हाल ही में कर्नाटक में जारी राजनैतिक संकट के संदर्भ में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 15 बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफे पर फैसले लेने में देरी के खिलाफ इन बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफे पर फैसले लेने के लिये स्वतंत्र है और इसके लिये कोर्ट द्वारा समय-सीमा नहीं तय की जा सकती है।
शक्ति एवं कार्य
सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित करने और संचालन के लिये नियम बनाने की शक्ति।
सदन की गणपूर्ति या कोरम के अभाव में सदन को स्थगित करने का अधिकार।
सामान्य स्थिति में मत नहीं देता लेकिन बराबरी की स्थिति में निर्णायक मत दे सकता है।
अशिष्ट आचरण या सदन के विशेषाधिकारों के उल्लंघन करने पर सदस्यों के निष्कासन की शक्ति।
किसी भी प्रश्न, प्रस्ताव या संकल्प को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार।
आवश्यकता पड़ने पर सदन के किसी नियम को निलंबित करने की शक्ति।
दसवीं अनुसूची के उपबंधों के आधार पर किसी सदस्य की निरर्हता को लेकर उठे किसी विवाद का निर्णय।
सभी समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति तथा उनके कार्यों का निरीक्षण।
वह स्वयं कार्यमंत्रणा समिति, नियम समिति और सामान्य प्रयोजन समिति का अध्यक्ष होता है।
इस बात का निर्णय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं।
अध्यक्ष के कार्य और आचरण पर विधानसभा में चर्चा नहीं की जा सकती है।