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टू द पॉइंट

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म

  • 20 Nov 2020
  • 6 min read

केंद्र सरकार ने अपने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल्स और नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम तथा हॉटस्टार जैसे अन्य ‘ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) प्लेटफॉर्म अथवा वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने की घोषणा की है।

क्या होते हैं ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म?

  • OTT सेवाओं से आशय ऐसे एप से है, जिनका उपयोग उपभोक्ताओं द्वारा इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। OTT शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सोल्यूशन के संदर्भ में भी इसका प्रयोग होता है।
  • प्रायः ओटीटी (OTT) या ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म का प्रयोग ऑडियो और वीडियो होस्टिंग तथा स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाता के रूप में किया जाता है, जिनकी शुरुआत तो असल में कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी, किंतु वर्तमान में ये स्वयं ही शॉर्ट फिल्म, फीचर फिल्म, वृत्तचित्रों और वेब-फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम तथा हॉटस्टार आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
  • ये प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं को व्यापक कंटेंट प्रदान करने साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करते हुए उन्हें कंटेंट के संबंध में सुझाव भी प्रदान करते हैं।
  • इन वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाताओं के अलावा कई बार दूरसंचार, एसएमएस या मल्टीमीडिया मैसेज भेजने से संबंधी सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म को भी OTT की परिभाषा में शामिल किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत में इन प्लेटफॉर्म और पोर्टल्स पर उपलब्ध डिजिटल कंटेंट को नियंत्रित करने वाला कोई कानून या स्वायत्त निकाय नहीं है।
    • अब तक ‘ओवर द टॉप' (OTT) प्लेटफॉर्म जैसे- नेटफ्लिक्स, अमेज़न तथा हॉटस्टार और समाचार प्लेटफॉर्म आदि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के कानूनी ढाँचे के दायरे में आते थे, किंतु प्रिंट और प्रसारण मीडिया के विपरीत उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर किसी भी मंत्रालय द्वारा विनियमित नहीं किया जाता था।
  • सरकार के इस कदम का प्राथमिक उद्देश्य ‘डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ को नियंत्रित अथवा विनियमित करना है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है कि ‘डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन कंटेंट प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध कराई गईं फिल्में और ऑडियो-विज़ुअल प्रोग्राम तथा ऑनलाइन प्लेटफार्म पर समाचार और समसामयिक विषय-वस्तु शामिल है।

OTT

OTT प्लेटफॉर्म को विनियमित करने संबंधित मौजूद कानून

  • गौरतलब है कि भारत में अब तक किसी भी ‘ओवर द टॉप' (OTT) प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिये कोई विशिष्ट कानून या नियम नहीं हैं, क्योंकि यह अन्य मनोरंजन के माध्यमों की तुलना में एक नया माध्यम है।
  • टेलीविजन, प्रिंट या रेडियो के विपरीत, जो कि सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं और विनियामक निकायों द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं, ‘ओवर द टॉप' (OTT) प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंटेंट को लेकर कोई भी नियम या कानून नहीं है और इनके किसी नियामक निकाय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
    • भारत में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा प्रिंट मीडिया को, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) द्वारा समाचार चैनलों को और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) द्वारा भारतीय विज्ञापन उद्योग को नियंत्रित किया जाता है, साथ ही ये संगठन इन उद्योगों का प्रतिनिधित्त्व भी करते हैं।
  • यद्यपि ‘ओवर द टॉप' (OTT) प्लेटफॉर्म को लेकर भारत में कोई नियम-कानून नहीं है, किंतु सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 इन वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाताओं पर लागू होती है।
  • अधिनियम की धारा 79 कुछ मामलों में मध्यस्थों को उत्तरदायित्त्व से छूट देती है। इसमें कहा गया है कि मध्यस्थ उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा या संचार के लिये उत्तरदायी नहीं होंगे।
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