उत्तर प्रदेश Switch to English
गोरखपुर के ‘पनियाला’ को मिला जीआई टैग
चर्चा में क्यों?
29 जनवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार की हाईपावर कमेटी ने जिन 21 कृषि उत्पादों को जीआई टैग के लिये अनुमति दी है, उनमें पनियाला भी शामिल है।
प्रमुख बिंदु
- जीआई टैग की अनुमति मिलने से गोरखपुर के लच्छीपुर और आस-पास के गाँवों में पैदा होने वाले पनियाला का स्वाद अब देश-दुनिया तक पहुँचेगा। नष्ट होते जा रहे पनियाला के पेड़ संरक्षित किये जाएंगे, पनियाला के बगीचे तैयार होंगे और उसके फल के खट्टे-मीठे स्वाद का लोग आनंद उठाएंगे।
- ज्ञातव्य है कि पनियाला आकार और रंग में जामुन से मिलता-जुलता है तथा इसका स्वाद खट्टा-मीठा है।
- उत्तर प्रदेश स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड की ई-पत्रिका के मुताबिक स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यह कहाँ का पेड़ हैं। संभावना इस बात की ज़रूर है कि यह मूलत: उत्तर प्रदेश में ही पाया जाने वाला फल है। पनियाला की वास्तविक उपज भले ही कहीं हो, लेकिन गोरखपुर महानगर के उत्तरी इलाके में स्थित लच्छीपुर से लेकर नकहा रेलवे स्टेशन के बीच इसके कई बागीचे थे। पहले लच्छीपुर की पहचान ही पनियाला थी। लंबे समय तक इस गाँव के लोगों की आय का ज़रिया पनियाला और अमरूद के फल थे।
- उल्लेखनीय है कि पनियाला 60 से 90 रुपए किलो तक बिक जाता है। कभी-कभी 100-150 रुपए किलो तक भी बिकता है। एक पेड़ से 4000 रुपए की आय हो जाती है।
- वर्ष 2011 से 2018 के बीच पं. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग में हुए कई शोध में यह बात सामने आई कि पनियाला गुणों की खान है। शोध के अनुसार इसके पत्ते, छाल, जड़ों एवं फलों में बैक्टीरिया के प्रति प्रतिरोधात्मक क्षमता होती है। पेट से जुड़े रोगों में पनियाला काफी लाभकारी होता है। दाँतों और मसूढ़ों में दर्द, इनसे खून आने, कफ, निमोनिया और खराश आदि के इलाज़ में भी इसका प्रयोग होता रहा है। इसे संरक्षित कर लंबे समय तक रखा भी जाता है।
- विदित है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के शिक्षक प्रो. वी.एन. पांडेय के निर्देशन में उनकी शोध छात्रा निहारिका पांडेय द्विवेदी ने भी पनियाला पर अपना शोध पूरा किया था। वर्ष 2015 में निहारिका का शोध सामने आया, जिसे विशेषज्ञों ने खूब सराहा। पनियाला में सेहत के लिहाज से कई फायदेमंद तत्त्व पाए गए।
बिहार Switch to English
पटना के चार सरकारी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल होंगे स्वायत्त
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की तर्ज़ पर राज्य के चार सरकारी सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों को स्वायत्तता मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
- सरकारी सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों को स्वायत्तता देने से इन संस्थानों की सरकार पर निर्भरता कम होगी और बेहतर इलाज़, शैक्षणिक गतिविधियाँ एवं विकास करने की क्षमता विकसित होगी।
- जिन संस्थानों को स्वायत्तता देने की दिशा में पहल आरंभ की गई है, उनमें इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आईजीआईसी), राजेंद्र नगर नेत्र रोग अस्पताल, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल और लोकनायक जयप्रकाश नारायण हड्डी रोग अस्पताल, शास्त्रीनगर शामिल हैं।
- सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। पहले कागज़ी कार्रवाई की जा रही है, जिसमें विभाग सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को परिभाषित कर रहा है।
- इसके अलावा स्वायत्त संस्थानों में शक्ति को परिभाषित किया जा रहा है, जिससे संस्थान को संचालित करने की शक्ति किन-किन पदों को सौंपी जाएगी, निदेशक की नियुक्ति किस विधि से की जाएगी और इन सभी स्वायत्त होने वाले संस्थानों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का गठन किस प्रकार से किया जाएगा, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की क्या शक्ति होगी और निदेशक की भूमिका क्या होगी आदि का निर्धारण होगा।
- इन सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों को स्वायत्तता देने के बाद विशेषज्ञों की नियुक्ति, कर्मचारियों की नियुक्ति, दवा खरीदने की विधि, साफ-सफाई और सुरक्षा एजेंसियों की आउटसोर्सिंग कैसे की जाएगी। संस्थान को फीस निर्धारित करने की शक्ति क्या होगी, जैसे- मरीज़ के पंजीकरण, पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी जाँच, ओपीडी शुल्क या आईपीडी शुल्क क्या होगा। यह शुल्क मरीज़ों से लिया जाएगा या मुफ्त इलाज़ की सुविधाएँ दी जाएंगी आदि का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।
- राजधानी के चारों अस्पतालों में डीएनबी कोर्स संचालित किया जाएगा। डीएनबी कोर्स में क्या सीट होगी और उनके प्रशिक्षण की क्या व्यवस्था होगी, इन सभी बातों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभागीय स्तर पर काम शुरू हो गया है।
बिहार Switch to English
इसरो के नाइट टाइम लाइट एटलस में बिहार बना अव्वल
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को इसरो के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से जारी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बिहार अब न केवल अंधेरे से बाहर आ चुका है, बल्कि देश के चमकते राज्यों में अव्वल बन गया है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में एक दशक के भीतर नाइट टाइम लाइट्स में 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नाइट टाइम लाइट्स की वृद्धि में तीन प्रमुख कारण हो सकते हैं, जिनमें सौभाग्य योजना, उज्ज्वला योजना और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण शामिल हैं।
- विदित है कि दुनिया भर के क्षेत्रों के आर्थिक विकास को ट्रैक करने के लिये अर्थशास्त्रियों द्वारा नाइट लाइट का उपयोग किया जाता है।
- पिछले दशक (2012 से 2021) के लिये इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) द्वारा तैयार किये गए नाइट टाइम लाइट (एनटीएल) एटलस के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर औसतन 45% की वृद्धि हुई है, जबकि बिहार राज्य में यह वृद्धि 474% की रही है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत आगे हैं। राज्य की यह असाधारण उपलब्धि निश्चित रूप से विद्युत क्षेत्र में पिछले एक दशक में सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के लिये व्यापक स्तर पर किये गए कार्यों का प्रतिफल है।
- बड़े राज्यों में पिछले एक दशक में बिहार के बाद यह वृद्धि केरल में 119% मध्य प्रदेश में 66%, उत्तर प्रदेश में 100% एवं गुजरात में 58% है।
- ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने बताया कि इसरो द्वारा जारी किये डिकेडल चेंज ऑफ लाइफ टाइम लाइट (एनटीएल) ओवर इंडिया फ्रॉम स्पेस 2012 से 2021 के वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद तैयार किये गए हैं।
- उन्होंने बताया कि बिहार राज्य द्वारा जो 474% की वृद्धि प्रदर्शित की गई है, वह स्पष्ट करती है कि राज्य में 24×7 विद्युत उपलब्धता के लिये विद्युत कंपनियाँ लगातार प्रयासरत् हैं।
- आरएससी के द्वारा नासा एवं नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेयर एडमिनिस्ट्रेशन के आँकड़ों के आधार पर उपरोक्त सूचकांकों को तैयार किया गया है। एनआरएससी की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने साल 2012 से 2021 तक राष्ट्रीय स्तर और ज़िला स्तर पर लाइट में आए बदलाव को लेकर एक गहन स्टडी की है।
राजस्थान Switch to English
पशु कल्याण पखवाड़े के अंतिम दिन सर्वोदय दिवस का हुआ आयोजन
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को महात्मा गांधी के शहीद दिवस को राजस्थान पशुपालन विभाग एवं जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश में सर्वोदय दिवस के रूप में मनाया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर राज्य जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के विशेषाधिकारी डॉ. लाल सिंह ने बताया कि बोर्ड द्वारा संपूर्ण वर्ष में जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर आमजन में पशु कल्याण की भावना को जागृत किया जाएगा।
- विदित है कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को सर्वोदय दिवस के रूप में विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है व इस दिन संपूर्ण राज्य में पशु-पक्षियों के वध को निषेध रखना विभिन्न विभागों की सहायता से सुनिश्चित किया जाता है।
- डॉ. लाल सिंह ने बताया कि जिस प्रकार महात्मा गांधी ने अपने जीवन को अहिंसा एवं सर्व कल्याण के लिये समर्पित किया था, वैसे ही वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिये आवश्यक है कि ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत का पालन किया जाए।
- जयपुर स्थित मानसरोवर के एक निजी विद्यालय में पशु कल्याण पखवाड़े के समापन कार्यक्रम में मौज़ूद स्कूली बच्चों ने मानव द्वारा पशुओं को दी जाने वाली यातनाओं से पशुओं को होने वाले दर्द को नाटक के माध्यम से जीवंत किया।
- बच्चों ने दर्शाया कि किस प्रकार मानव अपनी ज़रूरत को प्राथमिकता देते हुए पशुओं के साथ अत्याचार को अंजाम देते हैं। इस मौके पर बच्चों ने पशुओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोकने का संदेश देते हुए पोस्टर एवं स्लोगन को भी दर्शाया। वहीं, कुछ छात्र-छात्राओं ने स्वरचित कविताओं के माध्यम से पशुओं के प्रति दयाभाव रखने एवं पशु कल्याण को प्रेरित करने का संदेश दिया।
- इस अवसर पर मौज़ूद जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के पशु चिकित्सक डॉ. यशपाल द्वारा पोस्टर, बैनर, कविता वाचन एवं नाट्य मंचन करने वाले विद्यार्थियों को बोर्ड द्वारा प्रतीक चिह्न एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
राजस्थान Switch to English
प्रदेश में अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पावर पार्क्स की स्थापना हेतु टी.एच.डी.सी.एल. एवं आर.आर.ई.सी.एल. के मध्य 10,000 मेगावाट क्षमता का जे.वी. एग्रीमेंट निष्पादित
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को भारत सरकार की मिनीरत्न ए-श्रेणी की कंपनी टी.एच.डी.सी. लिमिटेड तथा राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के मध्य जयपुर में जॉइंट वेंचर कम शेयर होल्डिंग एग्रीमेंट निष्पादित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष आशुतोष ए.टी. पेडणेकर तथा प्रबंध निदेशक अनिल ढाका की उपस्थिति में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के तकनीकी निदेशक डी.के. शर्मा तथा टी.एच.डी.सी. के चीफ जनरल मैनेजर (सोलर) एस.एस. पवार द्वारा उक्त समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- टी.एच.डी.सी. एवं आर.आर.ई.सी. की जॉइंट वेंचर कंपनी में 74:26 प्रतिशत हिस्से की क्रमश: भागीदारी होगी।
- इस अवसर पर राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष आशुतोष ए.टी. पेडणेकर ने बताया कि इस जॉइंट वेंचर कंपनी द्वारा प्रदेश में 10,000 मेगावाट क्षमता की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएँ प्रदेश के विभिन्न स्थानों में चरणबद्ध रूप से विकसित की जाएंगी, जिससे सस्ती अक्षय ऊर्जा की प्राप्ति होगी।
- इस अवसर पर पेडणेकर द्वारा टी.एच.डी.सी. अधिकारियों के साथ मिलकर फ्लोटिंग सोलर और पंप स्टोरेज हाईड्रो प्लांट को भी राजस्थान में विकसित कराए जाने के लक्ष्यों पर विचार-विमर्श किया गया।
- आशुतोष ए.टी. पेडणेकर ने बताया कि प्रदेश में स्थापित होने वाले इस अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पावर पार्क्स की स्थापना प्रदेश में केंद्र सरकार के उपक्रम के साथ अक्षय ऊर्जा के विकास की इस तरह की एक अनूठी पहल साबित होगी।
- राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल ढाका ने बताया कि प्रदेश में 10,000 मेगावाट क्षमता के अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पार्क्स की स्थापना से राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ-साथ राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के कार्य-कलापों के दायरे का विकास होगा।
- टी.एच.डी.सी. के सी.जी.एम. (सोलर) एस.एस. पवार ने बताया कि इस अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पार्क्स की स्थापना पर लगभग 40,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा तथा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10,000 व्यक्तियों को रोज़गार प्राप्त होगा, जिससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति और जीवन स्तर का विकास होगा। प्रथम चरण में वर्ष 2025 तक 2000 मेगावाट क्षमता के सोलर पॉर्क्स का विकास किया जाएगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी और मेघा इंजीनियरिंग के बीच ट्रांसमिशन सर्विस एग्रीमेंट हस्ताक्षरित
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को मध्य प्रदेश में 17 अति उच्चदाब सबस्टेशन बनाने के लिये मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी और मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एवं इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के बीच टी.एस.ए. (ट्रांसमिशन सर्विस एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर हुए।
प्रमुख बिंदु
- इसके पहले मध्य प्रदेश शासन द्वारा नियुक्त बिड प्रोसेस को-ऑर्डिनेटर आर.ई.सी.पी.डी.सी.एल. ने टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद न्यूनतम बिडर मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एवं इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैदराबाद को एस.पी.ए. (शेयर परचेस एग्रीमेंट) हस्तांतरित किया।
- मुख्य अभियंता संजय कुलश्रेष्ठ ने बताया कि टी.बी.सी.बी. (टेरिफ बेस्ड कांपटेटिव बिडिंग) में न्यूनतम रहते हुए मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के लिये 17 अति उच्चदाब के सबस्टेशन बनाने का यह कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया है।
- 17 अति उच्चदाब के सबस्टेशन में 400 के.वी. का एक, 220 के.वी. के 3 तथा 132 के.वी. के 13 सबस्टेशन शामिल हैं। इनमें मध्य क्षेत्र के 10 तथा पश्चिम क्षेत्र के 7 सबस्टेशन शामिल हैं।
- मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 59 दौर की ई-रिवर्स ऑक्सन प्रक्रिया के बाद यह टेंडर मिला है। आदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, टाटा पावर कंपनी लिमिटेड तथा टेकनो इलेक्ट्रिक एवं इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड अंतिम दौर की टेंडर प्रक्रिया में शामिल थीं।
- इस पैकेज में भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप में प्रदेश का पहला 400 के.वी. जी.आई.एस. सबस्टेशन, भोपाल में ही 132/33 के.वी. का दूसरा जी.आई.एस. सबस्टेशन एच.ओ.डी., भोपाल क्षेत्र में होशंगाबाद ज़िले के बिसोनीकला, बैतूल ज़िले के शाहपुर में 220 के.वी. का, राजगढ़ ज़िले के छापीहेडा, हरदा ज़िले के सोदालपुर, रायसेन ज़िले के पठारी, और बाड़ी, सीहोर ज़िले के जावरजोड, अशोकनगर ज़िले के सेमराहट में 132 के.वी. के सबस्टेशन, धार ज़िले के पीथमपुर में 132/33 के.वी. का जी.आई.एस. सबस्टेशन, खरगोन में 220 के.वी. का सबस्टेशन, उज्जैन ज़िले के भाटपचलाना, खरगोन ज़िले के पीपलगाँव, रतलाम ज़िले के धोदर, देवास ज़िले के चोबराधीर, अलीराजपुर ज़िले के अंबजा में 132/33 के.वी. के सबस्टेशन बनाए जाएंगे।
- निर्माण करने के बाद इन सबस्टेशनों का संचालन 35 वर्षों के लिये मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।
हरियाणा Switch to English
जॉर्जिया और हरियाणा विभिन्न विषयों पर करेंगे सहयोग
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले में जॉर्जिया के भारत में राजदूत आर्चिल जुलियाश्विली ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर हरियाणा और जॉर्जिया के बीच कई विषयों पर सहयोग के बारे में चर्चा की। इनमें मुख्यत: कृषि, मेडिकल एजुकेशन, हैल्थ सिस्टम, फार्माश्युटिकल और स्पोस्टर्स शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- जॉर्जिया के राजदूत आर्चिल जुलियाश्विली ने हरियाणा सरकार द्वारा आई टी क्षेत्र में किये गए सफल प्रयोग को लेकर रुचि दिखाते हुए बताया कि जॉर्जिया हरियाणा की इस पहल से सीखना चाहता है कि किस प्रकार आईटी के प्रयोग से प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सकती है।
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में की गई आईटी पहलों की जानकारी देते हुए बताया कि आईटी के प्रयोग से सरकारी कार्यों में जहाँ एक ओर पारदर्शिता लाने में मदद मिली है वहीं दूसरी ओर सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचाया जा रहा है।
- जॉर्जिया के राजदूत आर्चिल ने हरियाणा से अपने देश में योग को बढ़ावा देने के लिये सहयोग की मांग भी की है। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सहयोग का आश्वासन दिलाते हुए बताया कि विदेश सहयोग विभाग इस संबंध में एक फ्रेमवर्क बनाकर देगा कि किस प्रकार से हरियाणा जॉर्जिया को सहयोग दे सकता है।
हरियाणा Switch to English
स्वास्थ्य विभाग व हरियाणा राज्य बीज प्रमाणीकरण अभिकरण सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत अधिसूचित
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा नागरिकों को प्रदान की जाने वाली 5 से अधिक सेवाओं तथा हरियाणा राज्य बीज प्रमाणीकरण अभिकरण की 3 सेवाओं की निर्धारित समयसीमा अधिसूचित की है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए बताया कि जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र की प्रमाणित प्रतियाँ (पहले से पंजीकृत) चालू वर्ष के लिये 14 दिन, गत वर्षों 1972 तक के लिये 30 दिन और 1972 से पूर्व के मामले में 90 दिन की समयसीमा तय की गई है।
- इसी प्रकार बालक के नाम का पंजीकरण के लिये 30 दिन, जन्म और मृत्यु के रजिस्टर में प्रविष्टि का शुद्धिकरण (पूर्ण आवदेन प्रस्तुतीकरण के बाद) के लिये 30 दिन की समयसीमा निर्धारित की गई है।
- इसके अलावा, अनुवांशिक काउंसलिंग केंद्र, अनुवांशिकी प्रयोगशालाएँ, अनुवांशिकी क्लिनिक, अल्ट्रासाउंड क्लिनिक और इमेजिंग केंद्र का नया पंजीकरण तथा क्लिनिक, अल्ट्रासाउंड क्लिनिक और इमेजिंग केंद्र के पंजीकरण प्रमाण-पत्र का नवीकरण करने के लिये 90 दिन की समयसीमा निर्धारित की गई है।
- मुख्य सचिव ने बताया कि जन्म और मृत्यु घटनाओं का विलंबित पंजीकरण के तहत आवेदक घटना के 21 दिन के पश्चात् किंतु 30 दिन के अंदर आवेदन करता है तो 21 दिन की समयसीमा, घटना के 30 दिन के पश्चात् किंतु एक वर्ष से पूर्व के मामले में 30 दिन की समयसीमा, घटना घटित होने के एक वर्ष के पश्चात् लेकिन 1972 तक 60 दिन की समयसीमा तथा 1972 से पूर्व के लिये 90 दिन की समयसीमा निर्धारित की है।
- उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य बीज प्रमाणीकरण अभिकरण द्वारा बीज उत्पादन के लिये फर्म का पंजीकरण, बीज के संसाधन के लिये संसाधन संयंत्र का पंजीकरण तथा बीजों के संसाधन के लिये संसाधन संयंत्र का नवीकरण के लिये समयसीमा 21 दिन निर्धारित की गई है।
झारखंड Switch to English
धनबाद के धनेश्वर ने जीता स्ट्रांग मैन ओपन पावर लिफ्टिंग पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
29 जनवरी, 2023 को बिहार के धनबाद में जीसीईटी सेंट जेवियर इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित चौथे ओपन कोयलांचल क्लासिक महिला एवं पुरुष पावर लिफ्टिंग एवं बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का समापन हुआ, जिसमें धनबाद के धनेश्वर ने स्ट्रांग मैन ओपन पावर लिफ्टिंग पुरस्कार जीता।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि चौथे ओपन कोयलांचल क्लासिक महिला एवं पुरुष पावर लिफ्टिंग एवं बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का शुभारंभ 27 जनवरी को हुआ था।
- प्रतियोगिता में धनबाद के धनेश्वर कुमार राय को स्ट्रांग मैन ओपन पावरलिफ्टिंग, मो. रूस्तम आलम को सब जूनियर बेस्ट लिफ्टर (बेंच प्रेस), दीपक गोप को सब जूनियर बेस्ट लिफ्टर (डेड लिफ्ट), नितेश राना को जूनियर बेस्ट लिफ्टर (बेंच प्रेस), इस्तियाक अंसारी को सीनियर बेस्ट लिफ्टर (बेंच प्रेस), आदित्य कुमार को जूनियर बेस्ट लिफ्टर (डेड लिफ्ट), धनेश्वर राय को सीनियर बेस्ट लिफ्टर (डेड लिफ्ट) का पुरस्कार मिला।
- ओपन पावर लिफ्टिंग की महिला विजेताओं में शिखा, सोना रावल, सिन्नी कुमारी (52 किग्रा.), ज्योति कुमारी (57 किग्रा.), मनीषा लकड़ा (72 किग्रा.), नमिता नायक (63 किग्रा.) एवं गिरिडीह की खुशी लाल (84 किग्रा.) शामिल हैं।
उत्तराखंड Switch to English
गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झाँकी को मिला प्रथम स्थान
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की परेड (Republic Day Parade 2023) में शामिल राज्यों की झाँकियों के पुरस्कार का ऐलान किया, जिसमें उत्तराखंड की झाँकी मानसखंड को देशभर में प्रथम स्थान मिला।
प्रमुख बिंदु
- गणतंत्र दिवस की परेड में कर्त्तव्य पथ पर प्रदर्शित की गई सभी झाँकियों में उत्तराखंड की झाँकी को प्रथम पुरस्कार मिला। उत्तराखंड ने राज्य के वन्यजीवों और धार्मिक स्थलों की थीम पर झाँकी प्रदर्शित की थी।
- उत्तराखंड की झाँकी में उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल के साथ ही उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को प्रदर्शित किया गया था।
- झाँकी में प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम मंदिर को दिखाया गया था। मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षों का सीन तैयार किया गया था। झाँकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपण कला से लिखा गया था।
- गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भाँति सरकार कुमाऊँ में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था।
- टीम लीडर और संयुक्त निदेशक सूचना के.एस. चौहान के नेतृत्व में झाँकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिये छोलिया नृत्य करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। इसी के साथ झाँकी के ऊपर बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गणतंत्र दिवस की परेड में 23 झांकियाँ प्रदर्शित की गईं। इनमें से 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और 6 झांकियाँ मंत्रालयों और विभागों से थीं।
- विदित है कि सितंबर माह में भारत सरकार की ओर से सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों एवं मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं। अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती हैं। उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतीकरण के लिये आमंत्रित करती हैं।
- पहली बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठकें डिजाइन निर्माण के संदर्भ में होती हैं। जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नहीं लगते हैं उनको शार्टलिस्ट कर देती हैं। उसके बाद झाँकी का मॉडल बनाया जाता है। थीम सांग 50 सेकेंड का होता है, जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता है, जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती हैं, तब झाँकी का अंतिम चयन किया जाता है।
उत्तराखंड Switch to English
प्रदेश के विश्वविद्यालयों में लागू होगा समान शैक्षिक कैलेंडर
चर्चा में क्यों?
30 जनवरी, 2023 को उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश में बेहतर शैक्षिक वातावरण के लिये सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में समान शैक्षणिक कैलेंडर लागू किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि समान शैक्षणिक कैलेंडर के तहत विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में छात्रों के लिये एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम, एक चुनाव एवं एक दीक्षांत समारोह की थीम पर कार्य करते हुए एकरूपता लाई जाएगी।
- समीक्षा बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राज्य में समयबद्ध एवं गुणवत्तापरक शैक्षणिक वातावरण के लिये सभी विश्वविद्यालय में प्रवेश की तिथि, परीक्षा एवं परीक्षा परिणाम, छात्रसंघ चुनाव व दीक्षांत समारोह के लिये समान एकेडमिक कैलेंडर लागू किया जाएगा।
- इसके लिये सभी विश्वविद्यालय के कुलपति आपस में बैठकर दो सप्ताह में शैक्षणिक कैलेंडर का ड्राफ्ट तैयार करेंगे, जिसको अगली बैठक में अंतिम रूप देते हुए स्वीकृति के लिये शासन को भेजा जाएगा।
- विश्वविद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया से लेकर परीक्षा के आयोजन का कार्य महीनों चलता रहा है, जिससे परीक्षाएँ समय पर नहीं हो पाती हैं। इससे परिणाम घोषित करने में भी देरी होती है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अपने संबद्ध महाविद्यालयों में 180 दिवस अनिवार्य रूप से कक्षाएँ संचालित करनी होगी। साथ ही छात्र-छात्राओं को पुस्तकालयों में बैठकर अध्ययन करने के लिये प्रेरित करना होगा।
- शिक्षा मंत्री ने कहा कि परीक्षा में बैठने के लिये छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा को गुणवत्ता एवं रोज़गारपरक बनाने के लिये विश्वविद्यालय एवं सभी कॉलेजों को नैक मूल्यांकन कराना ज़रूरी है।
- सभी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह की समान वेश-भूषा व दीक्षा शपथ एकसमान होगी। एक जैसी दीक्षा शपथ के लिये संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवेंद्र शास्त्री की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है, जो दीक्षा शपथ का ड्राफ्ट एवं वेश-भूषा तय कर शासन को उपलब्ध कराएगी।
- बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली ने कहा कि नए शैक्षिक सत्र से सभी विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश समर्थ पोर्टल से अनिवार्य रूप से किये जाएंगे। एकेडमिक गतिविधियों के साथ ही शोध कार्यों एवं कौशल विकास संबंधी पाठ्यक्रमों को वरीयता दी जाएगी।
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