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ओम पर्वत से पहली बार बर्फ लुप्त
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इतिहास में पहली बार उत्तराखंड के ओम पर्वत से बर्फ लुप्त हो गई है, जिससे पर्यावरणविदों में गहरी चिंता उत्पन्न हो गई है।
प्रमुख बिंदु
- विशेषज्ञों ने इस अभूतपूर्व घटना के लिये मुख्य रूप से पिछले पाँच वर्षों में ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में हुई कम वर्ष और छिटपुट बर्फबारी को ज़िम्मेदार ठहराया है
- वर्षा में उल्लेखनीय गिरावट ने सीधे तौर पर ओम पर्वत पर बर्फ के आवरण को कम करने में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त वाहनों से होने वाले प्रदूषण में वृद्धि तथा ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है।
- इस घटना के प्रभाव से क्षेत्र के पर्यटन उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- ओम पर्वत से बर्फ का लुप्त होना जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।
- हिमालय क्षेत्र, जो अपने नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिये जाना जाता है, तापमान और वर्षा पैटर्न में परिवर्तन के लिये विशेष रूप से अतिसंवेदनशील है
- वैश्विक तापमान में वृद्धि ने ग्लेशियर पिघलने और बर्फबारी में कमी को बढ़ा दिया है, जिससे क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता तथा जल संसाधन प्रभावित हो रहे हैं।
- क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के प्रयासों में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, वनाग्नि को नियंत्रित करना तथा सतत् पर्यटन पद्धतियों को बढ़ावा देना, जैसे उपाय शामिल होने चाहिये।
- पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की वहन क्षमता का आकलन करने तथा वाहनों की गतिविधियों पर कड़े नियम लागू करने से हिमालय की प्राकृतिक सुन्दरता और पारिस्थितिक अखंडता को संरक्षित करने में सहायता मिल सकती है।
ओम पर्वत
- यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में लगभग 14,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है
- यह अपनी बर्फ से ढकी चोटी के लिये प्रसिद्ध है, जो स्वाभाविक रूप से हिंदू प्रतीक "ओम" जैसा पैटर्न बनाती है
- इस अनूठी विशेषता ने इसे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य बना दिया है।
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