औद्योगिक क्रांति का जीवन पर प्रभाव | 18 May 2019
आर्थिक प्रभाव
- उत्पादन में वृद्धि से वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी।
- उत्पादन में वृद्धि से निर्यात में वृद्धि।
- स्वतंत्र कारीगर कारखानों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर सके, फलत: कुटीर उद्योग समाप्त हो गए।
- बड़े-बड़े कृषि फार्मों की स्थापना के कारण छोटे किसानों को रोज़गार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर जाना पड़ा।
- औद्योगिक केंद्रों के आस-पास नवीन नगरों का विकास हुआ।
- अब शहर आर्थिक गतिविधियों का आधार बन गए।
- बाज़ारों की आवश्यकता ने सरकारों को उपनिवेश प्राप्ति के लिये प्रेरित किया।
- उत्पादक और उपभोक्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध समाप्त हो गया।
- औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ।
सामाजिक प्रभाव
- औद्योगिक क्रांति से नए सामाजिक वर्गों का उदय हुआ जैसे- मज़दूर एवं पूंजीपति।
- अब आर्थिक मापदंड संबंधों का मुख्य सूत्र बन गया।
- संबंधों का अर्थ आधारित होने से समाज में आर्थिक असुरक्षा की भावना बढ़ गई।
- समाज में मध्यम वर्ग का प्रभाव बढ़ गया।
- श्रमिकों में सामाजिक चेतना का उदय।
- संयुक्त परिवार के स्थान पर एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि।
- श्रमिकों के शोषण से वर्ग-संघर्ष की शुरुआत।
- औद्योगिक नगरों व केंद्रों की जनसंख्या बढ़ने से उनमें स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गईं।
- श्रमिकों को अमानुषिक एवं निराशाजनक परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
- बाल श्रम की कुप्रथा व्यापक स्तर पर प्रचलित हो गई थी।
- चिकित्सा क्षेत्र में हुई महत्त्वपूर्ण खोजों के कारण मृत्यु दर में कमी आई।
- जनसंख्या वृद्धि से आवास समस्या बढ़ी और साथ ही बेरोज़गारी में वृद्धि हुई।
- महिलाओं के अधिकारों के समर्थन में जनमत निर्मित हुआ।
राजनीतिक प्रभाव
- औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप राज्य के प्रशासनिक कार्यों में वृद्धि हुई।
- उभरते मध्यवर्ग की संसदीय सुधार की मांग के कारण मताधिकार का विस्तार हुआ।
- राजनीतिक सत्ता भू-स्वामियों के हाथ से निकलकर उभरते मध्यवर्ग के हाथ में आ गई।
विचारधारा पर प्रभाव
- नवीन अर्थशास्त्रियों ने पुरानी आर्थिक पद्धति के स्थान पर व्यापारिक स्वतंत्रता तथा उन्मुक्त व्यापार के सिद्धांत पर बल दिया।
- मज़दूरों की दशा सुधारने एवं जनकल्याण की भावना ने समाजवादी विधारधारा को जन्म दिया।
- ब्रिटेन का मानवतावदी उद्योगपति रॉबर्ट ओवन आदर्शवादी समाजवाद का प्रणेत्ता था।
- कार्ल मार्क्स एवं एंगेल्स के विचारों और नेतृत्व में ‘वैज्ञानिक समाजवाद’ ने जन्म लिया।