नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Jul 2023
  • 1 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

नीति आयोग के एक्सपोर्ट इंडेक्स में बिहार को 22वाँ स्थान

चर्चा में क्यों?

  • 30 जुलाई, 2023 को नीति आयोग द्वारा जारी एक्सपोर्ट इंडेक्स में बिहार का देश में ओवर ऑल 22वाँ स्थान है।

प्रमुख बिंदु

  • इंडेक्स के अनुसार राज्य में सबसे अधिक निर्यात बेगूसराय ज़िला से हो रहा है। बिहार धीरे-धीरे निर्यात के हर पैमाने पर आगे बढ़ रहा है। अभी देश के कुल निर्यात में बिहार का मात्र 0.52 फीसद ही भागीदारी है, जिसे 2025 तक बढ़ाकर 10 करने की योजना है।
  • राज्य एक्सपोर्ट इंडेक्स के अन्य पैमाने पर भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। बिजनेस इकोसिस्टम में 27वाँ, निर्यात नीति के मामले में 13वाँ, निर्यात इकोसिस्टम में 25वाँ, निर्यात परफॉरमेंस में 29वाँ और लैंडलॉक स्टेट से होने वाले निर्यात में बिहार का 9वाँ स्थान है।
  • नीति आयोग ने इस बात का भी खुलासा किया है कि ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ और ‘क्लस्टर योजना’ लागू होने के बाद से बिहार से निर्यात बढ़ रहा है तथा आजादी के 75 साल के अवसर पर आयोजित अमृत महोत्सव के तहत बिहार से दुनिया के 75 देशों में निर्यात की योजना है।
  • विदित है कि राज्य में निर्यात के लिये बुनियादी सुविधा अभी तक विकसित नहीं हुई है। न तो राज्य में अभी तक कोई विशेष आर्थिक परिक्षेत्र (एसईजेड) बना है, न ही कस्टम क्लियरेंस की सुविधा निर्यातकों को उपलब्ध करवाई गई है।
  • राज्य में पटना के बिहटा शहर में इनलैंड कंटेनर डिपो तो है, लेकिन वहाँ कोई विशेष सुविधा नहीं है। निर्यात के लिये पोर्ट या एयरपोर्ट तक उत्पाद पहुँचाने के लिये भाड़े में सब्सिडी तक की व्यवस्था नहीं की गई है, हालाँकि कई केंद्रीय एजेंसी राज्य के निर्यातकों को मदद करने के लिये आगे आई है।
  • बिहार के हस्तशिल्प उत्पाद को बढ़ावा देने के लिये एक तरफ जहाँ एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ हैंडिक्राफ्ट (इपीसीएच) आगे आया है, वहीं सिल्क निर्यातक को मदद के लिये इंडियन सिल्क एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आइएसइपीसी) तैयार है।
  • केंद्रीय योजना के तहत निर्यातक को अंतर्राष्ट्रीय मेला में भाग लेने के लिये 1.25 लाख तक की मदद सरकार देगी।
  • बिहार के एक दर्जन से अधिक उत्पाद ज्योग्राफिकल इंडीकेशन (जीआइ) टैग लेकर भी निर्यात नीति नहीं होने के कारण आगे नहीं बढ़ रहे हैं। स्थान-क्षेत्र विशेष के उत्पाद को जीआई टैगिंग मिलने से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार आसानी से मिल जाता है। इससे वैश्विक पैमाने पर ग्राहकों का विश्वास मिलता है।
  • गौरतलब है कि मधुबनी पेंटिंग, मुज़फ्फरपुर की शाही लीची, मखाना, सीतामढ़ी की सुजनी, सिक्की आर्ट्स, भागलपुरी सिल्क, करतनी चावल, जर्दालु आम, सिलाव का खाजा और मगही पान आदि जीआई टैग हासिल कर चुके हैं।
  • जीआई टैग के बिना बिहार से गेहूँ, चावल, मक्का, बेबीकॉर्न, सब्जी, दवाएँ, चमड़े का सामान और माँस के साथ-साथ पेट्रो उत्पादों का भी निर्यात होता है।
  • ज्ञातव्य है कि राज्य से होने वाले कृषि निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बिहार से वर्ष 2021 तक 2671 करोड़ रुपए का कृषि वस्तुओं का निर्यात किया गया है। राज्य से होने वाले निर्यात में मुज़फ्फरपुर की शाही लीची, भागलपुर का करतनी चावल, जर्दालु आम, गेहूँ, चावल, मक्का, बेबीकॉर्न और सब्जी आदि शामिल हैं।
  • बिहार के हस्तशिल्प उत्पाद की मांग दुनिया के कई देशों में हो रही है। अधिकांश वस्तुओं का निर्यात दूसरे राज्यों से होता है। अब धीरे-धीरे बिहार से भी निर्यात होने लगा है। बिहार से सालाना 36 करोड़ रुपए की हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्यात हो रहा है। इसे बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
  • आयात-निर्यात बैंक के अध्ययन आधारित सुझाव:
    • उत्पादों की गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के हिसाब से हों, इसकी मॉनिटरिंग के लिये बुनियादी ढाँचा सुधारें। निर्यातकों को वित्तीय प्रोत्साहन दें, निर्यात संवर्धन अभियान चलाएँ।
    • मुज़फ्फरपुर और भागलपुर में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) स्थापित करने और पटना के मौज़ूदा आईसीडी में एक कस्टम क्लीयरेंस ऑफिस बनाएँ, निर्यात के लिये जरूरी सर्टिफिकेशन की व्यवस्था दें।
    • राज्य में वेयरहाउसिंग और कोल्ड चेन के बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के साथ पटना, मुज़फ्फरपुर और भागलपुर में विशेष आर्थिक परिक्षेत्र का विकास करें।
    • बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं के अभाव में निर्यातकों की लागत बढ़ जाती है। इसे कम करने के लिये ढुलाई-भाड़ा में सब्सिडी दें। राज्य नीति के कारण निर्यातकों का खर्च बढ़े तो रिफंड दें।
  • वे उत्पाद जिनका कुल निर्यात में हिस्सा है:
    • पेट्रोलियम उत्पाद 66%
    • माँस 6%
    • चावल 10%
    • दवाएँ 3.7%
    • गेहूँ 1.3%
    • फल एवं सब्जी 1.2%
    • मशीनरीज 0.8%
    • हस्तशिल्प 1.0%


राजस्थान Switch to English

राजस्थान को मिला बेस्ट कल्चरल टूरिज़्म डेस्टिनेशन ऑफ द इयर अवॉर्ड

चर्चा में क्यों?

  • 30 जुलाई, 2023 को अपनी कला संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और पर्यटन के लिये विशेष पहचान रखने वाले राजस्थान को एक और पुरस्कार से नवाजा गया। बंगलुरू में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल ट्रैवल मार्ट समारोह में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे पर्यटन विभाग को बेस्ट कल्चरल टूरिज़्म डेस्टिनेशन ऑफ द इयर अवॉर्ड से नवाज़ा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इंडिया इंटरनेशनल ट्रैवल मार्ट बंगलुरू में आयोजित इस समारोह में पर्यटन विभाग की तरफ से अतिरिक्त निदेशक आनंद कुमार त्रिपाठी ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
  • इस आयोजन में राजस्थान पर्यटन के पवेलियन में राज्य की 14 ट्रैवल एजेंसीज़ और होटलियर्स ने भाग लिया।
  • राजस्थान पर्यटन दल द्वारा एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा पर्यटन क्षेत्र में उठाए गए कदमों, नवीन योजनाओं की जानकारी और पर्यटन प्रचार फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
  • इसके साथ ही पवेलियन में पधारे स्थानीय ट्रैवल एजेंटों और आम जन को राजस्थान के पर्यटन स्थलों के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।

राजस्थान Switch to English

जन सम्मान वीडियो कॉन्टेस्ट में आरती, मनीष और किरण ने जीते नकद पुरस्कार

चर्चा में क्यों?

  • 30 जुलाई, 2023 को जनसम्मान वीडियो कॉन्टेस्ट के परिणाम घोषित किये गए, जिसमें आरती, मनीष और किरणजीत ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त कर नगद पुरस्कार प्राप्त किये।

प्रमुख बिंदु

  • यह वीडियो दो सोशल मीडिया हैंडल पर ‘JanSammanJaiRajasthan’ के साथ शेयर हो रहे हैं। उचित मापदंडों के आधार पर वीडियो की जाँच-परख के बाद पुरस्कार की श्रेणी में रखा जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि 27 जुलाई, 2023 को यह कॉन्टेस्ट आयोजित हुआ था, जिसके परिणाम आज जारी किये गए, जिसमें जोधपुर की आरती सोनी ने प्रथम पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए जीते।
  • वहीं दूसरे स्थान पर रतनगढ़, चूरू के मनीष शंकोलिया रहे। उन्होंने 50 हज़ार रुपए की ईनामी राशि प्राप्त की।
  • इसी प्रकार संगरिया, हनुमानगढ़ की किरणजीत कौर ने 25 हज़ार की राशि जीत कर तीसरा स्थान प्राप्त किया।
  • इसके अलावा 100 लोगों को एक-एक हज़ार रुपए के प्रेरणा पुरस्कार भी प्रदान किये गए।
  • गौरतलब है कि जनसम्मान वीडियो कॉन्टेस्ट के जरिये पूरे राजस्थान में सोशल मीडिया के माध्यम से योजनाओं के प्रचार-प्रसार को गति मिल रही है। साथ ही समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को भी योजनाओं की जानकारी और लाभ मिल रहा है।

राजस्थान Switch to English

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघिन टी-111 के तीन शावकों का हुआ नामकरण

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर रणथंभौर नेशनल पार्क की बाघिन टी-111 के 2 वर्ष के हो चुके तीन शावकों (2 बाघ एवं 1 बाघिन) का नामकरण करने का फैसला लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • इन शावकों के नाम क्रमश: चिरंजीवी, चिरायु एवं अवनी रखे गए हैं।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा पूनिया के नाम पर बाघिन टी-19 का नामकरण कृष्णा किया गया था।
  • इसी प्रकार अब पैरा ओलंपिक पदक विजेता अवनी लेखरा के नाम पर शावक का नाम अवनी रखने का निर्णय लिया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि देश में जब बाघ विलुप्ति की कगार पर थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अप्रैल 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत की। इससे देश में बाघों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। पिछले 1 माह में रणथंभौर नेशनल पार्क में 6 शावकों ने जन्म लिया है।

राजस्थान Switch to English

लोक कलाकार प्रोत्साहन कार्ड

चर्चा में क्यों?

  • 28 जुलाई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोक कलाकारों को लोक कलाकार प्रोत्साहन कार्ड देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार प्रदेश में लोक कलाओं का संरक्षण करने तथा लोक कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिये निरंतर कार्य कर रही है। इसी क्रम में ये मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना-2023 के अंतर्गत वितरित किये जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2023-24 के बजट में मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना लागू करने की घोषणा की थी।
  • इस योजना में लोक कलाकारों को प्रति परिवार प्रतिवर्ष 100 दिवस राजकीय उत्सवों, सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार एवं शिक्षण संस्थानों में कला प्रदर्शन के अवसर प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
  • इसके साथ ही, योजना के अंतर्गत लोक कलाकारों को उनकी कला से संबंधित यंत्र-उपकरण क्रय करने के लिये 5 हज़ार रुपए राशि की एकबारीय आर्थिक सहायता देय है।

मध्य प्रदेश Switch to English

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी प्रशिक्षण के लिये ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस रवाना

चर्चा में क्यों?

  • 30 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने राजभवन से अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के विद्यार्थियों की बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व बैंक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वित्तीय सहयोग से संचालित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के संस्थान विकास कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के 18 विद्यार्थी चयनित हुए हैं। इनमें से 8 विद्यार्थी ऑस्ट्रेलिया में और 10 विद्यार्थी फिलीपींस के उच्च कृषि शिक्षा संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण के लिये वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया जाने वालों में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि महाविद्यालय ग्वालियर से निखिल खरे, कशिश यादव, शिवराज सिंह पोसवाल, आलोक चतुर्वेदी, कृषि महाविद्यालय सीहोर से तनु सिसौदिया, उद्यानिकी महाविद्यालय मंदसौर से सुरभि आचार्य और कृषि महाविद्यालय, इंदौर से निकिता सोलंकी तथा आदेश कनेल शामिल हैं।
  • वहीं आई.आर.आर.आई. मनीला फिलीपींस जाने वालों में कृषि महाविद्यालय ग्वालियर से स्नेहा विश्वास, स्नेहा शर्मा, सुरंजना कुमारी, प्राजिक्ता कटारे, कृषि महाविद्यालय इंदौर से जयदीप पाठक, मुनीरा कौसर अंसारी, मरीना वी.एल., कृषि महाविद्यालय सीहोर से श्रुति तोमर, कृषि महाविद्यालय खंडवा से अनुराग शर्मा और उद्यानिकी महाविद्यालय मंदसौर से गार्गी त्रिपाठी शामिल हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश एक बार फिर बना टाइगर स्टेट

चर्चा में क्यों?


29 जुलाई, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में सर्वाधिक 785 बाघ मध्य प्रदेश में हैं, जिनकी वजह से प्रदेश को पुन: टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है।

प्रमुख बिंदु

  • मध्य प्रदेश में पिछले चार वर्षों में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। इसके बाद दूसरे स्थान पर कर्नाटक (563) और तीसरे स्थान पर उत्तराखंड (560) है।
  • मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी अग्रणी है। मध्य प्रदेश तेंदुआ और घड़ियाल स्टेट भी है। गिद्ध और भेड़ियों की संख्या में भी प्रदेश आगे है।
  • इस अवसर पर प्रदेश में बाघ संरक्षण पर सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व पर केंद्रित फिल्म दिखाई गई। मुख्यमंत्री ने फिल्म के कलाकारों को स्मृति-चिह्न प्रदान किये।
  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन विभाग के शासकीय सेवकों को उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए।
  • वन विभाग के कर्मचारियों को सरवाइवल किट भी दी गई। साथ ही मुख्यमंत्री ने वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल के ई-टिकटिंग एवं मोबाइल ऐप का शुभारंभ भी किया।
  • इस ऐप से पर्यटकों को अब घर से ही ऑनलाइन टिकट बुक करने की सुविधा मिलेगी। ऐप पर वन विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध रहेगी।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय वन्य-प्राणी कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट, स्टेट वाईल्ड लाइफ एक्शन प्लान तथा फिफ्थ बर्ड्स सर्वे रिपोर्ट ऑफ गांधी सागर वाईल्ड लाइफ सेंचुरी (मंदसौर) सहित तीन पुस्तक का विमोचन किया।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय बढ़कर 1,40,583 रुपए हुई

चर्चा में क्यों?

  • 28 जुलाई, 2023 को केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अपने अद्यतन आँकडे जारी किये जिनमें पता चला है कि मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय विगत तीन वर्षों में 1,03,654 रुपए से बढ़कर 1,40,583 हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • देश के प्रगतिशील राज्यों के साथ मध्य प्रदेश में आज की प्रचलित दरों के हिसाब से प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि निश्चित ही आर्थिक प्रगति का एक शुभ संकेत है।
  • मध्य प्रदेश के स्थिर भावों (वर्ष 2011-12) के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 (त्वरित) में 61,534 रुपए थी, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में रुपए 65,023 हो गई है, जो गत वर्ष की तुलना में 5.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
  • प्रचलित भावों के आधार पर राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 में 1,21,594 रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में 1,40,583 हो गई, जो 15.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
  • वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2021-22 (त्वरित) की तुलना में प्रचलित भावों पर 16.43 प्रतिशत तथा स्थिर भावों पर 7.06 प्रतिशत की वृद्धि रही है।
  • राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में स्थिर भावों पर वर्ष 2022-23 अग्रिम के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 5.24 प्रतिशत, द्वितीयक एवं तृतीय क्षेत्र में क्रमश: 5.42 प्रतिशत एवं 9.99 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि रही है।
  • प्रधानमंत्री द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प में मध्य प्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश इस लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में तेज़ी से कार्य कर रहा है।
  • प्रदेश के बजट का आकार भी वर्ष 2001-02 की तुलना में पंद्रह गुना बढ़कर वर्ष 2023 में 2,47,715 करोड़ रुपए हो गया है।
  • राज्य द्वारा लगातार राजकोषीय अनुशासन का निरंतर पालन करने से वर्ष 2005 का ऋण जीएसडीपी अनुपात जो वर्ष 2005 में 395 प्रतिशत था वह घटकर 22.6 प्रतिशत रह गया है, यानी कर्ज़ का भार कम हुआ है।
  • मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि प्रदेश में बेहतर वित्तीय प्रबंधन, वित्तीय समावेशन जैसे अर्थव्यवस्था के मूलभूत आधारों का परिणाम है।
  • साथ ही प्रदेश में सरकारी बैंकिंग व्यवसाय में निरंतर वृद्धि, प्राथमिकता क्षेत्र के समय पर समुचित ऋण, जन-धन खातों में आमजन की बढ़-चढ़कर भागीदारी और बचत, प्रदेश में जन-आंदोलन का स्वरूप ले चुके स्व-सहायता समूहों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सतत् योगदान भी इसके प्रमुख कारकों में हैं।
  • इसके अलावा कृषि-प्रधान प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि, छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ औद्योगीकरण के चौतरफा प्रयासों से बढ़ते निवेश की भी प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
  • बिजली क्षेत्र में सरप्लस स्टेट होना, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क का अभूतपूर्व विस्तार तथा स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा किये गए सुविचारित प्रयास भी प्रदेश की इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे हैं।

हरियाणा Switch to English

‘हरियाणा प्राण वायु देवता पेंशन’ योजना की शुरुआत

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को हरियाणा सरकार के एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि 75 साल से अधिक उम्र वाले पेड़ों के लिये ‘हरियाणा प्राण वायु देवता पेंशन’ नामक योजना की शुरुआत की गई है, जिसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस स्कीम के तहत प्रदेश सरकार द्वारा 75 साल से अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल व परवरिश करने वालों को पेंशन दी जाएगी।
  • इस योजना के तहत 75 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके पेड़ों को 2500 रुपए वार्षिक पेंशन दी जाएगी और वृद्धावस्था सम्मान पेंशन की भाँति यह पेंशन राशि प्रतिवर्ष समानुपात में बढ़ाई जाएगी।
  • यह राशि सीधा लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा की जाएगी।
  • इस प्रकार की स्कीम लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से यह स्कीम पुराने पेड़ों की रक्षा और संरक्षण के लिये लागू की गई है।
  • सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति शुरू से ही सुधारात्मक योजनाएँ लागू कर रही है, पेड़-पौधों से ही हमें सुरक्षित ऑक्सीजन गैस नि:शुल्क प्राप्त होती है।
  • 75 साल से उम्र में बड़े हुए पेड़ अपने फैलाव के कारण वातावरण में ऑक्सीजन ज़्यादा पैदा करते हैं। इन पेड़ों पर कई प्रकार के पंछी भी अपना घोंसला बनाते हैं।
  • यदि किसी व्यक्ति के घर या स्वयं की जमीन पर 75 साल या उससे ज्यादा की उम्र का पेड़ है तो वो अपने संबंधित ज़िले के वन विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं इसके बाद एक समिति द्वारा उस आवेदन का आकलन किया जाएगा।
  • सत्यापन उपरांत सभी शर्तें पूरी पाई जाती हैं तो लाभार्थी व्यक्ति को पेड़ों से मिलने वाली पेंशन दी जाएगी।

हरियाणा Switch to English

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने गुरुग्राम में भारत अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र का किया शिलान्यास

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने गुरुग्राम में इंटरनेशनल दिव्य परिवार सोसाइटी एवं चाणक्य वार्ता परिवार द्वारा स्थापित होने वाले भारत अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास व त्रिदिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश में साहित्य, कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये अनेकों कारगर कदम उठाए हैं।
  • हरियाणा सरकार साहित्य, कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये नगर निगम गुरुग्राम के माध्यम से सेक्टर-53 में 209 करोड़ रुपए की लागत से पाँच एकड़ ज़मीन पर कला एवं सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण करवाने जा रही है, जो कि राज्य की महान एवं प्राचीन संस्कृति को संजोए रखने की दिशा में एक सफल प्रयास है।
  • राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में इस सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करना एक ऐतिहासिक कदम है। इस योजना में हरियाणा प्रदेश भी अपनी भूमिका निभा रहा है।
  • इस योजना में हरियाणा का सहभागी राज्य तेलंगाना है। इसलिये हरियाणा व तेलंगाना प्रदेश के कलाकार अपनी-अपनी महान संस्कृति एवं लोक कलाएँ एक-दूसरे को सिखा रहे हैं।
  • इस अवसर पर राज्यपाल ने कार्यक्रम में हरियाणा की साहित्य, लोक कला तथा सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़ी विभूतियों के साक्षात्कार पर आधारित ओपी पाल की पुस्तक ‘प्रतिबिंब’ का विमोचन करने के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित भी किया।

हरियाणा Switch to English

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा अनुभाग को दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर मिला सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवॉर्ड

चर्चा में क्यों?


29 जुलाई, 2023 को हरियाणा के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, (सीसीएचएयू) हिसार के बाजरा अनुभाग को बाजरा में उत्कृष्ट अनुसंधानों के लिये लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2022-23 का सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवॉर्ड प्रदान किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की हैदराबाद में आयोजित हुई अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 58वीं वार्षिक समूह बैठक में परिषद के सहायक की ओर से यह अवॉर्ड प्रदान किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि विभाग को अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की गत वर्ष हुई 57वीं वार्षिक समूह बैठक में भी यह अवॉर्ड मिला था।
  • चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा अनुभाग ने हाल ही के वर्षों में बाजरा की उन्नत किस्मों के विकास, बाजरा में नए रोग कारकों की पहचान, बाजरा के संकर बीज उत्पादन व व्यवसायीकरण में बहुत सराहनीय कार्य किए हैं।
  • विभाग द्वारा बाजरा की उच्च लौह तत्त्व युक्त दो बायोफोर्टिफाइड (दोनों में लौह तत्त्व 73, 83 पीपीएम) संकर किस्में, एचएचबी 299 व एचएचबी 311 के विकास के साथ हाल ही में यहाँ विकसित की गई।
  • इस विभाग के पौध रोग वैज्ञानिक ने बाजरा में तना गलन रोग और ज्वार में क्लेबसिएला लीफ स्ट्रीफ रोग व उनके कारक जीवाणुओं की विश्व में पहली बार पहचान की थी, जिसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है।
  • इस उपलब्धि का भी विभाग को यह अवॉर्ड मिलने में अहम योगदान रहा है। उनके अनुसार बाजरा की सस्य क्रियाओं के अंतर्गत पोटाश व अन्य सूक्ष्म तत्त्वों के प्रबंधन के कार्य को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।

हरियाणा Switch to English

अंबाला कैंट थाने के एसएचओ को ‘होम मिनिस्टर मेडल’ से अलंकृत किये जाने की घोषणा

चर्चा में क्यों?

  • 28 जुलाई, 2023 को हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा राज्य को नशामुक्त बनाने की दिशा में गत दिनों पाँच करोड़ रुपए की हेरोइन को पकड़ने वाले अंबाला कैंट थाने के एसएचओ नरेश कुमार को ‘होम मिनिस्टर मेडल’ (गृह मंत्री उत्कृष्ट अन्वेषण पदक) से अलंकृत करने की घोषणा की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • होम मिनिस्टर मेडल के साथ-साथ इंस्पेक्टर नरेश कुमार को एक लाख रुपए पुरस्कार स्वरूप एवं छह माह सेवा में विस्तार भी प्रदान किया जाएगा।
    उल्लेखनीय है कि इंस्पेक्टर नरेश कुमार ने गत दिनों ही अंबाला छावनी में एक किलोग्राम हेरोइन सहित नशा तस्कर को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी। पकड़ी गई हेरोइन की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पाँच करोड़ रुपए है।
    गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि पुलिसकर्मियों के उत्कृष्ट कार्य को सम्मान प्रदान करने के लिये 30 पुरस्कारों की घोषणा की गई थी, जिनमें 10 पुरस्कार मुख्यमंत्री, 10 पुरस्कार गृह मंत्री तथा 10 पुरस्कार पुलिस महानिदेशक द्वारा दिये जाने हैं। गत दिवस मंत्रिमंडल की बैठक में इन पुरस्कारों के प्रस्ताव को पारित भी किया गया था।
    मुख्यमंत्री वीरता पदक और गृहमंत्री उत्कृष्ट अन्वेषण पदक के विजेताओं को क्रमश: 2 लाख रुपए और 1 लाख रुपए का नकद पुरस्कार, मुख्यमंत्री व गृह मंत्री द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण-पत्र व स्क्रॉल मिलेगा। पदक विजेता पुलिसकर्मियों को सेवा में छह महीने का विस्तार मिलेगा।
    इसके अलावा, पुलिस महानिदेशक उत्तम सेवा पदक से सम्मानित होने वाले कर्मियों को डीजीपी का हस्ताक्षरित प्रमाण-पत्र व स्क्रॉल सहित पदक और 50 हज़ार रुपए मिलेंगे।
    प्रत्येक श्रेणी में पदकों की संख्या अधिकतम 10 होगी, यानी अधिकतम 30 पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत किया जा सकेगा।
    भ्रष्टाचार व अन्य मामले में फँसने पर पदक वापस लेने की स्थिति में सेवा विस्तार का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन नकद पुरस्कार वापस नहीं लिया जाएगा।

झारखंड Switch to English

मुख्यमंत्री ने जमशेदपुर में देश के पहले हाइड्रोजन ईंधन से जुड़े उद्योग की स्थापना हेतु दी स्वीकृति

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के जमशेदपुर में देश के पहले हाइड्रोजन ईंधन से जुड़े उद्योग की स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री की इस पहल के बाद अब देश में पेट्रोल, डीज़ल और बैटरी के साथ जल्द हाइड्रोजन ईंधन से भी वाहन चलेंगे।
  • इसको लेकर मुख्यमंत्री ने टाटा मोटर्स एवं कमिंस इंक (अमेरिका) के संयुक्त उपक्रम TCPL Green Energy Solutions Private Limited (TGESPL) द्वारा ‘जमशेदपुर, पूर्वी सिंहभूम’ में Hydrogen Internal Combustion Engine, Fuel-agnostic Engine, Advance Chemistry Battery, H2 Fuel Cell तथा H2 Fuel delivery systems के निर्माण/उत्पादन के लिये ईकाई की स्थापना हेतु सिंगल विंडो क्लीयरेंस कमिटी एवं हाई पॉवर कमिटी की स्वीकृति की प्रत्याशा में उक्त निवेश के प्रस्ताव पर TGESPL के साथ MoU हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है।
  • इस एमओयू के उपरांत जमशेदपुर में देश के पहले हाइड्रोजन ईंधन से जुड़े उद्योग के स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा। इस कार्य में हाइड्रोजन इंजन बनने की नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिसका लाभ आने वाले समय में पूरे देश को होगा।
  • झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 के वर्गीकृत सेक्टर वाइज मेगा प्रोजेक्ट के अनुसार उपर्युक्त परियोजना निर्माण से संबंध रखती है।
  • इस इकाई से प्राप्त निवेश तथा प्रत्यक्ष नियोजन के आधार पर इकाई का वर्गीकरण मेगा श्रेणी के अंतर्गत किया गया है।
  • इस इकाई की प्रस्तावित क्षमता 4000+ Hydrogen IC Engine/Fuel Agnostic Engine and 10,000+ Battery system है, इसके लिये प्रस्तावित निवेश 354.28 करोड़ रुपए है।
  • एक अनुमान के अनुसार इकाई 310 से अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लोगों का नियोजन सुनिश्चित हो सकेगा।
  • उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन ऐसा ईंधन है, जिसकी क्षमता अन्य ईंधनों की अपेक्षा अधिक होती है। इसका एनर्जी लेबल अधिक होता है। यह सस्ता और हल्का होता है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के बीच इसे एक बेहतर विकल्घ्प माना जा सकता है।
  • हाइड्रोजन ईंधन से प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • भारतीय बाज़ार और विश्व स्तर पर हाइड्रोजन इंजन की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये 4000+ हाइड्रोजन आईसी इंजन/ईंधन एग्नोस्टिक इंजन और 10,000+ बैटरी सिस्टम की उत्पादन क्षमता के निर्माण आवश्यक ज़रूरतों की आपूर्ति और नई सहायक इकाइयों की स्थापना के लिये स्थानीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा।

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने मोर बिजली ऐप के नए वर्ज़न 2.0 को किया लॉन्च

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कोरबा प्रवास के दौरान ‘मोर बिजली ऐप 2.0’ का शुभारंभ किया। मोर बिजली ऐप 2.0 के माध्यम से अब उपभोक्ताओं को 36 प्रकार की सेवाएँ मिलेंगी।

प्रमुख बिंदु

  • मोर बिजली ऐप के पहले वर्ज़न को बिजली उपभोक्ताओं की अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के कारण ही नागरिक सेवाओं को विस्तार देते हुए ऐप के दूसरे वर्ज़न को तैयार किया गया है।
  • नए मोर बिजली ऐप को प्रदेशवासियों की सुविधा के लिये छत्तीसगढ़ी बोली में उपलब्ध कराया गया है। जिन उपभोक्ताओं ने छत्तीसगढ़ी बोली को एसएमएस की भाषा के रूप में चुना है, उन्हें मासिक बिजली बिल, बिल भुगतान, बिल भुगतान रिमाइंडर और बिल भुगतान की जानकारी छत्तीसगढ़ी में भेजी जाएगी। इसके साथ ही यह छत्तीसगढ़ी बोली का प्रदेश का पहला शासकीय मोबाइल ऐप बन चुका है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नए ऐप में हमारी सरकार द्वारा चलायी जा रही ‘बिजली बिल हाफ योजना’ अंतर्गत उपभोक्ता को योजना के प्रारंभ से लेकर अब तक बिजली बिल में प्राप्त छूट की राशि के बारे में भी जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही उपभोक्ता छूट की राशि का प्रमाण-पत्र भी डाउनलोड कर पाएंगे।
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा लॉन्च किये गए मोर बिजली ऐप 2.0 में 36 प्रकार की उपभोक्ता सेवाएँ प्राप्त होंगी, जिसमें बिल की जानकारी, गणना, दरें, बिल भुगतान सुविधाएँ, जैसे- ऑनलाइन भुगतान, नजदीकी भुगतान केंद्र, पिछले दो वर्षों का बिल भुगतान विवरण, बिजली बिल हाफ योजना में प्राप्त छूट की जानकारी, विद्युत आपूर्ति तथा बिल से जुड़ी शिकायतें, जैसे- बिजली बंद, बिल संबंधी शिकायतें, आपातकालीन तथा विद्युत अवरोध, ट्रांसफार्मर की खराबी आदि की सुविधाएँ मिलेंगी।
  • इसके साथ ही नए बिजली कनेक्शन, नाम परिवर्तन, टैरिफ परिवर्तन, लोड बढ़ाने-घटाने, मीटर शिफ्टिंग जैसी सुविधाओं के लिये ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। उपभोक्ता अपने ऑनलाइन आवेदन की स्थिति की जानकारी भी प्राप्त कर पाएंगे।
  • उपभोक्ता अपनी व्यक्तिगत प्रोफाइल, जैसे- मोबाइल नंबर जोड़ने-बदलने, ई-मेल आईडी के साथी बिजली कनेक्शन प्रोफाइल ऐप के माध्यम से बना पाएंगे। एसएमएस और मोबाइल ऐप की भाषा का चुनाव भी आसानी से हो सकेगा।
  • छत्तीसगढ़ के ‘भुईयां’ मोबाइल ऐप के बाद सिर्फ ‘मोर बिजली ऐप’ को ही 10 लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है। 6 अक्तूबर, 2020 को लॉन्च हुए मोर बिजली ऐप के पहले वर्ज़न को 13 लाख 25 हज़ार से अधिक उपभोक्ता डाउनलोड कर उपयोग में ला रहे हैं।
  • गूगल प्ले स्टोर में नि:शुल्क उपलब्ध इस मोबाइल ऐप को 36 हज़ार 700 से अधिक उपभोक्ताओं द्वारा 5 में से 4.4 की रेटिंग दी गई है। राज्य में मोर बिजली के ऐप की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, यही इसकी सफलता का परिणाम है।
  • छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बिल की जानकारी, बिजली बिल का भुगतान और बिजली बंद होने की शिकायत के लिये मोर बिजली ऐप का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। बिजली बंद होने की लगभग 50 प्रतिशत से अधिक शिकायतें मोर बिजली ऐप के माध्यम से प्राप्त हो रही है। शिकायतों का समय-सीमा में निराकरण भी 70 प्रतिशत से बढ़कर अब 94 प्रतिशत हो गया है।

उत्तराखंड Switch to English

राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत गिद्धों की चार प्रजातियों पर होगा अध्ययन

चर्चा में क्यों?

29 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड वन विभाग के वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में पहली बार राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत गिद्धों की चार प्रजाति के दो-दो पक्षियों पर सैटेलाइट टैग लगाकर अध्ययन किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ ने बताया कि शिकारी श्रेणी का यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इन्हें विलुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में रखा है।
  • राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत किये जाने वाले अध्ययन के लिये पक्षियों पर टैग लगाने के लिये वन विभाग ने शासन से अनुमति मांगी है।
  • विदित है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गिद्धों की संख्या उत्तराखंड में कितनी है, इसका ठीक-ठीक आँकड़ा किसी के पास नहीं है।
  • वन विभाग की सांख्यिकी बुक में गिद्धों की संख्या का वर्ष 2005 का डाटा दर्शाया गया है। इसके अनुसार संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या 1272 और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर 3794 कुल 5066 है।
  • इसके बाद से यह डाटा अपडेट नहीं किया गया है। अब वन विभाग ने एक बार फिर से गिद्धों की दुनिया में झाँकने का बीड़ा उठाया है। इसके लिये डब्ल्यूडब्लयूएफ इंडिया के सहयोग से गिद्धों की चार प्रजातियों के दो-दो पक्षियों पर सैटेलाइट टैग लगाकर अध्ययन किया जाएगा।
  • यह अध्ययन गढ़वाल में राजाजी टाइगर रिज़र्व और कुमाऊँ में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के तहत किया जाएगा। इस अध्ययन में गिद्धों के रहवास, प्रवास, उनके रास्ते, रहन-सहन आदि के बारे में जानकारियाँ जुटाई जाएंगी।
  • गिद्ध की इन प्रजातियों पर होगा अध्ययन:
    • लाल सिर गिद्ध (रेड हेडेड वल्चर)
    • सफेद पूँछ वाला गिद्ध (ह्वाइट रम्प्ड वल्चर)
    • सफेद गिद्ध (इजिप्सिन वल्चर)
    • प्लास फिश
  • राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक और इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि यह चारों शिकारी प्रजाति के पक्षी बेहद दुर्लभ श्रेणी के हैं, लेकिन समय-समय पर उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ के विभिन्न क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति पाई गई है। इनके संरक्षण को लेकर वन विभाग संजीदा है। इसी के तहत इन पर वृहद अध्ययन किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट अगले तीन साल तक चलेगा।
  • यह चारों शिकारी पक्षी शेड्यूल वन प्रजाति के हैं। वन्यजीव अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में विशेष प्रयोजन के लिये अनुज्ञ पत्र का अनुदान की व्यवस्था है। ऐसे मामलों में शिक्षा, शोध, अनुसंधान इत्यादि के लिये राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।


उत्तराखंड Switch to English

ई-कचरा प्रबंधन करने में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को राज्यसभा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़ों के आधार पर दी गई जानकारी के अनुसार पर्यावरण और समाज के लिये भविष्य में बड़े खतरे के तौर पर सामने आ रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण के मामले में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है।  

प्रमुख बिंदु  

  • राज्य में 51541.12 मीट्रिक टन ई-कचरे को रिसाइकिल किया जा रहा है। यह आँकड़ा राज्य में ई-कचरे को रिसाइकिल करने की क्षमता से आधे से भी कम है। राज्य में 1.58 लाख मीट्रिक टन ई-कचरे के पुनर्चक्रण की क्षमता है।  
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़ों के आधार पर उत्तराखंड ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु सरीखे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ा है। 
  • हिमालयी राज्यों में हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर ई-कचरा एकत्र कर उसको रिसाइकिल करने के मामले में बहुत पीछे है। 
  • विदित है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिये ई-कचरा के एकत्रीकरण, प्रबंधन और पुनर्चक्रण हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं। ये दिशा-निर्देश विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उत्पादक, निर्माता, उपयोगकर्त्ता और पुनर्चक्रण एवं इसके थोक उपभोक्ता पर लागू होते हैं। 
  • ई-कचरा : ऐसे विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद जो काम नहीं कर रहे हैं या उपयोग के अपने अंतिम समय में हैं, जैसे- कंप्यूटर, टेलीविज़न, फोटो कॉपियर, फैक्स मशीन, विद्युत उपकरण, फ्रिज सरीखे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आदि ई-कचरा की श्रेणी में आते हैं। 
  • हिमालयी राज्य उत्तराखंड पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। ई-कचरा राज्य के लिये भविष्य की बहुत बड़ी चुनौती है। इसके गैर वैज्ञानिक ढंग से एकत्रीकरण करने, जलाने व बेतरतीब ढंग से जहाँ-तहाँ फेंकने से हवा और पानी के प्रदूषित होने का खतरा रहता है। 
  • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख सचिव (वन) व अध्यक्ष आर.के. सुधांशु ने बताया कि केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के आधार पर ई-कचरा प्रबंधन को लागू कर रहे हैं। सरकार की कोशिश यह रहेगी कि ई-कचरा के एकत्रीकरण को बढ़ाया जाए।  
  • इसके प्रभावी प्रबंधन के लिये आईटीडीए ई-कचरा प्रबंधन नीति बना रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नीति के संबंध में सुझाव दे दिये गए हैं।   
  • ई-कचरा एकत्र करने वाले शीर्ष 10 राज्य: 
  1. हरियाणा - 245015.82 (मीट्रिक टन) 
  2. उत्तराखंड - 51541.12 
  3. तेलंगाना - 42297.68 
  4. कर्नाटक - 39150.63 
  5. तमिलनाडु - 31143.77 
  6. गुजरात - 30569.32 
  7. पंजाब - 28375.27 
  8. राजस्थान - 27998.77 
  9. महाराष्ट्र - 18559.30 
  10. केरल - 1249.61


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड/25 ‘बोधिसत्व विचार श्रृंखला एक नई सोच एक नई पहल’ पुस्तक का विमोचन

चर्चा में क्यों?

  • 29 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उत्तराखंड/25 ‘बोधिसत्व विचार श्रृंखला एक नई सोच एक नई पहल’ पुस्तक का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • उत्तराखंड के समग्र विकास हेतु पिछले एक वर्ष में बोधिसत्व विचार श्रृंखला के तहत आयोजित विभिन्न विषयों पर आधारित 12 सत्रों में वैज्ञानिकों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त विचारों का संकलन इस पुस्तक में किया गया है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान की राह आसान बनाने का प्रयास रहा है। राज्य के विकास की दीर्घकालिक योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिये सभी विभागों का 10 साल का रोड मैप तैयार किया जा रहा है। अब तक 20 विभागों की समीक्षा की जा चुकी है।
  • बोधिसत्व विचार श्रृंखला में प्राप्त सुझावों को इसमें शामिल किया जा रहा है। सरकार का प्रयास राज्य के विकास में
  • सभी संस्थानों का सहयोग प्राप्त करने का रहा है। पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय को पशुपालन एवं कृषि विकास तथा
  • तकनीकि विश्व विद्यालय को विज्ञान एवं तकनीकि का राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच बनाने में सहयोगी बनाया जाएगा।
  • विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से उत्तराखंड/25 की अवधारणा के अनुरूप एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखंड
  • राज्य के निर्माण के लिये उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा भी की।
  • डिजिटल उत्तराखंड का उद्देश्य राज्य में रोज़गार सृजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और औद्योगिक विकास में नए आयाम हासिल करना है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि इकोलॉजी, इकोनॉमी, टैक्नोलॉजी, एकाउंटिबिलिटी और सस्टेनबिलिटी के पाँच सशक्त स्तंभों पर व्यवस्थित मॉडल उत्तराखंड/25 के संकल्प के लिये आवश्यक है। हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड राज्य अपने सृजन की रजत जयंती वर्ष 2025 तक एक श्रेष्ठ राज्य बनकर उभरे तथा 21वीं सदी के इस तीसरे दशक में समृद्ध और सशक्त रूप में स्थापित हो।
  • यह बोधिसत्व विचार श्रृंखला ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों के संयोजन से आयोजित की गई।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधिसत्व का उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रित एक ऐसे मंच की स्थापना है जहाँ देश के मूर्धन्य मनीषी, वैज्ञानिक, युवा उद्यमी एवं जनप्रतिनिधि एक साथ एकत्र होकर राज्य के विकास के सभी आयामों पर गहन विचारविमर्श कर उत्तराखंड/25 की एक ऐसी कार्ययोजना तैयार कर सकें, जो राज्य का भविष्य उत्तरोत्तर स्वर्णिम बनाने में सहायक सिद्ध हो सके।
  • इन श्रृंखलाओं से प्राप्त सुझावों को इस पुस्तक में समाहित किया गया है।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow