प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हुई थी।
इसके आयोजन का उद्देश्य ‘हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाना है।’
पिछले वर्ष यानी 2018 में विश्व पर्यावरण दिवस समारोहों की मेज़बानी भारत ने की और इसकी थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण’ था।
इस वर्ष अर्थात् 2019 में इसकी मेज़बानी चीन कर रहा है और इसकी थीम ‘वायु प्रदूषण’ है। इसका आयोजन प्रत्येक वर्ष ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP) द्वारा किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 25 आसान और सस्ते उपायों को लागू किया जाए तो करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकती हैं और एशिया में रहने वाले 1 अरब लोग शुद्ध हवा में साँस ले सकते हैं।
एशिया प्रशांत में वायु प्रदूषण से संबंधित इस प्रथम वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 4 अरब लोग (एशिया प्रशांत की आबादी का 92 प्रतिशत) वायु प्रदूषण से गंभीर रूप से प्रभावित हैं। इस रिपोर्ट में वायु प्रदूषण में सुधार, हवा को स्वच्छ रखने के लिये 25 नीतिगत और तकनीकी उपायों के बारे में बताया गया है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
वाहनों के उत्सर्जन मानकों को मज़बूत करना।
इलेक्ट्रिक वाहनों को मुख्यधारा में लाना।
निर्माण कार्यों के कारण उड़ने वाली धूल पर नियंत्रण करना।
अंतर्राष्ट्रीय जहाज़ों से होने वाले उत्सर्जन में कमी लाना।
औद्योगिक प्रक्रिया से जुड़े उत्सर्जन मानकों को बेहतर बनाना।
तेल और गैस उत्पादन से मीथेन को नियंत्रित करना।
पर्यावरण अनूकूल शीतलन यंत्रों का इस्तेमाल करना।
घरेलू अपशिष्ट को जलाने पर सख्त पाबंदी को लागू करना।
अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोतरी करना।
फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन करना।
वन और पीट भूमि (आर्द्रभूमि) में आग लगने की घटनाओं पर रोक लगाना।