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कैमूर में खुलेगा वाटर स्पोर्ट्स सेंटर
चर्चा में क्यों?
28 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के कैमूर ज़िले में पर्यटन विकास को लेकर वाटर स्पोर्ट्स सेंटर खोलने की तैयारी हो चुकी है। इसे लेकर भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय की ओर से कैमूर ज़िला प्रशासन को पानी के खेलों के लिये सेंटर बनाने के लिये उपयुक्त बांँध स्थल या चौड़ी नदी के पाट या बड़े घाटों को चयनित करने का निर्देश दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य में वाटर स्पोर्ट्स सेंटर खोलने के संबंध में पानी के खेलों को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय की मांग का हवाला देते हुए राज्य सरकार के स्तर से कैमूर, पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर तथा सासाराम ज़िला प्रशासन को पत्र भेजा गया है।
- गौरतलब है कि कैमूर से सटे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राज्य की झीलों में एक रामगढ़ झील में उत्तर प्रदेश सरकार वाटर स्पोर्टस सेंटर का संचालन करा रही है। वहाँ पानी के राज्यस्तरीय और राष्ट्रीयस्तर की प्रतियोगिता आयोजित कराई जाती हैं।
- कैमूर ज़िले में वाटर स्पोर्टस सेंटर का संचालन शुरू कराया जाता है, तो पानी के खेलों के खिलाड़ियों समेत इन सेंटर पर आने वाले पर्यटकों को भी पानी के खेलों का आनंद उठाने का सुनहरा मौका मिलेगा।
- जानकारी के अनुसार, वाटर स्पोर्ट्स सेंटरों पर बोटिंग, वाटर बाइकिंग, स्कीइंग आदि खेल की सुविधाएँ विकसित कराई जाएंगी। इन सेंटरों पर जल क्रीड़ा क्षेत्र के खेल नौका दौड़, तैराकी आदि विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन कराया जा सकेगा।
- इन सुविधाओं के बहाल होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर वाटर स्पोर्ट्स सेंटर की पहचान कायम हो जाएगी और जल क्षेत्र के स्थानीय खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा तराशने और उच्च स्तर के खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करने का सुनहरा अवसर मिल पाएगा।
- कैमूर ज़िले में करकटगढ़, तेलहाड़ कुंड, जगदहवाँ डैम समेत पहाड़ी वादियों में कई ऐसे मनोरम जल क्षेत्र हैं, जहाँ लोग विशेष अवसरों समेत वर्षभर आते-जाते रहे हैं।
- वाटर स्पोर्ट्स सेंटर के लिये दुर्गावती जलाशय परियोजना सबसे अनुकूल स्थल हो सकता है। इस परियोजना का जल संग्रहण क्षेत्र 627 वर्ग किलोमीटर के रेंज में फैला हुआ है।
- कैमूर और रोहतास ज़िले के तीन पहाड़ियों को बाँधकर यह परियोजना तैयार की गई है। वर्तमान में इसके जल क्षेत्र में सैलानियों को बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
- इसके अलावा, इस परियोजना का जल संग्रहण क्षेत्र अब प्रवासी पक्षियों का भी केंद्र बना है और इसे बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित करने का प्रयास हो रहा है।
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