शशांक त्रिपाठी
Rank: 5
नाम: शशांक त्रिपाठी
जन्म तिथि: 5 जून 1989
शैक्षिक योग्यता: 2013 में आईआईटी ,कानपुर से स्नातक।
पूर्व चयन : यूपीएससी वर्ष 2014 में 272वीं रैंक के साथ भारतीय राजस्व सेवा के अंतर्गत आयकर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर।
दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडेः शशांक, आपको इस शानदार सफलता के लिये ढेर सारी बधाइयाँ। सिविल सेवा परीक्षा में इतनी अच्छी रैंक प्राप्त करके आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
शशांक त्रिपाठीः बहुत-बहुत धन्यवाद। निश्चित तौर पर बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ।
दृष्टिः क्या परीक्षा से पूर्व आप अपनी तैयारी के स्तर से संतुष्ट थे और क्या इस सफलता के प्रति आश्वस्त थे?
शशांकः जैसा आप जानते हैं कि यूपीएससी परीक्षा के बारे पहले से कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। यह बात मैंने अपने पहले ही प्रयास में महसूस की थी, क्योंकि मैं और बेहतर रैंक की उम्मीद में था। किंतु, फिर भी, मेरी तैयारी का स्तर मेरे दोनों ही प्रयासों में पर्याप्त रूप से अच्छा था। मैं इसी आशा में था कि यदि थोड़ा भाग्य का सहारा मिल गया तो मैं आईएएस के रूप में चयनित होने के लिये पर्याप्त रैंक पा जाऊंगा। फिर भी, मैंने इतनी अच्छी रैंक की आशा तो नहीं की थी।
दृष्टिः आपने मौजूदा प्रयास के लिये अपनी तैयारी की रणनीति में क्या बदलाव किया था?
शशांकः इस बार अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव मैंने परीक्षा में उत्तर के प्रस्तुतीकरण को लेकर किया था, जबकि मेरी जानकारी का स्तर कमोबेश पिछले प्रयास के जैसा ही था।
दृष्टिः आप सिविल सेवा की तरफ कैसे आकर्षित हुए?
शशांकः सिविल सेवा की कार्यशैली में विविधता की वज़ह से मैं इसके प्रति आकर्षित हुआ क्योंकि मैं जो काम करता हूँ उसके प्रति पूरी संबद्धता महसूस करता हूँ।
दृष्टिः आपकी नजर में यूपीएससी की परीक्षा अन्य परीक्षाओं से भिन्न कैसे है?
शशांकः यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिये कम-से-कम डेढ़ से दो वर्ष के समय की ज़रूरत होती है। परीक्षा प्रक्रिया को समझने में ही साल भर लग जाता है। मुख्य परीक्षा के दौरान आपको परीक्षा भवन में 27 घंटे का कठिन समय बिताना पड़ता है। अन्य परीक्षाओं की तुलना में इसके लिये अधिक उच्च स्तर के धैर्य, दृढ़ता, कठिन परिश्रम व मानसिक दृढ़ता की आवश्यकता होती है।
दृष्टिः आपके अनुसार आपकी सफलता के मूल सूत्र क्या हैं?
शशांकः मैं समझता हूँ कि अध्ययन के स्रोतों का चुनाव कम संख्या में करना और उन्हें बार-बार दोहराते रहना मेरी सफलता के लिये काफी कारगर सिद्ध हुआ। इसके अलावा, मेरी समझ में उत्तरों के सुविचारित व क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण से भी काफी अंतर पड़ा।
दृष्टिः अपनी काबिलियत व अथक परिश्रम के अलावा अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे?
शशांकः मेरी पूरी तैयारी के दौरान मेरे बड़े भाई मयंक त्रिपाठी का बहुत ही ज़बरदस्त समर्थन रहा। इसके अलावा, मेरी माताजी श्रीमती सुमन त्रिपाठी व पिताजी श्री श्रीनारायण त्रिपाठी का मुझमें पूरा विश्वास बना रहा। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के मेरे निर्णय का सम्मान किया तथा आईआईटी कानपुर से निकलने के बाद मुझ पर नौकरी करने का दबाव नहीं डाला।
दृष्टिः आपने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कब शुरू की?
शशांकः इसकी तैयारी मैंने स्नातक (बीटेक) के तुरंत बाद ही शुरू कर दी थी।
दृष्टिः प्रारंभिक परीक्षा व मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के व्यापक पाठ्यक्रम को देखते हुए आपने इसकी तैयारी के लिये क्या रणनीति अपनाई?
शशांकः अपनी तैयारी के प्रथम वर्ष के दौरान मैंने व्यापक रूप से पूरे पाठ्यक्रम का अध्ययन किया। सामान्य अध्ययन के लिये ऐसे स्रोतों का उपयोग किया जो कि भरोसेमंद व उपयोगी थे। इसके अलावा, अच्छी गुणवत्ता वाली पुस्तकों का ही अध्ययन किया। कम स्रोतों का चुनाव तथा उनका अधिक-से-अधिक अभ्यास मेरे लिये बहुत फायदेमंद रहा।
दृष्टिः क्या आपने पाठ्यक्रम के कुछ विशेष भागों पर तैयारी के दौरान विशेष जोर दिया था या पूरे पाठ्यक्रम की समान रूप से तैयारी की थी? क्या आपके विचार से पाठ्यक्रम के कुछ भागों को तैयारी करते समय छोड़ा भी जा सकता है?
शशांकः पाठ्यक्रम में दिये गए सभी बिंदुओ को लेकर मैं पूरी तरह गंभीर रहा तथा इसके साथ ही मैंने उन अतिरिक्त चीजों का बिल्कुल भी अध्ययन नहीं किया जिनका परीक्षा से कोई संबंध नहीं था।
दृष्टिः क्या आप परीक्षा के सभी चरणों की तैयारी एक-साथ ही करते थे या फिर परीक्षा चक्र के अनुसार समय आने पर?
शशांकः मैंने प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा की तैयारी एक-साथ ही की थी। हालाँकि, मुख्य परीक्षा के लिये उत्तर-लेखन का अभ्यास प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही शुरू किया तथा इंटरव्यू के लिये व्यक्तित्व परीक्षण की तैयारी मुख्य परीक्षा के बाद शुरू की।
दृष्टिः आपके विचार में अध्ययन के दौरान नोट्स तैयार करते जाना कितना महत्त्वपूर्ण है?
शशांकः स्कूल के समय से ही नोट्स तैयार करने की मेरी आदत रही है। मुझे लगता है कि इससे अध्ययन सामग्री को तेज़ी से दोहराने में सुविधा होती है और साथ ही पढ़ी हुई चीज़े ज़्यादा याद रह जाती हैं।
दृष्टिः आप समय प्रबंधन की चुनौती से कैसे निपटते थे? क्या इसके लिये प्रतिदिन रणनीति बनाते थे या फिर मासिक या वार्षिक आधार पर?
शशांकः मेरा मानना है कि हमें लघु अवधि व दीर्घ अवधि के लक्ष्यों को साथ लेकर चलना चाहिये। मैं एक बड़ी योजना के भाग के रूप में ही प्रतिदिन या मासिक आधार पर लक्ष्यों को तय करता था।
दृष्टिः आप प्रतिदिन औसतन कितने घंटे का समय अध्ययन के लिये देते थे, और अध्ययन न करने के दौरान आप कौन-सा मनपसन्द काम (मसलन कोई हॉबी वगैरह) करते थे?
शशांकः मैं प्रायः औसतन 6-7 घंटे पढ़ाई करता था, लेकिन जब परीक्षा नज़दीक होती थी तो यह समय 10-12 घंटे तक बढ़ जाता था। मैं नियमित तौर पर अंतराल लिया करता था। खाली समय में मैं अपने फ्लैट के साथियों के साथ खाने-पीने की अच्छी जगहों पर जाता था और तनाव से छुटकारा पाने के लिये कुछ टीवी सीरियल या मूवीज देखा करता था।
दृष्टिः क्या आप मानते हैं कि ग्रुप में अध्ययन करने से फायदा मिलता है? कृपया अपना अनुभव साझा करें।
शशांकः हाँ, मेरा मानना है कि इससे काफी मदद मिलती है। लेकिन ग्रुप में ईमानदारी से मेहनत करने वाले और जोशीले लोग होने चाहियें।
दृष्टिः आपके विचार से, सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न स्तरों पर मॉक टेस्ट सीरीज़ में भाग लेना कितना उपयोगी है?
शशांकः मॉक टेस्ट की वही उपयोगिता होती है जो किसी भी खेल के पहले उसके प्रैक्टिस मैच की होती है। कल्पना कीजिये कि नेट प्रैक्टिस के बाद आप सीधे क्रिकेट का वर्ल्ड कप खेलने पहुँच जाएँ तो स्थिति क्या होगी? इसी तरह मॉक टेस्ट भी मेरे विचार से अंतिम परीक्षा के पहले बहुत उपयोगी है।
दृष्टिः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? क्या आपने स्नातक के दौरान या उसके बाद किसी भी स्तर पर इसका अध्ययन किया था?
शशांकः मेरा वैकल्पिक विषय संस्कृत साहित्य था। मैंने कक्षा 12 तक इसका अध्ययन किया था, किंतु मेरा स्नातक आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग से था।
दृष्टिः कुछ लोग कहते हैं कि कुछ वैकल्पिक विषय अन्य विषयों की अपेक्षा पाठ्यक्रम में छोटे, आसान एवं अधिक अंक प्रदान करने वाले होते हैं, इस कारण वे काफी लोकप्रिय हैं। आपने वैकल्पिक विषय का चुनाव करते समय क्या उसकी लोकप्रियता को आधार बनाया था?
शशांकः नहीं, मेरा वैकल्पिक विषय लोकप्रिय विषयों में नहीं आता है। लेकिन फिर भी, कोई भी प्रतियोगी जिस विषय का चुनाव करता है उसमें उसे उत्कृष्ट बनना पड़ता है। मैंने अवलोकन किया कि गैर-परंपरागत विषयों की तुलना में अधिक अंक देने वाले लोकप्रिय वैकल्पिक विषयों की तैयारी अधिक कठिन है।
दृष्टिः आपके विचार में मुख्य परीक्षा की सफलता किस सीमा तक उत्तर लेखन की कला पर निर्भर करती है? आपने अपने उत्तर लेखन के सही तरीके का विकास करने में क्या दृष्टिकोण अपनाया था?
शशांकः पाठ्यक्रम की मूलभूत समझ और उसका ज्ञान हो जाने के बाद उत्तर लेखन ही वह सबसे प्रमुख कारक है जिससे आपकी सफलता सुनिश्चित होती है। इसके लिये मैंने गौरव अग्रवाल और इरा सिंघल के सुझावों का अनुकरण किया। मैंने आमतौर पर बिन्दुवार उत्तर लेखन किया तथा हेडिंग्स का भी प्रयोग किया। उत्तर लेखन करते वक्त आपको इसे परीक्षक के लिये हरसंभव सरल बनाकर लिखना चाहिये।
दृष्टिः आपने निबंध की तैयारी किस तरह की थी? परीक्षा भवन में आपने किन आधारों पर निबंध के टॉपिक का चुनाव किया?
शशांकः मैंने वाजीराम के निर्देशन में निबंध की तैयारी की। परीक्षा में किसी भी टॉपिक का चुनाव करते समय उसकी मूलभूत जानकारी और समझ होना जरूरी है और इसी आधार पर मैंने टॉपिक का चुनाव किया था। इसके लिये भी मैंने इरा सिंघल और गौरव अग्रवाल के सुझावों का अनुकरण किया था।
दृष्टिः शशांक जी, आपके उज्ज्वल भविष्य के लिये बहुत शुभकामनाएँ।
शशांकः बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आशा करता हूँ कि दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे के माध्यम से प्रतियोगियों को सफलता के लिये उचित दिशा-निर्देश अनवरत मिलता रहेगा।