उत्तर प्रदेश
यू.पी.पी.एस.सी. FAQs
- 10 Apr 2023
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उत्तर : ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वह न्यूनतम निर्धारित (आयोग द्वारा) अंक जिसे प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा (विशेष) में सफल होता है। यू.पी.पी.एस.सी. परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय किया जाता है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत यह कट-आॉफ भिन्न-भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिए भिन्न-भिन्न होता है। प्रारंभिक परीक्षा में ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर) के मामले में प्रथम प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन के अंकों के आधार पर (क्योंकि द्वितीय प्रश्नपत्र सीसैट केवल क्वालीफाइंग होता है) जबकि यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. के मामले में सामान्य अध्ययन एवं सामान्य हिन्दी दोनों प्रश्नपत्रों के अंकों के योग के आधार पर किया जाता है। इसका अर्थ है कि यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. की परीक्षा में अगर कोई उम्मीदवार किसी एक प्रश्नपत्र में काफी कमजोर तथा दूसरे में मजबूत है तो भी उसके सफल होने की संभावना बनी रहती है। ‘कट-ऑफ’ कोई स्थिर वस्तु नहीं है। इसमें हर साल बदलाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों के आधार पर की जाती है। स्वाभाविक सी बात है कि अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा। कुछ लोग कहते हैं कि सीसैट के प्रश्नपत्र में क्वालीफाइंग अंक से अधिक अंक लाने वालों को वरीयता दी जाती है, जबकि कम अंक लाने वाले परीक्षा से बाहर हो जाते हैं। वस्तुत: ये दोनों बातें भ्रामक हैं। ऐसी अफवाहों पर आपको ध्यान नहीं देना चाहिये।
प्रश्न - 2 : यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर), प्रारंभिक परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र (सीसैट) के क्वालीफाइंग होने का क्या अर्थ है?
उत्तर :द्वितीय प्रश्नपत्र सीसैट (सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट) के क्वालीफाइंग होने का अर्थ है कि इसमें न्यूनतम 33% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। चूँकि इस प्रश्नपत्र में प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं। अत: अभ्यर्थियों को अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये इस प्रश्नपत्र में न्यूनतम 66 अंक या उससे अधिक अंक प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।
इस प्रश्नपत्र में 66 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की प्रथम प्रश्नपत्र की कॉपी का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है। इसलिये प्रथम प्रश्नपत्र में चाहे जितना भी अच्छा प्रदर्शन किया गया हो द्वितीय प्रश्नपत्र में क्वालीफाइंग अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
प्रश्न - 3 : प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?
उत्तर : इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन एवं सीसैट के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें हल करते हुए बढ़ें। किंतु अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
सीसैट के प्रश्नपत्र में यदि आपकी अंग्रेजी ठीक है तो अंग्रेजी बोधगम्यता (English Comprehension) एवं व्याकरण ( Grammar) के लगभग 10 से 15 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज्यादा होगी। ये 15 प्रश्न करने के बाद आपकी स्थिति काफी मजबूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेजी से वे प्रश्न करते चलें, जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें। अंत में समय बचे तो उन प्रश्नों को करें और नहीं तो छोड़ दें। एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में गणित या तर्कशक्ति के कुछ सवाल कर लें, उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। सरल से कठिन प्रश्नों की ओर बढ़ने की यह प्रक्रिया सामान्य अध्ययन एवं हिन्दी के प्रश्नपत्रों को हल करते समय भी अपनाया जा सकता है।
प्रश्न - 4 : परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है, उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?
उत्तर : पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक-टेस्ट श्रृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।
प्रश्न - 5 : मैं अंग्रेजी में शुरू से ही कमजोर हूँ। क्या मैं सीसैट में सफल हो सकता हूँ?
उत्तर : जी हाँ, आप जरूर सफल हो सकते हैं। ‘सीसैट’ में केवल 10-15 प्रश्न ऐसे होते हैं जो सिर्फ अंग्रेजी में होते हैं। ये प्रश्न अंग्रेजी में दिये गए अनुच्छेदों पर आधारित बोधगम्यता (Comprehension) एवं व्याकरण (Grammar) के प्रश्न होते हैं। सच यह है कि अंग्रेजी में दिये गए अनुच्छेद काफी आसान भाषा में होते हैं और बहुत कमजोर विद्यार्थी भी इनमें से 3-4 सवाल ठीक कर सकते हैं।
प्रश्न - 6 : मैं शुरू से गणित में कमजोर हूँ। क्या मैं सीसैट में सफल हो सकता हूँ?
उत्तर : जी हाँ, आप जरूर सफल हो सकते हैं। सीसैट के 100 प्रश्नों में से लगभग 15 प्रश्न गणित से पूछे जाते हैं और उनमें से भी आधे प्रश्न तर्कशक्ति (रीजनिंग) के होते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है। अत: थोड़ा प्रयास करने से ये हल हो जाते हैं। हो सके तो गणित में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्राय: सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप प्रतिशतता और अनुपात जैसे शीर्षक तैयार कर लेंगे तो गणित के 3-4 प्रश्न ठीक हो जाएंगे।
प्रश्न - 7 : क्या सभी प्रश्नों को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या साथ-साथ भरते रहना चाहिये?
उत्तर : बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते।
ऐसी स्थिति से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। सीसैट के प्रश्नों में प्राय: एक अनुच्छेद या सूचना के आधार पर 5-6 प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे सभी प्रश्न एक साथ कर लेने चाहिये और साथ ही ओ.एम आर. शीट पर भी उन्हें भर दिया जाना चाहिये। चूँकि गोलों को काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है। अत: उन्हें भरते समय विशेष सावधानी रखें। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।
प्रश्न - 8 : यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. की प्रारंभिक परीक्षा में हिन्दी के प्रश्नपत्र की क्या भूमिका है? मैं हिन्दी व्याकरण में शुरू से ही अपने को असहज महसूस करता हूँ। क्या मैं इस परीक्षा में सफल हो सकता हूँ?
उत्तर : जी हाँ, आप जरूर सफल हो सकते हैं। यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. प्रारंभिक परीक्षा कुल 200 अंकों की होती है। इसमें द्वितीय प्रश्नपत्र सामान्य हिन्दी का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 60 एवं अधिकतम अंक 60 निर्धारित हैं। ‘सामान्य हिन्दी’ के अंतर्गत सामान्य शब्द ज्ञान एवं व्याकरण (विलोम शब्द, वाक्य एवं वर्तनी शुद्धि, अनेक शब्दों के एक शब्द, तत्सम एवं तद्भव, विशेष्य एवं विशेषण एवं पर्यायवाची शब्द) से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है। अत: थोड़ा प्रयास करने से हल हो जाते हैं।
सामान्य हिन्दी से संबंधित इन प्रश्नों को हल करने के लिये विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए हिन्दी के सामान्य शब्द ज्ञान एवं व्याकरण संबंधी प्रश्नों को हल करना लाभदायक रहेगा। इसके लिये हिन्दी की स्तरीय पुस्तक जैसे- वासुदेवनंदन प्रसाद एवं हरदेव बाहरी की ‘सामान्य हिन्दी एवं व्याकरण’ पुस्तक का गहराई से अध्ययन करना उपयोगी रहेगा।
प्रश्न - 9 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से प्रारंभिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या?
उत्तर :
- प्रारंभिक परीक्षाओं के लिये मॉक टेस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका पहला लाभ है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं।
- दूसरा, समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है।
- तीसरा, अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं।
- चौथा लाभ है कि आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है?
- ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट श्रृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है। ‘दृष्टि’ की मॉक टेस्ट श्रृंखला अत्यंत श्रेष्ठ है, जिसमें आप जनवरी से अप्रैल के दौरान काफी सारी जाँच परीक्षाएँ दे सकते हैं।
प्रश्न - 10 : यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर) एवं यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. परीक्षा में हिन्दी के प्रश्नपत्र की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?
उत्तर : यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इन परीक्षाओं में हिन्दी के प्रश्नपत्र की अंकों की दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि इन परीक्षाओं में यह प्रश्नपत्र दो रूपों (बहुविकल्पीय एवं वर्णनात्मक) में पूछे जाते हैं। बहुत से अभ्यर्थियों में यह धारणा बनी हुई है कि हिन्दी का प्रश्नपत्र आसान होता है इसलिये इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है और इस प्रश्नपत्र में औसत लेखन से भी अच्छे अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। वस्तुत: ये दोनों बातें भ्रामक हैं। ऐसी अफवाहों पर आपको ध्यान नहीं देना चाहिये।
यह सत्य है कि हिन्दी की विषय-वस्तु अत्यंत रोचक एवं सहज है, लेकिन परीक्षा की दृष्टि से इसमें बेहतर अंक प्राप्त करने के लिये इसके व्याकरण और तारतम्यता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
यू.पी.पी.सी.एस.(प्रवर) मुख्य परीक्षा में अनिवार्य सामान्य हिन्दी (150 अंक) एवं यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. की प्रारंभिक परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र (सामान्य हिन्दी) के लिये 60 अंक एवं इसकी मुख्य परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सामान्य हिन्दी एवं आलेखन’ (वर्णनात्मक) के लिये अधिकतम 100 अंक तथा तृतीय प्रश्नपत्र ‘सामान्य शब्द एवं हिन्दी व्याकरण’ (वस्तुनिष्ठ) के लिये 60 अंकों का निर्धारित होना इस विषय की महत्ता एवं अंतिम चयन में सहभागिता को स्वयं ही स्पष्ट करती है।
हिन्दी के बहुविकल्पीय प्रश्न बहुत ही आसान होते है, जिन्हें किसी भी स्तरीय पुस्तक से सतत् अध्ययन के द्वारा हल किया जा सकता है। इसके लिये हिन्दी की स्तरीय पुस्तक जैसे- वासुदेवनंदन प्रसाद एवं हरदेव बाहरी की ‘सामान्य हिन्दी एवं व्याकरण’ पुस्तक का गहराई से अध्ययन करना उपयोगी रहेगा।
चूँकि हिन्दी और सामान्य अध्ययन के प्रश्नों के अंक सामान होते हैं, इसलिये कट-ऑफ निर्धारण में यह प्रश्नपत्र अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हो सकता है। साथ ही हिन्दी के वर्णनात्मक प्रश्नपत्रों के लिये व्याख्या, व्याकरण एवं पत्र लेखन इत्यादि का परीक्षा से पूर्व कई बार निर्धारित समय में लिखने का अभ्यास करना चाहिये। अगर संभव हो तो इसके लिये आप किसी मॉक टेस्ट श्रृंखला में सम्मिलित हो सकते हैं।
प्रश्न - 11 : यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित परीक्षाओं में निबंध के प्रश्नपत्र की क्या भूमिका है? इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिये?
उत्तर : वर्तमान में यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षाओं में यू.पी.पी.एस.सी. (प्रवर) एवं यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. है। इनमें निबंध का प्रश्नपत्र मुख्य परीक्षा का विषय है, लेकिन इसकी तैयारी एक सतत् प्रक्रिया है। यू.पी.पी.एस.सी. (प्रवर) मुख्य परीक्षा में निबंध के लिये 150 अंक एवं यू.पी. आर.ओ./ए.आर.ओ. मुख्य परीक्षा में चतुर्थ प्रश्नपत्र में हिन्दी निबंध के लिये 120 अंक का निर्धारित होना, इस विषय की महत्ता एवं अंतिम चयन में सहभागिता को स्वयं ही स्पष्ट करती है। निबंध लेखन के माध्यम से किसी व्यक्ति की मौलिकता एवं व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। वास्तव में निबंध लेखन एक कला है, जिसका विकास एक कुशल मार्गदर्शन में सतत् अभ्यास से किया जा सकता है। पूर्व में निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नहीं होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी थी। लेकिन हाल ही में दृष्टि पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित ‘निबंध-दृष्टि’ पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दी है। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी के अनुसार विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय है। इसके अतिरिक्त इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये आप परीक्षा से पूर्व इससे सम्बंधित किसी मॉक टेस्ट श्रृंखला में सम्मिलित हो सकते हैं। अगर संभव हो तो ‘दृष्टि द विजन’ संस्थान, द्वारा चलाए जाने वाले निबंध की क्लास में भाग ले सकते हैं।
प्रश्न - 12 : यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित परीक्षाओं में साक्षात्कार की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?
उत्तर : यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित परीक्षाओं में यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर) में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित हैं। चूँकि मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है, इसलिये इन परीक्षाओं में अंतिम चयन में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर) के साक्षात्कार में सामान्य परिस्थितियों में आप न्यूनतम 40 अंक तथा अधिकतम 70 अंक तक प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि साक्षात्कार इन परीक्षाओं का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।
प्रश्न - 13 : नए पाठ्यक्रम में जोड़े गए सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र-5 और प्रश्नपत्र-6 की क्या भूमिका रहेगी।
उत्तर :वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पाठ्यक्रम में वैकल्पिक विषय के स्थान पर सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र (5 और 6) को मुख्य परीक्षा में सम्मिलित किया गया है। ये दोनों प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन के अन्य प्रश्नपत्रों के समान ही महत्त्वपूर्ण हैं। ये दोनों प्रश्नपत्र 200-200 अंक के होंगे तथा अभ्यर्थियों के योग्यताक्रम के निर्धारण में इन विषयों में प्राप्त अंकों को भी शामिल किया जाएगा। इन प्रश्नपत्रों के जुड़ने से स्केलिंग का विवाद समाप्त होगा तथा उम्मीदारों में राज्य की बेहतर समझ भी विकसित होगी।