प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 30 Sep 2021
  • 0 min read
  • Switch Date:  
राजस्थान Switch to English

‘पीएम कुसुम कंपोनेंट-ए’ योजना

चर्चा में क्यों?

29 सितंबर, 2021 को राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित ‘पीएम कुसुम कंपोनेंट-ए’ योजना के अंतर्गत आठवें सौर ऊर्जा संयंत्र से झालावाड़ ज़िले की खानपुर तहसील के बाघेर गाँव में ऊर्जा उत्पादन प्रारंभ हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • डॉ. सुबोध अग्रवाल ने परियोजना के बारे में बताया कि परियोजना की स्थापना के लिये जयपुर विद्युत वितरण निगम तथा स्थानीय कृषक राम हेतार नागर के मध्य 25 वर्ष की अवधि हेतु विद्युत क्रय अनुबंध किया गया है। 
  • इससे अनुमानित 9 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन प्रतिवर्ष होगा, जिसे जयपुर विद्युत वितरण निगम द्वारा 3.14 रुपए प्रति यूनिट की दर पर 25 वर्ष तक क्रय किया जाएगा, जिससे संबंधित कृषक को प्रतिवर्ष लगभग 28 लाख का राजस्व प्राप्त होगा।
  • परियोजना का निर्माण लगभग 1 हेक्टेयर भूमि पर किया गया है तथा 0.5 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना की निर्माण लागत लगभग 2 करोड़ रुपए है। 
  • उन्होंने बताया गया कि ‘पीएम कुसुम कंपोनेंट-ए’ योजना के अंतर्गत यह कोटा संभाग एवं झालावाड़ ज़िले का प्रथम सौर ऊर्जा संयंत्र है। 
  • बजट घोषणा 2019-20 में प्रदेश में इस योजना के अंतर्गत 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें से अब तक 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं हेतु लेटर ऑफ अवॉर्ड जारी किये जा चुके हैं।
  • गौरतलब है कि प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम योजना) भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिसके कंपोनेंट-ए का राज्य में क्रियान्वयन राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा किया जा रहा है। 
  • इस योजना के प्रथम चरण में कुल 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएँ स्थापित करने हेतु 623 सौर ऊर्जा उत्पादकों का चयन किया गया है। इस योजना के अंतर्गत देश में सर्वाधिक क्षमता 9.5 मेगावाट तथा सर्वाधिक 8 प्रोजेक्ट राजस्थान में ही स्थापित किये गए हैं।

राजस्थान Switch to English

भूमि संरक्षण के लिये प्रो. श्यामसुंदर ज्याणी संयुक्त राष्ट्र के पुरस्कार से सम्मानित

चर्चा में क्यों?

28 सितंबर, 2021 को राजस्थान के प्रो. श्यामसुंदर ज्याणी को भूमि संरक्षण हेतु विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार ‘लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड’ (Land for Life Award) से नवाजा गया। 

  • चीन के बून में आयोजित ऑनलाइन वैश्विक समारोह में अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी के तहत पारिवारिक वानिकी के लिये उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • प्रो. ज्याणी को 17 जून, 2021 को कोस्टारिका में विश्व मरुस्थलीकरण दिवस के वैश्विक आयोजन में भूमि संरक्षण में अति विशिष्ट योगदान हेतु विजेता घोषित किया गया था।  
  • मई 2022 में अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट में सदस्य देशों के वैश्विक सम्मेलन में प्रो. ज्याणी को विशेष उद्बोधन हेतु आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें यह ट्रॉफी प्रदान की जाएगी।
  • गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमि संरक्षण संबंधी इकाई यूएनसीसीडी द्वारा प्रति दो वर्ष के अंतराल पर भूमि संरक्षण में अति विशिष्ट योगदान हेतु दुनिया भर से किसी एक व्यक्ति या संगठन को यह पुरस्कार दिया जाता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र की ओर से भूमि बहाली और संरक्षण विधियों में नवाचार के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उन संस्थाओं, व्यक्तियों को पुरस्कृत किया जाता है, जो पर्यावरण और समुदायों की भलाई को बढ़ावा देते हुए उनके साथ संबंधों को बेहतर बनाते हैं। इसके तहत चीन के सैहानबा फॉरेस्ट को राष्ट्रीय श्रेणी के तहत पुरस्कार दिया गया। 
  • प्रो. श्यामसुंदर ज्याणी श्रीगंगानगर ज़िले की रायसिंह नगर तहसील के गाँव 12 टीके के निवासी हैं और वर्तमान में बीकानेर के राजकीय डूँगर कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
  • प्रोफेसर ज्याणी पिछले 20 वर्षों से गाँव-दर-गाँव लोगों, स्कूली विद्यार्थियों व शिक्षकों के बीच जाकर उन्हें पेड़ एवं पर्यावरण के बारे में समझाने और अपनी तनख्वाह से पश्चिमी राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि में लाखों पेड़ लगवाने जैसे उत्कृष्ट कार्य करते आ रहे हैं।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow