प्रदूषण के लिये उद्योगों का नया वर्गीकरण कितना कारगर? | 03 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
सरकार ने प्रदूषण के मापदंड के आधार पर उद्योगों का नया वर्गीकरण जारी किया है। उद्योगों का नए सिरे से वर्गीकरण करने का कार्य पिछले एक साल के दौरान किया गया। इस वर्गीकरण के बाद उद्योगों की स्पष्ट तस्वीर सामने आ सकेगी।
नवीन वर्गीकरण की आवश्यकता
- उद्योगों का उनके प्रदूषण के मापदंड के आधार पर पुनः वर्गीकरण एक वैज्ञानिक कार्य है। वर्गीकरण की पुरानी पद्धति से कई उद्योगों को समस्याएँ हो रही थीं और उससे उद्योगों के प्रदूषण की स्पष्ट तस्वीर नहीं मिल रही थी।
- नई श्रेणियाँ इन कमियों को दूर करेंगी और सभी की स्पष्ट तस्वीर उपलब्ध कराएंगी। ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलाने वाले 25 औद्योगिक क्षेत्रों को पहले लाल रंग की श्रेणी में रखा गया था। इससे सभी को उनके बारे में गलत अंदाजा लग रहा था।
- नए वर्गीकरण में श्वेत उद्योगों की नई श्रेणी बनाई गई है, जो विशेष तौर पर प्रदूषण न करने वाले उद्योगों की है और इन्हें पर्यावरण संबंधी अनापत्ति और मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे उन्हें ऋण देने वाली संस्थाओं से धन लेने में मदद मिलेगी।
वर्गीकरण का आधार
- औद्योगिक क्षेत्रों का वर्गीकरण प्रदूषण सूचकांक के आधार पर करने का मापदंड विकसित किया गया है, जो उत्सर्जन (वायु प्रदूषक), प्रवाह (जल का प्रवाह), उत्पन्न होने वाला खतरनाक कचरा और संसाधनों की खपत पर निर्भर करेगा।
- इस उद्देश्य के लिये जल (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) उपकर (संशोधन) अधिनियम, 2003 से संदर्भ लिये गए हैं तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) कानून 1986 एवं दून घाटी अधिसूचना, 1989 के अंतर्गत विभिन्न प्रदूषकों के लिये मापदंड निर्धारित किये हैं।
- किसी भी औद्योगिक क्षेत्र के लिये प्रदूषण सूचकांक पीआई 0 से 100 है। पीआई का बढ़ता मूल्य औद्योगिक क्षेत्र से बढ़ने वाले प्रदूषण के भार की बढ़ती डिग्री को इंगित करता है।
प्रदूषण सूचकांक पर निर्धारित मापदंड
लाल रंग की श्रेणी | 60 और उससे अधिक प्रदूषण सूचकांक के आँकड़ों वाले औद्योगिक क्षेत्र। |
नारंगी रंग की श्रेणी | 41 से 59 के बीच प्रदूषण सूचकांक के आँकड़ों वाले औद्योगिक क्षेत्र। |
हरे रंग की श्रेणी | 21 से 40 के बीच प्रदूषण सूचकांक के आँकड़ों वाले औद्योगिक क्षेत्र। |
सफ़ेद रंग की श्रेणी | 20 तक प्रदूषण सूचकांक के आँकड़ों वाले औद्योगिक क्षेत्र। |
प्रमुख विशेषताएँ
वैज्ञानिक कसौटी के आधार पर औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदूषण फैलाने के स्तर को महत्त्व देने के अलावा जहाँ भी संभव हो सका कच्चे माल का उपयोग, अपनाई गई विनिर्माण प्रक्रिया और उससे उत्पन्न होने वाले प्रदूषकों के आधार पर औद्योगिक क्षेत्रों के विभाजन पर भी विचार किया गया है।
- लाल रंग की श्रेणी वाले औद्योगिक क्षेत्र की संख्या 60 होगी; जिन्हें सामान्यतः नाजुक पारिस्थितिकी वाले क्षेत्र/संरक्षित क्षेत्र में अनुमति नहीं मिलेगी।
- नारंगी रंग की श्रेणी वाले औद्योगिक क्षेत्र 83 होंगे।
- हरे रंग की श्रेणी वाले औद्योगिक क्षेत्र 63 होंगे।
- नई शुरू की गई श्वेत रंग की श्रेणी में 36 औद्योगिक क्षेत्र आएंगे, जो व्यावहारिक रूप से किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलाते। इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले उद्योगों को अपने कामकाज के लिये मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। संबंधित एसपीसीबी/पीसीसी को सूचना देना पर्याप्त रहेगा। उद्योगों की श्वेत रंग की श्रेणी में वे उद्योग आते हैं जो व्यावहारिक रूप से प्रदूषण नहीं फैलाते।
- उद्योगों के वर्गीकरण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उद्योग की स्थापना इस प्रकार की जाए कि वह पर्यावरण के उद्देश्यों के अनुरूप हो।
- नए मापदंड उद्योगों को स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेंगे और इसके परिणामस्वरूप कम प्रदूषक उत्पन्न होंगे।
- नए वर्गीकरण का एक लाभ यह भी होगा कि उद्योग अपना स्वतः आकलन कर सकेंगे, क्योंकि पूर्व के आकलन की व्यक्तिपरकता समाप्त कर दी गई है।
- उद्योगों का नए सिरे से वर्गीकरण देश में कामकाज का स्वच्छ एवं पारदर्शी वातावरण तैयार करने और ‘कारोबार में सुगमता लाने’ के वर्तमान सरकार के प्रयासों, नीतियों और उद्देश्यों का अंग है।
- इसी से मिलते-जुलते अन्य प्रयासों में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में उत्सर्जन/प्रवाह की निरंतर ऑनलाइन निगरानी प्रणाली, प्रदूषक औद्योगिक समूहों के आकलन के लिये सीईपीआई की अवधारणा पर पुनर्विचार, वर्तमान औद्योगिक उत्सर्जन/प्रवाहों के मानकों में संशोधन तथा गंगा नदी में होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये विशेष अभियान का प्रारंभ किया जाना शामिल है।
निष्कर्ष
नवीन वर्गीकरण के आधार पर वैज्ञानिक तरीके से कार्बन उत्सर्जन एवं पर्यावरण पर उसके प्रभाव के आकलन में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर पर्यावरण की महत्ता को समझते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। साथ ही अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा।