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उत्तर प्रदेश भारत में शीर्ष इथेनॉल उत्पादक बनने के लिये तैयार
चर्चा में क्यों?
30 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (चीनी उद्योग) संजय भूसरेड्डी ने मीडिया को बताया कि उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष इथेनॉल उत्पादक बनने के लिये तैयार है। राज्य में उद्योग का आकार 12,000 करोड़ रुपए को पार कर गया है।
प्रमुख बिंदु
- अतिरिक्त मुख्य सचिव (चीनी उद्योग) संजय भूसरेड्डी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की इथेनॉल क्षमता 2 अरब लीटर प्रति वर्ष आँकी गई है, जो पाँच साल पहले 240 मिलियन लीटर प्रति वर्ष से लगभग आठ गुना अधिक है। अगले कुछ वर्षों में राज्य की इथेनॉल क्षमता 25 अरब लीटर प्रति वर्ष तक पहुँचने की उम्मीद है।
- उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र की डिस्टिलरीज ने पिछले पाँच वर्षों में राज्य की समग्र इथेनॉल क्षमता को उन्नत करने के लिये लगभग 7,500 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
- राज्य सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और इस क्षेत्र को चीनी बाज़ार की चक्रीय प्रकृति से बचाने के लिये गन्ने की फसल को एक आकर्षक इथेनॉल मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत करने का प्रयास कर रही है।
- संजय भूसरेड्डी ने कहा कि मौजूदा 2022-23 गन्ना पेराई सत्र में, पाँच निजी मिलें चीनी का उत्पादन किये बिना सीधे गन्ने के रस से इथेनॉल का निर्माण करेंगी। इसके अलावा, 71 अन्य मिलें बी-हैवी शीरे (B-heavy molasses) से इथेनॉल का उत्पादन करेंगी।
- इस बीच राज्य का गन्ना क्षेत्र 3 प्रतिशत या 84,000 हेक्टेयर बढ़कर 85 मिलियन हेक्टेयर से अधिक होने का अनुमान है, जबकि चालू सीजन में गन्ने का उत्पादन 2.35 करोड़ मीट्रिक टन होने का अनुमान है। वर्तमान गन्ना पेराई सत्र के दौरान कुल 120 चीनी मिलें- 93 निजी इकाइयाँ, 24 सहकारी इकाइयाँ और तीन उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम इकाइयाँ संचालित होंगी।
- विदित है कि 5 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवार उत्तर प्रदेश गन्ना क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जिसमें चीनी, इथेनॉल, गुड़, बिजली सह उत्पादन, गुड़, खांडसारी (अपरिष्कृत चीनी) आदि इसके उप-उत्पाद पोर्टफोलियो में शामिल हैं। प्रदेश में समेकित वार्षिक गन्ना अर्थव्यवस्था लगभग 50,000 करोड़ रुपए की है।
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गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प कर रही राज्य सरकार
चर्चा में क्यों?
28 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि राज्य सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम के दूसरे चरण (2021-2026 की अवधि के लिये) में, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ाकर गंगा की सहायक नदियों पर उचित सीवरेज बुनियादी ढाँचे के निर्माण में संलग्न है और सर्कुलर वाटर इकॉनमी मॉडल, कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन आदि पर ज़ोर दे रही है।
प्रमुख बिंदु
- जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी निर्देशों के अनुसरण में गंगा के महत्त्व को बहाल करने और इसके संरक्षण एवं बचाव के लिये विभिन्न पहलों के माध्यम से राज्य में महत्त्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।
- उन्होंने बताया कि सितंबर 2022 से दिसंबर 2022 तक केवल चार महीनों में राज्य में कुल आठ परियोजनाएँ पूरी की जाएंगी। इन परियोजनाओं में 59 करोड़ रुपए की लागत से प्रयागराज के नैनी, फाफामऊ और झूंसी क्षेत्रों के लिये 72 एमएलडी क्षमता के तीन एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) शामिल हैं।
- इसी प्रकार कानपुर नगर में 23 करोड़ रुपए की लागत से 160 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का निर्माण, उन्नाव में 102.2 करोड़ रुपए की लागत से 15 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण तथा उन्नाव के शुक्लागंज में 65.18 करोड़ रुपए की लागत से 5 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्शन और डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है।
- इसके अलावा, सुल्तानपुर में 18 करोड़ रुपए की लागत से 17 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्शन और डायवर्सन संरचनाएँ, बुढाना में 48.76 करोड़ रुपए की लागत से 10 एमएलडी क्षमता और जौनपुर में 206 करोड़ रुपए की लागत से 30 एमएलडी क्षमता का निर्माण किया जा रहा है। बागपत में 77.36 करोड़ रुपए की लागत से 14 एमएलडी क्षमता इंटरसेप्शन और डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण कार्य दिसंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा।
- राज्य में अनुमानित सीवेज उत्पादन लगभग 5,500 एमएलडी है, जिसके एक बड़े हिस्से का उपचार राज्य में स्थापित 114 एसटीपी द्वारा किया जाता है, जिसकी कुल क्षमता 3,539.72 एमएलडी है।
- इस अंतर को पाटने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार को कई सीवरेज परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है। परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने राज्य में 11,433.06 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 1,574.24 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के निर्माण के लिये कुल 55 सीवरेज बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
- विदित है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आयोजित लगातार समीक्षा बैठकों के माध्यम से निरंतर निगरानी के कारण उत्तर प्रदेश (कन्नौज से वाराणसी) में बहने वाली गंगा में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) में सुधार देखा गया है।
- वर्ष 2014 और 2022 के दौरान सभी तुलनीय स्थानों (सभी 20 स्थानों) पर स्नान करने के लिये जल गुणवत्ता मानदंड को पूरा किया गया, जहाँ 20 में से 16 जगहों पर DO (डिसोल्व्ड ऑक्सीजन) में सुधार हुआ है, वहीं 20 में से 14 जगहों पर BOD और 20 में से 18 जगहों पर FC में सुधार हुआ है।
- केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि 2014 से पहले प्रयागराज के लिये स्वीकृत कोई भी सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना पूरी नहीं हुई थी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा 42+16+14 एमएलडी क्षमता के तीन एसटीपी को भी मंज़ूरी दी गई थी, ताकि अतिरिक्त अपशिष्ट जल का उपचार किया जा सके।
- एनएमसीजी ने नैनी, सलोरी और राजापुर में मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड करने की एक परियोजना को भी मंज़ूरी दी है। प्रयागराज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एनएमसीजी ने इन दोनों परियोजनाओं को हाइब्रिड वार्षिकी मोड (एचएएम) पर मंज़ूरी दी है।
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