त्रावणकोर राजघराने से संबंधित रवि वर्मा का जन्म किलिमन्नूर गाँव (केरल) में हुआ।
भारतीय चित्रकला में प्रकृतिवाद की पश्चिमी संकल्पना के सर्वप्रथम प्रतिपादक राजा रवि वर्मा ही थे।
उन्हें 1873 ई. में आयोजित वियाना कला सम्मेलन में प्रथम पुरस्कार मिला था।
उनके प्रसिद्ध चित्रों में चाँदनी रात में नारी, सुकेशी, श्री कृष्ण, बलराम, रावण और सीता, शांतनु एवं मत्स्यगंधा, शकुंतला का पत्रलेखन, इंद्रजीत की विजय, हरिश्चंद्र, फल बेचने वाली, दमयंती आदि शामिल हैं।
अवनीन्द्र नाथ ठाकुर (1871–1951)
आधुनिक भारतीय चित्रकला के पितामह अवनीन्द्र नाथ ने राष्ट्रीय आंदोलन से प्रभावित होकर पुनरूज्जीवन शैली या पुनरुद्धार-वृत्ति शैली का सूत्रपात किया।
इन्होंने नए विचारों वाले चित्रकारों को एकत्र करके ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट’ नामक संस्था बनाई।
इन्होंने ‘षडंग’ नाम की पुस्तक भी लिखी।
उनके प्रसिद्ध चित्रों में बुद्ध-जन्म, बुद्ध एवं सुजाता, शाहजहाँ की मृत्यु और दारा के सिर का अवलोकन करते औरंगज़ेब का चित्र शामिल हैं।
अमृता शेरगिल (1913–1941)
हंगरी में जन्मी अमृता शेरगिल पर प्रारंभ में यूरोपीय शैली का बहुत प्रभाव था किंतु बाद में ये भारतीयता की ओर उन्मुख हुईं।
उनके चित्रों में ‘नारी समस्या’ का चित्रण हुआ है।
उन्हें प्रीडा काहलो और अंग्रेज़ी कवि बायरन का भारतीय संस्करण कहा गया है।
उनके प्रसिद्ध चित्रों में थ्री वूमैन, यंग वूमैन, हिल वूमैन, ब्राइड टॉयलेट और टू एलीपेंट शामिल हैं।