उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में जानवरों के हमले
चर्चा में क्यों?
वन विभाग के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में बाघों और तेंदुओं से जुड़े मानव-वन्यजीव संघर्ष में 43 मौतें देखी गईं।
मुख्य बिंदु:
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (WPSI) ने वर्ष 2023 के दौरान देश में 204 मौतों का आँकड़ा जारी किया है।
- जनवरी 2000 से दिसंबर 2023 तक, तेंदुए और बाघ के हमलों में कुल 551 लोगों की जान चली गई और 1,833 से अधिक लोग घायल हो गए।
- देश के 53 बाघ अभयारण्यों में से कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व (CTR) में बाघों की सबसे अधिक संख्या 260 बताई गई है।
- वर्ष 2018 में बताए गए आँकड़ों की तुलना में उत्तराखंड में बाघों की आबादी 442 से बढ़कर 560 हो गई है। उत्तराखंड में तेंदुओं की अनुमानित संख्या 3,115 है।
- जून 2001 के बाद से, कुल 1,663 तेंदुओं की मौत दर्ज की गई है, जिनमें से कई अन्य कारणों के अलावा दुर्घटनाओं या अंतर-प्रजाति संघर्षों के कारण हुई हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड ‘विंटर कार्निवाल’
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड की स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिये मसूरी में 4 दिवसीय मसूरी में ‘विंटर कार्निवाल’, स्टार नाइट, फूड फेस्टिवल का होगा आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु:
- कार्निवल ने लोकप्रियता हासिल की और पर्यटकों तथा स्थानीय लोगों के लिये एक प्रमुख आकर्षण बन गया, साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिला एवं स्थानीय व्यवसायों को लाभ हुआ।
- इस “विंटर कार्निवल” ने बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल की और पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों के लिये एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। इसने पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय व्यवसायों को लाभ पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इस वर्ष के उत्सव का विषय ‘मोटे अनाजों और फसल से बने व्यंजनों की एक विस्तृत शृंखला’ है।
- इस कार्यक्रम में खाद्य उत्सव के साथ-साथ कई संगीत और सांस्कृतिक प्रदर्शन भी शामिल हैं।
हरियाणा Switch to English
कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त करने वाली हरियाणा की पहली परियोजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संरक्षित अरावली भूमि पर बने एक निजी विश्वविद्यालय को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा कार्योत्तर मंज़ूरी दी गई थी।
- वन संरक्षण अधिनियम (FCA), 1980 में संशोधन के बाद से कार्योत्तर पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त करने वाली यह हरियाणा की पहली परियोजना है।
प्रमुख बिंदु:
- पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (PLPA), 1900 की धारा 4 और 5 के तहत वर्गीकृत, विश्वविद्यालय 13.6 हेक्टेयर अरावली भूमि पर स्थित है, जो पूर्व अनुमति के बिना वनों की कटाई, पुनर्विक्रय तथा भूमि के विखंडन पर रोक लगाता है।
- संशोधित अधिनियम के कारण, सरकार उन परियोजनाओं या उद्योगों को मंज़ूरी दे सकती है, जिन्होंने पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त किये बिना कार्य करना शुरू कर दिया है तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप समीक्षा के बाद उनके पर्यावरणीय प्रभाव का खुलासा कर सकती है।
- समिति ने कुछ शर्तों पर अपनी मंज़ूरी दी:
- भूमि किसी राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, हाथी या बाघ अभयारण्य का हिस्सा नहीं होना चाहिये।
- विश्वविद्यालय प्रतिपूरक वनीकरण के लिये गैर-वन भूमि के बराबर क्षेत्र की पहचान करेगा और उस पर वृक्षारोपण करेगा।
- असाधारण मामलों में क्षेत्रीय वन विभाग कार्यालयों को ऐसे प्रस्तावों की जाँच करने और उन पर कार्रवाई करने तथा उचित निर्णयों के लिये टिप्पणियों एवं सिफारिशों के साथ मंत्रालय को अग्रेषित करने का निर्देश दिया गया है।
- संशोधित FCA में कहा गया है कि यह भारतीय वन अधिनियम, 1927 के अनुसार वन के रूप में "अधिसूचित" भूमि पर लागू होगा। संशोधित FCA 12 दिसंबर, 1996 से पहले राज्य द्वारा अधिकृत किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा वन से गैर-वन उद्देश्यों के लिये परिवर्तित क्षेत्रों पर लागू नहीं है।
- 12 दिसंबर, 1996 को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत संघ बनाम टी.एन गोदावर्मन मामले में FCA को ऐसे किसी भी क्षेत्र में लागू करने का आदेश दिया गया, जहाँ इसके "वन" शब्द को उसके "शब्दकोश के अर्थ" के अनुसार समझा जाना चाहिये।
हरियाणा Switch to English
सतलज-यमुना लिंक नहर
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे, क्योंकि सतलज-यमुना लिंक (SYL) नहर मुद्दे पर पहले आयोजित बैठक पर हरियाणा तथा पंजाब के बीच विवाद सुलझाने में विफल रहा था।
मुख्य बिंदु:
- SYL के निर्माण के महत्त्व को रेखांकित करते हुए पंजाब सरकार केंद्र सरकार को एक हलफनामा सौंपेगी, जिसमें SYL और पानी की स्थिति के बारे में विवरण दिया जाएगा।
- अधिकारियों के अनुसार, पंजाब के पास हरियाणा के साथ साझा करने के लिये कोई अधिशेष पानी नहीं है तथा अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार उपलब्धता के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।
- पंजाब में 76.5% ब्लॉक (153 में से 117) का अत्यधिक दोहन किया गया है। यहाँ भूजल दोहन 100% से अधिक होने का अनुमान है। जबकि हरियाणा में अतिदोहित ब्लॉकों का आँकड़ा 61.5% (143 में से 88) है।
- इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार को पंजाब में उस ज़मीन का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जो SYL नहर के निर्माण के लिये सौंपी गई थी।
बिहार Switch to English
अवैध रेत खनन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार पुलिस ने अवैध रेत खनन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए रेत तस्करों को गिरफ्तार किया था।
- सोन नदी के पास यह ऑपरेशन अवैध रेत खनन गतिविधियों में शामिल शक्तिशाली आपराधिक सिंडिकेट के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतीक है।
मुख्य बिंदु:
- भारत में रेत खनन को रोकने की पहल में खान और खनिज विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम), 2006 पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA), सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश (SSMG) 2016, तथा रेत खनन हेतु प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देश 2020 शामिल हैं।
- सोन नदी, मध्य भारत की एक चिरस्थायी नदी है और गंगा की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी है।
- छत्तीसगढ़ में अमरकंटक पहाड़ी के पास से निकलकर, यह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर बहती है तथा अमरकंटक पठार पर जलप्रपात बनाती है।
- यह बिहार के पटना के निकट गंगा में मिल जाती है।
- सहायक नदियों में घाघर, जोहिला, छोटी महानदी, बनास, गोपद, रिहंद, कन्हर और उत्तरी कोएल नदी शामिल हैं।
- प्रमुख बाँधों में मध्य प्रदेश में बाणसागर बाँध और उत्तर प्रदेश में पिपरी के पास रिहंद बाँध शामिल हैं।
बिहार Switch to English
वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने आधिकारिक तौर पर वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व (VTR) में बाघों की आबादी में वृद्धि की घोषणा की।
- इसमें बड़ी बिल्लियों की संख्या में 31 (वर्ष 2018) से 54 (वर्ष 2023) तक की वृद्धि देखी गई।
- बिहार सरकार कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को VTR के बाद राज्य का दूसरा व्याघ्र अभयारण्य घोषित करने के लिये NTCA की मंज़ूरी मिलने का इंतज़ार कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- VTR बिहार का एकमात्र बाघ अभयारण्य/टाइगर रिज़र्व है, जो भारत में हिमालय के तराई वनों की सबसे पूर्वी सीमा का निर्माण करता है।
- VTR बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले में स्थित है जो उत्तर में नेपाल तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।
- गंगा के मैदानी जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित इस टाइगर रिज़र्व की वनस्पति भाबर तथा तराई क्षेत्रों का संयोजन है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के अनुसार, इसके कुल क्षेत्रफल का 85.71% भाग वनाच्छादित है।
- वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के वनों में पाए जाने वाले वन्य स्तनधारियों में बाघ, स्लॉथ भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, जंगली सूअर आदि शामिल हैं।
- गंडक, पंडई, मनोर, हरहा, मसान तथा भपसा नदियाँ इस अभ्यारण्य के विभिन्न हिस्सों से प्रवाहित होती हैं।
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