उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश भारत में शीर्ष इथेनॉल उत्पादक बनने के लिये तैयार
चर्चा में क्यों?
30 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (चीनी उद्योग) संजय भूसरेड्डी ने मीडिया को बताया कि उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष इथेनॉल उत्पादक बनने के लिये तैयार है। राज्य में उद्योग का आकार 12,000 करोड़ रुपए को पार कर गया है।
प्रमुख बिंदु
- अतिरिक्त मुख्य सचिव (चीनी उद्योग) संजय भूसरेड्डी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की इथेनॉल क्षमता 2 अरब लीटर प्रति वर्ष आँकी गई है, जो पाँच साल पहले 240 मिलियन लीटर प्रति वर्ष से लगभग आठ गुना अधिक है। अगले कुछ वर्षों में राज्य की इथेनॉल क्षमता 25 अरब लीटर प्रति वर्ष तक पहुँचने की उम्मीद है।
- उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र की डिस्टिलरीज ने पिछले पाँच वर्षों में राज्य की समग्र इथेनॉल क्षमता को उन्नत करने के लिये लगभग 7,500 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
- राज्य सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और इस क्षेत्र को चीनी बाज़ार की चक्रीय प्रकृति से बचाने के लिये गन्ने की फसल को एक आकर्षक इथेनॉल मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत करने का प्रयास कर रही है।
- संजय भूसरेड्डी ने कहा कि मौजूदा 2022-23 गन्ना पेराई सत्र में, पाँच निजी मिलें चीनी का उत्पादन किये बिना सीधे गन्ने के रस से इथेनॉल का निर्माण करेंगी। इसके अलावा, 71 अन्य मिलें बी-हैवी शीरे (B-heavy molasses) से इथेनॉल का उत्पादन करेंगी।
- इस बीच राज्य का गन्ना क्षेत्र 3 प्रतिशत या 84,000 हेक्टेयर बढ़कर 85 मिलियन हेक्टेयर से अधिक होने का अनुमान है, जबकि चालू सीजन में गन्ने का उत्पादन 2.35 करोड़ मीट्रिक टन होने का अनुमान है। वर्तमान गन्ना पेराई सत्र के दौरान कुल 120 चीनी मिलें- 93 निजी इकाइयाँ, 24 सहकारी इकाइयाँ और तीन उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम इकाइयाँ संचालित होंगी।
- विदित है कि 5 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवार उत्तर प्रदेश गन्ना क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जिसमें चीनी, इथेनॉल, गुड़, बिजली सह उत्पादन, गुड़, खांडसारी (अपरिष्कृत चीनी) आदि इसके उप-उत्पाद पोर्टफोलियो में शामिल हैं। प्रदेश में समेकित वार्षिक गन्ना अर्थव्यवस्था लगभग 50,000 करोड़ रुपए की है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प कर रही राज्य सरकार
चर्चा में क्यों?
28 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि राज्य सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम के दूसरे चरण (2021-2026 की अवधि के लिये) में, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ाकर गंगा की सहायक नदियों पर उचित सीवरेज बुनियादी ढाँचे के निर्माण में संलग्न है और सर्कुलर वाटर इकॉनमी मॉडल, कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन आदि पर ज़ोर दे रही है।
प्रमुख बिंदु
- जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी निर्देशों के अनुसरण में गंगा के महत्त्व को बहाल करने और इसके संरक्षण एवं बचाव के लिये विभिन्न पहलों के माध्यम से राज्य में महत्त्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।
- उन्होंने बताया कि सितंबर 2022 से दिसंबर 2022 तक केवल चार महीनों में राज्य में कुल आठ परियोजनाएँ पूरी की जाएंगी। इन परियोजनाओं में 59 करोड़ रुपए की लागत से प्रयागराज के नैनी, फाफामऊ और झूंसी क्षेत्रों के लिये 72 एमएलडी क्षमता के तीन एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) शामिल हैं।
- इसी प्रकार कानपुर नगर में 23 करोड़ रुपए की लागत से 160 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का निर्माण, उन्नाव में 102.2 करोड़ रुपए की लागत से 15 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण तथा उन्नाव के शुक्लागंज में 65.18 करोड़ रुपए की लागत से 5 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्शन और डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है।
- इसके अलावा, सुल्तानपुर में 18 करोड़ रुपए की लागत से 17 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्शन और डायवर्सन संरचनाएँ, बुढाना में 48.76 करोड़ रुपए की लागत से 10 एमएलडी क्षमता और जौनपुर में 206 करोड़ रुपए की लागत से 30 एमएलडी क्षमता का निर्माण किया जा रहा है। बागपत में 77.36 करोड़ रुपए की लागत से 14 एमएलडी क्षमता इंटरसेप्शन और डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण कार्य दिसंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा।
- राज्य में अनुमानित सीवेज उत्पादन लगभग 5,500 एमएलडी है, जिसके एक बड़े हिस्से का उपचार राज्य में स्थापित 114 एसटीपी द्वारा किया जाता है, जिसकी कुल क्षमता 3,539.72 एमएलडी है।
- इस अंतर को पाटने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार को कई सीवरेज परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है। परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने राज्य में 11,433.06 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 1,574.24 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के निर्माण के लिये कुल 55 सीवरेज बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
- विदित है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आयोजित लगातार समीक्षा बैठकों के माध्यम से निरंतर निगरानी के कारण उत्तर प्रदेश (कन्नौज से वाराणसी) में बहने वाली गंगा में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) में सुधार देखा गया है।
- वर्ष 2014 और 2022 के दौरान सभी तुलनीय स्थानों (सभी 20 स्थानों) पर स्नान करने के लिये जल गुणवत्ता मानदंड को पूरा किया गया, जहाँ 20 में से 16 जगहों पर DO (डिसोल्व्ड ऑक्सीजन) में सुधार हुआ है, वहीं 20 में से 14 जगहों पर BOD और 20 में से 18 जगहों पर FC में सुधार हुआ है।
- केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि 2014 से पहले प्रयागराज के लिये स्वीकृत कोई भी सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना पूरी नहीं हुई थी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा 42+16+14 एमएलडी क्षमता के तीन एसटीपी को भी मंज़ूरी दी गई थी, ताकि अतिरिक्त अपशिष्ट जल का उपचार किया जा सके।
- एनएमसीजी ने नैनी, सलोरी और राजापुर में मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड करने की एक परियोजना को भी मंज़ूरी दी है। प्रयागराज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एनएमसीजी ने इन दोनों परियोजनाओं को हाइब्रिड वार्षिकी मोड (एचएएम) पर मंज़ूरी दी है।
बिहार Switch to English
लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा योजना से विधवाओं को मिलेगी 3600 रुपए सालाना पेंशन
चर्चा में क्यों?
30 अक्टूबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में सामाजिक न्याय और समाज कल्याण विभाग द्वारा विधवाओं के आर्थिक संकट को दूर करने की कोशिश में ‘लक्ष्मीबाई सोशल सिक्योरिटी योजना’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- ‘लक्ष्मीबाई सोशल सिक्योरिटी योजना’ का मुख्य उद्देश्य पति की मौत के बाद परिवार चलाने में आने वाली आर्थिक समस्या को दूर करना है। इसके तहत विधवा महिलाओं को हर माह 300 रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है।
- बिहार सरकार की इस योजना का लाभ आर्थिक रूप से कमज़ोर विधवा महिलाएँ ले सकती हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिये सालाना आय 60 हज़ार से कम होनी चाहिये तथा आवेदक के पास BPL कार्ड हो और उसे किसी भी प्रकार की पेंशन न मिल रही हो। इसके लिये आवेदक का स्थायी निवास प्रमाण-पत्र बिहार का हो और नजदीकी पोस्ट ऑफिस में आवेदक का खाता होना अनिवार्य है।
- इस योजना के लिये आवेदक को प्रखंड कार्यालय के लोक सेवा अधिकार काउंटर पर ऑफलाइन आवेदन करना होगा तथा वहाँ से फॉर्म प्राप्त कर ऑफिस में डाक्यूमेंट्स को संलग्न करके जमा करना होगा। फॉर्म के सत्यापन के बाद महिला को आगे की प्रक्रिया और पेंशन की जानकारी दी जाएगी।
राजस्थान Switch to English
जोधपुर में हुआ दो-दिवसीय पश्चिम क्षेत्रीय सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
29-30 अक्टूबर, 2022 को जोधपुर में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी द्वारा ‘कंटेंपररी ज्यूडिशियल डेवलपमेंट एंड स्ट्रेन्थनिंग जस्टिस फॉर लॉ एंड टेक्नॉलॉजी’ विषय पर राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी ऑडिटोरियम में पश्चिम क्षेत्र के पहले दो-दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस सम्मेलन का उद्घाटन 29 अक्टूबर को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया।
- इस सम्मेलन में राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक ए.पी. साही सहित राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
- राज्यपाल कलराज मिश्र ने न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए कहा कि वे न्याय व्यवस्था ही नहीं, बल्कि संविधान से जुड़े कानूनों के भी मुख्य प्रहरी हैं। इस दृष्टि से राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी द्वारा न्यायिक शिक्षा, अनुसंधान और इससे जुड़े नीतिगत विकास के ज़रिये देश में न्याय प्रशासन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से हो रहे कार्य अहम् हैं।
- उन्होंने विशेष अपेक्षा व्यक्त करते हुए देश में न्याय एवं विधि व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के साथ ही आम जन के लिये न्याय को त्वरित एवं और अधिक सुगम तथा प्रभावी बनाने के हेतु बेहतर प्रयासों का आह्वान किया।
- उन्होंने लंबित मुकदमों के बढ़ते बोझ का समाधान खोजने के लिये आधुनिक तकनीकी उपकरणों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने, न्याय तंत्र को व्यापक स्तर पर सुदृढ़ करने, शीर्ष अदालत में मामलों को सूचीबद्ध करने के लिये भी सुव्यवस्थित प्रणाली विकसित किये जाने, देश में आबादी का विस्तार के मद्देनज़र न्याय व्यवस्था के समक्ष बढ़ रही चुनौतियों से निपटने के लिये प्रभावी कार्य करने पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने कहा कि देश की अदालतों में लाखों वाद लंबित हैं। न्याय में विलंब की इस समस्या को दूर करने के लिये बेहतर व्यवस्था कायम करने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बने, जिससे छोटे-मोटे निर्णयों के त्वरित निदान की व्यवस्था से आम जन लाभान्वित हो, इस पर भी अकादमी को कार्य करने की आवश्यकता है।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2022 के लाभार्थियों को विद्युत शुल्क में छूट
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2022 (रिप्स-2022) के लाभार्थियों को विद्युत शुल्क में छूट देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार प्रदेश के आधारभूत विकास में उद्योगों के निवेश का दायरा बढ़ाने के लिये निरंतर प्रयासरत् है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस स्वीकृति से रिप्स-2022 में सम्मिलित इकाइयों को उनके द्वारा उपयोग की गई विद्युत पर लगने वाले विद्युत शुल्क में छूट मिल सकेगी। इकाइयों को उक्त छूट का लाभ रिप्स-2022 स्कीम के नियमानुसार मिल सकेगा।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में उद्योगों के उचित विकास एवं निवेश के लिये बेहतर माहौल उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा हाल ही में रिप्स-2022 योजना शुरू की गई है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मुरैना में आयोजित होगा कृषि मेला
चर्चा में क्यों?
30 अक्टूबर, 2022 को मुरैना पहुँचे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मुरैना ज़िले में नवंबर में तीनदिवसीय कृषि मेले का आयोजन किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनदिवसीय कृषि मेला 11, 12 और 13 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कृषि मेले की तैयारियों को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिये।
- इस कृषि मेले का आयोजन भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि इस कृषि मेले में प्रदेश और देश से विभिन्न प्रकार के स्टार्टअप आएंगे। इसके साथ ही इस मेले में खेती में नई टेक्नोलॉजी की झलक दिखाई जाएगी। इस मेले के माध्यम से अंचल के किसानों को नई टेक्नोलॉजी और उन्नत खेती के बारे में बताया जाएगा।
- यह ग्वालियर-चंबल अंचल के किसानों के लिये एक ऐतिहासिक मेले के रूप में होगा और इससे अंचल के किसानों को काफी लाभ प्राप्त होगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
ग्वालियर ज़िले में अंतर्राष्ट्रीय डांस कार्निवाल की शुरुआत
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले में पाँच दिवसीय उद्भव इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल की शुरुआत हुई। इसमें भारत सहित पाँच देशों से 700 से ज्यादा कलाकार प्रस्तुति देंगे।
प्रमुख बिंदु
- इस अंतर्राष्ट्रीय डांस कार्निवाल में भारत सहित ताईवान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और श्रीलंका की 30 टीमें शामिल हुई हैं।
- ग्वालियर के फूलबाग मैदान से कार्निवाल शुरू हुआ, जिसमें भारत सहित पाँच देशों के कलाकारों ने मार्च निकाला। इस दौरान शहर के चौराहों पर ताईवान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और श्रीलंका के कलाकारों ने अपने देशों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं।
- कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए ताइवान के राजदूत बौशुआन गेर ने कहा कि भारत और ताइवान संस्कृति और शिक्षा के कई कार्यक्रम कर रहे हैं, दोनों देशों के कलाकार एक-दूसरे देशों में जाकर बहुत कुछ सीख रहे हैं और अब कोविड के बाद पहली बार ताईवान की टीम भारत आकर खुश है।
- ताइवानी कलाकरों ने कहा कि भारत की संस्कृति समृद्ध है, वहीं ताइवान के कल्चर से बहुत अलग है, यही वजह है कि भारत में आने के बाद उनको बहुत कुछ सीखने-जानने को मिलेगा।
- कश्मीरी कलाकारों ने कहा कि वो पहली बार ग्वालियर में कश्मीरी लोक संस्कृति की प्रस्तुतियाँ देने आए हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
222 करोड़ में बनेगी भोपाल की सबसे लंबी सिक्स लेन सड़क
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर, कोलार में कोलार तिराहे से गोल जोड़ तक 222 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली भोपाल की सबसे लंबी सिक्स-लेन सीसी सड़क का भूमिपूजन किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस सड़क का निर्माण एक साल में पूरा होगा। इससे कोलार की जनता को ट्रैफिक की समस्या से निजात मिलेगी।
- इस सड़क की लंबाई 15 किमी. व चौड़ाई 0 मीटर (105 फीट) होगी, मार्ग में डिवाइडर के साथ फुटपाथ भी बनाए जाएंगे व मार्ग के बीच पड़ने वाले चौक-चौराहों का सौंदर्यीकरण के साथ आसपास की अतिरिक्त भूमि पर पार्किंग निर्माण कार्य कराया जाएगा।
- यह रोड कोलार की 5 लाख आबादी के लिये उपयोगी होने के साथ ओबैदुल्लागंज, मंडीदीप, सलकनपुर, हरदा, टिमरनी व अन्य जगहों से आने-जाने वाले करीब 5-6 ज़िलों के लोगों के लिये उपयोगी होगी।
- पूरी सड़क पर सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और इन कैमरों को पुलिस कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। सड़क निर्माण के दौरान कई पुल-पुलियों का भी निर्माण कार्य किया जाएगा। 222 करोड़ रुपए की राशि से निर्मित होने वाली इस सड़क से कोलार की ट्रैफिक समस्या में सुधार के साथ ही क्षेत्र की कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी।
हरियाणा Switch to English
आपात स्थिति में हर ज़िले में हेलीपैड सुविधा प्रदान करने वाला हरियाणा बनेगा देश का पहला राज्य
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को राज्य के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में बताया कि भविष्य में युद्ध व आपातकालीन स्थिति में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग सुविधा प्रदान करने के लिये प्रत्येक ज़िले में हेलीपैड बनाने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बनेगा।
प्रमुख बिंदु
- दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राज्य में इस प्रकार का आधारभूत ढाँचा विकसित होने से युद्ध व आपातकालीन स्थिति में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग की जा सकेगी तथा सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस लाइन में हेलीपैड बनने से इन हेलीपैड की सुरक्षा के भी पूरे इंतज़ाम रहेंगे।
- इन हेलीपैड पर रात्रि के समय लैंडिंग करने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसकी भी संपूर्ण व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने लैंडिंग सुविधा के लिये ज़िला पुलिस लाइन में हेलीपैड स्थापित करने की संभावना पर तेज़ी से कार्य करने के निर्देश दिये।
- विदित है कि हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रियों के सम्मेलन में आपात स्थिति से निपटने के लिये देश के हर ज़िले में एक हेलीपैड बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया था। इस दिशा में हरियाणा सरकार ने आश्वस्त करते हुए सर्वप्रथम पहल करने की इच्छा व्यक्त की थी।
- दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और अवधारणाओं को राज्य में लागू करने में सदैव अग्रणी रही है। हर ज़िले में हेलीपैड स्थापित करने के लिये गृह विभाग और पुलिस महानिदेशक को आधारभूत ढाँचा विकसित करने के लिये निर्देश दे दिये गए हैं।
- उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एयरपोर्ट सुरक्षा प्रशिक्षण देने के लिये हरियाणा में संस्थान स्थापित किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को इसके लिये हिसार, सिरसा और पिंजौर में जगह चिह्नित करने के निर्देश दिये, जिससे राज्य के युवाओं के साथ-साथ अन्य राज्यों के युवा भी इस संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। इस संस्थान के बनने से हरियाणा उड्डयन क्षेत्र में और मज़बूत बनेगा।
- दुष्यंत चौटाला ने कहा कि क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत एयर कनेक्टिविटी को मज़बूत करने के लिये अप्रैल 2023 से हिसार से नए मार्ग की पहचान हेतु 7 अन्य राज्यों के साथ समझौता करने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। इस कार्य योजना के सफल होने से प्रदेश के नागरिकों को हवाई यात्रा करने की व्यापक सुविधा मिलेगी।
हरियाणा Switch to English
एनजीटी द्वारा कचरा प्रबंधन को लेकर गठित कमेटी की तीसरी बैठक गुरुग्राम के बंधवाड़ी में आयोजित
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले के बंधवाड़ी मे कचरा प्रबंधन और कचरे का सही ढंग से प्रसंस्करण करने को लेकर राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित कमेटी की तीसरी बैठक आयोजित की गई ।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर जमा कचरे का आकलन वैज्ञानिक तरीके से नए सिरे से करवाया जाएगा तथा इसकी ज़िम्मेदारी हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को दी गई है, जो एक सप्ताह में इस कार्य को पूर्ण करवाएंगे, जिसके हिसाब से इस कचरे के निस्तारण के लिये नगर निगम गुरुग्राम संशोधित एक्शन प्लान तैयार करेगा, जिसमें हर गतिविधि के लिये समय सीमा निर्धारित होगी।
- हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसके सदस्यों में जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के एसीएस विनीत गर्ग, शहरी स्थानीय निकाय के एसीएस अरुण गुप्ता, गुरुग्राम नगर निगम के आयुक्त मुकेश आहुजा, फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त जितेंद्र दहिया, गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव, फरीदाबाद के उपायुक्त विक्रम सिंह तथा सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक शामिल हैं।
- कमेटी की बैठक में बंधवाड़ी में कचरे के सही ढंग से निस्तारण से लेकर वहाँ पर लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट को शुरू करने और विकेंद्रित कचरा प्रसंस्करण, कचरे से निकलने वाले आरडीएफ के निस्तारण, लीगेसी वेस्ट, लिगेसी लीचेट, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने, अग्निशमन के प्रबंध करने आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
- इस बैठक में निर्णय लिया गया कि बंधवाड़ी में जमा पूरे लीगेसी वेस्ट का प्रसंस्करण मार्च 2023 अंत तक पूरा करने के प्रयास किये जाएंगे।
- बैठक में बताया गया कि गुरुग्राम तथा फरीदाबाद ज़िलों में विकेंद्रीकृत कचरा प्रसंस्करण प्रणाली अपनाने पर कार्यवाही चल रही है, जिसके लिये एक स्थान पर कचरा न ले जाकर दोनों शहरों में छोटे-छोटे कचरा प्रसंस्करण प्लांट लगाए जाएंगे। कचरा प्रसंस्करण के लिये सात अलग-अलग प्रसंस्करण साइटों की पहचान की गई है। हर साइट के लिये सॉलिड वेस्ट और लीचेट ट्रीटमेंट की योजना बनाई गई है।
- ज्ञातव्य है कि गुरुग्राम तथा फरीदाबाद, दोनों शहरों से प्रतिदिन लगभग 2000 मीट्रिक टन कचरा आता है।
- बैठक में बताया गया कि बंधवाड़ी में लीचेट ट्रीटमेंट के लिये 200-200 केएलडी क्षमता के दो डीटीआरओ प्लांट संचालित हो रहे हैं तथा इसके अलावा लगभग 150 केएलडी क्षमता का लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट भी 30 नवंबर तक कार्यरत् हो जाएगा। कुल मिलाकर लीचेट ट्रीटमेंट की 550 केएलडी क्षमता हो जाएगी। इसके बाद प्रतिदिन निकलने वाला लीचेट साथ-की-साथ ही शोधित किया जा सकेगा।
- बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी हर सप्ताह लीचेट ट्रीटमेंट को लेकर रिपोर्ट देंगे और जहाँ तक लिगेसी लीचेट का सवाल है, उसे टैंकरों में भरकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी ) पर भेजा जाएगा, जहाँ पर जीएमडीए द्वारा उसके ट्रीटमेंट के लिये डीटीआरओ प्लांट लगवाया जाएगा।
- ये लीचेट वाले टैंकर बंधवाड़ी प्लांट से एसटीपी पर पहुँचे, यह सुनिश्चित करने के लिये पर्यावरणविदों का सहयोग लिया जाएगा और इस लीचेट के सैंपल टेस्ट करने के बाद ही जब इसमें टॉक्सिक पदार्थ निर्धारित मंज़ूरशुदा मात्रा में होंगे, तब ही इसे सीवरेज में डाला जाएगा, अन्यथा नहीं।
- बैठक में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने को लेकर भी चर्चा हुई, जिसमें इकोग्रीन कंपनी की तरफ से बताया गया कि 10 नवंबर से पहले ईपीसी कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर कर लिये जाएंगे तथा इसके बाद 31 दिसंबर, 2022 से पहले प्लांट लगाने का कार्य धरातल पर शुरू कर दिया जाएगा।
झारखंड Switch to English
झारखंड के 22 ज़िलों के 226 प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में राज्य के कृषि विभाग की ग्राउंड ट्रूथिंग रिपोर्ट (ज़मीन आकलन) के आधार पर राज्य के 22 ज़िलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में राज्य के 22 ज़िलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करने के साथ ही सूखा प्रभावित प्रत्येक किसान को 3500 रुपए अग्रिम के रूप में देने का निर्णय लिया गया है।
- इस बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार के इस फैसले से राज्य के करीब 30 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे तथा सूखाग्रस्त घोषित प्रखंडों के सभी प्रभावित किसान परिवारों को यह राशि शीघ्र ही उपलब्ध कराई जाएगी।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे से प्रभावित किसान परिवारों को तत्काल सूखा राहत राशि उपलब्ध कराने में राज्य सरकार लगभग 1200 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
- बैठक में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद तय किया गया कि भारत सरकार से सहयोग के लिये अलग से प्रस्ताव तैयार किया जाएगा और कैबिनेट की बैठक में इस मामले पर सहमति बनाई जाएगी।
- गौरतलब है कि कृषि विभाग ने मुख्यमंत्री के आदेश के बाद राज्य के सभी ज़िलों में खरीफ में सूखे की स्थिति का आकलन कराया था, जिसमें 22 ज़िलों में 226 प्रखंडों में स्थिति खराब पाई गई। इन ज़िलों को सुखाड़ के सभी मानकों के अनुरूप पाया गया है।
- कृषि विभाग के वरीय अधिकारियों की टीम रिपोर्ट के आधार पर इन ज़िलों को सुखाड़ के लायक पाया गया और इसमें 154 प्रखंडों की स्थिति ज़्यादा खतरनाक बताई गई है। 72 प्रखंडों में आंशिक सूखे की स्थिति पाई गई है, जहाँ फसल 50 फीसदी से अधिक नुकसान होने की उम्मीद है, उसको गंभीर नुकसान वाली श्रेणी में रखा गया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री ने 28 ज़िलों में सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों का किया उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
30 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में प्रदेश के 28 ज़िलों में सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और ज़िला अस्पतालों में स्थापित नवीन सिकल सेल प्रबंधन केंद्रों का उद्घाटन करते हुए छत्तीसगढ़ में जल्द ही राष्ट्रीय स्तर के सिकलसेल रिसर्च सेंटर की स्थापना किये जाने की घोषणा की।
- इसके साथ ही प्रदेश के 24 ज़िला अस्पतालों, नौ मेडिकल कॉलेजों तथा राजधानी रायपुर स्थित सिकलसेल संस्थान छत्तीसगढ़ में सिकलसेल की नि:शुल्क जाँच, उपचार और परामर्श की सुविधा उपलब्ध हो गई है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकलसेल की समस्या का प्रभावी रूप से मुकाबला करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा नवीन सिकल सेल प्रबंधन केंद्र की स्थापना की जा रही है। यह केंद्र प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेज अस्पतालों एवं सभी ज़िला चिकित्सालयों में संचालित किये जाएंगे।
- इन केंद्रों में सिकलसेल की जाँच एवं उपचार के साथ अस्पताल की प्रयोगशाला के माध्यम से साल्युबिटी टेस्ट द्वारा स्क्रीनिंग एवं इलेक्ट्रोफोरेसिस तथा नवीन विधि पॉइंट ऑफ केयर (POC) टेस्ट द्वारा पुष्टि हेतु जाँच उपलब्ध कराई जाएगी।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकलसेल जाँच की नवीन विधि पॉइंट ऑफ केयर (POC) टेस्ट काफी आसान है। मितानिनें भी इस विधि से जाँच कर सकती हैं। इस पद्धति से अभियान चलाकर सिकलसेल मरीज़ों की पहचान की जा सकती है।
- मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में सिकलसेल से पीड़ित राजेंद्र नगर रायपुर के सातवर्षीय बालक प्रतिक दास मानिकपुरी और गुढ़ियारी की 17 वर्षीय बालिका ओशिका रामटेके को डिजिटल कार्ड प्रदान कर सिकलसेल से पीड़ित व्यक्तियों को डिजिटल कार्ड वितरण का शुभारंभ किया।
- स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. ने कार्यक्रम में बताया कि अब तक किये गए सर्वे में प्रदेश की दस प्रतिशत आबादी में सिकलसेल वाहक और एक प्रतिशत रोगी पाए गए हैं। सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों में विशेष रूप से उपचार प्राप्त कर रहे प्रत्येक सिकलसेल रोगी की इलेक्ट्रॉनिक एंट्री सिकलसेल संस्थान के पोर्टल में कर सूची संधारित की जाएगी एवं उन्हें नियमित फॉलो-अप एवं दवा लेने हेतु संपर्क किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ Switch to English
समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की सहूलियत के लिये एन्ड्रॉयड ऐप ‘टोकन तुंहर हाथ
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर पंजीकृत किसान को धान विक्रय हेतु टोकन जारी करने की प्रक्रिया के सरलीकरण एवं सुव्यवस्थित प्रबंधन के उद्देश्य से एन.आई.सी. द्वारा एन्ड्रॉयड ऐप ‘टोकन तुंहर हाथ’विकसित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- ‘टोकन तुंहर हाथ’ऐप की सहायता से प्रत्येक पंजीकृत किसान संबंधित उपार्जन केंद्र में स्वयं के द्वारा निर्धारित तिथि में धान विक्रय हेतु टोकन प्राप्त कर सकेंगे। इस ऐप के उपयोग से पंजीकृत किसानों द्वारा संबंधित समिति उपार्जन या उपार्जन कंद्रों में आगामी 7 दिवस तक टोकन प्राप्त किया जा सकता है।
- इस ऐप द्वारा किसान को समिति द्वारा दर्ज किसान की जानकारी पंजीकृत रकबा, बैंक खाता, टोकन एवं धान खरीदी आदि की सभी नवीनतम जानकारियाँ प्राप्त होंगी।
- ऐप के माध्यम से संबंधित समिति या उपार्जन केंद्र में प्रत्येक दिन की खरीदी क्षमता के 30 प्रतिशत की सीमा तक ऑनलाइन टोकन प्राप्त किया जा सकेगा। उक्त सीमा में भी सीमांत, लघु व दीर्घ कृषकों को उनकी पंजीकृत संख्या के अनुपात में टोकन हेतु समान अवसर उपलब्ध होगा।
- संबंधित समिति उपार्जन केंद्र में शेष 70 प्रतिशत खरीदी क्षमता की मात्रा ऑफलाइन टोकन हेतु उपलब्ध रहेंगी, ताकि जो किसान ऐप के माध्यम से टोकन प्राप्त करने में असुविधा महसूस करते हैं, उन्हें पूर्व वर्षों की भाँति समिति मॉड्यूल से टोकन प्राप्त हो सके।
- ऐप के माध्यम से टोकन जारी करने की व्यवस्था पूर्व वर्षों में समिति माड्यूल से टोकन जारी करने की व्यवस्था करने की प्रक्रिया के अलावा अतिरिक्त रूप से की जा रही है। इस प्रकार कृषकों को ऑनलाइन एवं ऑफलाइन, दोनों माध्यमों से टोकन प्राप्त हो सकेगा।
- उक्त ऐप के उपयोग से निम्नलिखित लाभ संभावित हैं-
- समिति/उपार्जन केंद्रों में टोकन प्राप्त करने हेतु किसानों की भीड़ में कमी आएगी।
- किसानों को घर-बैठे धान बेचने हेतु टोकन प्राप्त हो सकेगा, उन्हें समिति, उपार्जन कंद्रों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
- किसानों को अपनी पंजीयन संबंधित जानकारी, जैसे- व्यक्तिगत, भूमिगत/खाता/धान खरीदी एवं भुगतान की जानकारी भी सुगमता से प्राप्त हो सकेगी।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड की 10 महिलाओं को मिलेगा नंदा देवी वीरता सम्मान
चर्चा में क्यों?
30 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की अध्यक्षता में गठित चयन समिति ने वीरता और साहस दिखाने वाली राज्य की 10 महिलाओं को ‘नंदा देवी वीरता सम्मान’प्रदान किये जाने की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि श्री नंदा देवी राजजात पूर्व पीठिका समिति की ओर से हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।
- इस साल वीरता और साहस के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाली पर्वतीय क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में कार्यरत् महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। इन्हें एक नवंबर को राज्य विधानसभा के प्रकाश पंत भवन सभागार में आयोजित होने वाले समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
- इन महिलाओं में राज्य के पौड़ी से फ्लाइंग ऑफिसर निधि बिष्ट, बागेश्वर से अनीता टम्टा, पिथौरागढ़ के धारचूला की कलावती बडाल, चंपावत की तारा जोशी, कपकोट की तारा टाकुली, तारा पांगती, पिथौरागढ़ से गीता देवी पांगती, बागेश्वर से आशा देवी, चंबा से निवेदिता पंवार, पिथौरागढ़ से सीता देवी बुरफाल को सम्मान के लिये चयनित किया गया है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में बदले जाएंगे गुलामी के सभी प्रतीकों के नाम
चर्चा में क्यों?
29 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया कि राज्य में उपनिवेशवाद, यानी गुलामी के सभी प्रतीकों के नाम बदले जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिया है कि राज्य में उपनिवेशवाद के सभी प्रतीकों का नाम बदलकर उनका दोबारा नामकरण किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में जिन सड़कों और शहरों के नाम अंग्रेज़ों के जमाने के हैं, उनको बदला जाएगा।
- विदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देश में उपनिवेशवाद के सभी प्रतीकों को बदला जा रहा है और इन्हीं की तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने सूबे में कई स्थानों के नाम बदले हैं।
- गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ ही ‘कर्त्तव्य पथ’ का उद्घाटन किया था। ‘कर्त्तव्य पथ’ को पहले ‘राजपथ’ कहा जाता था।
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