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भारतीय राजव्यवस्था

हेट क्राइम

  • 25 Apr 2022
  • 12 min read

हेट क्राइम क्या है?

  • हेट क्राइम (Hate Crime) उन आपराधिक कृत्यों को संदर्भित करता है जो कुछ मतभेदों के कारण किसी व्यक्ति या सामाजिक समूह के खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित होते हैं, मुख्य रूप से उनकी धार्मिक प्रथाओं और रीति-रिवाजों से।
  • समकालीन समय में इसका अर्थ लिंचिंग, भेदभाव और आपत्तिजनक भाषणों से आगे बढ़ गया है तथा अब इसमें अपमानजनक या उकसाने व हिंसा को बढ़ावा देने वाले भाषण शामिल हैं।
  • कुल मिलाकर हेट क्राइम्स को किसी व्यक्ति को सौंपे गए अधिकारों पर हमले के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिससे न केवल व्यक्ति बल्कि समग्र रूप से सामाजिक संरचना प्रभावित होती है जो कई मायनों में इसे अन्य अपराधों की तुलना में अधिक जघन्य बनाती है।
  • अभद्र भाषा के सबसे आम आधार नस्ल, जातीयता, धर्म या वर्ग हैं।

भारत में हेट क्राइम:

  • भारत में हेट क्राइम को किसी व्यक्ति के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार तथा अभद्र भाषा के परिणामस्वरूप हुए नुकसान के बजाय बड़े पैमाने पर एक समुदाय को हुए नुकसान के संदर्भ में परिभाषित किया गया है।
  • भारत में धर्म, जातीयता, संस्कृति या नस्ल पर आधारित अभद्र भाषा का प्रयोग निषिद्ध है।
  • अभद्र भाषा को न तो भारतीय कानूनी ढाँचे में परिभाषित किया गया है और न ही इसे आसानी से एक मानक परिभाषा दी जा सकती है क्योंकि इसके असंख्य रूप हो सकते हैं।

भारत में हेट क्राइम से संबंधित आँकड़े:

  • सितंबर 2015 और दिसंबर 2019 के बीच भारत में दर्ज हेट क्राइम की अधिकांश घटनाएँ दलितों पर लक्षित थी, इसके बाद मुसलमानों का स्थान रहा।
  • कथित रूप से नफरत के कारण जाति, धर्म से लेकर ऑनर किलिंग और लव जिहाद तक कुल 902 अपराध दर्ज किये गए।

हेट क्राइम की व्यापकता के क्या कारण हैं?

  • पूर्वाग्रह की अभिव्यक्ति:
    • एक व्यक्ति जो 'हेट क्राइम' करता है, उसे वास्तव में अपने दुष्कृत्यों के लिये घृणा से प्रेरित होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह पीड़ित (अनुमानित) समूह के प्रति उसके पूर्वाग्रह की अभिव्यक्ति है।
    • हेट क्राइम के अपराधी हमेशा एक ही प्रकार के पूर्वाग्रह या घृणा से प्रेरित नहीं होते हैं बल्कि विभिन्न पूर्वाग्रहों के संयोजन से प्रभावित हो सकते हैं।
  • सामाजिक वातावरण का प्रभाव:
    • हेट क्राइम हमारे सामाजिक परिवेश की उपज भी हो सकती हैं।
    • वहाँ हेट क्राइम होने की संभावना अधिक होती है जहाँ समाज इस तरह से बना हुआ होता है कि दूसरों को पहचान से जुड़ी विशेषताओं का (उदाहरण के लिये गोरा रंग, पुरुष, विषम लैंगिक) का लाभ मिल सके।
    • प्रणालीगत भेदभाव, जिसे आमतौर पर संचालन प्रक्रियाओं, नीतियों या कानूनों में संहिताबद्ध किया जाता है, एक ऐसे वातावरण को जन्म दे सकता है जहाँ कुछ अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों को पीड़ित करते समय अपराधियों को दंड से मुक्ति की भावना महसूस होती है।
  • धारणा का प्रभाव:
    • सामाजिक मनोविज्ञान से जुड़े कुछ सबूतों से पता चलता है कि अपराधी ऐसी धारणा से प्रभावित हो सकते हैं कि कुछ समूह उनके लिये खतरा पैदा कर सकते हैं।
    • इन खतरों को निम्न रूप से विभाजित किया जा सकता है:
    •  'यथार्थवादी खतरे' जैसे नौकरियों, आवास और अन्य संसाधनों पर कथित प्रतिस्पर्द्धा तथा खुद को या दूसरों को शारीरिक नुकसान से संबंधित।
    •  'प्रतीकात्मक खतरे' जो लोगों के मूल्यों और सामाजिक मानदंडों के लिये खतरे से संबंधित हैं।
  •  अन्य कारक:
    • हेट क्राइम के अपराधी विभिन्न प्रकार के कारकों से प्रेरित हो सकते हैं।
    • कुछ शोध बताते हैं कि अपराधियों के चार 'प्रकार' हैं, जिनमें शामिल हैं:
      •  रोमांच चाहने वाले: रोमांच और उत्साह से प्रेरित।
      •  रक्षात्मक: अपने क्षेत्र की रक्षा करने की इच्छा से प्रेरित।
      • प्रतिशोधी: जो अपने ही समूह के खिलाफ कथित हमले के लिये प्रतिशोध में कार्य करते हैं।
      • मिशन: 'अंतर' को मिटाने के लिये अपराधी इसे जीवन में अपना मिशन बनाते हैं।

हेट क्राइम के क्या परिणाम हो सकते हैं?

  • मनोवैज्ञानिक परेशानी:
    • हिंसक हेट क्राइम से पीड़ित लोगों को अन्य हिंसक अपराधों के शिकार लोगों की तुलना में अधिक मनोवैज्ञानिक संकट अनुभव होने की संभावना है।
    • विशेष रूप से पूर्वाग्रह से प्रेरित अपराधों के शिकार लोगों में तनाव, सुरक्षा चिंताओं, अवसाद, चिंता और क्रोध का अनुभव करने की अधिक संभावना है जो पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं हैं।
  • समाज को गलत संदेश:
    • हेट क्राइम पीड़ित समूह के सदस्यों को संदेश भेजते हैं कि वे समुदाय में अवांछित और असुरक्षित हैं, इस प्रकार वे पूरे समूह को पीड़ित करते हैं और असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देते हैं।
    • इसके अलावा अपने ही समूह के खिलाफ भेदभाव देखने से मनोवैज्ञानिक संकट बढ़ सकता है और आत्मसम्मान कम हो सकता है।

हेट क्राइम के खिलाफ भारतीय कानून क्या हैं?

  • हालाँकि किसी भी कानून में इस शब्द का कहीं भी उल्लेख नहीं है। इसके विभिन्न रूपों की पहचान कानूनों में की गई है।
  • धारा 153A, 153B, 295A, 298, 505(1) और 505(2) के तहत आईपीसी उस शब्द को हेट क्राइम घोषित करता है, जो धर्म, जातीयता, संस्कृति, भाषा, क्षेत्र के आधार पर किसी जाति, समुदाय, नस्ल आदि के लिये बोला या लिखा गया हो एवं वैमनस्य, घृणा या अपमान को बढ़ावा देता हो। वह अपराध कानून के तहत दंडनीय हो।
  • 53A: यह विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के लिये दंडित करता है।
  • 153B: यह राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल आरोप, अभिकथन को दंडित करता है।
  • 505: यह सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ावा देने के इरादे से अफवाहों और समाचारों को दंडित करता है।
  • 295A: यह जान-बूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे से शब्दों द्वारा किसी वर्ग की धार्मिक मान्यताओं के अपमान को अपराध की श्रेणी में रखता है, जो नफरत भरे भाषणों का मुकाबला करने में योगदान देता है।

कुछ अन्य कानून जिनमें अभद्र भाषा और इसकी रोकथाम से संबंधित प्रावधान हैं:

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of People Act- RPA), 1951: यह अभद्र भाषा को चुनाव के दौरान किये गए अपराध के रूप में दो श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: भ्रष्ट आचरण और चुनावी अपराध। RPA में अभद्र भाषा के संबंध में प्रासंगिक प्रावधान धारा 8, 8A, 123(3), 123(3A) और 125 हैं।

समाज में हेट क्राइम को रोकने के क्या उपाय हैं?

  • एक विशेष कानून की ज़रूरत है:
    • समय की आवश्यकता विशेषीकृत कानून है जो इंटरनेट और विशेष रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित अभद्र भाषा को नियंत्रित करेगा।
    • अभद्र भाषा, विशेष रूप से जो ऑनलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जाता है, के खिलाफ आवश्यक है कि एक विशिष्ट व टिकाऊ विधायी प्रावधान हो, जिसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में संशोधन करके अधिनियमित किया जाता है।
    • अंततः यह तभी संभव होगा जब अभद्र भाषा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक उचित प्रतिबंध के रूप में मान्यता दी जाए।
  •  समाज को संवेदनशील बनाना:
    • भारतीय समुदाय को अन्य नागरिकों के अधिकारों और सामाजिक एकता के लिये हेट क्राइम के खतरे के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिये।
  • सामुदायिक पुलिस:
    • समुदाय के साथ साझेदारी को बढ़ावा देकर एक समाज समुदायों और कानून को हेट क्राइम को रोकने एवं उनका जवाब देने के लिये मिलकर काम करने में सक्षम बनाता है।
    • सामुदायिक भागीदारी घृणा-संबंधी समस्या को गंभीर अपराध में बदलने से रोक सकती है। समाज के सभी लोगों को समाधान प्रक्रिया में शामिल होना चाहिये। इस कार्य में ऐसे विविध समूहों, जिनके प्रति घृणा है, को शामिल करनाआवश्यक है।
  • समुदाय को जागरूक होने की ज़रूरत:
    • घृणा प्रेरित अपराध की समस्या का समाधान करने के लिये अपराध के परिणामों के बारे में जागरूकता होना महत्त्वपूर्ण है। समस्या को समझने से समुदाय अपने सामने आने वाले मुद्दों को संबोधित करने, उसके महत्त्व और आवश्यकता के बारे में जागरूक हो जाता है। समुदाय में एक ऐसा जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिये जो समुदाय के सदस्यों और हेट क्राइम के शिकार लोगों को सूचना, जागरूकता और संसाधन प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • युवा भागीदारी और परामर्श:
    • युवा अक्सर हिंसक हमलों, धमकाने और उत्पीड़न के अन्य रूपों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
    • इसका मुकाबला करने के लिये शिक्षकों और स्कूल प्रशासकों को अपने छात्रों और कर्मचारियों को घृणा की घटनाओं तथा अपराधों की प्रकृति एवं उन्हें रोकने के तरीके के बारे में शिक्षित करना चाहिये।
  • अधिकारियों और प्रतिनियुक्तों के लिये प्रशिक्षण:
    • पुलिस को नए रंगरूटों और मौजूदा अधिकारियों को हेट क्राइम तथा अन्य संबंधित मुद्दों पर प्रशिक्षित करना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिक्रिया देने वाले अधिकारी एवं प्रतिनिधि हेट क्राइम या घटनाओं की जाँच और रिपोर्ट करने में प्रशिक्षित हों।
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