पीसीएस
लोवर सबोर्डिनेट सर्विसेज़ (अवर) रणनीति
- 01 Oct 2018
- 14 min read
यू.पी.पी.सी.एस. (अवर) - रणनीति
रणनीति की आवश्यकता क्यों?
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
- यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
- ध्यातव्य है कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
- इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक-दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता होती है।
प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति
- परीक्षा के इस चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज़्यादा ध्यान दें, जिससे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की आवृति ज़्यादा रही है।
- चूँकि प्रारम्भिक परीक्षा में प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ प्रकार की होती है अत: इसमें तथ्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जैसे- भारत में सर्वप्रथम ‘सोने के सिक्के’ किस शासक ने जारी किये? ‘जोजिला दर्रा’ भारत के किस राज्य में स्थित है? इत्यादि ।
- इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है।
- इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे – एक प्रश्न पूछा गया कि गोदावरी नदी की सहायक नदी इनमें से कौन नहीं है? तो आपको भारत की सभी प्रमुख हिमालयी और प्रायद्विपीय नदियों की सहायक नदियों से संबद्ध एक सूची बना लेनी चाहिये।
- प्रथम प्रश्नपत्र 'सामान्य अध्ययन' में पूछे जाने वाले परम्परागत प्रश्न मुख्यतः ‘भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन’, ‘भारत एवं विश्व का भूगोल’, ‘भारतीय राजनीति एवं शासन’, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक विकास’, ‘भारतीय कृषि’ एवं ‘सामान्य विज्ञान’ से सम्बंधित होते हैं।
- सामान्य अध्ययन के अंतर्गत पूछे जाने वाले परम्परागत प्रश्नों को हल करने के लिये सम्बंधित शीर्षक की कक्षा-6 से कक्षा-12 तक की एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ-साथ दृष्टि पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के सामान्य अध्ययन के विशेषांक खंडों का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- इस परीक्षा में ‘प्रारंभिक गणित’ के प्रश्न हाईस्कूल स्तर तक के पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है। इनका अभ्यास बाज़ार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक से किया जा सकता है।
- यू.पी.पी.एस.सी. (अवर) प्रारम्भिक परीक्षा के ‘पाठ्यक्रम’ में सम्मिलित ‘भारतीय कृषि’ शीर्षक से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘परीक्षा वाणी’ पुस्तक का अध्ययन करना उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
- इन परीक्षाओं में समसामयिक घटनाओं एवं राज्य विशेष से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या ज़्यादा होती है, अत: इनका नियमित रूप से गंभीर अध्ययन करना चाहिये।
- समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे - द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे ’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।
- उत्तर प्रदेश राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘उत्तर प्रदेश’ या बाजार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- इन परीक्षाओं में संस्थाओं इत्यादि से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिये प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (इण्डिया इयर बुक)’ का बाज़ार में उपलब्ध संक्षिप्त विवरण पढ़ना लाभदायक रहता है।
- प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत:15-20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
- इसे प्रारंभिक परीक्षा में ऋणात्मक अंक के प्रावधान नहीं होने के कारण किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।
मुख्य परीक्षा की रणनीति
- मुख्य परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ एवं वर्णनात्मक होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से अलग होती है।
- प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
- यू.पी.पी.एस.सी. (अवर) मुख्य परीक्षा में केवल दो अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाते हैं। इसमें प्रथम प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन (200 अंक) वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकृति का जबकि द्वितीय प्रश्नपत्र हिंदी व्याकरण एवं निबंध (200 अंक) वर्णनात्मक प्रकृति का होता है। इसका विस्तृत विवरण पाठ्यक्रम (syllabus) शीर्षक के अंतर्गत दिया गया है।
- सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में मुख्यतः युक्तिसंगत एवं आलोचनात्मक तथा विश्लेष्णात्मक योग्यता, सामान्य मानसिक योग्यता, सांख्यिकीय विश्लेषण, सामान्य जागरूकता, भारतीय राजव्यवस्था, कंप्यूटर ज्ञान, गाँधी विचारधारा, उत्तर प्रदेश राज्य आधारित प्रश्न, अंतर्वैयक्तिक क्षमता, सामान्य मानव व्यवहार, सामान्य विज्ञान तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के समसामयिक मामलों से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
- सामान्य अध्ययन के परम्परागत प्रश्नों की तैयारी के लिये प्रारंभिक परीक्षा की तरह रणनीति अपनानी चाहिये।
- सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले युक्तिसंगत एवं आलोचनात्मक तथा विश्लेष्णात्मक योग्यता, सामान्य मानसिक योग्यता, अंतर्वैयक्तिक क्षमता तथा सामान्य मानव व्यवहार के सम्बन्ध में पूछे जाने वाले प्रश्नों की तैयारी के लिये यू.पी.पी.एस.सी. (अवर) के द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सीसैट’ में अपनाई गई रणनीति का अनुसरण करना उपयुक्त होगा।
- ‘कंप्यूटर ज्ञान’ से संबंधित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘परीक्षा मंथन’ की कंप्यूटर शीर्षक से सम्बंधित पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।
- ‘सांख्यिकी विश्लेषण’ से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘स्पेक्ट्रम’ एवं ‘एनसीईआरटी’ की पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- उत्तर प्रदेश राज्य आधारित एवं समसामयिक मामलों से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये प्रारंभिक परीक्षा की तरह रणनीति अपनायी जानी चाहिये।
- इस मुख्य परीक्षा में हिंदी व्याकरण एवं निबंध के प्रश्नपत्र की अहम भूमिका होती है। अत: इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
- द्वितीय प्रश्नपत्र के प्रथम खंड में ‘सामान्य हिंदी’ (100 अंक) से सम्बंधित प्रश्न पूछा जाता है। ये प्रश्न मुख्यतः हिंदी व्याकरण, गद्यांश एवं पत्र लेखन से सम्बंधित होते हैं। इसकी तैयारी के लिये हिंदी की स्तरीय पुस्तक जैसे– वासुदेवनंदन प्रसाद एवं हरदेव बाहरी की ‘सामान्य हिंदी एवं व्याकरण’ पुस्तक का गहराई से अध्ययन एवं उपरोक्त विषयों पर निरंतर लेखन कार्य करना लाभदायक रहेगा।
- द्वितीय प्रश्नपत्र के द्वितीय खंड में ‘हिंदी निबंध’ (100 अंक) से सम्बंधित प्रश्न पूछा जाता है। इसके अंतर्गत दो उपखंड होते हैं। प्रत्येक उपखंड से एक-एक निबंध (कुल मिलाकर दो निबंध) लिखने होते हैं। प्रत्येक निबंध की विस्तार सीमा 700 शब्द होती है।
- निबंध को रोचक बनाने के लिये श्लोक, कविता, उद्धरण, महापुरुषों के कथन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है। निबंध की तैयारी के लिये दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘निबंध- दृष्टि’ का अध्ययन करना लाभदयक रहेगा, क्योंकि इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से विभिन्न श्रेणी क्रम में विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा- शैली एवं अप्रोच स्तरीय हैं।
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- विषयों में उभयनिष्ठता के कारण इस मुख्य परीक्षा की तैयारी यू.पी.पी.एस.सी. (प्रवर) मुख्य परीक्षा की रणनीति के अनुरूप किया जा सकता है।
- यू.पी.पी.एस.सी. (अवर) मुख्य परीक्षा कुल 400 अंकों की होती है जिसमे सामान्यत: 260-280 अंक प्राप्त करने पर साक्षात्कार के लिये आमंत्रित किया जाता है।
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साक्षात्कार की रणनीति
- साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
- अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
- यू.पी.पी.एस.सी. (अवर) परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 50 अंक निर्धारित किया गया है।
- आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त अंकों के योग के आधार पर तैयार किये गए मेधा सूची (मेरिट लिस्ट ) के आधार पर होता है।