नहरों के किनारे सोलर प्लेट लगाने की योजना मंज़ूर | बिहार | 30 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
29 अक्तूबर 2023 को मुख्ममंत्री नीतीश कुमार ने नहरों के किनारे सोलर प्लेट लगाए जाने की योजना को मंजूरी देते हुए इसे तीव्र गति से क्रियान्वित किये जाने के निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- बिजली कंपनी द्वारा ब्रेडा के माध्यम से इस योजना का क्रियान्वयन कराया जाना है। नहरों के किनारे ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लेट लगाने की योजना सरकार की प्राथमिकता में है।
- नहरों के किनारे एक कतार में बड़ी संख्या में सोलर प्लेट लगाए जाने की योजना के लिये जल संसाधन विभाग ने बिजली कंपनी को इकठटे सूबे के सभी नहरों के लिये अपना अनापत्ति प्रमाण-पत्र उपलब्ध करा दिया है।
- बिजली कंपनी को अब अलग-अलग नहरों के किनारे सोलर प्लेट लगाए जाने के काम को लेकर पृथक् रूप से कोई अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं होगी।
- बिजली कंपनी ने नहरों के किनारे ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लेट लगाए जाने की अपनी योजना पटना नहर के बिक्रम इलाके में शुरू करने की योजना बनाई थी। यह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में था।
- इस प्रोजेक्ट के लिये सात से आठ महीने अंतर-विभागीय मंज़ूरी हासिल करने में लग गए। जल संसाधन विभाग ने इसके बाद इस शर्त के साथ बिजली कंपनी को मंज़ूरी प्रदान की है कि वह नहरों की सफाई के लिये जाने वाले वाहनों का रास्ता छोड़कर अपना काम करे। इस अनुमति के बाद पायलट प्रोजेक्ट का काम आगे बढ़ा।
- बिजली कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की फिजिबिलटी पर गुजरात की एक कंपनी से डीपीआर बनवाया हुआ है। गुजरात में यह मॉडल काफी सफल रहा है। सोलर प्लेट लगाए जाने को लेकर ज़मीन की समस्या नहर के किनारे एक सीध में ज़मीन मिलने की वजह से हल हो गई है।
युवाओं को रोज़गार दिलाने में भागलपुर पूरे प्रदेश में शीर्ष पर | बिहार | 30 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
29 अक्तूबर, 2023 को बिहार के नियोजन विभाग ने सितंबर माह की प्रगति पर सभी ज़िलों की रैंकिंग जारी की है, जिसमें बिहार के युवाओं को रोज़गार दिलाने में भागलपुर पूरे प्रदेश में शीर्ष पर है।
प्रमुख बिंदु
- भागलपुर को कुल प्राप्तांक 100 में शत-प्रतिशत अंक मिले, जबकि प्रदेश के अन्य पाँच ज़िलों कैमूर, नालंदा, सहरसा, समस्तीपुर और वैशाली को भी 100 फीसदी अंक मिले हैं, लेकिन भागलपुर का लक्ष्य सबसे अधिक होने और लक्ष्य को पूरा कर लेने में सफल होने पर नंबर 1 स्थान दिया गया है।
- सहायक निदेशक (नियोजन) भरत जी राम ने बताया कि विभाग ने ज़िलों के परफॉर्मेंस का आकलन चार कैटेगरी में किया है। नेशनल करियर सर्विस पोर्टल पर जॉब पाने वालों के रजिस्ट्रेशन में लक्ष्य को पूरा करने पर 30 अंक, करियर व वोकेशनल गाइडेंस में 20 अंक, जॉब कैंप लगाने में 30, निरीक्षण में 10 और निरीक्षण रिपोर्ट जमा करने में 10 अंक निर्धारित किया गया था।
- इसमें भागलपुर ने एक हज़ार रजिस्ट्रेशन के लक्ष्य के खिलाफ 1011 का निबंधन कराया। वोकेशनल गाइडेंस के लिये चार कैंप कराने का लक्ष्य था, पाँच कराए गए। करियर व पार्टिसिपेशन में 200 के लक्ष्य के खिलाफ 255 आए। रोज़गार देने के लिये 4 जॉब कैंप के लक्ष्य के खिलाफ नौ कराए थे। इसमें 105 में 105 को जॉब दिलाया गया। इसके अलावा इंस्पेक्टशन के दोनों अवयवों में शत-प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ।
- 38 ज़िलों की क्रमवार रैंकिंग: भागलपुर, कैमूर, नालंदा, सहरसा, समस्तीपुर, वैशाली, सारण, बक्सर, गोपालगंज, पटना, बेगूसराय, मोतिहारी, लखीसराय, दरभंगा, किशनगंज, जमुई, नवादा, मुंगेर, भोजपुर, शेखपुरा, सिवान, सुपौल कटिहार, खगड़िया, रोहतास, मधेपुरा, सीतामढ़ी, मधुबनी, बेतिया, पूर्णिया, अरवल, मुज़फ्फरपुर, जहानाबाद, गया, शिवहर, बांका, अररिया और औरंगाबाद।
बिहार के 5 लाख शिक्षकों को आवास देगी राज्य सरकार | बिहार | 30 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
29 अक्तूबर, 2023 को बिहार सरकार द्वारा राज्य के 5 लाख शिक्षकों को आवास देने का निर्णय लिया गया है। हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से एक लाख 22 हज़ार शिक्षकों का रिजल्ट जारी किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार ने उन शिक्षकों के अलावा पहले से कार्यरत् करीब 5 लाख शिक्षकों को आवास देने का निर्णय लिया है। स्कूल के पास में ही रहने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि विद्यालय पहुँचने में लेट न हो।
- बिहार सरकार द्वारा शिक्षकों के आवास के लिये ज़िला, अनुमंडल, प्रखंड और पंचायत के गाँव तक मकान को किराए पर लिया जाएगा। इसके साथ ही रियल एस्टेट कंपनी अगर मकान बनाकर देती है तो भी सरकार लेगी।
- शिक्षा विभाग ने इच्छुक मकान मालिकों एवं रियल एस्टेट कंपनियों से पूछा है कि कितने फ्लैट और मकान तत्काल उपलब्ध करा सकते हैं, साथ ही कितने अगले एक-दो सालों में अतिरिक्त बनवा सकते हैं। इसकी सूची वेबसाइट पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
- शिक्षा विभाग प्रत्येक वर्ष शिक्षकों के वेतन पर लगभग 33 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करता है। इसमें 8 प्रतिशत, यानी लगभग 2500 रुपए करोड़ आवास के लिये खर्च किये जाते हैं।
- शिक्षा विभाग के अनुसार आवास भत्ता की कटौती कर यह पैसा लीज़ पर लिये गए मकान और रियल एस्टेट कंपनियों को दिया जाएगा।
- शिक्षकों के दूरस्थ क्षेत्रों में आवास की सुविधा के लिये दो मॉडल पर शिक्षा विभाग कार्य कर रहा है, पहला मकान और बहुमंज़िला इमारत के मालिकों से प्रस्ताव मांगा गया है कि वह कितने मकान किस ज़िले में, किस प्रखंड और ग्राम पंचायत में उपलब्ध करा सकते हैं, जो पहले से बने हुए हैं। शिक्षा विभाग उसे किराए पर तुरंत ले सकता है।
- दूसरा-रियल एस्टेट कंपनियों या अन्य इच्छुक ज़मीन मालिकों से ज़िला, अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय में बहुमंज़िला इमारत एवं भवन निर्माण करने के लिये प्रस्ताव मांगा गया है। यहाँ केवल विभाग के शिक्षक रहेंगे। इन इमारतों को निजी कंपनियाँ अपने खर्चे पर बनाएंगी। शिक्षा विभाग उन्हें लंबे समय के लिये लीज़ पर लेगा और हर महीने किराया भुगतान करेगा।