उत्तर प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए नगरीय निकायों के लिये ‘मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना’शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिये उन्होंने नए बने निकाय क्षेत्रों के विकास कार्यों की समीक्षा की।
- प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे नवसृजित, विस्तारित अथवा उच्चीकृत नगरीय निकायों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास के लिये ‘मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना’प्रारंभ करने की तैयारी करें।
- यह योजना इन नवीन नगरीय क्षेत्रों में सीवरेज, पेयजल, पार्किंग, स्वच्छता, चौराहों का सुंदरीकरण, मार्ग प्रकाश, सामुदायिक केंद्र, सड़क निर्माण, स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना के लिये उपयोगी होगी।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत होने वाले कार्यों की कड़ी मॉनिटरिंग की जानी चाहिये। इस काम में पूरी पारदर्शिता और गुणवत्ता होनी चाहिये। निर्माण एवं विकास कार्यों में नवाचार प्री फैब/प्री कॉस्ट कंक्रीट निर्माण तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिये।
उत्तर प्रदेश Switch to English
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग तथा माइक्रो ब्लॅागिंग ऐप ‘कू’ के बीच एमओयू
चर्चा में क्यों?
27 जुलाई, 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग ने माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप ‘कू’के साथ एक एमओयू किया है, जिसके तहत राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘एक ज़िला एक उत्पाद’(ओडीओपी) से जुड़े प्रोडक्ट के बारे में अब पूरी जानकारी 10 भारतीय भाषाओं में भी मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल और ‘कू’ के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अप्रमेय राधाकृष्ण ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- समझौते के तहत ‘कू’अपने यूज़र्स के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिये ओडीओपी से जुड़ी सामग्री और उत्पादों का 10 भाषाओं में प्रचार-प्रसार का मंच प्रदान करेगा। इसके अलावा, ‘कू’कॉर्पोरेट सेक्टर में उपहार देने के लिये भी ओडीओपी के उत्पाद भी खरीदेगा।
- इस समझौते से गैर-अंग्रेज़ीभाषी कारीगरों एवं लोगों की ओडीओपी से जुड़े कार्यक्रमों और योजनाओं तक पहुँच हो जाएगी। साथ ही, प्रदेश के स्थानीय कारीगरों के पास और बड़ा बाज़ार उपलब्ध हो जाएगा। इससे उन्हें व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- ‘एक ज़िला, एक उत्पाद (ओडीओपी)’ योजना की दूसरे देशों के दूतावासों में भी ब्रांडिंग की जाएगी। दूतावासों में ओडीओपी के उत्पाद भी प्रदर्शित किये जाएंगे और डिस्प्ले में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की भी जानकारी दी जाएगी, ताकि लोग वहाँ से भी आयात कर सकें। इससे ओडीओपी के उत्पादों का विदेशों में भी निर्यात बढ़ेगा।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम-2017 के विभिन्न नियमों में संशोधन को मिली मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी।
प्रमुख बिंदु
- उक्त संशोधनों से खनिजों का वैज्ञानिक एवं पर्यावरण-अनुकूल तरीके से समुचित खनन हो सकेगा तथा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
- प्रस्ताव के अनुसार, राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम-2017 के विभिन्न नियमों में बदलाव किया गया है। संशोधित नियमों के अनुसार, अप्रधान खनिजों के खनन पट्टों/क्वारी लाईसेंसों की अवधि निश्चित प्रीमियम के भुगतान की शर्त पर 31 मार्च, 2025 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2040 तक हो सकेगी।
- संशोधित नियमावली में अप्रधान खनिजों के खनन पटेों के हस्तांतरण पर लिये जाने वाला प्रीमियम अब डेड रेंट/लाईसेंस फीस के 10 गुना व अधिकतम 10 लाख रुपए के स्थान पर 5 गुना व अधिकतम 5 लाख रुपए तक लिया जाएगा तथा पट्टाधारियों को अप्रधान खनिजों के खनन पट्टों के लिये मासिक की जगह त्रैमासिक ऑनलाइन रिटर्न भरना होगा।
- नए नियमों में खातेदारी भूमि में अप्रधान खनिज खनन पट्टा जारी करने की 4 हेक्टेयर की अधिकतम सीमा को भी हटाया जा सकेगा, ताकि वैज्ञानिक और सुरक्षित खनन को बढ़ावा मिल सके। साथ ही, निर्धारित प्रीमियम के भुगतान पर अप्रधान खनिज के खनन पट्टों /क्वारी लाईसेंस के समीप उपलब्ध भूमि एक निश्चित क्षेत्रफल तक खनन पट्टों/लाईसेंस धारी को आवंटित की जा सकेगी।
- सुगमता की दृष्टि से नवीन प्रावधान के अनुसार खानों का पंजीयन बिना पर्यावरण अनुमति के हो सकेगा, लेकिन खनन कार्य पर्यावरण अनुमति प्राप्त करने के बाद ही शुरू होगा।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा की क्रियान्विति में राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम-2017 में संशोधन की अधिसूचना के प्रारूप को मंज़ूरी दी है।
राजस्थान Switch to English
हेपेटाइटिस अभियान के तहत राजस्थान को मिला राष्ट्रीय सम्मान
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को हेपेटाइटिस अभियान के तहत सघन स्क्रीनिंग एवं व्यापक जनजागरूकता गतिविधियाँ संचालित करने के लिये राजस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा-पत्र प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इसी प्रकार हेल्दी लीवर कैंपेन के अंतर्गत प्रदेशभर में बेहतरीन कार्य करने वाले चिकित्सकों, जेल अधीक्षकों, स्वास्थ्यकर्मियों एवं ज़िला आईईसी समन्वयकों इत्यादि को सम्मानित किया गया।
- इस अवसर पर राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान का यूनिवर्सल हेल्थ केयर मॉडल गरीब-से-गरीब आदमी को भी पूर्णत: नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण इलाज सुनिश्चित करवाता है।
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य को निरोगी बनाने के अभियान के शुरुआत ‘मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना’ से की थी। वर्तमान में ‘चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’, ‘मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना’ के माध्यम से प्रदेशवासियों को नि:शुल्क जाँच, दवा एवं उपचार की सुविधा मिल रही है।
- अनियमित खानपान और शुद्ध पानी का उपयोग नहीं करने से हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी होती है। हम सभी को शराब, सिगरेट, तंबाकू इत्यादि के सेवन से बचना चाहिये और स्वस्थ जीवन-शैली अपनानी चाहिये।
- जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री महेश जोशी ने कहा कि हेल्दी लीवर कैंपेन के अंतर्गत जनसहभागिता से प्रदेश में 64 हज़ार 733 पेयजल स्रोतों का क्लोरिनेशन करवाया गया है और नियमित अंतराल में जल शुद्धिकरण की गतिविधियाँ विभाग द्वारा संचालित की जा रही हैं।
- जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य में 33 ज़िलों में ग्राम जल स्वच्छता समिति के माध्यम से भी पेयजल की जाँच का कार्य करवाया जा रहा है। राज्य की 11 हज़ार 325 ग्राम पंचायतों में से 6 हज़ार 938 ग्राम पंचायतों में पेयजल जाँच हेतु प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो चुका है।
- उन्होंने कहा कि विभिन्न जल स्रोतों से प्राप्त जल का शुद्धिकरण कर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने से हेपेटाइटिस ए एवं ई की रोकथाम सुनिश्चित होगी तथा संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी आएगी।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एवं एनएचएम मिशन निदेशक रोली सिंह ने कहा कि ‘तंबाकू नियंत्रण अभियान’ की तरह ही राजस्थान में ‘नेशनल वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम’ के तहत ‘हेल्दी लीवर कैंपेन’ का सफल संचालन कर आमजन में इसके बारे में जागरूकता विकसित की गई है।
राजस्थान Switch to English
भीलवाड़ा ज़िले के मांडल में 33 केवी जीएसएस का लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को राजस्थान के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने भीलवाड़ा ज़िले के विधानसभा क्षेत्र मांडल में 33 केवी जीएसएस का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- यह राज्य की पहली ऐसी ग्राम पंचायत है, जहाँ बिजली के तारों की अंडरग्राउंड लाइनें बिछाई गई हैं। गली- मोहल्लों और घरों की छतों पर अब लटकते तार नहीं दिखेंगे तथा बिजली संबंधी दुर्घटनाएँ भी घटित नहीं होंगी।
- 90 लाख रुपए की लागत से निर्मित इस ग्रिड की स्थापना से क्षेत्र के लोगों को बिजली आपूर्ति संबंधी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- राजस्व मंत्री ने कहा कि ज़िले में 132 केवी के 9 ग्रिड तथा 33 केवी के 87 ग्रिड राज्य सरकार द्वारा स्थापित किये गए। मांडल में 33 केवी के विद्युत ग्रिड से यहाँ के छोटे उद्योगों व घरों को बिजली की सुविधा मिलेगी।
- डिस्कॉम के अधीक्षण अभियंता शीशराम वर्मा ने बताया कि मांडल गाँव में विद्युत व्यवस्था पूरी तरह सुचारु रखने के लिये 33/11 जीएसएस का निर्माण किया गया है। लगभग 6 करोड़ रुपए की लागत से यूआईटी के माध्यम से 3 किमी. 11 केवी व 15 किमी. एलटी अंडर ग्राउंड कर दी गई है।
राजस्थान Switch to English
चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों को समयबद्ध नंद घर के रूप में विकसित किया जाएगा
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को राजस्थान की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने शासन सचिवालय में नंद घर योजना की समीक्षा बैठक के दौरान निर्देश दिये कि योजना के तहत 25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को समयबद्ध नंद घर के रूप में विकसित किया जाए।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बजट 2021-22 में 25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को ‘नंद घर’ के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी।
- मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना के तहत चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों में भवन अपग्रेडेशन, ई लर्निंग सामग्री के वितरण के लिये एलईडी प्रोजेक्टर, पानी का शुद्धिकरण यंत्र सहित विभिन्न कार्य सुनिश्चित किये जाएँ।
- उन्होंने अधिकारियों से कहा कि योजना के बेहतर क्रियान्वयन के संबंध में स्टेट कोऑर्डिनेट कमेटी भी बनाई जाए। ज़िला कलेक्टर द्वारा भी चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों में पानी, बिजली, इंटरनेट कनेक्शन सहित विभिन्न कार्य किये जाएँ।
- महिला एवं बाल विकास सचिव दिनेश कुमार यादव ने बताया की बजट घोषणा 2021-22 की पालना में 25 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों को नंद घर के रूप में विकसित करने के लिये राज्य सरकार तथा वेदांता लिमिटेड के मध्य 8 फरवरी, 2022 को एमओयू किया गया था।
- विभागीय भवनों, सरकारी भवनों तथा अन्य सामुदायिक भवनों में संचालित 32 हज़ार 507 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 26 हज़ार 6 को नंद घर के रूप में विकसित किया जाना प्रस्तावित है।
मध्य प्रदेश Switch to English
एमपीकिसान ऐप
चर्चा में क्यों?
28, जुलाई 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘मेरी गिरदावरी- मेरा अधिकार’में अब किसान अपनी फसल की जानकारी एमपीकिसान ऐप (MPKISAN App) के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
- इस जानकारी का उपयोग फसल हानि, न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना, भावांतर योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और कृषि ऋण में किया जाएगा।
- किसान अपनी फसल की जानकारी 1 अगस्त से 15 अगस्त, 2022 तक दर्ज करा सकते हैं। किसान की इस जानकारी का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं पटवारी से सत्यापन होगा।
- ‘मेरी गिरदावरी-मेरा अधिकार’में किसान को यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई है कि वे अपने खेत से ही स्वयं फसल की जानकारी एमपीकिसान ऐप पर दर्ज कर अपने आप को रजिस्टर कर सकते हैं।
- किसान इस ऐप पर लॉगिन कर फसल स्व-घोषणा, दावा ऑपत्ति आप्शन पर क्लिक कर अपने खेत को जोड़ सकते हैं।
- खाता जोड़ने के बाद खाते के समस्त खसरा की जानकारी एप में उपलब्ध होगी। उपलब्ध खसरा की जानकारी में से किसी भी खसरे पर क्लिक करने पर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के माध्यम से जानकारी उपलब्ध होगी।
- किसान के सहमत होने पर एक क्लिक से फसल की जानकारी को दर्ज किया जा सकेगा। संभावित फसल की जानकारी से असहमत होने पर खेत में बोई गई फसल की जानकारी खेत में उपस्थित होकर लाइव फोटो के साथ दर्ज की जा सकती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
करोंद मंडी में बनेगा एयर वेंटीलेटेड फ्लावर डोम
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान मंत्रालय ने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह के भोपाल की करोंद मंडी परिसर में फूलों के लिये मध्य प्रदेश के पहले एयर वेंटीलेटेड फ्लावर डोम बनाने के प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी।
प्रमुख बिंदु
- राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को एयर वेंटीलेटेड फ्लावर डोम के बन जाने से अपनी फसल का वाज़िब दाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- मंडी में आए किसानों को अच्छे दाम नहीं मिलने की स्थिति में फूलों को रखने की सुविधा मिल जाएगी और अच्छे दाम मिलने पर किसान उन्हें बेच सकेंगे। इससे किसान बिचौलियों के शोषण से भी मुक्त होंगे और फूलों की खेती लाभ का व्यवसाय बनेगी।
- राज्य मंत्री ने कहा कि भोपाल में 180.51 लाख रुपए लागत से यह एयर वेंटीलेटेड फ्लावर डोम बनाया जाएगा। प्रदेश का यह पहला डोम है। इसको विभाग की एमआईडीएच योजना में शामिल किया गया है। इसके साथ ही अन्य स्थानों पर आवश्यकता के अनुसार एयर वेंटीलेटेड फ्लावर डोम बनाए जाएंगे।
मध्य प्रदेश Switch to English
‘गवर्नमेंट सेक्टर इनिशिएटिव अवार्ड टू प्रमोट डिजिटल लर्निंग’
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को हैदराबाद में 24वीं वर्ल्ड एजुकेशन समिट में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग को ‘गवर्नमेंट सेक्टर इनिशिएटिव अवार्ड टू प्रमोट डिजिटल लर्निंग’मिला है।
प्रमुख बिंदु
- इनोवेशन इन एजुकेशन विषय पर अंतर्राष्ट्रीय समारोह में उच्च शिक्षा आयुक्त दीपक सिंह ने पुरस्कार ग्रहण किया।
- दीपक सिंह ने कहा कि प्रदेश को यह पुरस्कार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में डिजिटल लर्निंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर मिला है। इस प्रोत्साहन से भविष्य में भी प्रदेश उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सकेगा।
- विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के साथ ही स्किल डेवलपमेंट के लिये व्यावसायिक विषय, प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप, अप्रेंटेशिप और कम्युनिटी इंगेजमेंट जैसी गतिविधियों से विद्यार्थियों को रोज़गार से जोड़ने का कार्य किया गया है।
- विदित है कि मध्य प्रदेश में सभी शासकीय विश्वविद्यालयों में डिजी लॉकर की व्यवस्था उपलब्ध है। इससे छात्रों को कहीं भी अपनी अंकसूची, उपाधि, डुप्लीकेट मार्कशीट, माइग्रेशन आदि प्रमाण-पत्र उपलब्ध हो सकेंगे।
- विभाग द्वारा नवाचार, डिजिटल इनिशिएटिव्स, एकीकृत पोर्टल का निर्माण, ऑनलाइन प्रवेश, ई-शिक्षा, ई-कंटेंट निर्माण, ऑनलाइन ट्रेनिंग, वर्चुअल क्लासेज और दूरदर्शन के माध्यम से शिक्षण कार्य किये जा रहे हैं।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार 2023 में बाजरे को ‘न्यूट्री-सेरिअल’के रूप में प्रचारित करेगी
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में हुई राज्य खाद्य सुरक्षा मिशन कार्यकारी कमेटी की बैठक में जानकारी दी गई कि वर्ष 2023 में हरियाणा सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत बाजरे को ‘न्यूट्री-सेरिअल’के रूप में प्रचारित करेगी।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के प्रयासों से वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय ‘न्यूट्री-सेरिअल’वर्ष घोषित किया है।
- हरियाणा में लगभग 10 से 12 लाख एकड़ में बाजरे की फसल होती है तथा उत्पादन भी प्रति एकड़ लगभग 8 क्विंटल तक होता है।
- बैठक में मुख्य सचिव ने हैफेड के अधिकारियों को निर्देश दिये कि बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने के लिये सीधे कंपनियों से अनुबंध खेती करवाने के प्रयास करें।
- बैठक में इस बात की जानकारी भी दी गई कि हैफेड संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) व अन्य अरब देशों के साथ बासमती चावल का निर्यात पहले से ही कर रहा है।
- मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में जौ की अनुबंध खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को अधिक-से-अधिक प्रेरित किया जाए। इसके अलावा कपास की फसल पर संभावित ‘पिंक वार्म’के प्रकोप से बचाने के लिये भी त्वरित अभियान चलाया जाए।
- बैठक में राज्य खाद्य सुरक्षा मिशन के बारे में जानकारी दी गई कि भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत रबी 2007-08 से आरंभ किया था। इसके तहत दलहन एवं तिलहन की पैदावार को बढ़ावा देना था। वर्ष 2018-19 में खाद्य तेल एवं पाम ऑयल को भी इसमें शामिल किया गया है।
- वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने इस मिशन के लिये 4013.86 लाख रुपए की कार्य योजना स्वीकृत की थी, जिसके अंतर्गत किसानों को प्रमाणित बीज, क्लस्टर प्रदर्शन खेत, माइक्रोन्यूट्रेंट, कृषि मशीनरी, समेकित कीट प्रबंधन तथा फसल एवं मृदा सुरक्षा प्रबंधन के लिये सब्सिडी दी जाती है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री ने एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन, पशुचालित कल्टीवेटर और प्लांटर किया लॉन्च
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग ज़िले के पाटन विकासखंड के ग्राम करसा में छत्तीसगढ़ के पहले त्योहार ‘हरेली’के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कंप्लीट एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन, पशुचालित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर की लॉन्चिंग की।
प्रमुख बिंदु
- एग्रीकल्चर ड्रोन के माध्यम से 4 एकड़ खेतों में आधे घंटे के भीतर दवा का छिड़काव हो सकेगा। अमूमन एक किसान को इसके लिये 1 एकड़ हेतु 3 घंटे का वक्त लगता है। मशीन के माध्यम से दवा की मात्रा भी निर्धारित की जा सकेगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में छिड़काव के लिये लेबर मिलने में भी परेशानी होती है। इसके माध्यम से किसानों की समय की बचत भी होगी और समूहों की आय भी बढ़ेगी।
- एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन के साथ ही एग्री एम्बुलेंस भी होगी, जिसमें एग्रीकल्चर लैब की सुविधा भी होगी। इसमें किसान सॉइल टेस्टिंग आदि करा सकेंगे। इसमें खेती-किसानी के लिये संपूर्ण सुविधा होगी। इसमें जैविक खाद की उपलब्धता भी होगी।
- उल्लेखनीय है कि यह पीपीपी मॉडल पर काम करेगा। 20 गाँव में एक मशीन के माध्यम से कार्य हो सकेगा। यह कार्य समूह करेगा। ड्रोन के संचालन के लिये समूह के युवाओं को ही प्रशिक्षित किया जाएगा। समूह के सदस्य इससे तकनीकी रूप से दक्ष हो सकेंगे। इससे उन्हें खेती-किसानी के अतिरिक्त अन्य आजीविकामूलक गतिविधियों के लिये पर्याप्त समय मिल सकेगा।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित कृषि कार्य आसान बनाने वाले दो तरह के कृषि यंत्रों-पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर को भी लॉन्च किया।
- कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इन यंत्रों के इस्तेमाल से किसानों को कृषि कार्य में लगने वाले समय में कमी आएगी, साथ ही लागत में भी कमी होगी। बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर के उपयोग से पशुओं पर भी बोझ कम पड़ेगा।
- द्वितीयक जुताई के लिये पशुचालित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर कृषकों की समस्या का निदान कर सकता है। इस कल्टीवेटर की सहायता से 1 हेक्टेयर खेत की 5-7 घंटे में एक बार द्वितीयक जुताई की जा सकती है। इससे जहाँ मवेशियों को कम बल लगाना पड़ेगा, वहीं कृषक भी सीट पर बैठकर आसानी से पूरे यंत्र को संचालित कर सकता है। इस पूरे यंत्र की लागत करीब 55-60 हज़ार रुपए है।
- पशुचालित बैटरी ऑपरेटेड प्लांटर की सहायता से कतारबद्ध बीज-से-बीज की दूरी बनाए रखते हुए बुआई की जा सकेगी। इस प्लांटर को कतार-से-कतार के बीच की दूरी फसल के अनुसार 20 से 50 सेमी. तक व्यवस्थित कर सकते हैं। प्लांटर की लागत लगभग 20-25 हज़ार रुपए है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
गोमूत्र खरीद योजना
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग ज़िले के पाटन विकासखंड के ग्राम करसा में छत्तीसगढ़ के पहले त्योहार ‘हरेली’के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में गोमूत्र खरीदकर ‘गोमूत्र खरीद योजना’का विधिवत शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपए किलो में गोबर खरीदी के बाद अब 4 रुपए लीटर में गोमूत्र की खरीदी कर रहा है।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में ‘गोधन न्याय योजना’की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी। इसके तहत गोठनों में पशुपालक ग्रामीणों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है।
- देशभर में गोबर की खरीदी के ज़रिये बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसके उपयोग की बेजोड़ सफलता ही गोमूत्र की खरीदी का आधार बनी है।
- गोमूत्र खरीदी का उद्देश्य गोठानों में इससे जैविक कीटनाशक, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर का निर्माण करना है, ताकि राज्य के किसानों को कम कीमत पर जैविक कीटनाशक सहजता से उपलब्ध कराया जा सके। इसके पीछे मकसद यह भी है कि खाद्यान्न उत्पादन की विषाक्तता को कम करने के साथ ही खेती की लागत को भी कम किया जा सके।
- अब गोठानों में गोमूत्र की खरीदी कर महिला समूहों के माध्यम से इससे जैविक कीटनाशक तैयार किये जाएंगे, जिसे किसानों को रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाएगा। इन जैविक कीटनाशकों की कीमत बाज़ार में मिलने वाले महँगे रासायनिक कीटनाशक पेस्टिसाइड की कीमत से काफी कम होगी।
- कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गोमूत्र कीटनाशक, रासायनिक कीटनाशक का बेहतर और सस्ता विकल्प है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक होती है। खेतों में इसके छिड़काव से सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण में मदद मिलती है। पत्ती खाने वाले, फल छेदन एवं तना छेदक कीटों के प्रति गोमूत्र कीटनाशक का उपयोग ज़्यादा प्रभावकारी है। इसका उपयोग कृषि-पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिये भी बेहतर है।
- गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ‘सुराजी गाँव योजना’के ‘गरवा’ घटक के तहत राज्य के 8408 गाँव में गोठान निर्मित एवं संचालित हैं, जहाँ पशुओं की देखरेख चारा-पानी का नि:शुल्क प्रबंध है। इन गोठनों में ‘गोधन न्याय योजना’के तहत विगत 2 वर्षों से गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे महिला समूह जैविक खाद एवं अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं।
- राज्य में बीते 2 सालों में 76 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की गई है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता ग्रामीण पशुपालकों को 153 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है। महिला समूहों ने क्रय गोबर से अब तक 22 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट प्लस का उत्पादन कर राज्य के किसानों को खेती में उपयोग के लिये उपलब्ध कराया है।
- गोठानों में गोबर से जैविक खाद के निर्माण के साथ-साथ महिलाएँ अन्य मूलक गतिविधियाँ भी संचालित कर रही हैं, जिनसे उन्हें बीते 2 सालों में 74 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हुई है।
- गोठानों में महिला समूह द्वारा जैविक खाद के साथ-साथ अब जैविक कीटनाशक तैयार किये जाने से राज्य में जैविक खेती को और बढ़ावा मिलेगा। इससे पशुपालक ग्रामीणों को अतिरिक्त आय तथा महिला समूहों को रोज़गार और आय का ज़रिया भी मिलेगा।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘हरेली’के अवसर पर अपने आवास परिसर से ‘मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ’को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। न्याय रथ महिलाओं को उनके अधिकारों और कानूनों के प्रति जागरूक करेगा।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की पहल पर प्रदेश की महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों और कानूनों की जानकारी देकर जागरूक करने और उनमें आत्मविश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से यह न्याय रथ यात्रा शुरू की गई है।
- ‘बात है अभिमान के महिला मन के सम्मान के’सूत्र वाक्य के साथ यह यात्रा शुरू हुई।
- मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ यात्रा राज्य महिला आयोग के माध्यम से संचालित की जाएगी। यह रथ सभी ज़िलों के गाँव-गाँव तक भ्रमण कर लोगों को शॉर्ट फिल्मों, संदेशों और ब्रोशर के माध्यम से महिलाओं को कानूनी प्रावधानों एवं उनके संवैधानिक अधिकारों के बारे में अवगत कराएगा।
- प्रथम चरण में मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ खनिज न्यास निधि प्राप्त करने वाले नौ ज़िलों- दुर्ग, रायपुर, राजनांदगाँव, बलौदाबाज़ार-भाटापारा, महासमुंद, जांजगीर-चांपा, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर में जाएगा। इसके बाद प्रदेश के बाकी ज़िलों में न्याय रथ यात्रा शुरू होगी। इसकी शुरुआत दुर्ग ज़िले से होगी। इस अभियान के तहत महिलाओं को नि:शुल्क कानूनी सहायता भी दी जाएगी।
- प्रत्येक महतारी न्याय रथ में 2 अधिवक्ता भी होंगे, जो महिलाओं की समस्याओं को सुनकर उन्हें जानकारी और सलाह देंगे। न्याय रथ के माध्यम से महिलाएँ आवेदन भी दे सकेंगी। प्राप्त आवेदनों का महिला आयोग द्वारा निराकरण किया जाएगा।
- रथ में बड़ी एलईडी स्क्रीन में छत्तीसगढ़ी और हिन्दी भाषा की विभिन्न कानूनों से संबंधित राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत लघु फिल्में दिखाई जाएंगी।
- महतारी न्याय रथ का संचालन डीएमएफ राशि से किया जाएगा। इसके लिये प्रदेश सरकार ने डीएमएफ पॉलिसी में विशेष बदलाव किये हैं।
- राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बताया कि शिक्षित, अशिक्षित, गृहणी, नौकरी कर रही सभी महिलाओं को महिला आयोग के कार्यों और महिलाओं के लिये बनाए गए कानूनों, नियमों एवं उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिये मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ की शुरुआत हुई है।
- महतारी न्याय रथ के माध्यम से बताया जाएगा कि महिलाएँ अपनी समस्याओं के समाधान और नि:शुल्क तथा त्वरित न्याय पाने के लिये महिला आयोग में किस तरह आवेदन कर सकती हैं। इससे पहले भी महिला आयोग ने वाट्सएप नंबर 9098382225 जारी किया है, जिसके माध्यम से महिलाएँ आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा रही हैं।
- डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि यह योजना देश में अपनी तरह की पहली योजना होगी। इससे महिलाएँ जागरूक होंगी और उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। महिलाओं को कानूनी अधिकारों की जानकारी से राज्य में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में कमी आएगी।
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टनल पार्किंग शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के संयुक्त मुख्य प्रशासक पीसी दुम्का ने जानकारी दी कि प्रदेश सरकार पहाड़ में पार्किंग की समस्या से निजात दिलाने के लिये टनल पार्किंग की शुरुआत कर रही है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार का मानना है कि टनल पार्किंग अभी तक देश में कहीं भी नहीं है। उत्तराखंड इस तरह का प्रयोग करने वाला देश का पहला राज्य होगा। इससे निश्चित तौर पर पार्किंग की बड़ी समस्या का समाधान होगा।
- पीसी दुम्का ने बताया कि टनल निर्माण को लेकर अभी काम शुरुआती चरण में है। जब इनकी डीपीआर बनेगी तो जहाँ जिस तरह की स्वीकृति की ज़रूरत होगी, उसे पूरा किया जाएगा। अभी तक जो टनल स्थल चिह्नित हुए हैं, वे ऐसे हैं कि सड़क के एक तरफ से टनल में गाड़ी पार्क होगी और दूसरी तरफ सड़क पर बाहर निकल जाएगी।
- प्रदेश भर में कुल करीब 180 पार्किंग स्थल चिह्नित किये गए हैं, जिनमें टिहरी और पौड़ी ज़िले में पहले चरण में 12 टनल पार्किंग के स्थान चिह्नित किये गए हैं।
- एनएचआईडीसीएल के अलावा टनल पार्किंग निर्माण के लिये कैबिनेट ने टीएचडीसी, यूजेवीएनएल और आरवीएनएल को कार्यदायी संस्था बना दिया है।
- आरवीएनएल पहले से ही पहाड़ में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन का काम कर रही है। आरवीएनएल ने कई बड़ी टनल का निर्माण भी किया है। वहीं, यूजेवीएनएल और टीएचडीसी ने जल विद्युत परियोजनाओं के लिये टनल निर्माण किये हैं।
- टनल पार्किंग बनाने में राज्य सरकार को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इनमें सबसे पहले चुनौती पर्यावरणीय स्वीकृति की है। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति के बाद ही काम शुरू हो सकेगा। ऐसी ही अनुमति की वजह से प्रदेश में कई जल विद्युत परियोजनाएँ अटकी पड़ी हैं।
- दूसरी ओर, इन टनल के निर्माण के दौरान निकलने वाला मलबा भी बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है। हालाँकि, सरकार का तर्क है कि सभी नियमों का पालन करते हुए टनल निर्माण किये जाएंगे।
- वही पर्यावरणविदों का मानना है कि टनल पार्किंग पहाड़ के महाविनाश की पटकथा साबित होगी। अगर प्रदेश में 558 बांध बन गए तो करीब डेढ़ हज़ार किमी. सुरंगें बनेंगी। लाखों लोग टनल पर आ जाएंगे। रेल लाइन की वजह से जहाँ भी टनल निर्माण हुए हैं, वहाँ ऊपर के गाँवों में दरारें आ गई हैं।
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हरिद्वार में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने किया खारिज
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के उद्योग विभाग के सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड द्वारा हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र बीएचईएल में प्रदेश के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने हेतु भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय से हरिद्वार बीएचईएल औद्योगिक क्षेत्र में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने की कवायद शुरू हुई थी। केंद्र सरकार की मेडिकल डिवाइस पार्क योजना के तहत राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडकुल) ने 100 एकड़ ज़मीन का चयन कर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी थी।
- प्रदेश में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के लिये केंद्र सरकार ने राज्यों से प्रस्ताव मांगे थे, लेकिन पहले चरण में चार मेडिकल डिवाइस पार्क बनाए जाने हैं। इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल को केंद्र ने मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के लिये उपयुक्त पाया, जबकि उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के प्रस्ताव को अनुपयुक्त मानते हुए अस्वीकार किया गया है।
- केंद्र सरकार की मेडिकल डिवाइस पार्क योजना के तहत पार्क को विकसित करने के लिये केंद्र की ओर से बजट दिया जाता है।
- सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि मेडिकल डिवाइस पार्क के लिये चयनित ज़मीन को अब अन्य उद्योगों को स्थापित करने हेतु विकसित किया जाएगा।
- प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क में सर्जिकल व मेडिकल उपकरण बनाने वाले फार्मास्युटिकल्स उद्योग स्थापित होने थे, जहाँ पर उन्हें सभी तरह की सुविधाएँ दी जानी थीं।
- गौरतलब है कि उत्तराखंड फार्मा उद्योग का हब है। देहरादून, हरिद्वार में तीन सौ से अधिक फार्मास्युटिकल कंपनियाँ दवा बना रही हैं। राज्य से दवाइयों को निर्यात भी किया जा रहा है।
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