पृथ्वी पर भू-आकृति: भाग 2 | 28 May 2022
पवन द्वारा निर्मित स्थलरूप क्या है?
- पवन सभी स्थलीय वातावरणों में एक भू-आकृतिक एजेंट है। यह शुष्क क्षेत्रों में महीन बनावट वाली मिट्टी और तलछट एवं कम वनस्पति वाले क्षेत्रों में अधिक सक्रिय रहता है।
- हवा रेगिस्तानी चट्टानों को दो तरह से नष्ट कर सकती है:
- अपस्फीति: चट्टानों की सतह से महीन, कम मज़बूती से जुड़े कणों को हटाना।
- घर्षण: हवा के माध्यम से चट्टान की सतह से घर्षण के ज़रिये छोटे कणों को अलग करना। यह तब तीन प्रक्रियाओं द्वारा नष्ट सामग्री को स्थानांतरित करता है:
- निलंबन: बहुत छोटे कण (<0.15 मिमी) हवा द्वारा ले जाए जाते हैं।
- साल्टेशन (Saltation): छोटे कण (0.15-0.25 मिमी) अस्थायी रूप से ज़मीन से उठाए जाते हैं और सतह के लगकर उछलते हैं।
- भूतल पर: बड़े कणों (> 0.25 मिमी) को नमक द्वारा स्थानांतरित किये जाने वाले कणों द्वारा ज़मीन की सतह पर धक्का दिया जाता है।
- एट्रिशन
- हवाओं द्वारा ले जाए गए रेत के कण अपने भीतर घर्षण की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं और इस वजह से उनका आकार घट जाता है। इसे एट्रिशन के रूप में जाना जाता है।
- तेज़ हवाओं के कटाव की प्रक्रिया भी तेज़ होती है।
- नरम चट्टानें आसानी से टूट जाती हैं लेकिन दूसरी ओर कठोर चट्टानों के मामले में कटाव की प्रक्रिया लंबी होती है।
पवन द्वारा निर्मित अपरदन भू-आकृतियाँ
- अपस्फीति हॉलो (Hollow) और गुफाएँ
- अपस्फीति हॉलो
- अपस्फीति बेसिन, जिसे ब्लोआउट्स कहा जाता है, हवा द्वारा कणों को हटाने से बनने वाले हॉलो होते हैं।
- ब्लोआउट्स आमतौर पर छोटे होते हैं, लेकिन व्यास में कई किलोमीटर तक हो सकते हैं।
- अपस्फीति हॉलो
- गुफाएँ
- जैसे-जैसे पवन-जनित रेत चट्टान को प्रभावित करती है, कुछ आकृति गहरी और चौड़ी हो जाती हैं और गुफा कहलाने के योग्य हो जाते हैं।
- यारडंग
- यारडंग का निर्माण ऐसी संरचना में होता है, जहाँ कठोर तथा कमज़ोर चट्टानें क्रम से संयोजित होती हैं, कमज़ोर चट्टानों के अपरदन से यारडंग का निर्माण होता है।
- ज़ुगेन
- यह चट्टान का एक मेज के आकार का क्षेत्र है जहाँ इसके चारों ओर की हवाओं से अपरदन नरम चट्टानें बन जाती हैं।
- प्लाया
- प्लाया एक सपाट तल का अवसाद है जो आंतरिक रेगिस्तानी घाटियों में पाया जाता है और शुष्क तथा अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में तटों से सटा होता है, जो समय-समय पर पानी से ढका रहता है।
- यह धीरे-धीरे भूजल प्रणाली में छन जाता है या वायुमंडल में वाष्पित हो जाता है, जिससे नीचे और अवसाद के किनारों के आसपास नमक, रेत व कीचड़ जमा हो जाता है।
पवन द्वारा निर्मित निक्षेपण भू-आकृतियाँ
- रिपल (Ripples)
- वे प्रचलित हवा की दिशा के समकोण पर स्थित नियमित, लहरदार भू-आकृतियाँ हैं।
- लोस (Loess)
- Loess स्थलीय तलछट है जिसका निर्माण बड़े पैमाने पर क्वार्ट्ज से बने विंडब्लाउन गाद कणों से होता है। लोस के लिये तीन चीज़ों की आवश्यकता होती है:
- गाद का एक स्रोत
- गाद ले जाने के लिये हवा
- निक्षेपण और संचयन के लिये उपयुक्त स्थल
- Loess स्थलीय तलछट है जिसका निर्माण बड़े पैमाने पर क्वार्ट्ज से बने विंडब्लाउन गाद कणों से होता है। लोस के लिये तीन चीज़ों की आवश्यकता होती है:
- टिब्बा (Dunes)
- दून या टिब्बा हवा द्वारा ढीली रेत से निर्मित टुकड़ों का संग्रह है।
- यह आमतौर पर क्वार्ट्ज़ से बना होता है, जो बेहद कठोर होता है और आसानी से सड़ता नहीं है।
- टिब्बा के सबसे आम प्रकार
- बरचन्स (Barchans)
- बरचन में अर्द्धचंद्राकार बिंदु या पंख होते हैं जो हवा से दूर होते हैं, या नीचे की ओर होते हैं और जहाँ रेत लगभग एक समान रूप से सतह पर चलती है जहाँ से हवा स्थिर होती है।
- बरचन्स (Barchans)
- सेफ (Seif)
- इसे एक छोटे से अंतर के साथ बरचन के समान लीनियर ड्यूनिसिस भी कहा जाता है क्योंकि इसमें केवल एक पंख या बिंदु होता है।
तटीय भू-आकृतियाँ क्या हैं?
- तटीय प्रक्रियाएँ सबसे गतिशील भूगर्भिक प्रक्रियाओं में से हैं क्योंकि कई तटों की आकारिकी में परिवर्तन वार्षिक (या कम) समय-समय पर देखा जा सकता है।
- लहरों की क्रिया के अलावा तटीय भू-आकृतियाँ इस पर निर्भर करती हैं:
- भूमि और समुद्र तल का विन्यास
- क्या तट समुद्र की ओर बढ़ रहा है (उभर रहा है) या पीछे हट रहा है (डूब रहा है)।
अपरदन के फलस्वरूप बनने वाली तटीय भू-आकृतियाँ
- चट्टानें, छतें, गुफाएँ और ढेर
- चट्टानें (Cliffs)
- समुद्री चट्टान की एक खड़ी ढलान पर टूटने वाली लहरों द्वारा बनाई गई एक ऊर्ध्वाधर अवक्षेप है। हाइड्रोलिक क्रिया, घर्षण और रासायनिक समाधान सभी, चट्टान के आधार के पास उच्च जल स्तर पर ज़मीन के कटाव का काम करते हैं। लगातार कटाव के कारण चट्टानें ज़मीन की ओर पीछे हट जाती हैं।
- समुद्री गुफाएँ (Sea Caves)
- समुद्र की गुफाएँ अच्छी तरह से जुड़ी हुई आधारशिला पर बनती हैं।
- सी स्टैक (Sea Stacks)
- एक समुद्री मेहराब तब बनता है जब समुद्री गुफाएँ एक हेडलैंड के विपरीत किनारों से विलीन हो जाती हैं। यदि मेहराब ढह जाता है तो चट्टान का एक स्तंभ समुद्र में ढेर के रूप में पीछे रह जाता है।
- सी टेरेस (Sea Terraces)
- यह एक रॉक टैरेस है, जहाँ एक समुद्री चट्टान, जिसके सामने एक लहर-कट प्लेटफॉर्म है, को समुद्र तल से ऊपर उठाया जाता है।
- चट्टानें (Cliffs)
निक्षेपण तटीय भू-आकृतियाँ
- समुद्र तट
- समुद्र तट जल के विशाल निकाय के स्थल भाग से सटे तलछट के जमाव हैं। रेत के अलावा दुनिया भर के समुद्र तटों में बोल्डर से लेकर महीन गाद तक तलछट के आकार की उल्लेखनीय विविधता है।
- स्पिट एंड और बार (Spits and Bars)
- स्पिट
- एक रेत स्पिट तलछट का एक रैखिक संचय है जो एक छोर पर भूमि से जुड़ा होता है।
- वे आमतौर पर वहाँ विकसित होते हैं, जहाँ समुद्री तटरेखा लंबे समय तक बहाव की दिशा से ज़मीन की दिशा में मुड़ती है। स्पिट अपड्रिफ्ट तट की लॉन्गशोर दिशा का अनुसरण करती है।
- बार
- सैंडबार, जिसे अपतटीय बार के रूप में भी जाना जाता है, समुद्र तट से अपतटीय तरंगों द्वारा निर्मित एक रिज है, जो आमतौर पर जलमग्न या आंशिक रूप से जल से बाहर होती है।
- स्पिट
हिमनदों द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ कौन-सी हैं?
- ग्लेशियरों ने मध्य और उच्च अक्षांशों तथा अल्पाइन वातावरण में परिदृश्य को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। वे मिट्टी और चट्टान को नष्ट करने, तलछट के परिवहन एवं तलछट जमा करने में उल्लेखनीय रूप से प्रभावी हैं।
- ग्लेशियर बर्फ से बनी एक ऐसी संरचना है जो ज़मीन पर चादरों (महाद्वीपीय ग्लेशियर या पीडमोंट ग्लेशियर) के रूप में या पहाड़ों की ढलानों से घाटियों (पर्वत और घाटी ग्लेशियर) में रैखिक प्रवाह के रूप में होता है।
हिमनदों द्वारा निर्मित अपरदन भू-आकृतियाँ
- हिमनद घाटियाँ/कुंड
- ये घाटियाँ गर्त-समान और यू-आकार की हैं जिनमें चौड़ी फ्लोर और अपेक्षाकृत चिकनी एवं खड़ी भुजाएँ हैं।
- घाटियों में दलदली भूमि की उपस्थिति के साथ मोराइन के आकार का मलबा हो सकता है।
- समुद्र के पानी से भरी और तटरेखा (उच्च अक्षांशों में) बनाने वाली बहुत गहरी हिमनदों को फियोर्ड (fjords/fiords) कहा जाता है।
- ये घाटियाँ गर्त-समान और यू-आकार की हैं जिनमें चौड़ी फ्लोर और अपेक्षाकृत चिकनी एवं खड़ी भुजाएँ हैं।
- सर्क (Cirques)
- हिमानीकृत पर्वतीय भागों में हिमनद द्वारा उत्पन्न स्थलरंध्रों में सर्क सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। अधिकतर सर्क हिमनद घाटियों के शीर्ष पर पाए जाते हैं। एकत्रित हिम पर्वतीय क्षेत्रों से नीचे खिसकती हुई सर्क को काटती है। सर्क गहरे, लंबे व चौड़े गर्त हैं जिनकी दीवार तीव्र ढाल वाली सीधी या अवतल होती है। हिमनद के पिघलने पर जल से भरी झील भी प्रायः इन गर्तों में देखने को मिलती है। इन झीलों को सर्क झील या टार्न झील कहते हैं। आपस में मिले हुए दो या दो से अधिक सर्क सीढ़ीनुमा क्रम में दिखाई देते हैं।
- हॉर्न या गिरिशृंग और सिरेटेड कटक (Horns and Serrated)
- सर्क के शीर्ष पर अपरदन होने से हॉर्न निर्मित होते हैं।
- यदि तीन या अधिक विकीर्णित हिमनद निरंतर शीर्ष पर तब-तक अपरदन जारी रखें जब तक कि उनके तल आपस में मिल न जाएँ तो एक तीव्र किनारों वाली नुकीली चोटी का निर्माण होता है जिसे हॉर्न कहते हैं। लगातार अपदरन से सर्क के दोनों तरफ की दीवारें तंग हो जाती हैं और इसका आकार कंघी या आरी के समान कटकों के रूप में हो जाता है, जिन्हें अरेत (तीक्ष्ण कटक) कहते हैं। इनका ऊपरी भाग नुकीला तथा बाहरी आकार टेढ़ा-मेढ़ा होता है।
- सर्क के शीर्ष पर अपरदन होने से हॉर्न निर्मित होते हैं।
हिमनदों द्वारा निर्मित निक्षेपण भू-आकृतियाँ
- हिम दराज़ (Glacial Till)
- हिमोढ़, हिमनद टिल (Glacial Till) या गोलाश्मी मृत्तिका के जमाव की लंबी कटकें हैं। अंतस्थ हिमोढ़ हिमनद के अंतिम भाग में मलबे के निक्षेप से बनी लंबी कटकें हैं। पार्श्विक हिमोढ़ हिमनद घाटी की दीवार के समानांतर निर्मित होते हैं। पार्श्विक हिमोढ़ अंतस्थ हिमोढ़ से मिलकर
- घोड़े की नाल या अर्धचंद्राकार कटक का निर्माण करते हैं। हिमनद घाटी के दोनों ओर अत्यधिक मात्र में पार्श्विक हिमोढ़ पाए जाते हैं। इस हिमोढ़ की उत्पत्ति आंशिक रूप से हिमानी-जल द्वारा होती है, जो इस जलोढ़ को हिमनद के किनारों पर धकेलता है। कुछ घाटी हिमनद तेज़ी से पिघलने पर घाटी तल पर हिमनद टिल को एक परत के रूप में अव्यवस्थित रूप से छोड़ देते हैं। ऐसे अव्यवस्थित व भिन्न मोटाई के निक्षेप तलीय या तलस्थ हिमोढ़ कहलाते हैं। घाटी के मध्य में पार्श्विक हिमोढ़ के साथ-साथ हिमोढ़ मिलते हैं जिन्हें मध्यस्थ हिमोढ़ कहते हैं। ये पार्श्विक हिमोढ़ की अपेक्षा कम स्पष्ट होते हैं। कभी-कभी मध्यस्थ हिमोढ़ व तलस्थ के अंतर को पहचानना कठिन होता है।
- मोरेइन
- एक मोरेइन एक चलती ग्लेशियर द्वारा छोड़ी गई सामग्री है। यह सामग्री आमतौर पर मिट्टी और चट्टान है। जिस तरह नदियाँ सभी प्रकार के मलबे और गाद को साथ ले जाती हैं जो अंततः डेल्टा का निर्माण करती हैं, ग्लेशियर सभी प्रकार की गंदगी और बोल्डर का परिवहन करते हैं जो मोरेइन बनाते हैं।
- एस्कर (Eskers)
- ग्रीष्म ऋतु में हिमनद के पिघलने से जल हिमतल के ऊपर से प्रवाहित होता है अथवा इसके किनारों से रिसता है या बर्फ के छिद्रों से नीचे प्रवाहित होता है। यह जल हिमनद के नीचे एकत्रित होकर बर्फ के नीचे नदी धारा में प्रवाहित होता है। ऐसी नदियाँ नदी घाटी के ऊपर बर्फ के किनारों वाले तल में प्रवाहित होती हैं। यह जलधारा अपने साथ बड़े गोलाश्म, चट्टानी टुकड़े और छोटा चट्टानी मलबा बहाकर लाती है जो हिमनद के नीचे इस बर्फ की घाटी में जमा हो जाते हैं। ये बर्फ पिघलने के बाद एक वक्राकार कटक के रूप में मिलते हैं, जिन्हें एस्कर कहते हैं।
- ड्रमलिन (Drumlins)
- ड्रमलिन हिमनद मृत्तिका के अंडाकार समतल कटकनुमा स्थलरूप हैं जिसमें रेत व बजरी के ढेर होते हैं। ड्रमलिन के लंबे भाग हिमनद के प्रवाह की दिशा के समानांतर होते हैं। ये एक किलोमीटर लंबे व 30 मीटर तक ऊँचे होते हैं। ड्रमलिन का हिमनद सम्मुख भाग स्टॉस कहलाता है, जो पृच्छ भागों की अपेक्षा तीव्र ढाल लिये होता है। ड्रमलिन का निर्माण हिमनद दरारों में भारी चट्टानी मलबे के भरने व उसके बर्फ के नीचे रहने से होता है। इसका अग्र भाग या स्टॉस भाग प्रवाहित हिमखंड के कारण तीव्र हो जाता है। ड्रमलिन हिमनद प्रवाह की दिशा को बताते हैं।