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प्रधानमंत्री फॉर्मलाइज़ेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना (PMFME) में बिहार देश में पहले नंबर पर
चर्चा में क्यों?
27 जनवरी, 2022 को बिहार उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक ने बताया कि प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षी उद्यमी योजना ‘प्रधानमंत्री फॉर्मलाइज़ेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना (PMFME)’ को लागू करने में बिहार देश में पहले नंबर पर है।
प्रमुख बिंदु
- प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक के मुताबिक अब तक देश में सबसे अधिक 450 लोन केस बिहार के मंज़ूर हुए हैं। पिछले दो वित्तीय वर्ष (2020-21 और 2021-22) में पूरे बिहार में मात्र 20 लोन केस मंज़ूर हो पाए थे। चालू वित्तीय वर्ष में बिहार में 2050 लोन स्वीकृत करवाने का लक्ष्य है।
- बिहार की तुलना में वर्तमान चालू वित्तीय वर्ष में अब तक महाराष्ट्र के 205 और तेलंगाना के 296 लोन केस स्वीकृत हो सके हैं। शेष राज्यों की स्थिति इससे भी कमज़ोर है।
- बिहार ने 16-23 जनवरी, 2023 के सप्ताह में पीएमएफएमई योजना के तहत बैंकों को सबसे अधिक आवेदन भेजे थे। हालाँकि, आवेदनों की तुलना में स्वीकृति दर कमज़ोर है।
- पीएमएफएमई योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण, जैसे- मिनी राइस मिल, फ्लॉवर मिल, अचार यूनिट, पापड़ यूनिट, मखाना यूनिट, नूडल/पास्ता यूनिट आदि को अधिक तवज्जो दी जाती है। इसमें भी 35 फीसदी तक का अनुदान दिया जाता है।
- पीएमएफएमई में बिहार के इन पाँच ज़िलों के सर्वाधिक केस स्वीकृत हुए- समस्तीपुर (46), नालंदा (30), पटना (24), मुज़फ्फरपुर (22) और सिवान (18)।
- इस योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को मदद देना भी है।
- इस योजना को पाँच वर्ष, यानी 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक की अवधि के लिये लागू किया गया है।
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