उत्तर प्रदेश Switch to English
रैपिड रेल व मेट्रो के किनारे बसेंगे आधुनिक शहर
चर्चा में क्यों?
30 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने उन सभी शहरों में आधुनिक शहर बसाने का फैसला किया है, जो रैपिड रेल और मेट्रो रेल से जुड़े हैं। इनमें लखनऊ के अलावा कानपुर, आगरा, मेरठ और गाजियाबाद शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- इन शहरों में रैपिड रेल और मेट्रो के दोनों किनारे आधुनिक शहर बसाए जाएंगे। बड़े होटल, सभी सुविधायुत्त अपार्टमेंट, मल्टीलेवल पार्किंग, पार्क आदि की व्यवस्था होगी।
- सरकार की मंशा को देखते हुए आवास विभाग ने इन शहरों के विकास प्राधिकरणों को ज़ोनल डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिये हैं। साथ ही सभी विकास प्राधिकरणों से इस संबंध में प्रस्ताव भी मांगा है।
- अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि आधुनिक शहर बसाने के उद्देश्य से ही उत्तर प्रदेश ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) नीति-2022 जारी की गई है।
- इसका मकसद मेट्रो और रैपिड रेल वाले शहरों में कम ज़मीन पर अधिक निर्माण, आवासीय के साथ व्यावसायिक निर्माण और भू-उपयोग को बदलकर उस पर ज़रूरत के आधार पर निर्माण की सुविधा देना है।
बिहार Switch to English
बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के भवन एक ही रंग के होंगे
चर्चा में क्यों?
30 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार स्वास्थ्य विभाग ने ‘मिशन परिवर्तन’ के तहत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के भवनों को एक समान रंग में रंग-रोगन करने का निर्देश दिया है। इसका मॉडल भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान, पावापुरी (बिम्स) को माना गया है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि बिहार के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ‘मिशन परिवर्तन’चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को चकाचक बनाया जाए।
- साफ-सफाई के साथ विभाग की कोशिश है कि सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के लुक भी एक समान हो। किसी भी मरीज को मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में आते समय दूर से ही रंग के आधार पर आसानी से पहचान हो जाए।
- स्वास्थ्य विभाग ने ‘मिशन परिवर्तन’ के तहत राज्य के सभी 10 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों- पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मुजफ्फरपुर, जीएमसी, बेतिया, दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जेएलएनएमसीएचभागलपुर, जीएमसी, पूर्णिया, जेएनकेटीएमसीएच, मधेपुरा और एएनएमसीएच, गया के भवनों को एक समान रंग में रंग-रोगन करने का निर्देश दिया है।
- इसका मॉडल भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी (बिम्स) को माना गया है। अब बिम्स के भवनों के रंग जैसा ही सभी मेडिकल कॉलेजों के भवनों की रँगाई पुताई की जाएगी।
- गौरतलब है कि इसके पहले ‘मिशन 60 डे’ के तहत राज्य के सभी ज़िला अस्पतालों को भी एक तरह के रंग में रंगने का आदेश दिया गया था। राज्य के सभी ज़िला अस्पतालों के भवनों को एक रंग में रँगाई कर दिया गया है। इसी फार्मूले को बढ़ाते हुए अब मेडिकल कॉलेजों के भवनों और वार्डों को एक समान रंग में करने का निर्देश दिया गया है।
- इसी प्रकार सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि पुराने भवनों को जिनका अब उपयोग नहीं किया जा सकता है, उनकी पहचान कर ली जाए। साथ ही वैसे भवनों को बीएमएसआइसीएल के माध्यम से जमींदोज कराने की कार्रवाई की जाए।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान उच्च न्यायालय के 41वें मुख्य न्यायाधीश बने ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह
चर्चा में क्यों?
30 मई, 2023 को राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में जस्टिस ऑगस्टिन जार्ज मसीह को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने राजस्थान उच्च न्यायालय के 41वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लिया।
प्रमुख बिंदु
- पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने अंग्रेजी भाषा में शपथ ली।
- समारोह के प्रारंभ में राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु द्वारा जारी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति अधिसूचना एवं वारंट पढ़कर सुनाया।
- विदित है कि जस्टिस मसीह का जन्म 12 मार्च, 1963 को पंजाब के रोपड़ में हुआ था। उन्होंने सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल, कसौली (एचपी) में प्रारंभिक स्कूली शिक्षा ली और फिर सैफुद्दीन ताहिर हाई स्कूल, अलीगढ़ से स्कूली शिक्षा पूरी की।
- जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह सुप्रीम कोर्ट, पंजाब और हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों की हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी कर चुके हैं। वे सहायक महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता के पदों पर भी रहे।
- जस्टिस मसीह को 10 जुलाई, 2008 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप नियुक्ति मिली थी। 14 जनवरी, 2011 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
मध्य प्रदेश Switch to English
गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल में नॉलेज हब का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
30 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल में बीटा थैलेसीमिया और हीमोग्लोबिनोपैथी के नियंत्रण और रोकथाम के लिये क्षमतावर्धन हेतु नॉलेज हब का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि नॉलेज हब के माध्यम से बीटा थैलेसीमिया सहित विभिन्न रक्त विकारों की पहचान, उपचार एवं रोकथाम में सहायता मिलेगी।
- मंत्री सारंग ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य हीमोग्लोबिनपैथी मिशन में ईको इंडिया के सहयोग से गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में नॉलेज हब की स्थापना की गई है। इससे प्रदेश के 50 ज़िलों में बीटा थैलेसीमिया और हीमोग्लोबिनोपैथी पर केंद्रित चिकित्सकों की क्षमता वृद्धि कार्यक्रम में 150 डॉक्टर्स के शुरूआती समूह के लिये प्रशिक्षण-सत्र शुरू किया गया है।
- उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में मेडिकल के साथ ही इंजीनियरिंग के समावेश से सुदूर इलाकों के चिकित्सकों को भी गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायता मिलेगी। साथ ही जाँच, प्रारंभिक निदान, उपचार और समग्र आनुवंशिक रक्त विकारों में चिकित्सकों के कौशल में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि सिकल सेल उन्मूलन मिशन में सिकल सेल एनीमिया, थैलिसिमिया और अन्य हीमोग्लोबिनोपैथी के विकारों से पीड़ित लोगों की स्क्रीनिंग, रेफरल और प्रबंधन की प्रणाली स्थापित की गई है। मिशन के प्रथम चरण में प्रदेश के 2 जनजाति बहुल ज़िले झाबुआ और अलीराजपुर में पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
- गौरतलब है कि बीटा थैलिसीमिया एक गंभीर आनुवंशिक रक्त जनित रोग है, जिसे कुली एनीमिया भी कहा जाता है। इसके कारण शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का पहुँचना कम हो जाता है। इसका सबसे अधिक खतरा कम आयु के शिशुओं को है।
- इसकी उत्पत्ति मानव जीन में असामान्यता से होती है। यदि नवजात शिशु के माता-पिता में से कोई भी थैलिसीमिया से ग्रसित है, तो शिशु में भी यह रोग होने की 25 प्रतिशत संभावना होती है। यदि माता-पिता दोनों इस रोग से ग्रसित हैं, तो शिशु में इसकी संभावना 50 प्रतिशत तक होती है। सही समय पर जाँच एवं उपचार से मरीज को बचाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
राज्य युवा सलाहकार परिषद का गठन
चर्चा में क्यों?
30 मई, 2023 को मध्य प्रदेश राज्य शासन द्वारा प्रदेश की युवा नीति एवं युवाओं से जुड़े मामलों में सलाह देने के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य युवा सलाहकार परिषद का गठन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- परिषद में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री और अध्यक्ष म.प्र. युवा आयोग को पदेन उपाध्यक्ष बनाया गया है। प्रमुख सचिव, खेल एवं युवा कल्याण परिषद के सदस्य सचिव होंगे।
- परिषद के सदस्यों में सर्वश्री मेघदीप बोस, अनुभव दुबे, सूर्यपाल सिंह, प्रतीक संचेती, डॉ. सचिव शर्मा, सोनू गोलकर, कार्तिक सप्रे, श्रीमती अदिति झांवर, डॉ. तेजल शाह पारूलकर, विनायक लोहानी, सुश्री हिमाद्री सिंह, आशुतोष सिंह ठाकुर और गजेंद्र सिंह तोमर शामिल हैं।
- अध्यक्ष की अनुमति से विशेष आमंत्रित सदस्य राज्य युवा सलाहकार परिषद में सम्मिलित किये जा सकेंगे।
छत्तीसगढ़ Switch to English
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में दिखा दुर्लभ ‘माउस डियर’
चर्चा में क्यों?
30 मई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बस्तर स्थित विख्यात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में अब दुर्लभ प्रजाति ‘माउस डियर’की तस्वीर कैमरा ट्रेप में कैद हुई है।
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में संकटापन्न जंगली भेड़ियों की वापसी के साथ-साथ इससे लगे गाँवों तक छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी ‘पहाड़ी मैना’की भी मीठी बोली गूंजने लगी है।
- यह वन विभाग की पहल से वन्यजीवों के सुरक्षित रहवास के लिये किये जा रहे कार्यों के सकारात्मक परिणाम को दर्शाता है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा लगातार वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में कार्य करने से दुर्लभ प्रजातियों का रहवास सुरक्षित हुआ है।
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा स्थानीय युवाओं को पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में रोज़गार उपलब्ध कराया गया है, जिससे लगातार पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कर वन्यजीवों के रहवास का संरक्षण किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्रामीणों की संरक्षण में सहभागिता सुनिश्चित होने से वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
- उल्लेखनीय है कि भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह की प्रजाति में से एक है।
- भारतीय माउस डियर का रहवास विशेष रूप से घने झाड़ियों तथा नमी वाले जंगलों में होता है। माउस डियर में चूहे-सूअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है और बिना सींग वाले हिरण का एकमात्र समूह है।
- माउस डियर के शर्मीले व्यवहार और रात्रिकालीन गतिविधि के कारण इनके विषय में विशेष रिसर्च नहीं हुआ है। मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वनों में माउस डियर की उपस्थिति दर्ज हुई है।
- वनों में लगने वाली आग, बढ़ते हुए अतिक्रमण और शिकार के दबाव से भारतीय माउस डियर की आबादी को शायद गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में इन प्रजातियों को बचाने के प्रयास की आवश्यकता है।
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में ऐसे वन्यजीव के लिये उपयुक्त रहवास होने से और राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान और स्थानीय लोगों की सहभागिता के परिणामस्वरूप ‘माउस डियर’जैसे दुर्लभ प्रजातियों की वापसी देखे जाने से राज्य शासन की वन्यजीव संरक्षण का उद्देश्य साकार हो रहा है। इससे पर्यटक आकर्षित होंगे तथा राष्ट्रीय उद्यान में सैलानियों की संख्या और अधिक बढ़ेगी।
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