भारतीय अर्थव्यवस्था
सीमेंट उद्योग प्रतिरूप एवं संबंधित समग्र मुद्दे
- 22 May 2020
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भूमिका
भवन, बाँध, सड़क, पुल आदि निर्माण कार्यों में सीमेंट की आवश्यकता एवं उपयोगिता अत्यधिक है। भारत जैसे सघन आबादी वाले देश के लिये जो प्रगति की राह पर अग्रसर हैं, सीमेंट उद्योग का विकास बहुत ही आवश्यक है। वर्तमान में भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राष्ट्र है।
भारत में सीमेंट उपयोग की अवस्थिति के कारक:
- सीमेंट उद्योग कच्चा माल आधारित उद्योग है। इसमें प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल अधिक भारी एवं सस्ता होता है। परिवहन के दौरान इनके भार में कमी आती है।
- चूना पत्थर इसके उत्पादन का मुख्य कच्चा माल है एवं यह कुल भार का लगभग 60-65 प्रतिशत तक होता है।
- सामान्यतः सीमेंट उद्योग का विकास चूना पत्थर की पर्याप्त उपलब्धता वाले स्थानों पर ही होता है।
- सिलिका (20-50%), एल्यूमिना (5-12%) का भी विशेष महत्त्व है।
- सीमेंट उद्योग हेतु कोयला भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण अवयव है यथा एक टन सीमेंट का उत्पादन करने के लिये लगभग 250 किग्रा कोयले की आवश्यकता पड़ती है।
- सीमेंट अधिक भार के साथ-साथ कम मूल्य वाला उत्पाद है। अतः परिवहन व्यय अधिक होने के कारण सीमेंट उद्योगों की स्थापना प्राथमिकता के तौर पर अधिक मांग वाले क्षेत्रों में की जाती है।
भारत में सीमेंट उद्योग का विकास:
- ध्यातव्य है कि वर्ष 1824 में इंग्लैंड के पोर्टलैंड में सीमेंट का आविष्कार हुआ।
- भारत में प्रथम सीमेंट कारखाना वर्ष 1904 में गुजरात के पोरबंदर में स्थापित किया गया, परंतु सीमेंट का उत्पादन वर्ष 1904 में चेन्नई में स्थापित कारखाने में प्रारंभ हुआ, हालाँकि यह सफल नहीं हो पाया।
- गौरतलब है कि चेन्नई में स्थापित सीमेंट का पहला कारखाना सीपियों पर आधारित था।
- गौरतलब है कि वर्ष 1912-13 में पोरबंदर (गुजरात) में पहले सफल कारखाने की स्थापना की गई ।
- इसके पश्चात् वर्ष 1914 में कटनी (मध्य प्रदेश) में कटनी सीमेंट एंड इंडस्टिूयल कंपनी ने तथा वर्ष 1916 में बूँदी पोर्टलैंड सीमेंट कंपनी लखेरी (राजस्थान) ने सीमेंट उत्पादन प्रारंभ किया।
- वर्ष 1922-23 तक 6 और नयी कंपनियाँ द्वारिका (गुजरात), जालपा (बिहार), वनमोर, मेहगांव, कैमूर (मध्य प्रदेश) तथा शाहबाद (कनार्टक) में स्थापित की गयी।
- वर्ष 1924 में भारत सरकार द्वारा सीमेंट उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।
- वर्ष 1947 तक भारत में सीमेंट उत्पादन के 18 कारखानों की स्थापना की गई जिनकी उत्पादन क्षमता 21.15 लाख टन तथा वास्तविक उत्पादन 21.16 लाख टन थी।
- स्वतंत्रता पश्चात वर्ष 1950-51 में भारत द्वारा स्थापित कारखानों का सीमेंट उत्पादन 27 लाख टन था।
- स्वतंत्रता पश्चात् योजना काल में सीमेंट उद्योग ने तेज़ी से विकास किया क्योंकि निर्माण कार्य तेजी से होने के फलस्वरूप सीमेंट की मांग में वृद्धि हुई। फिर भी सीमेंट का उत्पादन समान अनुपात में नहीं बढ़ सका।
वर्तमान में सीमेंट उत्पादन क्षमता एवं वितरण प्रतिरूप:
- भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता वर्ष 2018 में 509 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। भारत वैश्विक उत्पादन क्षमता का लगभग 8% सीमेंट उत्पादन करता है।
- वर्ष 2018-19 में भारत का वास्तविक सीमेंट उत्पादन 337.32 मिलियन टन रहा।
- एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2020 में भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता 550 मिलियन टन तक पहुँच जाएगी।
- भारत की कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता में 98% योगदान निजी क्षेत्र का है। 20 बड़ी कंपनियाँ कुल सीमेंट उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन करती हैं।
- अनुमानतः वर्ष 2025 तक भारत में सीमेंट उद्योग की मांग क्षमता बढ़कर 550-600 मिलियन टन प्रति वर्ष तक हो जाएगी क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों यथा आवास निर्माण, वाणिज्यिक विनिर्माण, औद्योगिक आदि में तेज़ी आएगी।
- 210 बड़े सीमेंट संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 410 मिलियन टन प्रतिवर्ष है, जबकि शेष उत्पादन क्षमता 350 छोटे संयंत्रों में अंतर्निहित है।
- वस्तुतः 210 बड़े संयंत्रों में से 77 आंध्र प्रदेश, राजस्थान एवं तमिलनाडु में स्थित हैं।
- वर्ष 2019 में भारत में प्रति व्यक्ति सीमेंट उपभोग लगभग 235 किग्रा. रहा।
- आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात और केरल भारत के सबसे बड़े सीमेंट उत्पादक राज्य हैं।
- भारत में सीमेंट उत्पादन क्षमता में क्रमशः दक्षिणी क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, केंद्रीय क्षेत्र तथा पूर्वी क्षेत्र का योगदान हैं।
सीमेंट के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र
- मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ः सतना, कैमूर, कटनी, गोपाल नगर, दुर्ग, जाबद, नया गाँव आदि।
- आंध्र प्रदेश: कृष्णा, करीमनगर, विजयवाड़ा, गूंदूर, कुरनल आदि।
- राजस्थान: सवाई माधोपुर, लखेरी, चिलौड़, उदयपुर, सिरोही आदि।
- गुजरात: ओखा, पोरबंदर, द्वारिका, वड़ोदरा, भवनगर आदि।
- इसके अतिरिक्त तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी सीमेंट का उत्पादन होता है।
सीमेंट उद्योग से संबंधित प्रमुख समस्याएँ एवं मुद्दे:
- सीमेंट उद्योग में अधिक पूँजी निवेश की आवश्यकता पड़ती है। उद्योग से आर्थिक लाभ अपेक्षाकृत कम होने के कारण पूँजीपतियों द्वारा निवेश में कमी होती है।
- कई राज्यों में ऊर्जा संकट के कारण सीमेंट उद्योग को क्षति पहुँची है।
- सीमेंट उद्योग मे ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है वर्तमान में धारणीय विकास पर जोर दिया जा रहा है। सीमेंट उद्योग के समक्ष (विशेषतः डिजाइन) बनाने व ग्रीन हाउस गैसों की कटौती एक प्रमुख चुनौती है।
- भविष्य में कार्बन संग्रहण एवं भंडारण संबंधी तकनीकों का उपयोग करना एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरेगा।
- इसके अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और कार्बन उत्सर्जन में कमी करना प्रमुख चुनौतियाँ है।