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माँ महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में गन्ना पेराई सत्र का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
29 नवंबर, 2021 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव और सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सूरजपुर ज़िले के विकासखंड प्रतापपुर के ग्राम केरता स्थित माँ महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में गन्ना पेराई सत्र 2021-22 का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- ज्ञातव्य है कि इस सत्र में राज्य सरकार ने गन्ना की दर 355 रुपए प्रति क्व़िटल तय की है।
- गन्ना पेराई सत्र 2021-22 में ज़िला- सूरजपुर, सरगुजा (अम्बिकापुर) एवं बलरामपुर के 17 विकास खंडों से गन्ना रकबा 9,374.874 हेक्टेयर से तीन लाख मीट्रिक टन गन्ना पेराई करने का अनुमानित लक्ष्य रखा गया है। पंजीकृत 15 हज़ार 310 कृषकों से गन्ना क्रय किया जाएगा।
- गन्ना पेराई वर्ष 2021-22 के लिये उचित और लाभकारी मूल्य का निर्धारण दर रिकवहरी प्रतिशत 9.5 प्रतिशत पर निर्धारित 275.50 रुपए प्रति क्विंटल है।
- राज्य शासन द्वारा गन्ना प्रोत्साहन राशि 79.50 रुपए प्रति क्विंटल कुल 355 प्रति क्विंटल भुगतान किया जाएगा, साथ ही रिकवहरी 9.5 प्रतिशत से अधिक होने पर 0.1 प्रतिशत पर 2.90 रुपए प्रति क्विंटल अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि गन्ना पेराई सत्र 2020-21 में ज़िला सरगुजा, सूरजपुर एवं बलरामपुर के 15 विकाख खंडों से गन्ना रकबा 8689.846 हेक्टेयर से 3 लाख मीट्रिक टन पेराई करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरुद्ध में गन्ना उत्पादक 10,600 कृषकों से कुल 2 लाख 2 हज़ार 617 मीट्रिक टन गन्ना की खरीदी की गई।
- गन्ने खरीदी पर 270.75 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गन्ना मूल्य राशि 54 करोड़ 86 लाख रुपए का भुगतान कृषकों के बैंक खाता के माध्यम से कर दिया गया है। किसानों को राज्य शासन द्वारा 12 करोड़ 18 लाख 7 हज़ार 422 रुपए का गन्ना बोनस का भुगतान किया जा चुका है।
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नगरी दुबराज को मिला जीआई टैग
चर्चा में क्यों?
29 नवंबर, 2021 को ग्वालियर में आयोजित जियोग्राफिकल इंडिकेशन कमेटी की बैठक में छत्तीसगढ़ के धमतरी विकास खंड के नगरी के धान की ‘नगरी दुबराज’किस्म को जीआई टैग देने के लिये अनुमोदन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- ‘नगरी दुबराज’छत्तीसगढ़ राज्य की दूसरी फसल है, जिसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग, यानी जीआई टैग मिला है। इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिये प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है।
- चेन्नई द्वारा गठित कमेटी में भारत के 10 विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा जाँचा और परखा गया तथा नगरी दुबराज की नगरी में उत्पत्ति होने का प्रमाण स्वीकार कर लिया गया है। जल्द ही इसका प्रमाण-पत्र भी मिल जाएगा।
- ज्ञातव्य है कि अक्टूबर 2021 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने जीआई टैग के लिये नगरी दुबराज का प्रस्ताव भेजा था।
- नगरी दुबराज को छत्तीसगढ़ में बासमती भी कहा जाता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक भोज कार्यक्रमों सुगंधित चावल के रूप में इस चावल का प्रयोग किया जाता है।
- नगरी दुबराज की उत्पत्ति सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र से मानी गई है। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी किया गया है। विभिन्न शोध पत्रों में भी दुबराज का स्रोत नगरी सिहावा को ही बताया गया है।
- नगरी दुबराज से निकलने वाला चावल बहुत ही सुगंधित है। यह पूर्णरूप से देशी किस्म है और इसके दाने छोटे हैं। इसका चावल पकने के बाद खाने में बेहद नरम है। एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज मिलती है। धान की ऊँचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है।
- वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी आर्गनाइज़ेशन (विपो) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी खास फसल, प्राकृतिक या कृत्रिम उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। यह बौद्धिक संपदा का अधिकार माना जाता है।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद ने सन् 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’लागू किया था। इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य, व्यक्ति या संगठन इत्यादि को दे दिया जाता है।
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