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बिगनर्स के लिये सुझाव


कॉलेज विद्यार्थियों के लिये टिप्स

  • 04 Oct 2018
  • 23 min read

अगर अभी आप ग्रैजुएशन कर रहे हैं या उसमें प्रवेश लेने वाले हैं और आपने निश्चय कर लिया है कि आपको आगे चलकर आई.ए.एस. या आई.पी.एस. जैसी किसी सेवा में अपना कॅरियर बनाना है तो आपके लिये निम्नलिखित सुझाव कारगर हो सकते हैं-

1) ग्रैजुएशन के लिये उपयुक्त विषय चुनें

  • 12वीं कक्षा के बाद विद्यार्थियों के सामने एक मुश्किल सवाल यह होता है कि वे आगे की पढ़ाई के लिये कौन सा विषय-समूह चुनें? कुछ हद तक यह फैसला 11वीं कक्षा में हो चुका होता है क्योंकि अगर आपने उस समय कॉमर्स स्ट्रीम का चयन किया था तो ग्रैजुएशन में आप इंजीनियरिंग में नहीं जा सकते। फिर भी, कुछ मात्रा में विषय चयन की सम्भावना ग्रैजुएशन में भी रहती है; विशेष रूप से तब जब आपको आर्ट्स के विषयों के साथ आगे की पढ़ाई करनी हो।

  • पहली बात; अगर आपका सपना आई.ए.एस. बनने (या किसी और सिविल सेवा जैसे आई.पी.एस. में जाने) का है तो यह ज़रूरी नहीं है कि आप ग्रैजुएशन से ही उसके अनुरूप विषयों का चयन करें। बेहतर होगा कि आप एक वैकल्पिक कॅरियर को ध्यान में रखकर अपने विषय चुनें। उदाहरण के लिये, अगर आप नॉन-मैडिकल स्ट्रीम के विद्यार्थी रहे हैं और आपको विज्ञान पढ़ना अच्छा लगता है तो बेहतर होगा कि आप इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करें। इसी तरह, मैडिकल स्ट्रीम के विद्यार्थी की पहली कोशिश यही होनी चाहिये कि वह डॉक्टर बनने के लिये मैडिकल एंट्रेंस टेस्ट में सफल हो। आई.ए.एस. की तैयारी इनमें से किसी भी कोर्स के साथ या ग्रैजुएशन के बाद आसानी से की जा सकती है।

  • फिर भी, यदि आपने ठान ही लिया है कि आपको सिर्फ और सिर्फ सिविल सेवा परीक्षा को ध्यान में रखकर ग्रैजुएशन के विषयों का चयन करना है और किसी वैकल्पिक कॅरियर पर ध्यान नहीं देना है तो बेहतर होगा कि आप आर्ट्स के विषय चुनें। आर्ट्स के विषयों में भी प्राथमिकता भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र तथा राजनीति-शास्त्र को दी जानी चाहिये। ये सभी विषय सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम में बड़ा हिस्सा रखते हैं। अगर आप इन्हें शुरू से पढ़ेंगे तो निस्संदेह तैयारी के अंतिम दौर में सहजता महसूस करेंगे।

2) तैयारी शुरू करने का सही समय चुनें

  • सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी बहुत धैर्य और ठहराव की मांग करती है। इसलिये, इसकी शुरुआत हड़बड़ी में नहीं बल्कि ठोस योजना के साथ करें।

  • कॉलेज जीवन के शुरुआती दिनों में यह ज़रूरी नहीं है कि आप इस परीक्षा की तैयारी के प्रति अत्यंत गंभीर हो जाएँ। बेहतर होगा कि कॉलेज के पहले एक-दो वर्षों में आप कॉलेज की पढ़ाई और सहपाठ्य गतिविधियों पर फोकस करें। इस दौरान आप ज़्यादा से ज़्यादा यह कर सकते हैं कि अख़बार/पत्रिकाएँ पढ़ने और रोज़ाना कुछ न कुछ लेखन-अभ्यास करने की आदत डाल लें। 

  • कॉलेज के अंतिम वर्ष से आप गंभीर तैयारी की शुरुआत कर सकते हैं। कोशिश करनी चाहिये कि इस वर्ष में आप उन एन.सी.ई.आर.टी. पुस्तकों को पढ़ लें जो तैयारी के लिये सहायक हैं। ग्रैजुएशन के बाद आपको उन पुस्तकों पर आना चाहिये जो विशेष रूप से इस परीक्षा के लिये पढ़े जाने की अपेक्षा है।

  • फिर भी, अगर आप ग्रैजुएशन खत्म होने तक इस परीक्षा की तैयारी शुरू नहीं कर पाते हैं तो बिल्कुल तनाव न लें। आप जब भी गंभीरता से पढ़ना शुरू करेंगे, लगभग डेढ़ वर्षों में तैयारी पूरी कर लेंगे।

3) सह-पाठ्य गतिविधियों में भाग लें

  • सिविल सेवा परीक्षा ज्ञान से अधिक व्यक्तित्व की परीक्षा है और व्यक्तित्व विकसित करने के लिये किताबें पढ़ना काफी नहीं है। व्यक्तित्व का विकास भिन्न-भिन्न तथा जटिल परिस्थितियों का सामना करने से होता है। इसलिये, कॉलेज की पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को चाहिये कि वे ज़्यादा से ज़्यादा सह-पाठ्य गतिविधियों में हिस्सा लें। कम से कम पहले दो वर्षों में तो आपको सह-पाठ्य गतिविधियों में भाग लेना ही चाहिये। ग्रैजुएशन के अंतिम वर्ष से चाहें तो आप इस परीक्षा की तैयारी में पूरे मनोयोग से जुट सकते हैं।

  • सह-पाठ्य गतिविधियाँ कई तरह की होती हैं। बेहतर होगा कि आप उनमें भाग लें जो आपकी शारीरिक-मानसिक क्षमताओं का खूब विकास करें। उदाहरण के तौर पर, अगर आप डिबेट (वाद-विवाद) प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे तो आपकी तर्क-क्षमता और अभिव्यक्ति-क्षमता में इज़ाफा होगा जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में खूब काम आएगा। मंच की किसी भी प्रतियोगिता या गतिविधि में उतरेंगे तो आत्मविश्वास बढ़ेगा। किसी टीम वाले खेल (जैसे क्रिकेट या फुटबॉल) में हाथ आज़माएंगे तो शारीरिक लाभ के साथ-साथ टीम मैनेजमेंट और लीडरशिप के गुर भी समझ आएंगे। सबसे अच्छा यह होगा कि आप डिबेट जैसी एक मंचीय गतिविधि में जमकर भाग लें और किसी एक टीम स्पोर्ट (जैसे क्रिकेट) में थोड़ा बहुत समय गुज़ारें।

4) एन.सी.ई.आर.टी. पुस्तकों से तैयारी की शुरुआत करें 

  • आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का कम से कम 25-30 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जो एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों को गहराई से पढ़ने पर तैयार हो जाता है। इसलिये, जब भी आप इस परीक्षा की तैयारी शुरू करें तो पहले चरण के रूप में एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों को पढ़ें।

  • आपके मन में यह दुविधा हो सकती है कि आपको एन.सी.ई.आर.टी. की किन कक्षाओं तथा किन विषयों की पुस्तकें पढ़नी हैं। इसके समाधान के लिये नीचे उपयोगी पुस्तकों की सूची दी जा रही है-
    1) भूगोल: कक्षा 6 से 12 तक एन.सी.ई.आर.टी. की नई पुस्तक ( विश्व के भूगोल के लिये कक्षा 6 से 8 तक की एन.सी.ई.आर.टी. की पुरानी पुस्तक भी पढ़ें)
    2) इतिहास: कक्षा 6 से 12 तक एन.सी.ई.आर.टी. की नई पुस्तक। इनको पढ़ने के बाद प्राचीन भारत (रामशरण शर्मा), मध्यकालीन भारत (सतीश चंद्रा) एवं आधुनिक भारत (विपिन चंद्रा) की कक्षा 11 एवं 12 की पुरानी एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें भी पढ़नी चाहियें।
    3) विज्ञान: कक्षा 6 से 10 तक एन.सी.ई.आर.टी. की नई पुस्तक। इनके अलावा, कक्षा 11 की जीव विज्ञान तथा कक्षा 12 की जीव विज्ञान (अंतिम 4 अध्याय) भी अवश्य पढ़ें ।
    4) अर्थव्यवस्था - कक्षा 9 से 12 तक एन.सी.ई.आर.टी. नई पुस्तक।
    5) राजव्यवस्था – कक्षा 11 और 12 की एन.सी.ई.आर.टी. की नई पुस्तक। इनके अलावा, कक्षा 11 (राजनीतिक सिद्धांत) एवं 12 (भारत में लोकतंत्र : मुद्दे एवं चुनौतियाँ) की एन.सी.ई.आर.टी. पुरानी पुस्तक भी पढ़ सकते हैं।
    6) सामाजिक-राजनीतिक जीवन – कक्षा 6 से 10 तक एन.सी.ई.आर.टी. की नई पुस्तक।

  • आपने एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें गहराई से पढ़ीं या नहीं; इसका मूल्यांकन करने का एक आसान अवसर आपको इसी वेबसाइट पर उपलब्ध है। अगर आप ‘प्रारंभिक परिक्षा के 'प्रैक्टिस टेस्ट' वाली टैब को क्लिक करेंगे तो आपको उसमें ‘एन.सी.ई.आर.टी. टेस्ट’ शीर्षक की एक सब-टैब दिखेगी। उसमें जाने पर आपको लगभग हर कक्षा और उसके हर विषय का लिंक दिखाई देगा। आपने जो पुस्तक पढ़ ली है, आप उसी लिंक पर जाइये। हमने हर पुस्तक के गहन अध्ययन के आधार पर काफी सारे प्रश्न तैयार किये हैं जिन्हें हल करके आप अपनी तैयारी का सटीक मूल्यांकन कर सकते हैं। ये प्रश्न और इनके व्याख्या-सहित-उत्तर इस तरह तैयार किये गए हैं कि उन्हीं के माध्यम से आप पूरी पुस्तक को रिवाइज़ कर सकें।

5) लेखन शैली का विकास करें

  • सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अंततः अच्छी लेखन शैली से तय होती है और अच्छी लेखन शैली का विकास निरंतर अभ्यास से लंबी अवधि में होता है। अगर आप कॉलेज जीवन की शुरुआत से ही लेखन अभ्यास शुरू कर देंगे तो ग्रैजुएशन पूरी होने तक आपकी लेखन शैली परिपक्वता के उस स्तर को ज़रूर छू लेगी जिसकी अपेक्षा इस परीक्षा में की जाती है।

  • लेखन शैली को विकसित करने के लिए आप कई आसान उपाय अपना सकते हैं। सबसे आसान उपाय यह है कि आप किसी अख़बार या पत्रिका में प्रकाशित1000-1500 शब्दों का कोई लेख ध्यान से पढ़ें और फिर लगभग 250-300 शब्दों में उसका सार लिखें। इस अभ्यास से आपकी लेखन शैली के साथ-साथ संक्षेपण-कौशल में भी सुधार होगा जो इस परीक्षा में प्रभावी भूमिका निभाता है।

  • दूसरा तरीका है कि आप हर सप्ताह किसी विषय पर 1000 शब्दों में निबंध लिखने का अभ्यास करें। निबंध लेखन के अभ्यास से न सिर्फ आप निबंध के प्रश्नपत्र में अच्छे अंक ला सकेंगे बल्कि आपकी विश्लेषणात्मक व रचनात्मक चिंतन की क्षमता भी बढ़ेगी।निबंध के विषयों के लिये आप सिविल सेवा परीक्षा के पुराने प्रश्नपत्र देख सकते हैं। दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' में हर माह निबंध प्रतियोगिता के लिये एक विषय दिया जाता है। आप चाहें तो उस प्रतियोगिता में भी भाग ले सकते हैं।

  • लेखन शैली की उत्कृष्टता बहुत हद तक आपके शब्द-चयन पर निर्भर करती है, इसलिये आपको अपना शब्द-संसार समृद्ध करने के लिये प्रयासरत रहना चाहिये। इसका सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि आप नई-नई किताबें व पत्रिकाएँ पढ़ें और जहाँ कहीं भी कोई नया शब्द मिले, उसे नोट कर लें। इन नोट किये हुए शब्दों को दो-चार बार आपको यत्नपूर्वक प्रयोग में लाना पड़ेगा, फिर ये आपके शब्द-संसार में सहज रूप से शामिल हो जाएंगे।

  • इसके अलावा, आप एक काम और कर सकते हैं। जब भी आपको कोई प्रभावशाली कविता, सूक्ति या कथन मिले; उसे एक डायरी में नोट करते चलें। लेखन-शैली का चमत्कार काफी हद तक इस बात पर भी टिका होता है कि आप प्रभावशाली कथनों का सटीक प्रयोग कर पाते हैं या नहीं। अभी से यह अभ्यास शुरू कर देंगे तो सिविल सेवा परीक्षा में बैठने से पहले आपकी भाषा निस्संदेह धारदार हो जाएगी।

6) रुचियाँ विकसित करें

  • शायद आपको पता ही होगा कि सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा के ऐप्लिकेशन फॉर्म में उम्मीदवार को एक कॉलम भरना होता है जिसमें उसकी रुचियाँ (हॉबीज़) पूछी जाती हैं। आमतौर पर इंटरव्यू में लगभग हर उम्मीदवार से उसकी रुचियों से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। किसी-किसी इंटरव्यू में तो बातचीत का अधिकांश हिस्सा उम्मीदवार की रुचियों पर केंद्रित रहता है। 

  • अधिकांश उम्मीदवार इस कॉलम को लेकर बहुत पसोपेश में रहते हैं कि वे इसमें क्या लिखें? समस्या यह है कि बहुत से उम्मीदवारों की सचमुच ऐसी कोई रुचि नहीं होती कि वे उसे लिख सकें और उससे जुड़े प्रश्नों के जवाब आसानी से दे सकें। उन्होंने बचपन से सिर्फ पढ़ाई ही गंभीरता से की होती है। किसी अन्य गतिविधि में या तो उन्हें रुचि रही नहीं होती; या उनके माता-पिता/अध्यापकों ने उस पर ध्यान देने का मौका नहीं दिया होता। इस समस्या से मुक्ति का सबसे अच्छा उपाय यही है कि समय रहते कुछ रुचियों का विकास किया जाए। यह सिर्फ सिविल सेवक बनने के लिये ज़रूरी नहीं है बल्कि एक सहज और जीवंत व्यक्ति बनने व बने रहने के लिये भी ज़रूरी है।

  • अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आपको कैसी रुचियाँ विकसित करनी चाहियें? इस बारे में प्राथमिक सुझाव यही है कि आपकी जिस कार्य में स्वाभाविक रुचि हो, आप उसी को विकसित करें। अगर आपको क्रिकेट या शतरंज खेलना अच्छा लगता है, या अगर आपका मन कविताएँ और कहानियाँ लिखने में रमता है तो आप इन्हीं रुचियों पर कुछ वक़्त गुज़ारिये। पेंटिंग, नृत्य, पर्यटन, डिबेटिंग, रचनात्मक लेखन, ब्लॉगिंग, योग-ध्यान, साइक्लिंग, फिल्में देखना - आप इनमें से कोई भी या इनसे अलग कोई रुचि अपने स्वभाव के अनुसार तय कर सकते हैं। इसके बाद भी अगर आप रुचियों के निर्धारण के बारे में और जानना चाहें तो कृपया इसी वेबसाइट पर ‘मुख्य परीक्षा'  टैब में 'रणनीति' के अंतर्गत ‘मुख्य परीक्षा का फॉर्म कैसे भरें’ लिंक को क्लिक करें।

  • आपको अभी से इंटरव्यू के लिये रुचि की तैयारी नहीं करनी है। वह तैयारी तो इंटरव्यू से कुछ रोज़ पहले हो ही जाएगी। अभी तो आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने स्वभाव के अनुसार एक-दो रुचियाँ चुनकर उन पर अपना खाली समय गुज़ारना शुरू कर दें ताकि आपका मन भी बहलता रहे और आप अपनी रुचि के क्षेत्र के बारे में बुनियादी बातें भी समझने लगें।

  • दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' में प्रायः हर महीने किसी न किसी लोकप्रिय रुचि से संबंधित प्रश्नों और उनके आदर्श उत्तरों का संकलन प्रकाशित किया जाता है। अगर आप चाहें तो इस पत्रिका की मदद भी ले सकते हैं।

7) आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ें/देखें

  • आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ने या देखने से नए उम्मीदवारों को प्रेरणा मिलती है और तैयारी से जुड़े कई पक्षों पर उनकी समझ स्पष्ट हो जाती है। इसलिये, आपको चाहिये कि ज़्यादा से ज़्यादा टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ें और देखें।

  • आप आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू किसी पत्रिका या वेबसाइट में देख सकते हैं। दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' में हर माह किसी न किसी आई.ए.एस. या पी.सी.एस. टॉपर का विस्तृत इंटरव्यू छपता है। इसके अलावा, आप इस वेबसाइट पर भी ‘एचीवर्स कॉर्नर’ टैब पर क्लिक करके आई.ए.एस./पी.सी.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ सकते हैं। इस वेबसाइट पर टॉपर्स के वीडियो इंटरव्यूज़ भी उपलब्ध है, आप जब चाहे उन्हें भी देख सकते हैं।

  • एक बात का ध्यान रखें। हर टॉपर की सफलता के मूल में कुछ ऐसे सूत्र होते हैं जो आपके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाते हैं। इसलिये, आपको किसी टॉपर का अंध-अनुकरण नहीं करना है। उसकी राय पढ़िये/सुनिये, फिर अपने दिमाग से उस राय का विश्लेषण-मूल्यांकन कीजिये और उतनी ही बातें आत्मसात कीजिये जितनी आपको ठीक लगती हैं। उदाहरण के लिये, कोई टॉपर कह सकता है कि वह रात भर पढ़ता था और दिन में सोता था। हो सकता है कि यह दिनचर्या उसके लिये सहज रही हो पर आपके लिये सहज न हो। अतः टॉपर्स की वही राय मानिये जो आपके व्यक्तित्व के अनुकूल हो। इसी तरह, कोई टॉपर कह सकता है कि हर रोज़ तीन-चार विषय एक साथ पढ़ने चाहियें जबकि हो सकता है कि आपकी सहजता एक बार में एक विषय पढ़ने में हो। ऐसी स्थिति में भी आपको अपने स्वभाव के अनुसार ही टॉपर की सलाह माननी चाहिये।

8) अख़बार तथा पत्रिकाएँ पढ़ने में रुचि विकसित करें

  • सिविल सेवा परीक्षा में करेंट अफेयर्स की भूमिका बहुत अधिक है। मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के पेपर में लगभग आधे प्रश्न किसी न किसी रूप में करेंट अफेयर्स से जुड़े होते हैं। इसलिये, इस परीक्षा में वे लोग बेहतर साबित होते हैं जिनकी अख़बार तथा पत्रिकाएँ पढ़ने में स्वाभाविक रुचि रही होती है।

  • सबसे पहले, यह ज़रूरी है कि आप सही अख़बारों और पत्रिकाओं को चुनें। इस परीक्षा के लिये सबसे अच्छा अख़बार 'द हिन्दू' माना जाता है पर एक तो वह सिर्फ अंग्रेज़ी में उपलब्ध है, और दूसरे, उसकी भाषा बहुत आसान नहीं है। इसलिये हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को 'द हिन्दू' पढ़ने का दबाव नहीं लेना चाहिये। हाँ, अगर अंग्रेज़ी पर आपकी मज़बूत पकड़ है और 'द हिन्दू' पढ़ने में आप सहज हैं तो आपको निस्संदेह वही पढ़ना चाहिये। उसके अलावा, अंग्रेज़ी में 'इंडियन एक्सप्रेस' और हिंदी में 'हिंदुस्तान' तथा 'दैनिक जागरण' (राष्ट्रीय संस्करण) से भी मदद ली जा सकती है। कॉलेज जीवन के दौरान आप इनमें से कोई एक अख़बार देखते रहें, इतना ही काफी है।

  • अख़बार पढ़ते हुए दूसरी समस्या यह आती है कि उसमें क्या पढ़ें और क्या छोड़ें? कॉलेज के विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सिर्फ राजनीतिक समाचार न पढ़ें बल्कि आर्थिक, सामाजिक, खेल संबंधी और अंतर्राष्ट्रीय समाचार भी पढ़ने और समझने की कोशिश करें। संपादकीय पृष्ठ पर ज़्यादा ध्यान दें। संपादकीय पृष्ठ पर बाईं तरफ दो या तीन छोटे-छोटे लेख (टिप्पणी के आकार में) छपते हैं। इन्हें ही संपादकीय कहा जाता है। उनकी दाईं ओर कुछ बड़े लेख छपते हैं जिनमें कोई विशेषज्ञ किसी ख़ास मुद्दे का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। सिविल सेवा के उम्मीदवार से अपेक्षा होती है कि वह संपादकीयों तथा लेखों में किये गए विश्लेषण के स्तर तक पहुँचे। 

  • अगर आपके पास रोज़ाना अख़बार पढ़ने का समय या धैर्य न हो तो आप उसकी भरपाई एक अच्छी मासिक पत्रिका पढ़कर कर सकते हैं। वैसे, मासिक पत्रिका उनके लिये भी ज़रूरी है जो रोज़ अख़बार पढ़ते हैं क्योंकि पत्रिका के माध्यम से उनकी पूरे महीने के अख़बारों की रिवीज़न हो जाती है। अच्छी पत्रिकाएँ कई अखबारों का सार निकालकर तैयार की जाती हैं जबकि उम्मीदवार अमूमन एकाध अख़बार ही ठीक से पढ़ पाते हैं। इस दृष्टि से, पत्रिका पढ़ने का एक लाभ यह भी होता है कि जो अख़बार आपने नहीं पढ़े हैं, आपको उनका सार मिल जाता है।

  • मैगज़ीन के तौर पर आप दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' का अध्ययन अभी से शुरू कर सकते हैं। यह पत्रिका सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है।

  • इस वेबसाइट के करेंट अफेयर्स वाले खंड में प्रतिदिन अंग्रेज़ी के अच्छे अख़बारों के कुछ उपयोगी समाचारों तथा लेखों का सार अपडेट किया जाता है। अगर आप अभी से उन्हें पढ़ने की आदत डाल लेंगे तो परीक्षा देने के समय तक करेंट अफेयर्स के एक्सपर्ट बन जाएंगे।

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