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जी-20 मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन की पहली बैठक रामनगर में आयोजित हुई
चर्चा में क्यों?
29 मार्च, 2023 को जी-20 मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन (जी-20 सीएसएआर) की पहली बैठक रामनगर, उत्तराखंड में आयोजित की गई, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि जी-20 सीएसएआर, भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका नेतृत्व भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय कर रहा है।
- एक दिवसीय गोलमेज बैठक में निम्न विषयों पर चर्चा हुई-
- ‘बेहतर रोग नियंत्रण और महामारी की बेहतर तैयारी के लिये ‘वन हेल्थ में अवसर’ विषय के तहत, महामारी को ध्यान में रखते हुए सशक्त, अनुकूल और समय पर कार्रवाई के लिये महामारी से जुड़ी तैयारी की योजना; मनुष्यों, पशुधन और वन्य जीवन के लिये एकीकृत रोग निगरानी तंत्र, वन हेल्थ के रोगों के लिये अनुसंधान एवं विकास का रोडमैप तथा विश्लेषण में निवेश (जैसे रोग मॉडलिंग, एआई/एमएल उपकरण) और डेटा मानक आदि पर चर्चा हुई।
- ‘विशिष्ट वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुँच का विस्तार करने के वैश्विक प्रयासों का समन्वय’ विषय के तहत, नि:शुल्क, तत्काल और सार्वभौमिक पहुँच सुविधा; पत्रिकाओं को ग्राहक शुल्क और उनके द्वारा लगाए जाने वाले निबंध प्रसंस्करण शुल्क को कम करना; अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान-भंडार/अभिलेखागार के साथ राष्ट्रीय ज्ञान-भंडार के लिये परस्पर संचालित लिंक की स्थापना और सार्वजनिक वित्त पोषित वैज्ञानिक अनुसंधान के ज्ञान आउटपुट को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिये खुली पहुँच का कार्यादेश आदि पर चर्चा की गई।
- ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) में विविधता, समानता, समावेश और पहुँच की सुविधा’विषय के तहत भाग लेने वाले देशों ने बड़े वैज्ञानिक उद्यम तक कम-प्रतिनिधित्व प्राप्त, कम-विशेषाधिकार प्राप्त, वंचित, अल्पसंख्यक समुदायों के साथ-साथ जनजातीय/मूल समुदायों की पहुँच को सुविधाजनक बनाने के अपने प्रयासों को साझा किया। सत्र में वैज्ञानिक सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान प्रणाली (टीकेएस) को ज्ञान की औपचारिक प्रणाली में शामिल करना और भाषा विविधता की क्षमता की पहचान करना एवं वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुँच में आने वाली बाधाओं को दूर करना आदि पर भी चर्चा की गई।
- चौथे सत्र में समावेशी, सतत् और कार्य-उन्मुख वैश्विक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति संवाद के लिये एक संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
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