सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करेगा एम्स दिल्ली और आईआईटी रुड़की का ‘स्वस्थ गर्भ’ एप | उत्तराखंड | 29 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
27 दिसंबर, 2022 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के प्रोफेसर के.के पंत ने बताया कि आईआईटी रुड़की के शोधकर्त्ताओं ने ‘स्वस्थ गर्भ’स्मार्टफोन एप बनाया है। इस एप को नई दिल्ली के एम्स की मदद से तैयार किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- प्रोफेसर के.के. पंत ने बताया कि ‘स्वस्थ गर्भ’स्मार्टफोन एप गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व और रियल टाइम (तुरंत) चिकित्सा उपलब्ध कराने में मदद करेगा। यह विशेषकर उन क्षेत्रों की महिलाओं के लिये लाभकारी है, जहाँ चिकित्सा सेवा आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती। गर्भावस्था के लिये यह पहला एप है, जो तुरंत डाक्टर की सलाह सुनिश्चित करता है।
- उन्होंने बताया कि यह क्लिनिकली प्रमाणित होने के साथ विश्वसनीय भी है। एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। एप का लाभ मरीज और डाक्टर दोनों नि:शुल्क ले सकते हैं।
- गौरतलब है कि आईआईटी रुड़की के बायो साइंसेस और बायो इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थी साहिल शर्मा और प्रो. दीपक शर्मा ने दिल्ली एम्स की प्रो. वत्सला डधवाल और प्रो. अपर्णा शर्मा के सहयोग से ‘स्वस्थ गर्भ’एप तैयार किया है।
- एप में गर्भावस्था से जुड़े सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे- हर क्लिनिकल टेस्ट का रिकार्ड रखना और समय पर दवा लेना।
- प्रोफेसर के.के. पंत ने बताया कि ‘स्वस्थ गर्भ’एप के लाभों को सामने रखने वाला एक शोध पत्र प्रतिष्ठित ‘पीयर-रिव्यू आईईईई जर्नल आफ बायोमेडिकल एंड हेल्थ इंफार्मेटिक्स’ में प्रकाशित किया गया है।
- आईआईटी रुड़की के बायो साइंसेस और बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर दीपक शर्मा ने बताया कि नवजात मृत्यु दर का अधिक होना गंभीर चिंता की बात है। इसके मद्देनज़र विकसित स्वस्थ गर्भ मोबाइल एप सभी गर्भवती महिलाओं को रियल टाइम चिकित्सा सहायता देगा और गर्भावस्था में माँ-शिशु स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करेगा। इसके साथ ही, यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत मिशन को आगे ले जाने में मदद करेगा।
- दिल्ली के एम्स में डीन (रिसर्च) प्रो. रमा चौधरी ने बताया कि ‘स्वस्थ गर्भ’एप गर्भावस्था की आम समस्याओं के संभावित समाधान में काफी उपयोगी होगा। घर-घर ‘स्वस्थ गर्भ’ एप पहुँचाकर इसकी मदद से गर्भावस्था में माँ-शिशु का जीवन आसानी से बचाया जा सकता है।
- दिल्ली एम्स के प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रो. वत्सला डधवाल ने बताया कि एप के जरिये गर्भवती महिला डॉक्टरों के बीच संवाद होने से गर्भावस्था के बेहतर परिणाम मिलेंगे। पायलट स्टडी से पता चला है कि यह एप गर्भवती महिलाओं के साथ डाक्टर भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
- उन्होंने बताया कि एप की उपयोगिता को लेकर 150 गर्भवती महिलाओं का क्लिनिकल आकलन किया गया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि एप से प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता बढ़ी है और समस्याएँ कम हुई हैं। एप पर रजिस्टर्ड महिलाओं के प्रसव पूर्व सलाह के लिये अस्पताल आने की माध्यमिक संख्या में वृद्धि देखी गई और उनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों का बेहतर अनुपालन भी दिखा।
- विदित है कि कोविड-19 महामारी आने के बाद स्वास्थ्य सेवा में टेलीमेडिसिन का महत्त्व बढ़ गया है। वर्तमान में पूरी दुनिया में एक अरब से अधिक लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में स्वस्थ गर्भ एप में चिकित्सा जगत को बदलने और बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की असीम संभावना है।