स्वच्छ भारत मिशन: लक्ष्य प्राप्ति में कितना सफ़ल | 27 Mar 2019
स्वच्छ भारत मिशन क्या है?
घर, समाज और देश में स्वच्छता को जीवनशैली का अंग बनाने के लिये, सार्वभौमिक साफ-सफाई का यह अभियान 2014 में शुरू किया गया। जिसे 2 अक्तूबर, 2019 (बापू की 150 वीं जयंती) तक पूरा कर लेना है।
यह 1986 के केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, 1999 के टोटल सेनिटेशन कैंपेन एवं 2012 के निर्मल भारत अभियान से परिवर्द्धित एवं सुस्पष्ट कार्यक्रम है।
यह मिशन क्यों ज़रूरी है?
- साफ-सफाई की बुनियादी सुविधा से वंचित, खुले में शौच करने वाले विश्व के लगभग 60 प्रतिशत लोग सिर्फ भारत में हैं। अन्य बीमारियों के साथ ही इस अस्वच्छता के कारण भारत उन देशों की श्रेणी में भी है, जहाँ पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़े बताते हैं कि देश के शहरों और कस्बों में प्रतिदिन उत्पादित होने वाला एक-तिहाई कचरा सड़कों पर ही सड़ता है। केवल चार बड़े महानगरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) में प्रतिदिन 16 बिलियन लीटर गंदा पानी पैदा होता है।
इस मिशन का उद्देश्य
- भारत में खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना अर्थात् संपूर्ण देश को खुले में शौच करने से मुक्त (ओ.डी.एफ.) घोषित करना, हर घर में शौचालय का निर्माण, जल की आपूर्ति और ठोस व तरल कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन करना है।
- इस अभियान में सड़कों और फुटपाथों की सफाई, अनधिकृत क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाना, मैला ढोने की प्रथा का उन्मूलन करना तथा स्वच्छता से जुड़ी प्रथाओं के बारे में लोगों के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना शामिल हैं।
इस मिशन की संरचना
- इस अभियान में दो उप-अभियान स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) तथा स्वच्छ भारत अभियान (शहरी) सम्मिलित हैं। इसमें जहाँ ग्रामीण इलाकों के लिये ‘पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय’ व ‘ग्रामीण विकास मंत्रालय’ जुड़े हुए हैं, वहीं शहरों के लिये शहरी विकास मंत्रालय जिम्मेदार है।
- 2 अक्तूबर, 2019 तक देशभर में 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण करना है, जिसमें व्यक्तिगत शौचालय की लागत 12000रुपए रखी गई है।
मिशन की कार्यशैली
- ठोस एवं तरल अपशिष्टों के बेहतर प्रबंधन में तेजी लाने के लिये प्रतिबद्धता। शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ उनके उपयोग पर विशेष बल दिया जाना।
- इसका नेतृत्व व निरीक्षण स्वयं प्रधानमंत्री कर रहे हैं, अतः यह मिशन राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शुमार है।
- अंशदान एवं CSR निधियों की प्राप्ति को सुविधाजनक बनाने के लिये प्रधानमंत्री ने ‘स्वच्छ भारत कोष’ की शुरुआत की।
- कुछ गाँवों ने अपना स्वच्छता दिवस भी घोषित किया, वहीं व्यवहार बदलने का जिम्मा युवाओं, शिक्षकों व महिलाओं ने लिया है।
- स्वच्छ भारत मिशन में हर व्यक्ति व संस्था की भागीदारी जन-आंदोलन का रूप ले रही है।
मिशन का महत्त्व
- शौचालयों की उपलब्धता के कारण ‘स्वच्छ भारत अभियान’ देश में बालिका शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है।
- स्वच्छता के ‘राज्य विषय’ होने के बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा तैयार व संचालित इस कार्यक्रम से संघीय ढाँचा सशक्त हो रहा है।
- इस अभियान से सिर पर ‘मैला ढोने की प्रथा’ के उन्मूलन का वृहद् प्रयास मील का पत्थर साबित हो रहा है।
- यह अभियान हजारों सालों से चली आ रही खुले में शौच की आदत में परिवर्तन व स्वच्छता को जीवनशैली का अंग बना रहा है।
- 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य, विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार का बड़ा अवसर साबित हुआ है।
- इस योजना को मनरेगा से जोड़कर, मनरेगा कार्यक्रम की जीर्ण-शीर्ण दशा को भी सुधारा गया है।
- ग्रामीण सेनेटरी मार्ट (RSM) का क्षेत्र व्यापक हुआ है।
- सुलभ शौचालयों में अभी 50,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं। यह एक बड़ा रोज़गार बन सकता है।
- सैनिटरी पैड (महिलाओं, बच्चों से संबंधित) का बाजार भी व्यापक हो सकता है।
इस मिशन के समक्ष चुनौतियाँ
- भारतीय जनमानस के एक बड़े वर्ग के लिये स्वच्छता सुविधाएँ वास्तव में ‘स्वयं महसूस की गई जरूरत’ नहीं है।
- कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में निर्मित शौचालयों के समुचित उपयोग की स्वीकार्यता न होने की समस्या चुनौतीपूर्ण है।
समाधान:
- जागरूकता ही सहभागिता का सरल मार्ग है। अतः दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को पूरी तरह जागरूक बनाने का अभियान निरंतर चलाते रहना चाहिये।
- बी.पी.एल परिवारों को निःशुल्क शौचालय उपलब्ध कराया जाए।
- समाज के प्रबुद्ध, प्रसिद्ध लोगों से सहयोग लेकर, स्थानीय भाषा-संस्कृति को वाहक बनाकर लोगों में ‘स्वच्छता संस्कृति’ को बढ़ावा देना होगा।