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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 30 Jul 2021
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चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग (अधिग्रहण) विधेयक, 2021

चर्चा में क्यों?

29 जुलाई, 2021 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग (अधिग्रहण) विधेयक, 2021 (Chandulal Chandrakar Memorial Medical College Durg (Acquisition) Bill, 2021) ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

  • राज्य सरकार ने जनहित में इस चिकित्सा महाविद्यालय के अधिग्रहण का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु 

  • चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग के अधिग्रहण की प्रक्रिया में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है कि यह प्रकरण भविष्य के दृष्टांत नहीं होगा, केवल वन टाइम परमिशन दी जा रही है।
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के निवासियों तथा कॉलेज के विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर की पुण्यतिथि के अवसर पर 2 फरवरी, 2021 को आयोजित कार्यक्रम में चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कचांदुर के राज्य शासन द्वारा अधिग्रहण की घोषणा की थी।
  • मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण भू-अर्जन के नियमों के तहत किया जाएगा। भू-अर्जन के प्रावधानों के अंतर्गत ही संपत्ति का आकलन भी किया जाएगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गाइडलाइन के चार गुना भुगतान के स्थान पर मंत्रिमंडल द्वारा दो गुना तक मूल्यांकन करने का निर्णय किया गया। इस प्रकार निर्धारित राशि के अतिरिक्त न तो किसी राशि का भुगतान किया जाएगा और न अन्य कोई दायित्व होगा। इससे सरकार को कम राशि का भुगतान करना पड़ेगा।
  • चंदूलाल चंद्राकर स्मृति मेडिकल कॉलेज में अभी भी कई छात्र (भावी डॉक्टर) अध्ययनरत् हैं। इस मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण से हर वर्ष 150 नए डॉक्टर मिलेंगे।

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एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रदेश में आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विभाग द्वारा संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (Eklavya Model Residential Schools) में ऑनलाइन शिक्षण हेतु विभाग द्वारा योजना तैयार की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना का उद्देश्य इन विद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को स्कूली शिक्षक द्वारा सीबीएसई व सीजी बोर्ड के पाठ्यक्रम अनुसार पढ़ाई कराना, विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोड़े रखना, नियमित टेस्ट का मूल्यांकन, विद्यार्थियों को मनोवैज्ञानिक सहायता और मार्गदर्शन, विद्यार्थियों के पालकों से संपर्क और विद्यार्थियों की परेशानी ज्ञात कर उनका निराकरण करना है।
  • योजना में विद्यार्थियों को नियमित शिक्षण सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये स्कूल स्तर पर ऑनलाइन अध्यापन का सेटअप तैयार कर विद्यार्थियों को गूगल मीट के द्वारा ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था का प्रावधान है।
  • ऑनलाइन शिक्षण का लाभ विद्यार्थियों को किस प्रकार मिल रहा है, इसके लिये विभागीय शिक्षकों, छात्रावास अधीक्षकों और मंडल संयोजकों के माध्यम से मैदानी स्तर पर मॉनिटरिंग का प्रावधान भी इस योजना में किया गया है।
  • योजना के तहत व्यवस्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय को नोडल विद्यालय बनाया जाएगा और यहीं से ज़िले के अन्य एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, जहाँ ऑनलाइन शिक्षण की सुविधा नहीं हो, को भी ऑनलाइन जोड़ा जाएगा।
  • प्रत्येक ज़िले में एक एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय को नोडल स्कूल के रूप में चिह्नांकित किया जाएगा, जहाँ शिक्षक और ऑनलाइन शिक्षण हेतु संसाधन उपलब्ध होंगे। नोडल विद्यालय में किसी भी कक्षा, विषय में अध्यापन के लिये बच्चों का समूह 120 से अधिक नहीं होगा। 
  • स्थायी शिक्षकों और अन्य शालाओं से शिक्षक संलग्न कर टीम बनाई जाएगी। विषयवार प्रत्येक विषय के लिये एक कोरग्रुप बनाया जाएगा, जिसमें उस विषय के न्यूनतम तीन शिक्षक होंगे।
  • ऑनलाइन शिक्षक की आवश्यक व्यवस्था और मॉनिटरिंग सहायक आयुक्त, आदिवासी द्वारा और राज्य स्तर पर समीक्षा आयुक्त द्वारा की जाएगी। ग्राम स्तर से विभागाध्यक्ष स्तर तक मॉनिटरिंग की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।

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‘चंदैनी गोंदा- एक सांस्कृतिक यात्रा’

चर्चा में क्यों?        

29 जुलाई, 2021 को छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ. सुरेश देशमुख द्वारा लिखित ‘चंदैनी गोंदा- एक सांस्कृतिक यात्रा’ पुस्तक का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस पुस्तक में वस्तुत: नई पीढ़ी को दाऊ रामचंद्र देशमुख के व्यक्तित्व और कृतित्व से समग्र रूप से परिचित कराने का प्रयास किया गया है। 
  • ज्ञातव्य है कि ‘चंदैनी गोंदा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक यात्रा’ स्मारिका का प्रकाशन 7 दिसंबर, 1976 को चंदैनी गोंदा के 25वें प्रदर्शन के अवसर पर हुआ था। इसके संपादक धमतरी के साहित्यकारद्वय सर्वश्री नारायण लाल परमार और त्रिभुवन पांडे थे।
  • इस स्मारिका के प्रकाशन के 45 वर्षों के उपरांत इसके द्वितीय संस्करण को संशोधित और परिवर्धित रूप में प्रकाशित किया गया है।
  • इस संस्करण में दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा सृजित देहाती कला विकास मंडल ( Dehati Kala Vikas Mandal) से लेकर चंदैनी गोंदा की निर्माण प्रक्रिया और उसके विसर्जन तथा कारी की सर्जना तक की सांस्कृतिक यात्रा को 488 पृष्ठों के इस पुस्तक में समाहित किया गया है।
  • डॉ. देशमुख ने अपने इस शोधपूर्ण ग्रंथ में दाऊ जी और उनकी कृतियों से जुड़े छोटे-बड़े सभी कलाकारों और साहित्यकारों का वर्णन कर उनके अवदानों को भी रेखांकित किया है।
  • यह पुस्तक छत्तीसगढ़ में लोककला, संगीत और लोक संस्कृति को जानने तथा समझने का प्रयास करने वालों के लिये एक अनुपम उपहार के रूप में है। यह न केवल पठनीय है, अपितु संग्रहणीय भी है, जिससे भविष्य में लोककला के शोधार्थियों के लिये यह संदर्भ ग्रंथ का काम करेगा।

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