गुजरात का स्थापत्य
- गुजरात के स्थापत्य को सोलंकी उपशैली, चालुक्य उपशैली या मंडोवार उपशैली भी कहा जाता है।
- इसके तहत हिन्दू मंदिरों के साथ-साथ जैन मंदिरों का भी निर्माण हुआ।
- अर्द्ध-गोलाकार पीठ और ‘मंडोवार’ गुजरात उपशैली की पहचान विशेषता हैं।
- वह अर्द्ध-गोलाकार संरचना जिसकी वजह से छत-शिखर अलग-अलग दिखता है, उसे मंडोवार कहते हैं।
- माउंट आबू का आदिनाथ मंदिर, तेजपाल मंदिर, पालिताना के सैकड़ों मंदिर, सोमनाथ मंदिर, मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर आदि इस शैली के प्रमुख उदाहरण हैं।
- माउंट आबू पर बने कई मंदिरों में संगमरमर के दो मंदिर हैं- दिलवाड़ा का जैन मंदिर तथा तेजपाल मंदिर (अर्बुदगिरी के बगल में)।
- कुंभरिया के पार्श्वनाथ मंदिर में भी राजस्थान के मकरान से उपलब्ध काले और सपेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।
- माउंट आबू के मंदिरों का निर्माण सोलंकी शासक भीम सिंह प्रथम के मंत्री दंडनायक विमल ने करवाया था, इसी कारण इसे विमलबसाही मंदिर भी कहते हैं।
- सोमनाथ मंदिर को सोलंकी शासकों की देन न मानकर गुर्जर-प्रतिहारों की देन माना जाता है।
×