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झारखंड में NAFLD के लिये अभियान
चर्चा में क्यों?
राँची झारखंड का पहला ज़िला बनने जा रहा है, जो नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) की जाँच और प्रबंधन के लिये बड़े पैमाने पर अभियान लागू करेगा।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य और कार्यान्वयन:
- राँची में राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (NP-NCD) के अंतर्गत NAFLD के लिये झारखंड का पहला बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग और प्रबंधन अभियान शुरू किया जाएगा।
- यह पहल फैटी लीवर रोग के बढ़ते बोझ से निपटने के लिये शीघ्र पहचान, क्षमता निर्माण और स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने पर केंद्रित है।
- शुभारंभ और महत्त्व:
- यह अभियान 19 अप्रैल 2025 को विश्व लिवर दिवस पर शुरू किया जाएगा।
- दो-चरणीय कार्यान्वयन:
- चरण 1 (अप्रैल-जून 2025):
- उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को लक्षित करता है - जो मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं।
- इसमें 30,000 सामान्य जनसंख्या सदस्यों की स्क्रीनिंग शामिल है।
- चरण 2 (जुलाई-नवंबर 2025):
- राँची ज़िले में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी वयस्कों के लिये स्क्रीनिंग का विस्तार किया गया।
- यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (ILBS), नई दिल्ली तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
- चरण 1 (अप्रैल-जून 2025):
- मोबाइल स्क्रीनिंग वैन:
- फाइब्रो-स्कैन तकनीक से लैस अत्याधुनिक मोबाइल वैन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निःशुल्क जाँच करेंगी।
- प्रत्येक वैन की लागत 1 करोड़ रुपए है और यह उन्नत लिवर स्क्रीनिंग विधियों के माध्यम से सटीक निदान सुनिश्चित करती है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव और शीघ्र पता लगाने की आवश्यकता:
- राँची में लगभग 50% ओपीडी मरीज लीवर से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं।
- औसतन प्रतिदिन 25 रोगियों का निदान किया जाता है, जिनमें से पाँच को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है।
- पिछले वर्ष, यकृत रोग से संबंधित पाँच मौतें दर्ज की गईं, जिससे शीघ्र हस्तक्षेप की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ा।
- डाटा संग्रहण और निगरानी:
- स्क्रीनिंग डाटा को एक ट्रैकिंग सिस्टम में तब तक दर्ज किया जाएगा जब तक कि राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल NAFLD-विशिष्ट रिकॉर्ड को एकीकृत नहीं कर देता।
- कार्यक्रम का उद्देश्य रेफरल प्रणाली को मज़बूत करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीजों को विशेष चिकित्सा देखभाल प्राप्त हो।
- यह पहल राँची को NAFLD प्रबंधन में अग्रणी बनाती है तथा राष्ट्रव्यापी यकृत रोग की रोकथाम और नियंत्रण के लिये एक उदाहरण स्थापित करती है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग
- परिचय: NAFLD एक ऐसी स्थिति है जिसमें शराब के बिना भी लिवर में वसा का संग्रहण हो जाता है।
- इसमें दो प्रकार शामिल हैं: नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFL) और नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH)।
- NAFLD के प्रकार
- NAFL: इसमें लिवर में वसा का निर्माण होने के साथ सूजन या क्षति न्यूनतम या शून्य होती है।
- इससे आमतौर पर लिवर संबंधी जटिलताएँ नहीं होती हैं लेकिन यकृत में वृद्धि के साथ असुविधा हो सकती है।
- NASH: इसमें वसा का निर्माण तथा लिवर की सूजन दोनों ही शामिल हैं, जिससे लिवर क्षतिग्रस्त होने के साथ फाइब्रोसिस (ऐसी स्थिति जिसमें लिवर में स्कार ऊतक की अधिकता हो जाती है) एवं संभावित रूप से सिरोसिस (ऐसी स्थिति जिससे लिवर कैंसर के जोखिम में वृद्धि होती है) की समस्या हो सकती है।
- लक्षण और कारण: NAFLD अक्सर लक्षणहीन होता है लेकिन मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम (चयापचय संबंधी असामान्यताओं का समूह) एवं टाइप 2 मधुमेह जैसी स्थितियाँ इसके जोखिम को बढ़ा देती हैं।
- निदान: NAFLD का निदान चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और NAFL एवं NASH के बीच अंतर करने के लिये रक्त परीक्षण, इमेजिंग तथा यकृत बायोप्सी जैसे परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है।
- उपचार: वजन कम करना, NAFLD के प्रबंधन के लिये महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वसा, सूजन एवं लिवर फाइब्रोसिस (ऐसी स्थिति जिसमें लिवर में स्कार ऊतक की अधिकता हो जाती है) की स्थिति को रोका जा सकता है।
- रोकथाम: स्वस्थ आहार और वजन में संतुलन बनाए रखने से NAFLD को रोकने या प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है। प्रभावित लोगों के लिये स्वस्थ आहार और वजन घटाने की सलाह दी जाती है।

