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दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल विरोधी कानून के तहत दो विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया।
प्रमुख बिंदु:
- दोनों विधायकों को संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल का दोषी पाया गया है।
- दलबदल विरोधी कानून:
- दलबदल विरोधी कानून संसद सदस्यों (Members of Parliament - - MP)/विधानसभा सदस्यों (Members of the Legislative Assembly- MLA) को एक दल छोड़कर दूसरे दल में शामिल होने पर दंडित करता है।
- संसद ने विधायकों को दल बदलने से हतोत्साहित करके सरकारों में स्थिरता लाने के लिये इसे वर्ष 1985 में संविधान में दसवीं अनुसूची के रूप में जोड़ा था।
- दसवीं अनुसूची - जिसे लोकप्रिय रूप से दलबदल विरोधी अधिनियम के रूप में जाना जाता है - को 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था।
- यह किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता के प्रावधान निर्धारित करता है।
- यह वर्ष 1967 के आम चुनावों के बाद दल बदलने वाले विधायकों द्वारा विभिन्न राज्य सरकारों को गिराने की प्रतिक्रिया थी।
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