मध्य प्रदेश एक बार फिर बना टाइगर स्टेट | मध्य प्रदेश | 31 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जुलाई, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में सर्वाधिक 785 बाघ मध्य प्रदेश में हैं, जिनकी वजह से प्रदेश को पुन: टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है।
प्रमुख बिंदु
- मध्य प्रदेश में पिछले चार वर्षों में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। इसके बाद दूसरे स्थान पर कर्नाटक (563) और तीसरे स्थान पर उत्तराखंड (560) है।
- मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी अग्रणी है। मध्य प्रदेश तेंदुआ और घड़ियाल स्टेट भी है। गिद्ध और भेड़ियों की संख्या में भी प्रदेश आगे है।
- इस अवसर पर प्रदेश में बाघ संरक्षण पर सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व पर केंद्रित फिल्म दिखाई गई। मुख्यमंत्री ने फिल्म के कलाकारों को स्मृति-चिह्न प्रदान किये।
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन विभाग के शासकीय सेवकों को उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए।
- वन विभाग के कर्मचारियों को सरवाइवल किट भी दी गई। साथ ही मुख्यमंत्री ने वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल के ई-टिकटिंग एवं मोबाइल ऐप का शुभारंभ भी किया।
- इस ऐप से पर्यटकों को अब घर से ही ऑनलाइन टिकट बुक करने की सुविधा मिलेगी। ऐप पर वन विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध रहेगी।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय वन्य-प्राणी कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट, स्टेट वाईल्ड लाइफ एक्शन प्लान तथा फिफ्थ बर्ड्स सर्वे रिपोर्ट ऑफ गांधी सागर वाईल्ड लाइफ सेंचुरी (मंदसौर) सहित तीन पुस्तक का विमोचन किया।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा अनुभाग को दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर मिला सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवॉर्ड | हरियाणा | 31 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जुलाई, 2023 को हरियाणा के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, (सीसीएचएयू) हिसार के बाजरा अनुभाग को बाजरा में उत्कृष्ट अनुसंधानों के लिये लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2022-23 का सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवॉर्ड प्रदान किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की हैदराबाद में आयोजित हुई अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 58वीं वार्षिक समूह बैठक में परिषद के सहायक की ओर से यह अवॉर्ड प्रदान किया गया।
- उल्लेखनीय है कि विभाग को अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की गत वर्ष हुई 57वीं वार्षिक समूह बैठक में भी यह अवॉर्ड मिला था।
- चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा अनुभाग ने हाल ही के वर्षों में बाजरा की उन्नत किस्मों के विकास, बाजरा में नए रोग कारकों की पहचान, बाजरा के संकर बीज उत्पादन व व्यवसायीकरण में बहुत सराहनीय कार्य किए हैं।
- विभाग द्वारा बाजरा की उच्च लौह तत्त्व युक्त दो बायोफोर्टिफाइड (दोनों में लौह तत्त्व 73, 83 पीपीएम) संकर किस्में, एचएचबी 299 व एचएचबी 311 के विकास के साथ हाल ही में यहाँ विकसित की गई।
- इस विभाग के पौध रोग वैज्ञानिक ने बाजरा में तना गलन रोग और ज्वार में क्लेबसिएला लीफ स्ट्रीफ रोग व उनके कारक जीवाणुओं की विश्व में पहली बार पहचान की थी, जिसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है।
- इस उपलब्धि का भी विभाग को यह अवॉर्ड मिलने में अहम योगदान रहा है। उनके अनुसार बाजरा की सस्य क्रियाओं के अंतर्गत पोटाश व अन्य सूक्ष्म तत्त्वों के प्रबंधन के कार्य को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।
राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत गिद्धों की चार प्रजातियों पर होगा अध्ययन | उत्तराखंड | 31 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड वन विभाग के वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में पहली बार राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत गिद्धों की चार प्रजाति के दो-दो पक्षियों पर सैटेलाइट टैग लगाकर अध्ययन किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ ने बताया कि शिकारी श्रेणी का यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इन्हें विलुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में रखा है।
- राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत किये जाने वाले अध्ययन के लिये पक्षियों पर टैग लगाने के लिये वन विभाग ने शासन से अनुमति मांगी है।
- विदित है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गिद्धों की संख्या उत्तराखंड में कितनी है, इसका ठीक-ठीक आँकड़ा किसी के पास नहीं है।
- वन विभाग की सांख्यिकी बुक में गिद्धों की संख्या का वर्ष 2005 का डाटा दर्शाया गया है। इसके अनुसार संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या 1272 और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर 3794 कुल 5066 है।
- इसके बाद से यह डाटा अपडेट नहीं किया गया है। अब वन विभाग ने एक बार फिर से गिद्धों की दुनिया में झाँकने का बीड़ा उठाया है। इसके लिये डब्ल्यूडब्लयूएफ इंडिया के सहयोग से गिद्धों की चार प्रजातियों के दो-दो पक्षियों पर सैटेलाइट टैग लगाकर अध्ययन किया जाएगा।
- यह अध्ययन गढ़वाल में राजाजी टाइगर रिज़र्व और कुमाऊँ में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत किया जाएगा। इस अध्ययन में गिद्धों के रहवास, प्रवास, उनके रास्ते, रहन-सहन आदि के बारे में जानकारियाँ जुटाई जाएंगी।
- गिद्ध की इन प्रजातियों पर होगा अध्ययन:
- लाल सिर गिद्ध (रेड हेडेड वल्चर)
- सफेद पूँछ वाला गिद्ध (ह्वाइट रम्प्ड वल्चर)
- सफेद गिद्ध (इजिप्सिन वल्चर)
- प्लास फिश
- राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक और इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि यह चारों शिकारी प्रजाति के पक्षी बेहद दुर्लभ श्रेणी के हैं, लेकिन समय-समय पर उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ के विभिन्न क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति पाई गई है। इनके संरक्षण को लेकर वन विभाग संजीदा है। इसी के तहत इन पर वृहद अध्ययन किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट अगले तीन साल तक चलेगा।
- यह चारों शिकारी पक्षी शेड्यूल वन प्रजाति के हैं। वन्यजीव अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में विशेष प्रयोजन के लिये अनुज्ञ पत्र का अनुदान की व्यवस्था है। ऐसे मामलों में शिक्षा, शोध, अनुसंधान इत्यादि के लिये राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।