अल नीनो एवं ला नीना | 02 Feb 2021
- अल नीनो एवं ला नीना (El Nino and La Nina) जटिल मौसम पैटर्न हैं, जो विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में समुद्र के तापमान में भिन्नता के कारण घटित होते हैं। ये अल नीनो-दक्षिणी दोलन (El Nino-Southern Oscillation- ENSO) चक्र की विपरीत अवस्थाएँ होती हैं।
- ENSO चक्र पूर्व-मध्य विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में महासागर एवं वायुमंडल के मध्य तापमान में उतार-चढ़ाव को दर्शाता है।
- अल नीनो और ला नीना की घटनाएँ आमतौर पर 9 से 12 महीने तक चलती हैं, लेकिन कुछ लंबे समय तक चलने वाली घटनाएँ वर्षों तक बनी रह सकती हैं।
- अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जो पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से तापन की स्थिति को दर्शाता है।
- यह अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) घटना की "उष्ण अवस्था" है।
- यह घटना ला नीना की तुलना में अधिक बार होती है।
- ला नीना, ENSO की “शीत अवस्था” होती है, यह पैटर्न पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के असामान्य शीतलन को दर्शाता है।
- अल नीनो की घटना जो कि आमतौर पर एक वर्ष से अधिक समय तक नहीं रहती है, के विपरीत ला नीना की घटनाएँ एक वर्ष से तीन वर्ष तक बनी रह सकती हैं।
- दोनों घटनाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियों के दौरान चरम पर होती हैं।
अल नीनो
- अल नीनो की घटना को सबसे पहले पेरू के मछुआरों ने पेरू के तट से दूर सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने के रूप में जाना था।
- स्पेनिश प्रवासियों ने इसे अल नीनो कहा जिसका अर्थ स्पेनिश में "छोटा लड़का" होता है।
- जल्द ही अल नीनो का उपयोग तटीय सतह के जल के गर्म होने के बजाय अनियमित एवं तीव्र जलवायु परिवर्तनों का वर्णन करने के लिये किया जाने लगा।
- अल नीनो घटना एक नियमित चक्र नहीं है, इनकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, ये दो से सात वर्ष के अंतराल पर अनियमित रूप से होती हैं।
- मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अल नीनो की घटना दक्षिणी दोलन के साथ होती है।
- दक्षिणी दोलन, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन को कहते है।
- जब पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र (अल नीनो) में तटीय जल गर्म हो जाता है, तो समुद्र के ऊपर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है।
- मौसम वैज्ञानिक इन घटनाओं को अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) के रूप में परिभाषित करते हैं।
अल नीनो एवं ला नीना की निगरानी
- वैज्ञानिक, सरकारें एवं गैर-सरकारी संगठन (Non-Governmental Organizations- NGO) कई वैज्ञानिक तकनीकों एवं युक्तियों जैसे- प्लव (Buoy) का उपयोग करके अल नीनो के बारे में आँकड़े एकत्र करते हैं।
- प्लव एक प्रकार का उपकरण है जो जल में तैरता है एवं जिसका उपयोग समुद्र में लोकेटर के रूप में अथवा जहाज़ों के लिये चेतावनी बिंदु के रूप में किया जाता है। ये आमतौर पर चमकीले (फ्लोरोसेंट) रंग के होते हैं।
- ये प्लव समुद्र एवं वायु का तापमान, धाराओं, हवाओं एवं आर्द्रता को मापते हैं।
- ये प्लव विश्व भर के शोधकर्त्ताओं एवं पूर्वानुमानकर्त्ताओं को प्रतिदिन डेटा संचारित करते हैं एवं वैज्ञानिकों को अल नीनो की सटीक भविष्यवाणी करने तथा संपूर्ण विश्व में इनके परिणाम और प्रभाव का अनुमान लगाने में सक्षम बनाते हैं।
- महासागरीय नीनो सूचकांक (Oceanic Nino Index- ONI) का उपयोग समुद्री सतही जल के सामान्य तापमान में विचलन को मापने के लिये किया जाता है।
- अल नीनो घटनाओं की तीव्रता, तापमान में कम वृद्धि (लगभग 4-5° F) होने पर कम होती है जिसके मध्यम स्थानिक प्रभाव होते हैं, वहीं तापमान में प्रबल वृद्धि (14-18° F) के कारण संपूर्ण विश्व में जलवायु से संबंधित परिवर्तन देखा जाता है।
महासागरीय नीनो सूचकांक (ONI)
- महासागरीय नीनो सूचकांक (ONI) पूर्व-मध्य प्रशांत महासागर में सामान्य समुद्री सतही जल के तापमान में विचलन का एक माप है, यह एक मानक युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्येक अल नीनो की घटना के मापन के साथ उसका पूर्वानुमान लगाया जाता है।
अल नीनो का प्रभाव
- अल नीनो की अवधारणा को समझने के लिये प्रशांत महासागर में अल नीनो रहित अवस्था से परिचित होना आवश्यक है।
- सामान्यतः शक्तिशाली व्यापारिक पवनें पश्चिम की ओर उष्णकटिबंधीय प्रशांत, कर्क रेखा एवं मकर रेखा के मध्य स्थित प्रशांत महासागर क्षेत्र में चलती हैं।
- महासागर पर प्रभाव: अल नीनो समुद्र के तापमान, समुद्र की धाराओं की गति एवं शक्ति, तटीय मत्स्य पालन और ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण अमेरिका तथा उनसे आगे तक के स्थानीय मौसम को भी प्रभावित करता है।
- वर्षा में वृद्धि: गर्म जल के सतह पर बहाव के कारण वर्षा में वृद्धि होती है।
- इसकी वजह से दक्षिण अमेरिका में वर्षा में भारी वृद्धि होती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ एवं अपरदन की घटनाओं की वृद्धि होती है।
- बाढ़ एवं सूखे के कारण होने वाले रोग: बाढ़ अथवा सूखा जैसे प्राकृतिक खतरों से प्रभावित समुदायों में बीमारियाँ पनपती हैं।
- अल नीनो की वजह से बाढ़ के कारण विश्व के कुछ हिस्सों में हैजा, डेंगू एवं मलेरिया के मामलों में वृद्धि होती है, वहीं सूखे के कारण जंगलों में आग की घटनानों में वृद्धि हो सकती है जो कि श्वसन संबंधी समस्याओं से संबंधित है।
- सकारात्मक प्रभाव: कभी-कभी इसके सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, उदाहरण के लिये अल नीनो के कारण अटलांटिक महासागर में तूफान की घटनाओं में कमी आती है।
- दक्षिण अमेरिका: अल नीनो के कारण दक्षिण अमेरिका में बारिश अधिक होती है, वहीं इंडोनेशिया एवं ऑस्ट्रेलिया में इसके कारण सूखे की घटनाएँ होती हैं।
- सूखे की इन घटनाओं के कारण क्षेत्र में जल आपूर्ति का संकट उत्पन्न होता है, क्योंकि जलाशय सूख जाते हैं एवं नदियों में भी जल की कमी होती है। कृषि जो कि सिंचाई जल पर निर्भर होती है, पर भी संकट उत्पन्न होता है।
- पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र : इन पवनों के कारण पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की ओर जहाँ यह एशिया एवं ऑस्ट्रेलिया से सीमाएँ बनाता है, गर्म सतही जल का प्रवाह होता है।
- उष्ण व्यापारिक पवनों के कारण इंडोनेशिया में समुद्र की सतह इक्वाडोर की तुलना में लगभग 0.5 मीटर अधिक एवं 4-5° F गर्म होती है।
- गर्म जल के पश्चिमी प्रवाह के कारण इक्वाडोर, पेरू एवं चिली के तटों पर सतह की ओर ठंडे जल का स्तर बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया को अपवेलिंग (Upwelling) के रूप में जाना जाता है।
- अपवेलिंग के कारण समुद्र के ऊपरी सतह, यूफोटिक ज़ोन में ठंडे पोषक तत्त्वों से युक्त जल आ जाता है।
पूर्व की अल नीनो घटनाएँ:
- वर्ष 1982-83 एवं वर्ष 1997-98 की अल नीनो घटनाएँ 20वीं शताब्दी की सबसे प्रबल अल नीनो घटनाएँ थीं।
- वर्ष 1982-83 की अल नीनो घटना के दौरान पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत में समुद्र सतह का तापमान सामान्य से 9-18 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- वर्ष 1997-98 की अल नीनो घटना प्रथम अल-नीनो घटना थी जिसकी शुरु से लेकर अंत तक वैज्ञानिक निगरानी की गई थी।
- वर्ष 1997-98 की अल नीनो घटना ने जहाँ इंडोनेशिया, मलेशिया एवं फिलीपींस में सूखे की स्थिति उत्पन्न कर दी वहीं पेरू एवं कैलिफोर्निया में भारी बारिश एवं गंभीर बाढ़ की घटनाएँ देखी गईं।
- मध्य पश्चिम में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई, उस अवधि को “शीत विहीन वर्ष" के रूप में जाना जाता है।
ला नीना
- स्पेनिश भाषा में ला नीना का अर्थ होता है छोटी लड़की। इसे कभी-कभी अल विएखो, एंटी-अल नीनो या "एक शीत घटना" भी कहा जाता है।
- ला नीना घटनाएँ पूर्व-मध्य विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में औसत समुद्री सतही तापमान से निम्न तापमान की द्योतक हैं।
- इसे समुद्र की सतह के तापमान में कम-से-कम पाँच क्रमिक त्रैमासिक अवधि में 0.9°F से अधिक की कमी द्वारा दर्शाया जाता है।
- जब पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में जल का तापमान सामान्य की तुलना में कम हो जाता है तो ला नीना की घटना देखी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में एक उच्च दाब की स्थिति उत्पन्न होती है।
ला नीना स्थितियाँ
- ला नीना घटना उष्णकटिबंधीय प्रशांत, कर्क रेखा एवं मकर रेखा के मध्य प्रशांत महासागर क्षेत्र में सामान्य से ठंडे जल के कारण होती है।
- ला नीना की विशेषता पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में सामान्य से कम वायुदाब का होना है। ये निम्न दाब के क्षेत्र वर्षा वृद्धि में योगदान देते हैं।
- ला नीना की घटनाएँ दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका एवं उत्तरी ब्राज़ील में सामान्य से अधिक वर्षा की स्थितियों से भी संबंधित हैं।
- हालाँकि प्रबल ला नीना की घटनाएँ उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में विनाशकारी बाढ़ का कारण बनती हैं।
- मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में सामान्य से उच्च वायुदाब भी ला नीना की विशेषता है।
- इसके कारण इस क्षेत्र में बादल कम बनते हैं एवं वर्षा कम होती है।
- उष्णकटिबंधीय दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट, संयुक्त राज्य अमेरिका के खाड़ी तट एवं दक्षिण अमेरिका के पम्पास क्षेत्र में सामान्य से अधिक सूखे की स्थिति देखी जाती है।
ला नीना का प्रभाव
- यूरोप: यूरोप में अल नीनो शरदकालीन तूफानों की संख्या को कम करता है।
- ला नीना के कारण उत्तरी यूरोप (विशेष रूप से ब्रिटेन) में कम सर्दी एवं दक्षिणी/पश्चिमी यूरोप में अधिक सर्दी पड़ती है जिसके कारण भूमध्यसागरीय क्षेत्र में बर्फबारी होती है।
- उत्तरी अमेरिका: उत्तरी अमेरिका महाद्वीप वह क्षेत्र है जहाँ ये स्थितियाँ सबसे अधिक महसूस की जाती हैं। व्यापक प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- भूमध्यरेखीय क्षेत्र विशेष रूप से प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में शक्तिशाली पवनें।
- कैरिबियन एवं मध्य अटलांटिक क्षेत्र में तूफानों के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ।
- अमेरिका के विभिन्न राज्यों में बवंडर की अधिक घटनाएँ।
- दक्षिण अमेरिका: दक्षिण अमेरिकी देशों- पेरू एवं इक्वाडोर में ला नीना सूखे का कारण बनता है।
- सामान्यतः पश्चिमी एवं दक्षिण अमेरिका के मत्स्य उद्योग पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र: पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ला नीना उन क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावना में वृद्धि करता है जो उसके प्रभावों के लिये सबसे अधिक असुरक्षित हैं, विशेष रूप से महाद्वीपीय एशिया एवं चीन में।
- यह ऑस्ट्रेलिया में भारी बाढ़ का कारण भी बनता है।
- पश्चिमी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर एवं सोमालियाई तट पर तापमान में वृद्धि होती है।
वर्ष 2010 में ला नीना
- वर्ष 2010 में ला नीना की घटना के कारण ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में भयंकर बाढ़ की स्थिति देखी गई।
- इस घटना के दौरान 10,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया एवं इस आपदा से 2 बिलियन डॉलर से अधिक की हानि का अनुमान लगाया गया था।
ENSO एवं भारत
- अल नीनो: प्रबल अल नीनो घटनाएँ कमज़ोर मानसून की स्थिति को दर्शाती है, इसकी वजह से भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है।
- ला नीना: अल नीनो की ठंडी हवाओं की तुलना में ला नीना की ठंडी हवाएँ भारत के एक बड़े हिस्से में व्याप्त होती हैं।
- ‘ला नीना वर्ष’ के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया में ‘विशेषकर उत्तर-पश्चिम भारत एवं बांग्लादेश में’ ग्रीष्म मानसून से संबंधित वर्षा सामान्य से अधिक होती है।
- सामान्यतः यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये लाभदायक होती है, जो कि कृषि एवं उद्योग के लिये मानसून पर निर्भर होती है।
- सामान्यतः इसके कारण भारत में सामान्य से अधिक सर्दी पड़ती है।
- ला नीना की घटना साइबेरिया एवं दक्षिण चीन से आने वाली ठंडी हवाओं के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप को प्रभावित करता है, जो उष्णकटिबंधीय वायु के साथ मिलकर उत्तर-दक्षिण निम्न दाब तंत्र का निर्माण करती है।
- उत्तर-दक्षिण निम्न दाब क्षेत्र से संबंधित ला नीना की ठंडी हवाएँ भारत में दक्षिण की ओर विस्तारित होती हैं।
- उल्लेखनीय रूप से अल नीनो से संबंधित ठंडी हवाओं के उत्तर-पश्चिमी दक्षिण पूर्वी प्रस्फोट से भिन्न है।
- उत्तर-दक्षिण की ओर दाब पैटर्न का अर्थ पश्चिमी विक्षोभ का अल्प प्रभाव है।
- निम्न तापमान अधिक-से-अधिक तमिलनाडु तक पहुँच सकता है, लेकिन उत्तर-पूर्व क्षेत्र को इतना अधिक प्रभावित नहीं कर सकता है।