चालुक्यकालीन स्थापत्य
- बादामी के चालुक्यों की कला की शुरुआत ऐहोल से है, जबकि चरमोत्कर्ष बादामी और पट्टदकल में दिखता है।
- यह नागर और द्रविड़ शैली की विशेषताओं से युक्त बेसर शैली है।
- यहाँ के मंदिरों में चट्टानों को काटकर संयुक्त कक्ष और विशेष ढाँचे वाले मंदिरों का निर्माण देखने को मिलता है।
- ऐहोल में 70 से अधिक मंदिर हैं जिनमें रविकीर्ति द्वारा बनवाया गया मेगुती जैन मंदिर तथा लाड़ खाँ का सूर्य मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं।
- बादामी के गुफा मंदिरों में खंभों वाला बरामदा, मेहराब युक्त कक्ष, छोटा गर्भगृह और उनकी गहराई प्रमुख है।
- बादामी में मिली चार गुफाएँ शिव, विष्णु, विष्णु अवतार व जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ से संबंधित हैं।
- बादामी के भूतनाथ, मल्लिकार्जुन और येल्लमा के मंदिरों के स्थापत्य को सराहना मिली है।
- पट्टदकल के विरूपाक्ष मंदिर का स्थापत्य अति विशिष्ट है। इसके अलावा यहाँ के मंदिरों में संगमेश्वर, पापनाथ आदि हैं।
- पट्टदकल के मंदिरों में चालुक्यकालीन स्थापत्य पूरे निखार पर है इसलिये इन्हें यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
×