बिहार ने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिये न्यूनतम शिक्षक आवश्यकताएँ निर्धारित कीं | बिहार | 29 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार शिक्षा विभाग ने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में आवश्यक शिक्षकों की न्यूनतम संख्या के लिये नए मानदंड निर्धारित किये हैं।
मुख्य बिंदु
- इन नये दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5) में प्रधानाध्यापक (हेड टीचर) सहित कम से कम पाँच शिक्षक होने चाहिये।
- कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों के लिये प्रधानाचार्य सहित न्यूनतम नौ शिक्षकों का होना अनिवार्य है।
- ज़िला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे 31 जनवरी, 2025 तक प्रत्येक स्कूल के लिये स्वीकृत और आवश्यक शिक्षकों की संख्या का विवरण e-ShikshaKosh पोर्टल पर अपलोड करें।
- विभाग इस बात पर ज़ोर देता है कि प्रत्येक शिक्षक के पास कम से कम एक समर्पित कक्षा-कक्ष होना चाहिये तथा शिक्षकों की आवश्यकताओं का वास्तविक मूल्यांकन प्रत्येक विद्यालय में कमरों की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।
- 1 से 120 तक छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों में पाँच शिक्षक अनिवार्य हैं।
- 121 से 150 के बीच छात्र संख्या के लिये छह शिक्षकों की आवश्यकता है। 150 से अधिक प्रत्येक अतिरिक्त 40 छात्रों के लिये एक अतिरिक्त शिक्षक नियुक्त किया जाएगा।
- कक्षा 6 से 8 तक, छात्र संख्या 105 तक के लिये, स्टाफ की आवश्यकताएँ निम्नानुसार हैं:
- विज्ञान और गणित के लिये एक शिक्षक
- सामाजिक अध्ययन के लिये एक शिक्षक
- हिंदी के लिये एक शिक्षक
- अंग्रेज़ी के लिये एक शिक्षक
- इसके अतिरिक्त, आवश्यकतानुसार उर्दू एवं संस्कृत शिक्षकों की भी व्यवस्था की जा सकती है।
- 105 से अधिक प्रत्येक 35 विद्यार्थियों के लिये एक अतिरिक्त शिक्षक नियुक्त किया जाएगा।
- इन उपायों का उद्देश्य बिहार के स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक-छात्र अनुपात सुनिश्चित करना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
ई-शिक्षाकोष पोर्टल
- परिचय:
- ई-शिक्षाकोष (e-ShikshaKosh) एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे शैक्षिक डेटा प्रबंधन को केंद्रीकृत और सुव्यवस्थित करने, निर्णय लेने में सुधार, संसाधनों का अनुकूलन और विभिन्न स्रोतों से डेटा को समेकित करके वास्तविक समय की निगरानी को सक्षम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- मुख्य लाभ
- उन्नत निर्णय-निर्माण: निर्णय-निर्माण और संसाधन अनुकूलन में सुधार के लिये डेटा को समेकित करता है।
- वास्तविक समय निगरानी: निरंतर निगरानी के लिये अद्यतन जानकारी प्रदान करता है।
- दक्षता: अकुशलताओं को दूर करती है, अतिरेक को कम करती है तथा दृढ़ शासन सुनिश्चित करती है।
- व्यापक दृश्य: शैक्षिक मीट्रिक्स का समग्र दृश्य प्रस्तुत करता है।
- शैक्षिक सुधार: शैक्षिक गुणवत्ता और समानता में निरंतर सुधार का समर्थन करता है।
- स्थिरता और समावेशन: एक सतत्, समावेशी और अच्छी तरह से प्रबंधित शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देता है।
- एकीकृत कार्य: शिक्षण मानकों, छात्र प्रदर्शन निगरानी और ई-लर्निंग कार्यक्रमों जैसे कई शैक्षिक कार्यों को एक मंच पर जोड़ता है।