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भारतीय अर्थव्यवस्था

थालीनॉमिक्स

  • 26 May 2020
  • 5 min read

चर्चा में क्यों? 

आर्थिक सर्वेक्षण (2019-20) में थॉलीनॉमिक्स की चर्चा की गई है जिसके माध्यम से कुछ नवीन तथ्यों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

  • आर्थिक सर्वेक्षण में पहली बार थॉलीनॉमिक्स की चर्चा के माध्यम से बताया गया है कि मँहगाई में कमी से बड़ी थाली खरीदनें की क्षमता पर क्या प्रभाव हुआ है।

थॉलीनॉमिक्स क्या है?

  • थालीनॉमिक्स भारत में भोजन की थाली का अर्थशास्त्र है, अर्थात यह भारत में एक व्यक्ति द्वारा एक थाली हेतु किये जाने वाले भुगतान को मापने का प्रयास है।
  • थालीनॉमिक्स में दावा किया गया है कि थाली पर होने वाले खर्च में कमी से एक परिवार को लगभग 10 से 11 हजार रुपए सालाना बचत हुई है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 5 सदस्यों वाले परिवार को दो शाकाहारी थालियों के लिये सालाना 10,887 रुपए तथा मांसाहारी थालियों के लिये प्रत्येक वर्ष 11787 रुपए की बचत हुई है।

थालीनॉमिक्स की मुख्य बातें:

  • आर्थिक सर्वेक्षण में 2 तरह की थालियों, शाकाहारी तथा मांसाहारी का वर्गीकरण किया गया है।
  • शाकाहारी थाली में 300 ग्राम अन्न (चावल, गेहूँ), 150 ग्राम सब्जी और 60 ग्राम दाल, तेल व मसाले शामिल हैं, जबकि मांसाहारी थाली में दाल के स्थान पर गोश्त (60 ग्राम) शामिल है।
  • थालियों का वर्गीकरण करते हुए पूरे भारत को 4 क्षेत्रों (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) में बांटकर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2006-07 की तुलना में वर्ष 2019-20 में शाकाहारी भोजन की थाली में 20 फीसदी और माँसाहरी भोजन की थाली में 18 फीसदी सस्ती हुई है।

थाली के मूल्य का आकलन कैसे किया गया:

  • यह पूरे भारत में थाली के लिये आम व्यक्ति द्वारा कितना भुगतान किया जाता है को परिभाषित करने का प्रयास है।
  • थालीनॉमिक्स के लिये अप्रैल 2006 से लेकर अक्तूबर 2019 तक 25 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 80 केंद्रों से औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक से कीमतों के आंकड़ों का इस्‍तेमाल किया गया है।

थालीनॉमिक्स में सबसे किफायती थाली:

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार सबसे अधिक किफायती थाली झारखंड में है।
  • झारखंड में दो शाकाहारी थालियों के लिये 5 सदस्यों वाले परिवार के लिये श्रमिकों की दैनिक मजदूरी का लगभग 25% आवश्यक था।
  • मांसाहारी थाली के मामले में बिहार और महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों में वहन क्षमता बढ़ी है।

थालीनॉमिक्स के समक्ष प्रश्न:

  • थाली अधिक वहन योग्य हुई है या कम?
  • मुद्रास्फिति ने थाली के मूल्य को बढ़ाया है या घटाया है?
  • क्या भारत के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में थाली के मूल्य में परिवर्तन अन्न, सब्जियों, दालों व भोजन पकाने में उपयोग किये जाने वाले ईंधन में से किस घटक मूल्य में परिवर्तन होने के कारण है?

थालीनॉमिक्स की स्थिति:

  • इसके तहत अधिक पारदर्शी तरीके से कीमतों का निर्धारण किया गया है।
  • आर्थिक समीक्षा के अनुसार भोजन केवल साध्य नहीं है बल्कि यह मानव पूँजी के विकास का एक महत्त्वपूर्ण घटक भी है जो राष्ट्रीय संपदा के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • थालीनॉमिक्स सतत् विकास लक्ष्य के अंतर्गत दुनियाभर के देश हंगर की नीति पर सहमत को आश्वस्त हैं।

थाली स्फीति:

  • समय के साथ-साथ सभी घटकों की स्फीति में गिरावट आई है।
  • जहाँ अनाज में स्फीति दर इस दौरान स्थिर दर पर घट रही है वहीं सब्जी के अलावा अन्य सभी घटकों के स्फीटि की गिरावट में तेजी आई है।
  • पिछले वर्ष के दौरान दाल एवं मांसाहारी घटकों के लिये स्फीति दर में वृद्धि हुई है।
  • कुल मिलाकर सभी क्षेत्रों और राज्यों में संपूर्ण थाली की स्फीति में गिरावट ही आयी है।

आगे की राह

  • थाली वहन करने की क्षमता में कामगारों के वेतन में सुधार से आम व्यक्ति के कल्याण में बेहतरी का संकेत मिलता है जो निश्चित ही भविष्य के लिये अच्छा है।
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