इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 May 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड की फूलों की घाटी

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड में फूलों की घाटी पर्यटकों के लिये 1 जून से खुल रही है। यह उत्तराखंड के नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व के भीतर स्थित है, जिसे वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया गया था।

प्रमुख बिंदु:

  • फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में हिमालय की 300 से अधिक देशी फूलों की प्रजातियाँ हैं, जो जून से नवंबर तक मानसून के मौसम में देखी जा सकती हैं।
  • इसमें 300 से ज़्यादा तरह की पुष्प प्रजातियाँ शामिल हैं, जैसे- एनीमोन, गेरेनियम, ब्लू पॉपी और ब्लूबेल। यह ग्रे लंगूर, उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयन वीज़ल, काला भालू, लाल लोमड़ी, लाइम तितली, हिम तेंदुआ तथा हिमालयन मोनाल जैसी दुर्लभ पशु प्रजातियों का निवास स्थल है।

बायोस्फीयर रिज़र्व

  • बायोस्फीयर रिज़र्व (BR) प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के प्रतिनिधि भागों के लिये संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय पदनाम है जो स्थलीय या तटीय/ समुद्री पारिस्थितिक तंत्र या इसके संयोजन के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है
  • बायोस्फीयर रिज़र्व प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास एवं संबंधित सांस्कृतिक मूल्यों के रखरखाव को संतुलित करने का प्रयास करता है
  • इस प्रकार बायोस्फीयर रिज़र्व लोगों और प्रकृति दोनों के लिये विशेष वातावरण हैं तथा यह इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि कैसे मनुष्य एवं प्रकृति एक-दूसरे की ज़रूरतों का सम्मान करते हुए सह-अस्तित्त्व में रह सकते हैं।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में बागवानी की पैदावार में गिरावट

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड में वर्ष 2023 में, 44,882 हेक्टेयर कृषि भूमि चरम मौसम की घटनाओं के कारण नष्ट हो गई है। घटती कृषि संभावनाओं के कारण पहाड़ी इलाकों से मैदानी इलाकों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है, जिससे बागवानी उत्पादन के लिये समर्पित क्षेत्र में कमी आने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु:

  • उत्तराखंड में बागवानी उत्पादन के क्षेत्र में कमी के कारण भी प्रमुख फलों की पैदावार में भी वर्ष 2016-17 और 2022-23 के दौरान उल्लेखनीय बदलाव देखे गए हैं
    • अमरूद और करौंदे की खेती में वृद्धि से पता चलता है कि अब बाज़ार की मांग या स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप फलों की किस्मों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उत्तराखंड की बागवानी फसल पर ग्लोबल वार्मिंग के महत्त्वपूर्ण प्रभाव के कारण पिछले 7 वर्षों में प्रमुख फलों जैसे उच्च गुणवत्ता वाले सेबों, नाशपाती, आड़ू, आलूबुखारा और खूबानी के उत्पादन में ज़बरदस्त गिरावट आई है
  • उत्तराखंड में भारी वर्षा, बाढ़, ओलावृष्टि और भूस्खलन जैसी आपदाएँ लगातार आती रही हैं, जिससे कृषि भूमि तथा फसलों को भारी नुकसान पहुँचा है।
    • बढ़ते तापमान के कारण शीतकालीन फलों की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे किसान उष्णकटिबंधीय विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। जो बदलती जलवायु परिस्थितियों के लिये बेहतर रूप से अनुकूल हैं ।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार, तापमान में अल्पकालिक परिवर्तनशीलता और रुझान चिंताजनक हैं तथा मौसम के बदलावों में दीर्घकालिक रुझान एवं उपज के साथ इसके संबंध का अध्ययन करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से, फसल/फसल प्रारूप में किसी भी प्रकार के बदलाव या फसल/फसल प्रारूप में बदलाव के साथ इसके संबंध का अध्ययन करने की आवश्यकता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)

  • इसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी। 
  • यह भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग (DARE) के तहत एक स्वायत्त संगठन है
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। देश भर में फैले 102 ICAR संस्थानों और 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है
  • यह पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान तथा शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन एवं प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में छात्रों के लिये द्विभाषीय पुस्तकें

चर्चा में क्यों?

देश में अपनी तरह की पहली पहल के तहत उत्तराखंड सरकार वर्तमान शैक्षणिक सत्र से विद्यार्थियों को द्वि-भाषा विज्ञान पुस्तकें उपलब्ध कराएगी।

प्रमुख बिंदु:

  • छठी से आठवीं कक्षा के लिये विज्ञान की, जबकि उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिये भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की तीन अलग-अलग द्विभाषीय पुस्तकें होंगी।
  • राज्य शिक्षा विभाग के अनुसार, दोहरी भाषाओं में तैयार और मुद्रित पुस्तकें शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से पहले सभी राज्य संचालित स्कूलों में पहुँचा दी गई हैं। ये पुस्तकें हिंदी या अंग्रेज़ी भाषा में अलग-अलग प्रकाशित नहीं की गई हैं बल्कि प्रत्येक भाग एक ही पाठ्यक्रम का पालन करता है और दोनों भाषाओं में आसन्न पृष्ठों पर दिये गए हैं।
  • उत्तराखंड के चुनिंदा 800 सरकारी स्कूलों में जल्द ही दो-दो स्मार्ट क्लास होंगी। सभी 1,600 स्मार्ट क्लास को तारों के ज़रिए आपस में जोड़ा जाएगा।
  • स्कूलों को उच्च तकनीक वाले डिजिटल उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा, जिनमें बड़ी स्क्रीन, ऑनलाइन 3D शिक्षा मॉड्यूल,  इंटरनेट सेवाएँ और अन्य तकनीकें एवं राजपत्र शामिल होंगे।







 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2