जैव विविधता और पर्यावरण
ओज़ोन प्रदूषण Ozone Pollution
- 12 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली के वातावरण में पिछले एक वर्ष में ओज़ोन के प्रदूषक कणों की मात्रा में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है।
मुख्य बिंदु:
- 1 अप्रैल से 15 जून, 2019 के दौरान ओज़ोन का स्तर अपने निर्धारित मानक से काफी अधिक रहा।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किये जाने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, अप्रैल 2019 से जून के 2019 के दौरान लगभग 16 दिनों तक ओज़ोन, पर्टिकुलेट मैटर (PM) के साथ शीर्ष प्रदूषक के रूप में विद्यमान रही।
- द स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिर्पार्ट, 2019 के अनुसार, पिछले दो दशकों में ओज़ोन प्रदूषकों से हुई मौतों के मामले में 150% की वृद्धि हुई है।
- ओज़ोन प्रदूषण से होने वाली मौतों में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है।
ओज़ोन प्रदूषण का प्रभाव:
- त्वचा कैंसर की संभावना।
- मुनष्यों और पशुओं की डीएनए (DNA) संरचना में बदलाव तथा मनुष्यों की प्रतिरोधक क्षमता में कमी।
- मोतियाबिंद और आँंखों की बीमारी तथा संक्रामक रोगों में वृद्धि।
- श्वास रोग, हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा पीड़ितों के लिये बेहद खतरनाक।
- पेड़-पौधों के प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया पर नकारात्मक असर।
- सूक्ष्म जलीय पौधों के विकास की गति धीमी होने से स्थलीय खाद्य- शृंखला प्रभावित।
- मक्का, चावल, गेहूँ, मटर आदि फसलों के उत्पादन में कमी।
ओज़ोन:
- यह एक निष्क्रिय वायुमंडलीय गैस है, जिसका निर्माण ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर होता है।
- पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल (समताप मंडल) में यह एक सुरक्षा कवच के रूप में पाई जाती है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है।
- जबकि पृथ्वी के निचले वायुमंडल (क्षोभमंडल) में सतह के समीप पाई जाने वाली ओज़ोन एक खतरनाक वायु-प्रदूषक के रूप में कार्य करती है।
- CFSs, HCFCs, हैलोन आदि गैसें ओज़ोन परत को सर्वाधिक नुकसान पहुँचाती हैं।