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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Jan 2023
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गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झाँकी को मिला प्रथम स्थान

चर्चा में क्यों?

30 जनवरी, 2023 को केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की परेड (Republic Day Parade 2023) में शामिल राज्यों की झाँकियों के पुरस्कार का ऐलान किया, जिसमें उत्तराखंड की झाँकी मानसखंड को देशभर में प्रथम स्थान मिला।

प्रमुख बिंदु 

  • गणतंत्र दिवस की परेड में कर्त्तव्य पथ पर प्रदर्शित की गई सभी झाँकियों में उत्तराखंड की झाँकी को प्रथम पुरस्कार मिला। उत्तराखंड ने राज्य के वन्यजीवों और धार्मिक स्थलों की थीम पर झाँकी प्रदर्शित की थी।
  • उत्तराखंड की झाँकी में उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल के साथ ही उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को प्रदर्शित किया गया था।
  • झाँकी में प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम मंदिर को दिखाया गया था। मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षों का सीन तैयार किया गया था। झाँकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपण कला से लिखा गया था।
  • गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भाँति सरकार कुमाऊँ में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था।
  • टीम लीडर और संयुक्त निदेशक सूचना के.एस. चौहान के नेतृत्व में झाँकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिये छोलिया नृत्य करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। इसी के साथ झाँकी के ऊपर बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गणतंत्र दिवस की परेड में 23 झांकियाँ प्रदर्शित की गईं। इनमें से 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और 6 झांकियाँ मंत्रालयों और विभागों से थीं।
  • विदित है कि सितंबर माह में भारत सरकार की ओर से सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों एवं मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं। अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती हैं। उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतीकरण के लिये आमंत्रित करती हैं।
  • पहली बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठकें डिजाइन निर्माण के संदर्भ में होती हैं। जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नहीं लगते हैं उनको शार्टलिस्ट कर देती हैं। उसके बाद झाँकी का मॉडल बनाया जाता है। थीम सांग 50 सेकेंड का होता है, जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता है, जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती हैं, तब झाँकी का अंतिम चयन किया जाता है।

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प्रदेश के विश्वविद्यालयों में लागू होगा समान शैक्षिक कैलेंडर

चर्चा में क्यों?

30 जनवरी, 2023 को उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश में बेहतर शैक्षिक वातावरण के लिये सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में समान शैक्षणिक कैलेंडर लागू किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि समान शैक्षणिक कैलेंडर के तहत विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में छात्रों के लिये एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम, एक चुनाव एवं एक दीक्षांत समारोह की थीम पर कार्य करते हुए एकरूपता लाई जाएगी।
  • समीक्षा बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राज्य में समयबद्ध एवं गुणवत्तापरक शैक्षणिक वातावरण के लिये सभी विश्वविद्यालय में प्रवेश की तिथि, परीक्षा एवं परीक्षा परिणाम, छात्रसंघ चुनाव व दीक्षांत समारोह के लिये समान एकेडमिक कैलेंडर लागू किया जाएगा।
  • इसके लिये सभी विश्वविद्यालय के कुलपति आपस में बैठकर दो सप्ताह में शैक्षणिक कैलेंडर का ड्राफ्ट तैयार करेंगे, जिसको अगली बैठक में अंतिम रूप देते हुए स्वीकृति के लिये शासन को भेजा जाएगा।
  • विश्वविद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया से लेकर परीक्षा के आयोजन का कार्य महीनों चलता रहा है, जिससे परीक्षाएँ समय पर नहीं हो पाती हैं। इससे परिणाम घोषित करने में भी देरी होती है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अपने संबद्ध महाविद्यालयों में 180 दिवस अनिवार्य रूप से कक्षाएँ संचालित करनी होगी। साथ ही छात्र-छात्राओं को पुस्तकालयों में बैठकर अध्ययन करने के लिये प्रेरित करना होगा।
  • शिक्षा मंत्री ने कहा कि परीक्षा में बैठने के लिये छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा को गुणवत्ता एवं रोज़गारपरक बनाने के लिये विश्वविद्यालय एवं सभी कॉलेजों को नैक मूल्यांकन कराना ज़रूरी है।
  • सभी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह की समान वेश-भूषा व दीक्षा शपथ एकसमान होगी। एक जैसी दीक्षा शपथ के लिये संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवेंद्र शास्त्री की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है, जो दीक्षा शपथ का ड्राफ्ट एवं वेश-भूषा तय कर शासन को उपलब्ध कराएगी।
  • बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली ने कहा कि नए शैक्षिक सत्र से सभी विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश समर्थ पोर्टल से अनिवार्य रूप से किये जाएंगे। एकेडमिक गतिविधियों के साथ ही शोध कार्यों एवं कौशल विकास संबंधी पाठ्यक्रमों को वरीयता दी जाएगी।

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