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उत्तराखंड में खुलेंगी तीन नई खाद्य जाँच प्रयोगशालाएँ
चर्चा में क्यों?
28 सितंबर, 2021 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस.एस. संधू ने उत्तराखंड में तीन नई खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएँ खोलने के आदेश दिये। उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र में एक-एक मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब स्थापित करने का भी निर्देश दिया।
प्रमुख बिंदु
- ये प्रयोगशालाएं देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी में स्थापित की जाएंगी।
- वर्तमान में प्रदेश में एक ही खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला है, जो रुद्रपुर में स्थित है।
- मुख्य सचिव ने राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिये पोर्टल आधारित निगरानी शुरू करने, नियमित रूप से अभियान चलाने और अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।
- उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता फैलाने के लिये छोटी-छोटी वीडियो क्लिप बनाई जानी चाहिये। साथ ही उन्होंने होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को स्वच्छता रेटिंग अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने का भी निर्देश दिया।
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देश का पहला प्राकृतिक रूप से विकसित फर्नाटम (संरक्षण क्षेत्र)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में देश का पहला प्राकृतिक रूप से विकसित फर्नाटम (संरक्षण क्षेत्र) अल्मोड़ा ज़िले के रानीखेत में कालिका वन रेंज में तैयार हो चुका है। विभाग द्वारा इसे एशियाई स्तर का अध्ययन स्थल बनाने का प्रयास किया जाएगा ताकि शोधकर्त्ताओं को जुरासिक युग की इन फर्न प्रजातियों के बारे में पता चल सके।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी द्वारा हाल ही में कालिका वन अनुसंधान केंद्र के दलमोती रोड पर नया फर्नाटम खोला गया था।
- उन्होंने बताया कि फर्न प्रजातियाँ औषधीय रूप से बहुत फायदेमंद हैं और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। इनके संरक्षण के लिये कालिका में एक हेक्टेयर क्षेत्र में फर्नाटम तैयार किया गया है।
- संजीव चतुर्वेदी के अनुसार, फर्नाटम में उत्तराखंड के उच्च, मध्य और निचले हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली प्रजातियों का भंडार है और जल्द ही इस फर्नाटम को एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा प्राकृतिक रूप से विकसित क्षेत्र बनाया जाएगा।
- वर्तमान में 103 विभिन्न प्रकार के फर्न हैं। इनमें से 95 फीसदी प्रजातियाँ उत्तराखंड से हैं।
- फर्नाटम में पाई जाने वाली कई फर्न प्रजातियों में से, हंसराज उत्तराखंड की एक विशिष्ट फर्न प्रजाति है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है और इसकी जड़ों का उपयोग सर्पदंश के प्रभावों का मुकाबला करने के लिये किया जाता है। कालिका में इसकी 10 प्रजातियाँ हैं।
- चतुर्वेदी ने बताया कि केरल में हरे और शेड घरों में फर्न प्रजातियों के लिये एक संरक्षण केंद्र स्थापित किया गया है, लेकिन कालिका में स्थानीय जलवायु के अनुसार प्राकृतिक रूप से देश का पहला फर्नाटम तैयार किया गया है। इसे फर्न प्रजातियों के अध्ययन का नोडल केंद्र बनाया जाएगा।
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