्य एशिया में अग्रणी भूमिका निभाने के लिये अपने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों का लाभ उठाने के लिये सही मंच प्रदान करता है।
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2024
निर्धनता और कुपोषण एक विषाक्त चक्र का निर्माण करते हैं जो मानव पूंजी निर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इस चक्र को तोड़ने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं? (उत्तर 150 में लिखिये)
हल करने का दृष्टिकोण:
- निर्धनता और कुपोषण तथा इसके विषाक्त चक्र और मानव पूंजी निर्माण पर इसके प्रभाव का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- निर्धनता और कुपोषण के विषाक्त चक्र को तोड़ने के लिये उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिये।
- स्वस्थ व्यक्तियों और प्रभावी मानव पूंजी निर्माण के लिये सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने के महत्त्व पर बल देते हुए उत्तर का निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
मानव पूंजी से तात्पर्य व्यक्तियों के कौशल और ज्ञान से है जो उत्पादकता में वृद्धि करते हैं। निर्धनता और कुपोषण खराब शिक्षा परिणाम, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ तथा सीमित अवसरों का कारण बनकर मानव पूंजी निर्माण में बाधा उत्पन्न करते हैं, जो अंतर-पीढ़ीगत निर्धनता और कम होती आर्थिक क्षमता के चक्र में योगदान करते हैं।
मुख्य भाग:
विषाक्त चक्र को तोड़ने के लिये कदम:
- क्षमता विकास दृष्टिकोण: बेहतर आजीविका के लिये व्यक्तियों और समुदायों के कौशल (व्यावसायिक) और ज्ञान में वृद्धि करना।
- स्थानीय संस्थाओं की क्षमता निर्माण से निर्णय लेने की प्रक्रिया में समुदायों को शामिल करके प्रभावी शासन और जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के लिये, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)।
- उपभोग दृष्टिकोण: प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण और सब्सिडी के माध्यम से कम आय वाले परिवारों की क्रय शक्ति में वृद्धि करना। उदाहरण: पीएम-किसान, पीएम गरीब कल्याण योजना।
- अंतर-पीढ़ीगत निर्धनता उन्मूलन दृष्टिकोण: लोगों को उनके नियमित व्यवसायों के अतिरिक्त कौशल सीखने और उनकी क्षमता विकसित करने में सहायता करना, जिससे उन्हें अपनी आय में वृद्धि करने तथा अप्रत्याशित परिस्थितियों से सुरक्षा करने में सहायता मिल सके। उदाहरण: स्वयं सहायता समूह (SHG)।
- शैक्षणिक एवं जागरूकता: अति-उपभोक्तावाद से प्रेरित फास्ट फूड के स्थान पर स्वस्थ, पौष्टिक खाद्य संसाधनों के प्रति जागरूकता एवं पहुँच को बढ़ावा देना, सेहतमंद आहार विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिये आवश्यक है।
निष्कर्ष:
निर्धनता और कुपोषण के विषाक्त चक्र को तोड़ना निर्धनता तथा भूख से संबंधित एसडीजी-2 एवं 3 को प्राप्त करने के लिये आवश्यक है। लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से स्वस्थ व्यक्तियों को सुनिश्चित करने से प्रभावी मानव पूंजी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, जो अंततः दीर्घकालिक राष्ट्रीय समृद्धि को बढ़ावा देगा।