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मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2021
चर्चा में क्यों?
28 अक्तूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2021 का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- यह आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश एवं जर्मन डेवलपमेंट एजेंसी के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विरासत वृक्षों पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक तथा प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में 100 करोड़ पेड़ लगाने से संबंधित एक पुस्तक ‘वृक्षारोपण जनआंदोलन, 2021’ का विमोचन किया। उन्होंने कार्बन न्यूट्रल पर आधारित ऐप लॉन्च किया तथा प्रदेश में तीन ईको पर्यटन सर्किट का भी शुभारंभ किया।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री को वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान द्वारा दुधवा टाइगर रिज़र्व के अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप प्रबंधन हेतु प्राप्त पुरस्कार सौंपा गया।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक वर्ष 1 से 7 जुलाई तक वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसके तहत प्रदेश सरकार द्वारा वृक्षारोपण हेतु सभी विभागों के समन्वय से कार्यवाही की गई। पहले वर्ष साढ़े पाँच करोड़ वृक्ष, दूसरे वर्ष 11 करोड़ वृक्ष, तीसरे वर्ष 22 करोड़, चौथे वर्ष 25 करोड़ से अधिक और पाँचवे वर्ष 30 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए गए।
- इस सम्मेलन में 3 ईको पर्यटन सर्किट को लॉन्च किया गया है। इनमें आगरा-चंबल सर्किट, वाराणसी-चंद्रकांता सर्किट तथा गोरखपुर-सोहगीबरवा सर्किट पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण हैं। इनके माध्यम से पर्यटकों को प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक वातावरण प्राप्त होगा।
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उत्तर प्रदेश स्व-स्थाने मलिन बस्ती पुनर्विकास नीति, 2021
चर्चा में क्यों?
28 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश स्व-स्थाने मलिन बस्ती पुनर्विकास नीति, 2021 के प्रख्यान के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस नीति के अनुसार ‘मलिन बस्ती’ का अभिप्राय उत्तर प्रदेश मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार और निपातन) अधिनियम, 1962 की धारा-3 के अनुसार परिभाषित स्लम से है।
- इस नीति के अंतर्गत ऐसी मलिन बस्ती मान्य होंगी, जिनमें न्यूनतम 300 व्यक्ति निवासित हों।
- नीति के क्रियान्वयन हेतु राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा), उत्तर प्रदेश को राज्यस्तरीय नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
- नीति के क्रियान्वयन के लिये राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय सक्षम प्राधिकारी, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव नगरीय रोज़गार एवं गरीबी उन्मूलन विभाग की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय मूल्यांकन समिति, नगरीय स्तर पर नगर निगमों हेतु मंडलायुक्त की अध्यक्षता में तथा अन्य नगर निकायों हेतु ज़िला अधिकारी की अध्यक्षता में नगरस्तरीय सक्षम प्राधिकारी का गठन किया जाएगा।
- चिह्नित मलिन बस्तियों के मूल्यांकन एवं नगरस्तरीय समक्ष प्राधिकारी को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने हेतु परियोजना निदेशक, ज़िला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की अध्यक्षता में नगरस्तरीय तकनीकी समिति का गठन किया जाएगा।
- इस नीति में शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी), क्रियान्वयन संस्था, निजी विकासकर्त्ता की भूमिका एवं दायित्व के साथ परियोजना के विकास, लाभार्थियों की पात्रता तथा उनको मिलने वाले लाभ, आवंटन प्रक्रिया, अनिवार्य विकास मानदंड एवं प्रधानमंत्री आवास योजना- सबके लिये आवास (शहरी) मिशन से प्राप्त किये जाने वाले अनुदान के संबंध में सुस्पष्ट प्रावधान किये गए हैं।
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सोरों सुकर क्षेत्र तीर्थस्थल घोषित
चर्चा में क्यों?
28 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कासगंज ज़िले के पवित्र सोरों सुकर क्षेत्र को तीर्थस्थल घोषित किया।
प्रमुख बिंदु
- लंबे समय से साधु-संतों और विभिन्न संगठनों की सोरों सुकर को तीर्थस्थल घोषित किये जाने की मांग को देखते हुए इसे तीर्थस्थल घोषित किया गया है।
- इस प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थल को तीर्थ के रूप में संरक्षित करने से इसके अंतर्गत आने वाले कई छोटे मंदिरों का जीर्णोद्धार करना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही चक्रतीर्थ, योगतीर्थ, सूर्यतीर्थ, सोमतीर्थ और सकोटकतीर्थ को भी लाभ मिलेगा।
- सोरों सुकर क्षेत्र को तीर्थस्थल घोषित किये जाने से स्थानीय लोगों को विकास के अलावा रोज़गार के नए साधन भी उपलब्ध होंगे।
- राज्य सरकार के फैसले से तीर्थयात्रा की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित किया जाएगा, इसका जीर्णोद्धार किया जाएगा और तीर्थयात्रियों के लिये बुनियादी सुविधाओं का विकास और घाटों का विकास किया जाएगा।
- सोरों सुकर क्षेत्र कासगंज के ब्रज क्षेत्र में स्थित है और विभिन्न पुराणों में इस क्षेत्र के महत्त्व का उल्लेख किया गया है। सोरों सुकर क्षेत्र को मोक्ष का तीर्थ भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सोरों सुकर क्षेत्र भगवान विष्णु के तीसरे अवतार ‘वराह’ का निर्वाण स्थान है। सोरों सुकर क्षेत्र में कुंड (हरिपदी गंगा) वही स्थान है, जहाँ से भगवान वराह ने बैकुंठ लोक की ओर प्रस्थान किया था और तब से मृत्यु के बाद राख को इस कुंड में विसर्जित किया जाता है।
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