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शासन व्यवस्था

गैर-राज्य अभिकर्ता (Non State Actors – NSA)

  • 05 Sep 2018
  • 7 min read

क्या होता है गैर-राज्य अभिकर्ता?

  • गैर-राज्य अभिकर्ता वे व्यक्ति या संगठन हैं, जो किसी देश या राज्य विशेष से संबद्ध नहीं होते हैं, किंतु उनका महत्त्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव होता है।
  • गैर-राज्य अभिकर्ता (एनएसए) वे संगठन हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भागीदारी करते हैं या उनमें अपनी भूमिका निभाते हैं। ये ऐसे संगठन होते हैं, जिनके पास किसी परिवर्तन को लाने या उसे प्रभावित करने के लिये पर्याप्त शक्ति होती है। यद्यपि वे राज्य की किसी स्थापित संस्था से संबंध नहीं रखते हैं।
  • सामान्यतया उनके पास शक्तिशाली आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक शक्ति होती है और वे राष्ट्रीय या कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालने में भी सक्षम होते हैं।

राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं में अंतर

  • एक ‘राज्य’ को ऐसी भौगोलिक इकाई के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी अपने अधिकार क्षेत्र के ऊपर संप्रभुता होती है। एक राज्य के पास किसी प्रकार की एकल मान्यता प्राप्त सरकार होती है।
  • राज्य में वह सब सम्मिलित होता है, जिन्हें हम पारंपरिक रूप से राज्य या राष्ट्र-राज्यों के बीच परस्पर संबंधों के रूप में जानते हैं, जैसे– औपचारिक युद्ध, कूटनीति, मित्रता, व्यापार समझौता इत्यादि।
  • गैर-राज्य अभिकर्ताओं के अंतर्गत वे संस्थाएँ आती हैं जिनके पास औपचारिक अधिकार क्षेत्र या सरकार कहलाने योग्य कुछ नहीं होता है, लेकिन फिर भी वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालती हैं, जैसे– गैर-सरकारी संगठन, संयुक्त राष्ट्र, नाटो, यूरोपीय संघ और आतंकवादी संगठन भी।

गैर-राज्य अभिकर्ताओं के प्रकार

इन्हें निम्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता हैः

  • गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ): मुख्यतः ये नागरिक समाज का हिस्सा माने जाते हैं और सामान्य तौर पर विकासात्मक कार्यों में संलग्न होते हैं। उदाहरण के लिये: ऑक्सफैम (OXFAM) इत्यादि।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs): ये मुख्यतः कॉरपोरेट इकाइयाँ होती हैं, जो लाभार्थ संगठन होते हैं और अनेक संप्रभु राज्यों में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिये कोका कोला, माइक्रोसॉफ्ट इत्यादि।
  • अंतर्राष्ट्रीय मीडिया: जिनकी अधिकांश राष्ट्रों में उपस्थिति हो, जैसे– बीबीसी, सीएनएन इत्यादि।
  • धार्मिक समूह: ये धार्मिक संप्रदाय होते हैं, जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे धार्मिक पक्षसमर्थन समूहों के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिये धर्मार्थ मिशनरी इत्यादि।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी समुदाय: जातीय या राष्ट्रीय समुदाय, जो प्रचारक समूहों के रूप में कार्य करते हैं और अपने वास्तविक या वर्तमान क्षेत्र पर दबाव डालने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिये ‘संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत व्यापार परिषद्’ (US-India Business Ciuncil) इत्यादि।
  • अंतर्सरकारी (IGO): राज्यों से जुड़े हुए ऐसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन हैं जो समान समस्याओं को हल करने के लिये बनाए गए हैं, उदाहरण के लिये- संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, आसियान इत्यादि।
  • हिंसक गैर-राज्य अभिकर्ता: सशस्त्र समूह, आईएसआईएस आतंकी संगठन या ड्रग तस्कर समूह इत्यादि।

हिंसक गैर-राज्य अभिकर्ता (Violent non-state actors -VNSA)

  • इनमें ऐसे संगठन सम्मिलित होते हैं, जो अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिये अवैध मार्ग, हिंसा (यानी राज्य द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकृत न की गई हिंसा) का प्रयोग करते हैं, उदाहरण के लिये आतंकवादी संगठन, सशस्त्र विद्रोही समूह आदि।
  • वीएनएसए अक्सर अस्थिरता पैदा करने वाली भूमिका अदा करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये मानवीय और राजनीतिक संकट खड़ा करते हैं।
  • वीएनएसए पारंपरिक वेस्टफेलियन राज्य प्रणाली से दो प्रकार से विचलन दर्शाते हैं: राज्य शासन के लिये विकल्प प्रदान करके और हिंसा पर राज्य के एकाधिकार को चुनौती देकर।
  • वीएनएसए ज्यादातर राज्य के खराब शासन से उत्पन्न होते हैं और बाद में राज्य के शासन को और कमजोर बनाते हैं।

भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौती के रूप में गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका

  • भारत में, जो घरेलू गैर-राज्य अभिकर्ता भारत की सुरक्षा के लिये खतरा हैं, वे हैं: नक्सलवादी, पूर्वोत्तर उग्रवादी, ड्रग और हथियार तस्कर और हवाला व्यापारी।
  • हालाँकि, भारत को भारत से बाहर आधारित एनएसए द्वारा गंभीर सुरक्षा खतरे झेलने पड़ते हैं। लश्कर-ए-तैयबा, जेइएम जैसे अधिकांश आतंकवादी संगठन, जो पाकिस्तान से संचालित होते हैं, राज्य एजेंसियों द्वारा समर्थित होते हैं और भारत में विभिन्न आतंकी हमलों में संलग्न होते हैं।
  • कुछ एनजीओ पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), हवाला और अन्य आर्थिक अपराधों में संलग्न होने की वजह से नजर रखी गई है, जो भारत को कमजोर करने के लिये छद्म आर्थिक युद्ध का प्रयोग करते हैं।
  • मुख्य सरकारी अधिष्ठानों पर गैर-राज्य अभिकर्ताओं के लगातार साइबर हमले आजकल बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में उभर रहे हैं।
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