कुमारी अमिता गुप्ता
Rank: 9
नाम: कुमारी अमिता गुप्ता
जन्म तिथि: 5 जून 1989
शैक्षिक योग्यता: बी.एस.सी (जीव विज्ञान),एम.एस.सी (रसायन विज्ञान)
पूर्व चयन : असिस्टेंट कंज़र्वेटर ऑफ़ फ़ॉरेस्ट(5 Rank),CGPSC.2014 (57th Rank),CGPSC 2013 (91th Rank),फूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (SSC),कार्यालय सहायक (छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक)।
सामान्य अध्ययन-1:भाषा -115.5
सामान्य अध्ययन-6: गणित-166.5
सामान्य अध्ययन-3: जी.एस.- 97
सामान्य अध्ययन-4: विज्ञान-90.5
पेपर-5 : छत्तीसगढ़ एवं अर्थशास्त्र-78
पेपर -7: छत्तीसगढ़,दर्शनशास्त्र एवं समाजशास्त्र -99
मुख्य परीक्षा में कुल अंक :781.5
इंटरव्यू: 65
कुल अंक : 846.5
दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडेः सिविल सेवा परीक्षा में उच्च रैंक पर चयनित होने पर आपको ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’की ओर से हार्दिक बधाई। चयनित होकर आपको कैसा लग रहा है?
अमिता गुप्ताः जी धन्यवाद! चयनित होने व ‘टॉप-10’ में आने पर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
दृष्टिः क्या इस परीक्षा में सफल होना ही आपके जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य था? यदि नहीं, तो आगे आपकी निगाह किन उद्देश्यों पर लगी है?
अमिताः मेरे जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य समाज के वर्ग विशेष, महिलाओं व बच्चों के जीवन में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाना है। अभी तक जहाँ जैसा अवसर मिला है, मैंने अपना प्रयास किया है। चूँकि सिविल सेवा इस लक्ष्य को पाने में एक महत्त्वपूर्ण पथ है, जिसे पार करने पर अपने लक्ष्य को व्यापकता के साथ निभाया जा सकता है। इस उद्देश्य हेतु इस परीक्षा में सफल होना एक लक्ष्य था।
दृष्टिः सिविल सेवाओं में ऐसा क्या है कि लाखों युवा इनकी ओर आकर्षित होते हैं? आपके लिये इन सेवाओं में जाने का क्या आकर्षण था?
अमिताः समाज में प्रतिष्ठा, कार्यों की विविधता, लोगों तक पहुँच, ये सभी ऐसे कारण हैं जिनसे युवा इनकी ओर आकर्षित होते हैं। यद्यपि व्यक्तिगत जीवन में भी सेवा के कई अवसर हैं, किंतु सिविल सेवाओं के द्वारा हम सौ, हजार से आगे बढ़कर करोड़ों की संख्या में लोगों के जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। इन्हीं कारणों से मैं भी इन सेवाओं की तरफ आकर्षित हुई।
दृष्टिः अक्सर कहा जाता है कि एक-डेढ़ वर्ष तक कठोर मेहनत करने के बाद भी इस परीक्षा की तैयारी संतोषजनक तरीके से पूरी नहीं हो पाती। क्या यह सच है? क्या आप अपनी तैयारी से संतुष्ट थीं एवं सफलता के प्रति आशावान थीं?
अमिताः CGPSC की मुख्य परीक्षा के लिये एक-डेढ़ वर्ष की कठोर मेहनत पर्याप्त है। यह मेहनत उचित मार्गदर्शन व अनुकूल पाठ्य सामग्री द्वारा की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। CGPSC के पाठ्यक्रम में इतनी विविधता है कि मैं अपनी तैयारी से पूर्ण संतुष्ट तो नहीं थी, किंतु सफलता के प्रति आशावान ज़रूर थी।
दृष्टिः यूँ तो कोई भी सफलता कई कारकों पर निर्भर होती है, पर हर सफल व्यक्ति के पास कुछ विशेष सूत्र होते हैं। आपकी सफलता के मूल में कौन-से सूत्र रहे?
अमिताः जीवन में कई कठिनाइयाँ आती हैं, किंतु इन कठिनाइयों से परे मैंने लक्ष्य को सदैव ध्यान में रखकर निरंतर प्रयास किया। अपनी कमियों का आकलन करते हुए उन्हें दूर करने के लिये कठोर श्रम किया।
दृष्टिः आपकी सफलता में निस्संदेह आपके साथ-साथ कुछ अन्य व्यक्तियों और शिक्षण संस्थानों का भी योगदान रहा होगा। अपनी योग्यता और परिश्रम के अलावा आप अपनी सफलता का श्रेय किन्हें देना चाहेंगी?
अमिताः मेरी सफलता में सौरभ सर व दिल्ली आई.ए.एस. संस्थान का अतुलनीय योगदान रहा। इनके अलावा, माता-पिता का भरपूर सपोर्ट, छोटी बहन वर्षा गुप्ता व भाई राजकमल, दोस्तों में शशि प्रजापति एवं रिचा सिंह परिहार का जीवन के हर कठोर क्षण पर निःस्वार्थ साथ ने मुझे अपनी सफलता के और करीब ला दिया।
दृष्टिः प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठ्यक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिये आपने क्या रणनीति अपनाई? कुछ विशेष खंडों पर अधिक बल दिया या सभी पर समान बल? आपकी राय में क्या कुछ खंडों को गौण मानकर छोड़ा जा सकता है?
अमिताः प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के सिलेबस को देखते हुए तथा विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण कर मैंने अपनी रणनीति बनाई। मेरी राय में किसी भी खंड को गौण मानकर छोड़ा नहीं जा सकता, किंतु कुछ स्कोरिंग पेपर्स पर विशेष बल ज़रूर दिया जाना चाहिये। मैंने सामान्य अध्ययन के अलावा भाषा, निबंध, गणित व विज्ञान जैसे प्रश्न-पत्रों पर विशेष बल दिया।
दृष्टिः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिये कौन-सी पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ पढ़नी हैं एवं कौन-सी छोड़नी हैं, इसका निर्धारण आपने कैसे किया? कृपया सामान्य अध्ययन, निबंध, वैकल्पिक विषय/विषयों तथा सीसैट के संबंध में पुस्तक सूची विस्तार से बताएँ, ताकि नए विद्यार्थियों को पुस्तक चयन में सुविधा महसूस हो।
अमिताः मैंने अपनी तैयारी के दौरान इन स्रोतों का सहारा लियाः
1. सामान्य अध्ययनः
(क) अर्थव्यवस्थाः दिल्ली IAS संस्थान के नोट्स व क्लास नोट्स, पी.डी. के अर्थशास्त्र विशेषांक व सौरभ सर के क्लास नोट्स।
(ख) विज्ञान एवं तकनीकः NCERT व CG की किताबें, दिल्ली IAS संस्थान के नोट्स।
(ग) भारत का इतिहासः दिल्ली IAS संस्थान के नोट्स एवं क्लास नोट्स।
(घ) पर्यावरण तथा पारिस्थितिकीः क्लास नोट्स।
(घ) आपदा प्रबंधनः क्लास नोट्स।
2. निबंधः सौरभ सर का मार्गदर्शन व दृष्टिकोण, न्यूज़पेपर व मासिक पत्रिका में दिये गए लेख।
3. सीसैटः
(क) गणितः CG व CBSE बोर्ड की किताबें, आर.एस. अग्रवाल की किताबें।
(ख) रीजनिगः दीपक कुमार की ‘परफैक्ट’ और विभिन्न मासिक पत्रिकाओं के प्रश्न-पत्रों का अभ्यास।
(ग) कॉम्प्रीहेंशनः अरिहंत व टाटा मैग्राहिल।
दृष्टिः आपने निबंध की तैयारी कैसे की? परीक्षा भवन में विषय के चयन तथा समय-प्रबंधन को लेकर आपने क्या रणनीति अपनाई? क्या भूमिका और निष्कर्ष लेखन के लिये कोई विशेष रणनीति अपनाई या सामान्य तरीके से ही लिखा?
अमिताः मेरी निबंध की तैयारी में सौरभ सर के मार्गदर्शन व दृष्टिकोण ने अहम भूमिका निभाई। न्यूज़पेपर व विभिन्न मासिक पत्रिकाओं के लेखों के अध्ययन से विषय की समझ बढ़ी।
मैंने परीक्षा भवन में विषय का चयन अपनी जानकारी व संबंधित विषय के प्रस्तुतीकरण में समर्थता को ध्यान में रखते हुए किया। समय को ध्यान में रखते हुए व विषय के विभिन्न आयामों को सोचते हुए निबंध की रूपरेखा को ‘रफ’ में तैयार किया और इसका विस्तृत विवरण निबंध लिखते हुए किया। भूमिका और निष्कर्ष लेखन के समय विषय को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत सोच को आधार बनाया।
दृष्टिः अधिकांश सफल उम्मीदवार बताते हैं कि मुख्य परीक्षा में सफलता का एक बड़ा आधार उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली में छिपा है। क्या आप इस राय से सहमत हैं? आपकी राय में उत्तर लिखने की सही शैली क्या होनी चाहिये? इसके विकास के लिये क्या तरीका अपनाया जाना चाहिये?
अमिताः निस्संदेह मुख्य परीक्षा की सफलता उत्कृष्ट लेखन शैली पर आधारित है। चूँकि CGPSC में लिखने के लिये लाइन्स व जगह निर्धारित हैं, अतः यहाँ प्रश्न की मांग के अनुसार चिंतन कर सटीक व प्रभावी उत्तर लिखा जाना चाहिये। इसे निरंतर अभ्यास द्वारा ही पाया जा सकता है।
दृष्टिः बहुत से विद्यार्थी इस बात को लेकर संशय में रहते हैं कि वे पढ़ाई के साथ नोट्स बनाएँ या नहीं? अगर वे नोट्स बनाते हैं तो बहुत सारा समय चला जाता है, जबकि नहीं बनाने पर तैयारी अधूरी लगती है। इस संबंध में आपकी क्या राय है? नोट्स बनाने चाहियें या नहीं, और अगर बनाने चाहियें तो कितने और कैसे? कृपया अपने अनुभव के आधार पर बताएँ।
अमिताः सभी विषयों के नोट्स बनाने की बजाय विषय को पढ़ना, समझना व चिंतन करना आवश्यक है। डिटेल नोट्स की जगह कुछ विषयों के फुटनोट्स बनाए जाने चाहियें, जो मुख्य परीक्षा के लगातार 4 दिनों में 7 पेपर (एक दिन में 2 पेपर) के रिवीज़न में सहायक होते हैं।
दृष्टिः आजकल उम्मीदवारों में प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा के लिये मॉक टेस्ट सीरीज़ में भाग लेने का काफी रुझान दिखाई पड़ता है। इंटरव्यू से पहले मॉक इंटरव्यू देने का रुझान वैसे भी काफी समय से दिखता रहा है। आपकी राय में प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा के लिये मॉक टेस्ट सीरीज़ में भाग लेना कितना उपयोगी है? अगर आपका स्वयं का ऐसा अनुभव रहा है तो उसके आधार पर पाठकों को उपयुक्त सलाह दें।
अमिताः मॉक टेस्ट सीरीज़ स्वयं के आकलन का श्रेष्ठ तरीका है जिसके द्वारा अन्य प्रतियोगियों के साथ कंपीट करने पर अपनी वास्तविक स्थिति का ज्ञान होता है। अपनी कमियों को दूर करने का अवसर मिलता है। इसलिये परीक्षा के प्रत्येक चरण में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टिः मुख्य परीक्षा के परिणाम के बाद आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? क्या उस अल्प अवधि में की गई तैयारी सचमुच साक्षात्कार में मदद करती है? अगर हाँ, तो कितनी और कैसे? कृपया इंटरव्यू की तैयारी के लिये कुछ सुझाव भी दें।
अमिताः CGPSC-2015 की मुख्य परीक्षा के रिज़ल्ट व मेरे साक्षात्कार के मध्य 1 हफ़्ते का समय था, इस बीच इंटरव्यू का फॉर्म भरने व डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में भी समय लगा। मेरे इस इंटरव्यू में सौरभ सर के टिप्स व विगत वर्षों के अनुभव से मदद मिली।
दृष्टिः आपने इंटरव्यू के दौरान कौन-सी ड्रेस पहनी थी तथा उसके चयन का क्या आधार था? क्या इंटरव्यू में ड्रेस के चयन से कोई फर्क पड़ता है? क्या आपसे आपकी ड्रेस या इससे संबंधित कोई प्रश्न पूछे गए?
अमिताः आरामदेह, शालीन व सभ्य परिधान जिसमें आप सहज हों तथा प्रशासनिक पद की गरिमा व गंभीरता को ध्यान में रखकर पोशाक का चयन किया जाना चाहिये। मैंने अपने इंटरव्यू में इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सलवार-सूट पहना था।
दृष्टिः हमने कई टॉपर्स से सुना है कि वे इंटरव्यू से तुरंत पहले काफी नर्वस थे और तनाव का प्रबंधन करने में कठिनाई महसूस कर रहे थे। क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ या आपको बिल्कुल तनाव नहीं हुआ?
अमिताः इंटरव्यू के पहले मैं काफी नर्वस थी, इस तनाव से निकलने हेतु मैंने पानी पीया, गहरी साँस ली, आँखें बंद की, ईश्वर व परिवार का स्मरण किया।
इंटरव्यू बोर्ड के समक्ष पहुँचते ही स्थिति सामान्य हो चुकी थी।
दृष्टिः आपका साक्षात्कार किस बोर्ड में था? आपसे मुख्यतः क्या-क्या प्रश्न पूछे गए? क्या इस बात से परिणाम पर फर्क पड़ता है कि आपको साक्षात्कार के लिये कौन-सा बोर्ड मिला था?
अमिताः मेरा साक्षात्कार श्री मोहन मंडावी सर के बोर्ड में था। मुझसे सर ने विश्व भूगोल से संबंधित काफी प्रश्न किये व जापान-अमेरिका युद्ध, जापान के एशियाई देशों के साथ संबंध से भी प्रश्न पूछे। इसके अलावा रसायन विज्ञान विषय से प्रश्न किये गए।
मेरा मानना है कि आपका साक्षात्कार जिस बोर्ड में पड़ा, उनकी सोच व नज़रिये से परिणाम में अंतर अवश्य पड़ता है।
दृष्टिः क्या यह ज़रूरी है कि सिविल सेवा परीक्षा के उत्तर लिखते समय या इंटरव्यू में उत्तर देते समय सरकार की नीतियों व दृष्टिकोण का समर्थन ही किया जाए? क्या किसी मुद्दे पर सरकार की राय का विरोध किया जा सकता है?
अमिताः प्रशासन में कार्य करने हेतु नीतियों के क्रियान्वयन से संबंधित विभिन्न आयामों पर चिंतन आवश्यक है। सरकार की मंशा हमेशा जनहित के कार्य करने की होती है। अगर नीतियों में सुधार की गुंजाइश है तो इसे उपयुक्त शब्दों के चयन के साथ सुझाव सहित प्रस्तुत किया जा सकता है।
दृष्टिः क्या सोशल नेटवर्किंग साइट्स या अन्य वेबसाइट्स का इस परीक्षा की तैयारी में महत्त्व है? अगर हाँ, तो कितना? नए उम्मीदवारों को आप किन वेबसाइट्स की मदद लेने की सलाह देंगी?
अमिताः निस्संदेह नेटवर्किंग साइट्स या अन्य वेबसाइट्स परीक्षा की तैयारी में अपना महत्त्व रखती हैं, क्योंकि इनके माध्यम से विभिन्न जानकारियाँ सहज ही उपलब्ध हो जाती हैं।
चूँकि मेरी रुचि किताबों को पढ़ने में अधिक रही है, अतः मैंने इनसे ही मुख्यतः तैयारी की।
दृष्टिः सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करने के लिये सबसे उपयुक्त समय क्या है- ग्रेजुएशन के साथ-साथ, उसके तुरंत बाद या कुछ और? आपने तैयारी कब शुरू कर दी थी? क्या आप इस संबंध में अपनी रणनीति को सटीक मानती हैं?
अमिताः सिविल सेवा की तैयारी अगर ग्रेजुएशन के साथ-साथ की जाए तो बहुत ही कम समय में सफलता हासिल की जा सकती है।
मुझे M.Sc. करने के पश्चात् छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में सेवा के दौरान अहसास हुआ कि मुझे प्रशासनिक सेवा में जाना चाहिये, तत्पश्चात् ही मैंने इसकी तैयारी आरंभ की।
दृष्टिः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिये आपकी राय में कुल कितना समय दिया जाना चाहिये? तैयारी एक-एक चरण के लिये क्रमशः करनी चाहिये या सभी चरणों के लिये एक साथ? अपने अनुभव बताते हुए उपयुक्त सुझाव दें।
अमिताः CGPSC के तीनों चरण कुछ इस तरह से आयोजित होते हैं कि प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के बीच 2-3 महीने का ही समय रहता है। मेरे विचार से प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा की तैयारी साथ-साथ ही की जानी चाहिये।
दृष्टिः तैयारी के दौरान समय प्रबंधन एक गंभीर चुनौती है, चाहे वह दिनों या महीनों के स्तर पर हो या एक दिन में घंटों के स्तर पर। इसका हल आपने कैसे निकाला? इस संबंध में यह भी बताएँ कि आपकी राय में परीक्षार्थियों के लिये आदर्श दिनचर्या कैसी होनी चाहिये?
अमिताः मैंने जॉब में रहते हुए परीक्षाएँ दी हैं। इस दौरान मुझे जब भी समय मिला, मैंने अध्ययन किया। प्रातःकाल जल्दी उठकर कठिन विषयों की पढ़ाई की। समय कम हो तो दिन में पढ़ाई के घंटों को आवश्यक रूप से बढ़ा देना चाहिये ताकि सिलेबस पूरा कर रिवीज़न किया जा सके।
दृष्टिः प्रायः देखा जाता है कि सिविल सेवाओं की तैयारी करने वाले बहुत से उम्मीदवार किसी वैकल्पिक कॅरियर के बारे में सोचे बिना ही अपनी सारी ऊर्जा इस क्षेत्र में झोंक देते हैं। अगर वे सफल हो जाएँ तो ठीक, नहीं तो उनके लिये सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। दूसरी तरफ, जो उम्मीदवार वैकल्पिक रास्ता लेकर चलते हैं, उन्हें यह शिकायत रहती है कि वे इस कठिन परीक्षा की तैयारी को पूरा समय नहीं दे पाते। इस संबंध में आपकी क्या राय है? उम्मीदवार को सिर्फ इस परीक्षा के लिये ऊर्जा लगानी चाहिये या अन्य वैकल्पिक रास्ते भी बनाकर चलना चाहिये? आपने इनमें से कौन-सा रास्ता चुना?
अमिताः तैयारी के आरंभिक वर्षों में एकमात्र लक्ष्य बनाकर अपनी संपूर्ण ऊर्जा लगाकर तैयारी की जानी चाहिये। एक समय-सीमा व अटैम्प्ट तय कर लिये जाने चाहियें, अगर उनमें सफलता न मिले तो कॅरियर के अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिये। ऐसे कॅरियर का चुनाव किया जाना चाहिये जिसमें काम करने के बाद भी पढ़ाई के लिये ऊर्जा शेष रहे। जहाँ चाह होती है, वहाँ राह भी होती है। इसलिये लगन व शिद्दत के साथ तैयारी की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है।
दृष्टिः पारिवारिक तथा शैक्षिक पृष्ठभूमि का परीक्षा की तैयारी पर कितना प्रभाव पड़ता है? जिन लोगों को बेहतर विद्यालयों या महाविद्यालयों में पढ़ने का मौका नहीं मिला, क्या उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है? अगर हाँ, तो उससे कितना और कैसे बचा जा सकता है?
अमिताः पारिवारिक व शैक्षिक पृष्ठभूमि का परीक्षा की तैयारी पर प्रभाव ज़रूर पड़ता है। किंतु इस कमी को उचित पाठ्य सामग्री व मार्गदर्शन से दूर किया जा सकता है।
दृष्टिः अपना परिणाम जानने से पूर्व आप टॉपर्स के बारे में क्या सोचती थीं? क्या स्वयं टॉपर बन जाने के बाद इस संबंध में आपकी राय बदली है?
अमिताः UPSC व PSC के टॉपर मुझे अलग ही दुनिया के लगते थे। किंतु, शुरू से ही मेरा मानना रहा है कि मेहनत व लगन से कुछ भी हासिल करना संभव है। CGPSC परीक्षा में ‘टॉप-10’ में आना मेरे लिये एक मधुर स्वप्न के सच होने जैसा है।
दृष्टिः विद्यार्थियों के बीच यह धारणा काफी प्रचलित है कि सिविल सेवाओं में सफल होने के लिये रोज 16-18 घंटे पढ़ना जरूरी है। क्या यह बात सही है? अपने अनुभव से बताइये कि रोजाना औसतन कितने घंटे पढ़ाई पर लगाए जाने चाहियें? क्या थोड़ा बहुत समय घूमने-फिरने और खेलने के लिये देना उचित है? अगर हाँ, तो कितना?
अमिताः कभी भी पढ़ाई के घंटे सफलता के पर्याय नहीं हो सकते। यह अवश्य है कि समय कम हो और सिलेबस बड़ा हो तो अधिक घंटे पढ़ाई करनी होती है। अगर पढ़ाई के दौरान पूर्ण एकाग्रचित्त होकर तथा ध्यान लगाकर विषय का अध्ययन किया जाए तो अवश्य ही सार्थक परिणाम मिलते हैं।
दृष्टिः इस परीक्षा की तैयारी के दौरान होने वाले मानसिक तनावों से कैसे उबरा जाए? आप इसके लिये क्या युक्ति अपनाती थीं?
अमिताः परीक्षा की तैयारी के दौरान मानसिक तनावों से उबरने में अपनी रुचि व खुशी के कार्य सहायक होते हैं। इसके अलावा, छोटे बच्चों के साथ समय बिताना, ध्यान, योग व प्राणायाम जैसे कारक महत्त्वपूर्ण हैं।
मैं अपने मानसिक तनाव से उबरने के लिये परिवार के साथ समय बिताती थी, शशि के साथ फोन पर बातें करती थी। आपकी दृढ़ता, परिवार व सच्चे मित्र ऐसे कारक हैं जो जीवन की कठिन-से-कठिन परिस्थितियों से उबरने में आपको समर्थ बनाते हैं।
दृष्टिः क्या आपने अपनी तैयारी के लिये किसी संस्था से मार्गदर्शन लिया था? यदि हाँ, तो आपकी सफलता में उसकी कितनी भूमिका रही?
अमिताः मैंने सौरभ सर के मार्गदर्शन में दिल्ली IAS संस्थान से तैयारी की। इस संस्थान का मेरी सफलता में पूर्ण योगदान रहा है।
दृष्टिः क्या आप ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ पत्रिका की पाठक रही हैं? सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को आप इस पत्रिका के संबंध में क्या सलाह देना चाहेंगी?
अमिताः ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ पत्रिका के विभिन्न खंड, विभिन्न सिविल सेवा परीक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किये जाते हैं, जो परीक्षा के तीनों ही चरणों में अपनी उपयोगिता को सिद्ध करते हैं।
दृष्टिः आपके उज्ज्वल भविष्य के लिये शुभकामनाएँ।
अमिताः जी बहुत-बहुत धन्यवाद!