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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Jul 2021
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सामाजिक न्याय Switch to English

राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मज़दूर न्याय योजना

चर्चा में क्यों?

28 जुलाई, 2021 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनुपूरक बजट में ` 200 करोड़ के प्रावधान के साथ एक नई योजना ‘राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मज़दूर न्याय योजना’ (Rajiv Gandhi Grameen Bhumiheen Krishi Mazdoor Nyay Yojna) की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन वित्त वर्ष 2021-22 के लिये अनुपूरक बजट पेश करते हुए इस योजना की घोषणा की।
  • इस योजना के तहत राज्य के ग्रामीण अंचल के भूमिहीन कृषि मज़दूरों के परिवारों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी।
  • इस योजना से मुख्य रूप से राज्य के मनरेगा और ठेका श्रमिकों को कवर किया जाएगा।
  • सरकार की इस योजना से राज्य के लगभग 10 लाख से ज़्यादा मज़दूरों को फायदा मिलेगा।
  • ध्यातव्य है कि अभी तक केंद्र की मोदी सरकार छोटी और मध्यम जोत वाले किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की आर्थिक मदद दे रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना भूमिहीन परिवारों के लिये महत्त्वपूर्ण होगी।

शासन व्यवस्था Switch to English

अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी आरक्षण संबंधी स्थायी समिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व अन्य पिछड़े वर्गों के लिये स्थायी आरक्षण समिति का गठन किया है।

प्रमुख बिंदु

  • छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के तहत इस समिति का गठन किया गया है।
  • राज्य के आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय इस स्थायी समिति में पाँच विधायक और सामान्य प्रशासन विभाग व आदिम जाति विकास विभाग के सचिव शामिल हैं।
  • समिति का मुख्य कार्य अधिनियम व उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के कार्यान्वयन का पुनर्विलोकन करना है।
  • इसके अलावा यह समिति अधिनियम व उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के उपायों पर सुझाव भी देगी।
  • अधिनियम के प्रावधानों के तहत स्थायी समिति का कार्यकाल दो वर्ष होगा।
  • गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 4 सितंबर, 2019 को अध्यादेश के माध्यम से प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था, जिसे हाईकोर्ट ने स्थगित करते हुए क्वांटिफिएबल डाटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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