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डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त
चर्चा में क्यों?
28 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर का कुलपति नियुक्त किया।
प्रमुख बिंदु
- वर्तमान में डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला परियोजना समन्वयक, ए.आई.सी.आर.पी.-माइक्रोन्यूट्रिएन्ट्स, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल के पद पर कार्यरत् हैं।
- इस विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उनका कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिये होगा।
- राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय,ग्वालियर की स्थापना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2008 के अध्यादेश संख्या 4 द्वारा असाधारण गजट संख्या 507 दिनांक 19 अगस्त, 2008 को जेएनकेवीवी, जबलपुर को विभाजित करके दूसरे कृषि विश्वविद्यालय के रूप में अधिसूचित कर की गई थी।
- आरवीएसकेवीवी अधिनियम (नंबर 4, वर्ष 2009) के अनुसार, बागवानी और पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन अनुसंधान गतिविधियाँ पाँच क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान स्टेशनों (मुरैना, खरगौन, झाबुआ, इंदौर और सीहोर) के माध्यम से संचालित की जाती हैं; चार क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (ग्वालियर, मंदसौर, उज्जैन और खंडवा) और 4 विशेष अनुसंधान केंद्र (एंटखेड़ी, बगवई, जावरा और बड़वा) में 22 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएँ एवं कृषि प्रणाली की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिये कई तदर्थ परियोजनाएँ हैं।
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गाँव में भी मिलेंगे साँची के उत्पाद
चर्चा में क्यों?
28 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा साँची उत्पादों को प्रदेश के गाँव-गाँव तक पहुँचाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत उज्जैन दुग्ध संघ द्वारा ज़िले के पालखंदा और नरवर ग्राम में साँची उत्पाद के विक्रय केंद्र शुरू किये गये।
प्रमुख बिंदु
- इससे ग्रामीणों को साँची उत्पादों की सुविधा के साथ ही स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर भी मिलेंगे।
- मुख्य कार्यपालन अधिकारी उज्जैन सहकारी दुग्ध संघ डॉ. सी.बी. सिंह ने बताया कि साँची ग्रामीण विक्रय केंद्रों की स्थापना सतत् रूप से जारी रहेगी। कोशिश की जाएगी कि दुग्ध संघ से संबंधित सभी दुग्ध सहकारी समितियों को ग्रामीण साँची विक्रय केंद्र पार्लर के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिये सभी आवश्यक सुविधाएँ भी उन्हें उपलब्ध कराई जाएंगी।
- वर्ष 1980 में ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम के माध्यम से मध्य प्रदेश में सहकारी क्षेत्र में समन्वित डेयरी विकास की गतिविधियाँ संचालित करने के लिये मध्य प्रदेश सहकारी सोसायटीज अधिनियम 1960 के अंतर्गत मध्य प्रदेश दुग्ध महासंघ सहकारी मर्यादित (वर्तमान में एम.पी.स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिख) की स्थापना की गई।
- इसी के साथ आणंद प्रणाली पर त्रि-स्तरीय सहकारी संस्थाओं का गठन प्रारंभ हुआ। इसके अंतर्गत प्रथम स्तर पर लगभग 7000 ग्रामीण दुग्ध सहकारी समितियाँ, द्वितीय स्तर पर 6 सहकारी दुग्ध संघ, जिनके मुख्यालय भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर एवं सागर में हैं तथा राज्य स्तर पर एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) कार्यरत् हैं।
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स्वर्गीय श्री लक्ष्मण सिंह गौड स्मृति पुरस्कार नियमों में संशोधन
चर्चा में क्यों?
28 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत् शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान को प्रोत्साहित करने के लिये लागू स्व. श्री लक्ष्मण सिंह गौड स्मृति पुरस्कार के नियमों में संशोधन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- शिक्षा के उत्थान में निरंतर कार्य करने वालों को प्रोत्साहन देने हेतु स्व. श्री लक्ष्मण सिंह गौड स्मृति पुरस्कार के लिये प्राचार्यों, शिक्षकों और अध्ययनरत् विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों के साथ अब शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत् ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारी, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सम्मिलित करने का निर्णय लिया है।
- यह पुरस्कार प्रति वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर प्रदान किये जायेंगे।
- स्व. लक्ष्मण सिंह गौड स्मृति पुरस्कार में राज्य स्तर पर 10 प्राचार्य, 50 शिक्षक, 20 ग्रंथपाल, 20 क्रीड़ा अधिकारी, 40 तृतीय श्रेणी कर्मचारी, 40 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तथा 250 विद्यार्थी (स्नातक-200 एवं स्नातकोत्तर 50) का चयन किया जाएगा।
- इस पुरस्कार में कुल 10 प्राचार्य को क्रमश: एक-एक लाख रुपए और प्रशस्ति-पत्र दिया जाएगा। इसी प्रकार 50 शिक्षकों को क्रमश: 75-75 हज़ार रुपए 20 ग्रंथपाल को क्रमश:75-75 हज़ार, 20 क्रीड़ा अधिकारी को क्रमश: 40-40 हज़ार, 40 तृतीय श्रेणी कर्मचारी को क्रमश: 40-40 हज़ार तथा 40 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को क्रमश: 30-30 हज़ार रुपए का नगद पुरस्कार दिया जाएगा।
- स्व. लक्ष्मण सिंह गौड पुरस्कार में चयनित कुल 250 स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को 50-50 हज़ार रुपए एवं प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया जाएगा।
- स्व. लक्ष्मण सिंह गौड स्मृति पुरस्कार के लिये प्राचार्य अपना आवेदन क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक को भेजेंगे। प्राचार्यों के लिये विषय एवं संकाय का बंधन नहीं होगा। अतिरिक्त संचालक सभी संभागों के लिये पृथक्-पृथक् संभागों में सर्वोच्च गुणांक प्राप्त करने वाले 2-2 प्राचार्यों का पैनल तैयार करेंगे। इस प्रकार 10 संभागों में से कुल 20 प्राचार्यों के नाम तय किये जाएंगे।
- प्रत्येक महाविद्यालय के लिये प्राचार्य द्वारा सक्षम अधिकारी गुणानुक्रम के आधार पर अपने महाविद्यालय/संस्थान से सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले प्रत्येक संकाय में से एक शिक्षक, एक ग्रंथपाल, एक क्रीड़ा अधिकारी, एक तृतीय और एक चतुर्थ श्रेणी अधिकारी का चयन किया जाएगा।
- महाविद्यालय द्वारा चुने गए शिक्षकों, ग्रंथपालों, क्रीड़ा अधिकारियों तथा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सूची में से क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक अपने क्षेत्राधिकार से अधिकतम 10 शिक्षकों, 4 ग्रंथपालों, 4 क्रीड़ा अधिकारियों, 8 तृतीय श्रेणी और 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का पैनल तैयार कर आयुक्त उच्च शिक्षा को प्रेषित करेंगे।
- इस प्रकार सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों से 100 शिक्षकों, 40 ग्रंथपाल, 40 क्रीड़ा अधिकारी, 80 तृतीय श्रेणी और 80 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नाम प्राप्त होंगे।
- प्रत्येक संभाग से अलग-अलग महाविद्यालयों से कला, वाणिज्य, विज्ञान, गृह विज्ञान एवं विधि संकाय (जैसा महाविद्यालय में लागू हो) गुणानुक्रम के आधार पर स्नातक स्तर पर प्रत्येक संकाय से 4 विद्यार्थी, अर्थात् प्रत्येक संभाग से 20-20 विद्यार्थियों को चयन किया जाएगा।
- स्नातकोत्तर स्तर पर प्रत्येक संकाय से सभी वर्गों में से सर्वोच्च गुणांक प्राप्त करने वाले एक-एक विद्यार्थी का चयन किया जायेगा।
- क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक अपने क्षेत्र के महाविद्यालयों से प्राप्त नामों की संभागवार सूची तैयार करेंगे और गुणानुक्रम के आधार पर विद्याथियों का अंतिम चयन कर आयुक्त उच्च शिक्षा को भेजेंगे। इस प्रकार 10 संभागों से स्नातकोत्तर स्तर पर समस्त संकायों से अधिकतम 50 विद्यार्थियों के नाम तथा स्नातक स्तर पर अधिकतम 200 विद्यार्थियों के मान से 10 संभागों से कुल 250 विद्यार्थियों के नाम आयुक्त उच्च शिक्षा को प्राप्त होंगे।
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