लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
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स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Nov 2023
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में 25 दिसंबर से 26 जनवरी तक आयोजित होगा ‘संस्कृति उत्सव 2023’

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने और लोककला को देश सहित दुनियाभर में प्रसिद्धि दिलाने के लिये प्रदेश में 25 दिसंबर से 26 जनवरी, 2024 तक ‘संस्कृति उत्सव 2023’ का आयोजन किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • ‘उत्तर प्रदेश पर्व: हमारी संस्कृति-हमारी पहचान’ थीमलाइन से आयोजित किये जा रहे इस उत्सव से गाँव, ब्लॉक, तहसील, ज़िला, मंडल सहित राज्य स्तर पर लोक कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित मंच मिलेगा।
  • संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा इस उत्सव का आयोजन प्रदेश भर में कराया जाएगा, जिसमें कई प्रतियोगिताएँ शामिल होंगी।
  • मुख्य रूप से शास्त्रीय, उप-शास्त्रीय, लोकनाट्य व लोकसंगीत जैसी सांस्कृतिक विधाओं को प्रश्रय प्रदान करने की भावना से इन कार्यक्रमों का आयोजन प्रदेश भर में किया जाएगा।
  • इस आयोजन में ग्रामीण अंचलों में प्रचलित लोक संगीत को भी काफी प्रमुखता दी जाएगी तथा सभी स्तरों पर होने वाली प्रतियोगिताओं में विजेता कलाकारों को सम्मानित व पुरस्कृत किया जाएगा।
  • 25 से 30 दिसंबर के बीच तहसील मुख्यालय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें गाँवों, पंचायत, ब्लॉक व तहसील स्तर के कलाकार भाग लेंगे। इसके बाद 1 से लेकर 5 जनवरी, 2024 के बीच ज़िला मुख्यालयों पर होने वाली प्रतियोगिता में तहसील स्तर के चयनित कलाकार भाग लेंगे।
  • मंडलीय मुख्यालय स्तर पर 10 से 15 जनवरी के बीच प्रतियोगिता का आयोजन होगा, जिसमें ज़िला स्तर पर चयनित कलाकार प्रतिभाग करेंगे। इसके आगे तीन अन्य चरणों से गुजर कर प्रतियोगिता निर्णायक स्थिति में पहुँचेगी और इन तीनों ही चरण की प्रतियोगिताओं का आयोजन लखनऊ में होगा। मंडल स्तर के चयनित कलाकारों को अभ्यास व मुख्य आयोजन में प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा और सम्मानित भी किया जाएगा।
  • आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय गायन में ख्याल, ध्रुपद, उप-शास्त्रीय गायन में ठुमरी, दादरा, चौती, चौता, झूला, होरा, टप्पा, वादन में बाँसुरी, शहनाई, हारमोनियम, सितार, वॉयलिन, गिटार, सारंगी, वीणा, तबला, पखावज, मृदंगम व घटम तथा जनजातीय व लोक वाद्ययंत्र से जुड़ी प्रतियोगिताएँ होंगी। वहीं, नृत्य में कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम व अन्य शास्त्रीय नृत्यों से जुड़ी प्रतियोगिताएँ होंगी।
  • इसी प्रकार, लोकनृत्य में धोबिया, अहिरवा, करमा, शैला, डोमकच, आखेट तथा लोकनाट्य में नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया, नुक्कड़ नाटक आदि की प्रतियोगिताएँ होंगी।
  • लोकगायन में कजरी, चौती, झूला, बिरहा, आल्हा, निर्गुण, लोकगीत, कव्वाली व सुगम संगीत के अंतर्गत गीत, गजल, भजन तथा देशभक्ति गीत जैसी कैटेगरीज़ में प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
  • एकल नृत्य व सामूहिक नृत्य के लिये रिकॉर्डेड संगीत मान्य होगा। प्रतियोगिताओं में विजयी कलाकारों को मेडल, प्रमाण-पत्र व स्मृति चिह्न देकर पुरस्कृत किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश Switch to English

बरेली की आशी को लस्ट स्टोरीज-2 के लिये मिले दो अवॉर्ड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बरेली की आशी को मुंबई में आयोजित फिल्मफेयर अवार्ड-2023 में लस्ट स्टोरीज-2 के लिये बेस्ट पिक्चर और बेस्ट डायरेक्शन का पुरस्कार मिला है।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि जनकपुरी निवासी आशी वर्ष 2008 में आशी मुंबई गई थीं। वर्ष 2013 में बॉम्बे टॉकीज से उन्होंने खासी पहचान मिली। उसके बाद लगातार आशी कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ रही हैं। अपनी कंपनी के माध्यम से वह कई लोगों को रोज़गार भी दे रही हैं।
  • आशी ने निर्माता के तौर पर कालाकांडी, लस्ट स्टोरीज, घोस्ट स्टोरीज जैसी शानदार फिल्में बनाई हैं। लस्ट स्टोरी-2 की चार कहानियों को करण जौहर, अनुराग कश्यप, जोया अख्तर और दिबाकर बनर्जी ने निर्देशित किया है।
  • गौरतलब है कि इससे पहले इस सीरीज की पहली फिल्म लस्ट स्टोरीज को ऐनी अवॉर्ड मिल चुका है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

बायोडीजल के उत्पादन, वितरण से संबंधित एड्वांस्ड वेब पोर्टल का विकास

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार बायोडीजल के उत्पादन, भंडारण, क्रय व वितरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये एक अत्याधुनिक व विशिष्ट पोर्टल का विकास कराएगा।

प्रमुख बिंदु

  • यह पोर्टल कई खूबियों से लैस होगा तथा बायोडीजल के उत्पादन, वितरण, एनओसी क्लियरेंस, लाइसेंस आवंटन, पंजीयन, वाद निस्तारण तथा भुगतान संबंधी कार्यों की पूर्ति के लिये ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन प्लेटफॉर्म’ की तरह कार्य करेगा।
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) के प्रयोग के लिये नए आधुनिक वेब पोर्टल का विकास यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड कराएगा। नया पोर्टल बायोडीजल के उत्पादन व वितरण से संबंधित एनओसी व लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया सरलता के साथ पूर्ण करने में सक्षम होगा।
  • उल्लेखनीय है कि वेब पोर्टल के विकास का कार्य प्राप्त करने वाली सॉफ्टवेयर एजेंसी को उसके डिजाइन, डेवलपमेंट, इंप्लीमेंटेशन और ऑपरेशनल ट्रेनिंग के साथ ही एनओसी व लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया के दौरान मदद करनी होगी।
  • यह वेब पोर्टल काफी विस्तृत होगा तथा हिंदी व इंग्लिश माध्यम में कार्य करेगा। इसमें यूपीनेडा के अधिकारियों समेत पब्लिक ऑफिसर्स के लॉगिन और ज़िलाधिकारियों के लॉगिन तथा कार्य योजनाओं की मॉनिटरिंग समेत कई फीचर्स होंगे। इसके अतिरिक्त, पोर्टल पर बायोडीजल को लेकर राज्य सरकार की नीतियों समेत कई अन्य अहम जानकारियां व विवरण भी शामिल होंगे।
  • पोर्टल को इस तरीके से बनाया जाएगा कि वह निवेश मित्र के साथ इंटीग्रेट होकर कार्य करने में सक्षम हो। वेबसाइट में एप्लिकेंट रजिस्ट्रेशन, एप्लिकेशन अप्रूवल, एनओसी मॉड्यूल, पेमेंट मॉड्यूल, रीन्यूअल मॉड्यूल, क्वेरी सब्मिशन, रिपोर्टिंग मॉड्यूल, एसएमएस व ई-मेल इंटीग्रेशन, क्लाउड सर्वर, सिक्योरिटी ऑडिट, हेल्पडेस्क मॉड्यूल तथा वेब सर्वर डोमेन के लिये एसएसएल जैसे फीचर्स होंगे।
  • इसमें एक डैशबोर्ड होगा, जिसमें एप्लिकेंट लॉगिन, मैनुफैक्चरिंग यूनिट, रीटेलर यूनिट जैसे लॉगिन इंटरफेस रहेंगे। यह रिस्पॉन्सिव डिजाइन टेक्नोलॉजी आधारित होगा। इसका डेटा ट्रांसफर बैंडविड्थ 1000 गीगाबाइट प्रति सेकेंड होगा, जबकि 500 गीगाबाइट तक डिस्क टू डिस्क बैकअप स्टोरेज की सुविधा से लैस होगा। इसके साथ ही, इसमें लाइव टेलिकास्टिंग की सुविधा भी रहेगी।
  • यह वेब पोर्टल यूजर फ्रेंडली होगा तथा इसके जरिए त्वरित वाद निस्तारण की प्रक्रिया को भी बल मिलेगा।


उत्तर प्रदेश Switch to English

लखनऊ विश्वविद्यालय एकेडमिक ऑटोनॉमी के ग्रेड वन में हुआ शामिल

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने लखनऊ विश्वविद्यालय को श्रेणी-1 के विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है। इससे विश्वविद्यालय तय शर्तें पूरी करके ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा के पाठ्यकम शुरू कर सकेगा। इसके साथ ही उसे अगले स्तर की शैक्षणिक स्वायत्तता भी मिल पाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • यूजीसी की ओर से मान्यता प्राप्त श्रेणी-1 का संस्थान बनने के बाद अब लखनऊ विश्वविद्यालय यूजीसी (मुक्त और दूरस्थ शिक्षा) विनियम 2017 और समय-समय पर हुए संशोधनों के तहत निर्धारित शर्तें पूरी करने पर आयोग की मंज़ूरी के बिना मुक्त और दूरस्थ शिक्षा मोड में पाठ्यक्रम शुरू कर सकता है। साथ ही यूजीसी की मंज़ूरी के बिना संबंधित विषयों में नए कोर्स, कार्यक्रम, विभाग और केंद्र शुरू कर सकता है।
  • इसके अलावा विश्वविद्यालय यूजीसी को जानकारी देकर नए डिप्लोमा और प्रमाणपत्र कोर्स शुरू करने, भौगोलिक अधिकार क्षेत्र के अंदर ऑफ-कैंपस केंद्र खोलने, कौशल पाठ्यक्रम शुरू करने, अनुसंधान पार्क-ऊष्मायन केंद्र-विश्वविद्यालय समाज संबंध केंद्र खोलने, विदेशी संकाय को नियुक्त करने, कुल संख्या के मुकाबले 20 फीसदी से ज्यादा विदेशी छात्रों को प्रवेश देने जैसे निर्णय ले सकता है।
  • लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि श्रेणी-1 संस्थानों को अधिक शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता प्राप्त है, जो उन्हें अपने पाठ्यक्रम को डिजाइन करने, प्रशासनिक निर्णय लेने, नवीन कार्यक्रम शुरू करने, विदेशी संकाय नियुक्त करने और वर्तमान संकाय को प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाती है।
  • डीन एकेडमिक प्रो. गीतांजलि मिश्रा ने कहा कि डीन विश्वविद्यालय पहले से ही ट्विनिंग, संयुक्त और दोहरी डिग्री और ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा जैसे यूजीसी नियमों के अनुरूप नए अभिनव कार्यक्रम शुरू कर रहा था। श्रेणी-1 का दर्जा मिलने के बाद किसी भी नई शुरुआत के लिये औपचारिकताओं की संख्या कम हो जाती है।
  • विदित हो कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने नैक में ए प्लस-प्लस ग्रेड मिलने के बाद दूरस्थ और ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव यूजीसी को भेजा था। इसमें स्नातक और परास्नातक दोनों प्रकार के पाठ्यक्रम शामिल हैं। दूरस्थ और ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने के लिये नैक में सर्वोच्च रैंक की जरूरत होती है। अब जब विश्वविद्यालय को श्रेणी-1 का दर्जा मिल गया है तो उसे पाठ्यक्रम शुरू करने में कोई अड़चन नहीं आएगी।


बिहार Switch to English

बिहार शिक्षा विभाग ने जारी किया मॉडल टाइम टेबल

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के लिये मॉडल टाइम टेबल जारी किया गया है। यह 1 दिसंबर से सभी विद्यालयों में समान रूप से प्रभावी होगा।

प्रमुख बिंदु

  • मॉडल टाइम टेबल के अनुसार विद्यालय सुबह 9:00 बजे खुलेगा। सुबह 9:00 से 9:30 बजे तक प्रार्थना योगाभ्यास, व्यायाम एवं ड्रिल होगी।
  • पहली घंटी 9:30 से 10:10 तक, दूसरी 10:10 से 10:50 तक, तीसरी 10:50 से 11:30 तक, चौथी 11:30 से 12:10 तक होगी।
  • एमडीएम एवं मध्यांतर 12:10 से 12:50 तक होगा। इसके बाद पाँचवी घंटी 12:50 से 1:30 तक, छठी घंटी 1:30 से 2:10 तक, सातवी घंटी 2:10 से 2:50 तक, आठवी घंटी 2:50 से 3:30 तक रहेगी।
  • पहली घंटी सुबह 9:30 बजे प्रारंभ होगी तथा छात्र-छात्राओं की छुट्टी अपराह्न 3:30 बजे होगी।
  • आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस टाइम टेबल के जरिये स्कूल बंद होंगे और शुरू होंगे। स्कूल अपने स्तर पर इस टाइम टेबल में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे, अगर स्कूल में किसी कक्षा की बोर्ड या सेंटअप परीक्षा हो रही है तो अन्य कक्षाएँ निलंबित नहीं की जाएंगी।
  • शनिवार को पूरे दिन चहल-पहल रहेगी, भोजनावकाश के बाद शिक्षण कार्य होगा। इसके बाद बाल संसद और अभिभावकों के साथ बैठक होगी।
  • संस्कृत बोर्ड स्कूल और सरकारी उर्दू स्कूल भी उपरोक्त मॉडल टाइम टेबल का पालन करेंगे। मिशन दक्ष की तरह दोपहर 3:30 बजे से शाम 4:15 बजे तक विशेष कक्षाएँ संचालित की जाएंगी। कक्षा 1 और 2 के बच्चों को छोड़कर शाम 4.15 से 5.00 बजे तक होमवर्क चेक किया जाएगा, पाठ्य टिप्पणी तैयार की जाएगी, मिशन दक्ष की कक्षाएँ ली जाएंगी। शिक्षकों की छुट्टी 5 बजे होगी।
  • अपर मुख्य सचिव पाठक ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक को अधिकतम पाँच बच्चों को पढ़ाना होगा। शिक्षकों को इतने बच्चों को गोद लेना होगा। इन शिक्षकों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे जिस कक्षा में नामांकित हैं, उस कक्षा का बच्चों को गुणवत्तापूर्ण ज्ञान दें।
  • यह पूरी कवायद ‘मिशन दक्ष’ के तौर पर संचालित की जाएगी। सरकारी स्कूलों में पढ़ने में बेहद कमजोर कक्षा 3 से 8 तक के 25 लाख से अधिक बच्चों को पढ़ाने के लिये विशेष कक्षाएँ लगाई जाएंगी।
  • अपर मुख्य सचिव पाठक ने ज़िला अधिकारियों से कहा है कि अप्रैल 2024 में ज़िला स्तर पर 25 लाख बच्चों की परीक्षा आयोजित की जाएगी। यदि ये बच्चे उस परीक्षा में फेल हो गये, तो संबंधित प्रधानाध्यापक व शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस पूरी कवायद की ज़िम्मेदारी ज़िला अधिकारियों को सौंपी गई है।


राजस्थान Switch to English

भीलवाड़ा के कैलाश के नाम विश्व की सबसे बड़ी रोटी बनाने का रिकॉर्ड

चर्चा में क्यों?

27 नवंबर, 2023 को भीलवाड़ा शहर के कैलाश सोनी के नाम पर विश्व की सबसे बड़ी रोटी बनाने का विश्व कीर्तिमान दर्ज किया गया है। साथ ही भीलवाड़ा में सोनी को इस रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि भीलवाड़ा शहर में 8 अक्तूबर, 2023 को विश्व की सबसे बड़ी रोटी का विश्व कीर्तिमान बनाया गया था। यह रिकॉर्ड इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड (वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस) में दर्ज हो गया है।
  • यहाँ विश्व की सबसे बड़ी 185 किलो वजनी रोटी बनाई गई है। इस रोटी का व्यास 11.25 फीट गुणा 11.25 फीट है।
  • इसको बनाने के लिये पूरे भारत वर्ष के विभिन्न राज्यों से 24 हलवाई की टीम द्वारा विश्व की सबसे बड़ी रोटी को छह घंटे से अधिक समय में बनाया गया था।
  • इसका तवा लगभग 1000 किलो और साइज 16 गुना 12 फीट की थी। इसको बनाने के लिये 1100 ईंटों की भट्टी में 1000 किलो कोयले का इस्तेमाल किया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि साल 2012 में गुजरात के जामनगर शहर में 10 फीट गुणा 10 फीट की रोटी 145 किलो का वजन का गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई थी।

 


हरियाणा Switch to English

कैंसर रोग की ‘थर्ड एवं फोर्थ स्टेज’ के मरीजों को मिलेगी वृद्धावस्था सम्मान भत्ता के समान वित्तीय सहायता

चर्चा में क्यों?

27 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कैंसर रोग की ‘थर्ड एवं फोर्थ स्टेज’ के मरीजों को वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना की तर्ज पर मासिक वित्तीय सहायता देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। यह योजना आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से लागू होगी।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता आवेदक द्वारा किसी भी अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत प्राप्त किये जा रहे लाभ के अतिरिक्त होगी।
  • इस योजना के तहत पात्र कैंसर रोगियों को वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना की तर्ज पर 1 जनवरी, 2024 से 3000 रुपए मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • ऐसे कैंसर के मरीज, जिनकी पारिवारिक सालाना आय अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं की राशि को छोड़कर 3 लाख रुपए से कम है, वे इसके पात्र होंगे।
  • इस योजना का उद्देश्य कैंसर की ‘थर्ड एवं फोर्थ स्टेज’ के मरीजों के सामने आने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है। यह योजना हरियाणा राज्य में सभी आयु वर्ग के चरण-3 व 4 कैंसर रोगियों के लिये लागू होगी।
  • इसके तहत कैंसर के गंभीर रोगियों की आवश्यकता, जीवनयापन के खर्चों, बुनियादी ज़रूरतों, चिकित्सा व्यय, अप्रत्यक्ष लागत, ओओपीई आदि के लिये मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • योजना के तहत रोगी की पात्रता में ‘बोनफाइएड-रेजिडेंस’ की शर्तें मान्य होंगी। इसके अलावा, आवेदक के पास परिवार पहचान-पत्र भी होना चाहिए।
  • विदित हो कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 9 मई, 2022 को अटल कैंसर सेंटर अंबाला कैंट के उद्घाटन के दौरान कैंसर के तीसरे एवं चौथे चरण के रोगियों के लिये पेंशन की घोषणा की थी।
  • उल्लेखनीय है कि कैंसर एक बहुक्रियात्मक बीमारी है, जो भारत में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में प्रतिवर्ष 13.24 लाख नए कैंसर के मामले और लगभग 8.51 लाख कैंसर से संबंधित मौतें दर्ज की जाती हैं। हरियाणा में वर्ष 2020 में अनुमानित 29,000 नए कैंसर के मामले और 16,000 कैंसर से मौतें हुई हैं।
  • कैंसर के तीसरे एवं चौथे चरण में करीब 64 प्रतिशत मरीज गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं। ऐसे में हरियाणा सरकार द्वारा इस योजना को मंज़ूरी मिलने से कैंसर रोग की ‘थर्ड एवं फोर्थ स्टेज’ के मरीजों को वित्तीय सहायता मिलने से काफी राहत मिलेगी।


हरियाणा Switch to English

बकाया राशि की वसूली के लिये ‘हरियाणा एकमुश्त व्यवस्थापन स्कीम 2023’ को मिली मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

27 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में हरियाणा में बकाया राशि की वसूली में तेजी लाने और मुकदमेबाजी कम करने के उद्देश्य से ‘एकमुश्त व्यवस्थापन स्कीम 2023’ नामक एक अनूठी योजना को मंज़ूरी प्रदान की गई।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में घोषणा करते हुए कहा था कि बकाया वसूली के लिये विवादों का समाधान योजना के तहत इस प्रकार की एक योजना लाई जाएगी।
  • यह योजना पूर्व-जीएसटी प्रणाली में आबकारी एवं कराधान विभाग के विभिन्न अधिनियमों द्वारा शासित बकाया राशि की वसूली की सुविधा के लिये बनाई गई है। यह योजना अधिसूचना की तिथि से लागू होगी।
  • इस योजना के अंतर्गत आने वाले अधिनियमों में सात अधिनियमों नामत: हरियाणा मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम 2003, केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम 1956, हरियाणा स्थानीय क्षेत्र विकास कर अधिनियम 2000, हरियाणा स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम 2008, हरियाणा सुख साधन कर अधिनियम 2007, पंजाब मनोरंजन शुल्क अधिनियम 1955 और हरियाणा साधारण विक्रय कर अधिनियम 1973 से संबंधित बकाया शामिल हैं।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा मंत्रिमंडल ने संचार और कनेक्टिविटी अवसंरचना नीति में संशोधन को दी मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

27 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में पूरे राज्य में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये उच्च गुणवत्ता वाली प्रौद्योगिकी और संचार बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से ‘कम्युनिकेशन एंड कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर पॉलिसी-2023’ में संशोधन को मंज़ूरी दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • यह नई पॉलिसी ‘कम्युनिकेशन एंड कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर पॉलिसी-2017’ की जगह लेगी और 2022 में केंद्रीय संचार मंत्रालय (दूरसंचार विभाग) द्वारा अधिसूचित संशोधित भारतीय टेलीग्राफ राइट ऑफ वे नियमों के साथ संरेखित होगी।
  • कैबिनेट का यह निर्णय दूरसंचार क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकी प्रगति के एकीकरण को प्रोत्साहित करता है, जिसमें ‘फाइबर टू द होम’ (एफटीटीएच) और ‘ओपन एक्सेस नेटवर्क’ (ओएएन) जैसे अभिनव व्यवसाय मॉडल शामिल हैं, जो नेटवर्क तक भौतिक पहुँच को सेवा वितरण से अलग करता है।
  • यह संशोधित नीति सड़कों के किनारे नलिकाओं के माध्यम से 5जी सक्षम बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये एक रूपरेखा स्थापित करती है, जिससे कई सेवा प्रदाताओं को ‘राइट ऑफ वे’ (आरओडब्ल्यू) उपलब्धता को अनुकूलित करने और कई बुनियादी ढाँचे प्रदाताओं द्वारा आरओडब्ल्यू में खुदाई के कारण होने वाले बार-बार होने वाले व्यवधानों को रोकने के लिये एक ही बुनियादी ढाँचे को साझा करने की अनुमति मिलती है।
  • नए स्वीकृत कार्यक्रम के तहत, यदि नोडल अधिकारी आवेदन जमा करने की तारीख से 45 दिनों के भीतर अनुमति देने या आवेदन को अस्वीकार करने में विफल रहता है, तो अनुमति दी गई मानी जाएगी। संबंधित ज़िले के उपायुक्त सभी मंज़ूरियों के लिये एकमात्र संपर्क व्यक्ति होंगे।
  • भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त कोई भी दूरसंचार बुनियादी ढाँचा और सेवा प्रदाता या संचार और कनेक्टिविटी बुनियादी ढाँचे को बिछाने के लिये लाइसेंस धारी द्वारा विधिवत अधिकृत बुनियादी ढाँचा प्रदाता इस नीति के तहत राज्य में कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर एवं संचार स्थापित करने, बिछाने या प्रदान करने के लिये अनुमति लेने के लिये पात्र है।

हरियाणा Switch to English

पानीपत रिफाइनरी के विस्तार के लिये तीन गाँवों की ग्राम पंचायतों को ज़मीन बेचने की मंज़ूरी मिली

चर्चा में क्यों?

27 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आईओसीएल पानीपत रिफाइनरी के पहले चरण के विस्तार के लिये तीन गाँवों की ग्राम पंचायतों को 350.5 एकड़ पंचायती ज़मीन को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन पानीपत रिफाइनरी व पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स पानीपत को बेचने की मंज़ूरी प्रदान की गई।

प्रमुख बिंदु

  • आईओसीएल, पानीपत रिफाइनरी आसन कलाँ गाँव की 140 एकड़ 6 कनाल 12 मरला, बाल जाटान गाँव की 152 एकड़ 2 कनाल 15 मरला व खंडरा गाँव की 57 एकड़ 2 कनाल 19 मरला भूमि को बाज़ार कीमत 2.20 करोड़ रुपए प्रति एकड़ की दर से खरीदेगी।
  • इसके अलावा, आईओसीएल इन गाँवों के विकास कार्यों के लिये ग्राम पंचायतों को 10 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से राशि का भी भुगतान करेगी।
  • गौरतलब है कि राज्य के स्वामित्व वाली तेल दिग्गज कंपनी ने 4,200 एकड़ से अधिक क्षेत्र में पानीपत में अपनी पानीपत रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना की है।
  • आईओसीएल ने रिफाइनरी के विस्तार के लिये हरियाणा सरकार से करीब 600 एकड़ ज़मीन देने का अनुरोध किया था, जिसमें से 349 एकड़ ज़मीन सरकार ने उपलब्ध करा दी है।


हरियाणा Switch to English

राज्य की पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए की 7 जातियाँ हरियाणा अनुसूचित जाति वर्ग सूची में शामिल

चर्चा में क्यों?

27 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में हरियाणा राज्य की पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए में क्रम संख्या-1 से 7 जातियों नामत: अहेरिया, अहेरी, हेरी, हरि, तुरी या थोरी को हटाकर हरियाणा अनुसूचित जाति वर्ग सूची में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके अलावा, हरियाणा पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए सूची में क्रम संख्या 50 पर उल्लेखित ‘राय सिख’ जाति को भी हटाया गया है और इसे भी हरियाणा अनुसूचित जाति वर्ग सूची में शामिल किया गया है।
  • हरियाणा सरकार के इस निर्णय से अब इन जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग का लाभ मिलेगा।
  • इसके साथ ही हरियाणा पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए सूची में क्रम संख्या 31 पर ‘जंगम-जोगी’ जाति शब्द को संशोधित कर ‘जंगम’ कर दिया गया है।
  • हरियाणा सरकार की ओर से अनुसूचित जाति आयोग राज्य के ‘नायक’ समुदाय को अनुसूचित जाति वर्ग की सूची में शामिल करने के लिये केंद्र सरकार को लिखित पत्र भेजा जाएगा। भारत सरकार के निर्देशानुसार इस संबंध में आगे की कार्यवाही की जाएगी।

झारखंड Switch to English

हर घर नल जल योजना में पाकुड़ और गोड्डा फिसड्डी

चर्चा में क्यों?

29 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार ‘जल जीवन मिशन’ के तहत चल रही ‘हर घर नल जल योजना’ में झारखंड के पाकुड़ और गोड्डा ज़िले देश के सबसे पिछड़े ज़िलों में शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • झारखंड के पाकुड़ ज़िले में केवल 11.33 प्रतिशत घरों तक ही नल से जल पहुँच पाया है। यहाँ कुल घरों की संख्या 2,26,943 है, जबकि अब तक यहाँ केवल 25,711 घरों तक ही नल से जल पहुँचाया जा सका है।
  • झारखंड के गोड्डा ज़िले में केवल 18.23 प्रतिशत घरों तक ही नल से जल पहुँच पाया है। यहाँ कुल घरों की संख्या 3,02,773 है, जबकि अब तक यहाँ केवल 55,200 घरों तक ही नल से जल पहुँचाया जा सका है।
  • इस योजना के अंतर्गत झारखंड के सिमडेगा ज़िला की प्रगति राष्ट्रीय औसत के करीब पहुँच गई है। यहाँ 70.88 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुँच गया है। यहाँ कुल घरों की संख्या 1,30,075 है, जिसमें से 92,196 घरों तक शुद्ध पेयजल पहुँच गया है।
  • अब तक मिले आँकड़ों के अनुसार, देश में हर घर जल योजना की प्रगति 71.07 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत के मुकाबले झारखंड 25 प्रतिशत पीछे है। यहाँ अब तक लगभग 46 प्रतिशत घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुँचाया जा सका है।
  • अब भी राज्य की 54 प्रतिशत आबादी पानी के लिये चापाकल, कुआँ, नदी-नालों एवं अन्य प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है।
  • राज्य सरकार 61.76 लाख घरों में से 28.33 लाख घरों तक पाइपलाइन से पानी पहुँचा पाई है।
  • हालाँकि मौज़ूदा वित्तीय वर्ष में झारखंड में काफी तेजी से कार्य हुआ है। पिछले आठ महीनों के दौरान लगभग 7.91 लाख घरों में शुद्ध पेयजल पहुँचाया गया है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा ‘जल जीवन मिशन योजना’ की शुरुआत की गई थी।


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मुख्यमंत्री ने किया छठवें आपदा प्रबंधन वैश्विक सम्मेलन का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में स्थित क्लेमेंट टाउन स्थित ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में छठवें आपदा प्रबंधन वैश्विक सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुभव पर आधारित पुस्तक ‘रेजिलिएंट इंडिया’ का विमोचन भी किया।
  • 1 दिसंबर, 2023 तक होने वाले इस सम्मेलन में 50 से देशों के प्रतिनिधि, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में 60 से अधिक तकनीकी सत्र आयोजित किये जाएंगे।
  • सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह आपदा प्रबंधन वैश्विक सम्मेलन महत्त्वपूर्ण है। इस संबंध में वैश्विक स्तर पर हो रहे अध्ययनों, शोधों एवं अनुभवों को साझा करना भी समय की जरूरत है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 8 और 9 दिसंबर, 2023 को देहरादून में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देश-विदेश के औद्योगिक समूहों, निवेशकों की ओर से राज्य में निवेश को गति देने के लिये प्रतिभाग किया जाएगा। इस सम्मेलन से ठीक पहले आयोजित आपदा प्रबंधन के वैश्विक सम्मेलन से ‘सुरक्षित निवेश-सुदृढ़ उत्तराखंड’ का संदेश देश-विदेश में जाएगा।
  • उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से समेकित विकास लक्ष्यों के साथ-साथ आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जनित चुनौतियों का बेहतर रूप से सामना करने में सहायता मिलेगी।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में आपदा प्रबंधन के पाठ्यक्रम शामिल किये जाएंगे और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
  • उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी। इसके लिये भूमि की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। इसके अलावा संस्थान को खोलने के लिये केंद्र सरकार की ओर से जो भी अपेक्षा की जाएगी, राज्य सरकार उसे पूरा करेगी। 

   


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देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बना सिलक्यारा

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को उत्तरकाशी ज़िले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में भू-धंसाव से फँसे 41 मज़दूरों को 17 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद सफलतापूर्वक बाहर निकल लिया गया। इसके साथ ही ऑपरेशन सिलक्यारा किसी सुरंग या खदान में फँसे मज़दूरों को निकालने वाला देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया है।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि 12 नवंबर को दीपावाली के दिन उत्तरकाशी ज़िले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में भू-धंसाव से 41 मज़दूर अंदर फँस गए थे। उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिये विभिन्न एजेंसियाँ जुटी थीं।
  • मिशन सिलक्यारा में बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, ज़िला प्रशासन, थल सेना, वायुसेना, श्रमिकों की अहम भूमिका रही।
  • उल्लेखनीय है कि 17 दिन तक चला ऑपरेशन सिलक्यारा किसी सुरंग या खदान में फँसे मज़दूरों को निकालने वाला देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया है। इससे पहले भी देश में इस तरह के अभियान को अंजाम दिया जा चुका है।
  • रानीगंज कोयला खदान अभियान-
    • 13 नवंबर, 1989 को पश्चिम बंगाल के महाबीर कोल्यारी रानीगंज कोयला खदान जलमग्न हो गई थी। इसमें 65 मज़दूर फँस गए थे। इनको सुरक्षित बाहर निकालने के लिये खनन इंजीनियर जसवंत गिल के नेतृत्व में टीम बनाई गई। दो दिन के ऑपरेशन के बाद आखिरकार सभी मज़दूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
    • उस अभियान में गिल लोगों को बचाने के लिये खुद एक स्टील कैप्सूल के माध्यम से खदान के भीतर गए थे। 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने उन्हें सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से नवाजा था।
    • उस अभियान में मज़दूरों की संख्या सिलक्यारा से ज्यादा थी, लेकिन उन्हें निकालने में समय कम लगा था। सिलक्यारा में 13वाँ दिन बीतने के बाद मज़दूर बाहर निकाले जा सके।
  • कुछ ऐसा ही एक अभियान वर्ष 2006 में हरियाणा के कुरुक्षेत्र के हल्ढेरी गाँव में हुआ था, जहाँ एक पाँच साल का बच्चा प्रिंस बोरवेल में गिर गया था। करीब 50 घंटे की कड़ी जद्दोजहद के बाद बचाव दलों ने बच्चे को बाहर निकालने में कामयाबी पाई थी। इस अभियान में बराबर के ही अन्य बोरवेल को तीन फीट व्यास के लोहे के पाइप के माध्यम से जोड़कर बच्चे को बाहर निकाला गया था।
  • कुछ ऐसे ही अभियान विदेशों में भी हुए हैं-
    • थाई गुफा अभियान: 23 जून, 2018 को थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में गई वाइल्ड बोअर्स फुटबॉल टीम बारिश के कारण हुए जलभराव की वजह से भीतर फँस गई। गुफा में लगातार बढ़ रहे पानी के बीच खिलाड़ियों को खोजना बेहद चुनौतीपूर्ण काम था। करीब दो सप्ताह तक चले अभियान में 90 गोताखोर भी लगाए गए। इस बचाव अभियान में पूर्व थाईलैंड के नेवी सील समन कुनान को जान गवानी पड़ी। यह दुनिया के सबसे जटिल रेस्क्यू अभियान में से एक माना जाता है।
    • चीली खदान अभियान: 5 अगस्त, 2010 को सैन जोस सोने और तांबे की खदान के ढहने से 33 मज़दूर उसमें दब गए थे। ज़मीन के ऊपर से करीब 2000 फीट नीचे फँसे इन मज़दूरों से संपर्क करना ही मुश्किल था। 17 दिन की मेहनत के बाद सतह के नीचे एक लाइफलाइन छेद बनाकर फँसे मज़दूरों को भोजन, पानी, दवा भेजी जा सकी। 69 दिन के बाद 13 अक्तूबर को सभी मज़दूरों को एक-एक करके सुरंग से बाहर निकाला गया।
    • क्यूक्रीक माइनर्स अभियान: 24 जुलाई, 2002 को अमेरिका के पेंसिल्वेनिया के समरसेट काउंटी की क्यूक्रीक माइनिंग इंक खदान में 9 मज़दूर फँस गए। इन्हें केवल 22 इंच चौड़ी आयरन रिंग के सहारे 77 घंटे बाद बाहर निकाला जा सका था।

   


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